राजनीति सवाल गंजों की हजामत का January 20, 2014 / January 20, 2014 | Leave a Comment -देवेन्द्र कुमार- चार हिन्दी भाषी राज्यों में मिली चुनावी शिकस्त से कांग्रेस निकल नहीं पा रही है, झंझावात के दौर से गुजर रही है, कसमकश की स्थिति बरकरार है। दरअसल, कांग्रेस की दिक्कत यह है कि वह तय नहीं कर पा रही है कि उसे उपचार किस वै़द्य से करवाना है। पार्टी में दो […] Read more » Congress problems सवाल गंजों की हजामत का
राजनीति अब राजनीति का नया चेहरा देखना चाहती है मतदाता January 14, 2014 / January 14, 2014 | Leave a Comment -देवेन्द्र कुमार- कभी गाय-गोबर पट्टी के रूप में पहचाना जाने वाला हिन्दी भाषा-भाषी चार प्रदेशों में लोकसभा चुनाव के पूर्व सेमीफाइनल के बतौर देखा जाने वाला विधानसभा चुनावों में कांग्रेस चारों खाने चित्त हुई। स्वाभाविक है कि कांग्रेस के अन्दर आत्ममंथन और आत्मचिंतन की प्रक्रिया चले। इस अवसान पराजय और पराभव के कारक-कारणों की […] Read more » Voters want new political face अब राजनीति का नया चेहरा देखना चाहती है मतदाता
विविधा समानान्तर मीडिया खड़ा करने की बढ़ती जिम्मेदारी January 14, 2014 / January 14, 2014 | 1 Comment on समानान्तर मीडिया खड़ा करने की बढ़ती जिम्मेदारी -देवेन्द्र कुमार- केके माधव के नेतृत्व में 1980 में पुनर्गठित द्वितीय प्रेस कमीशन ने 1982 में अपनी अनुशंसा प्रस्तुत करते हुए देश के तात्कालीन प्रजातांत्रिक-सामाजिक हालात के मद्देनजर प्रेस की भूमिका एवं कार्यप्रणाली को पुनर्परिभाषित करते हुए यह अनुशंसा की थी कि चूंकि प्रेस में शहरी पक्षधरता मौजूद है। यह सिर्फ राजनीतिक उठापटक में […] Read more » media समानान्तर मीडिया खड़ा करने की बढ़ती जिम्मेदारी
मीडिया मीडिया विमर्श के केन्द्र में आम आदमी का सवाल January 12, 2014 / January 12, 2014 | 1 Comment on मीडिया विमर्श के केन्द्र में आम आदमी का सवाल -देवेन्द्र कुमार- मानव समाज के प्रारम्भिक काल से ही मीडिया किसी न किसी शक्ल में मौजूद रहा है। एक अर्थ में कहा जाय तो आदिकाल से आधुनिक काल तक मानव समाज का जो विकास रहा है, वह इसी मीडिया पर की गई सवारी का प्रतिफल है। मीडिया का विकास मानव समाज के विकास के […] Read more » media मीडिया विमर्श के केन्द्र में आम आदमी का सवाल
चिंतन इस बदहाली का गुनहगार कौन January 10, 2014 / January 10, 2014 | Leave a Comment -देवेन्द्र कुमार- एक लंबा संघर्ष अनगिनत कुर्बानियां और जनान्दोलन की कोख से उपजा झारखंड अपने जन्म के साथ ही राजनीतिक अस्थिरता का शिकार रहा है। 15 नवंबर 2000 में बिहार से अलग होकर झारखंड एक अलग राज्य बना और भारतीय जनता पार्टी ने सत्ता संभाली। बाबूलाल मरांडी राज्य के पहले मुख्यमंत्री बने, मगर […] Read more » Jharkhand इस बदहाली का गुनाहगार कौन
राजनीति सवाल शहजादे-शहजादियों की राजनीति का January 8, 2014 / January 8, 2014 | Leave a Comment -देवेन्द्र कुमार- नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री का उम्मीदवार घोषित होते ही यह आशंका व्यक्त की गई थी कि अब आगे का पूरा चुनाव नरेन्द्र मोदी बनाम राहुल गांधी बनने वाला है। यद्यपि कांग्रेस की पूरी कोशिश इससे बचते हुए चुनाव को मुद्दों पर आधारित बनाने की ही थी। सूचना का अधिकार, भोजन का अधिकार, […] Read more » Rahul Gandhi-Priyanka Gandhi सवाल शहजादे-शहजादियों की राजनीति का
राजनीति सवाल इतिहास-भूगोल में बदलाव का January 8, 2014 / January 8, 2014 | Leave a Comment -देवेन्द्र कुमार- भाजपा के दूसरे पीएम इन वेंटिग और पोस्ट गोधरा कांड के बाद की राजनीति में चमकते सितारे नरेन्द्र मोदी ने लौह पुरुष के रूप में सम्मानित और देश के प्रथम गृहमंत्री सरदार बल्लभभाई पटेल की याद में गुजरात के नर्मदा नदी का द्वीप साधु बेट से 3.2 किलामीटर की दूरी पर विश्व की […] Read more » A question to the changing of history-geography सवाल इतिहास-भूगोल में बदलाव का
कला-संस्कृति फिर हमारी इस ज्ञान – संपदा का क्या होगा ! December 30, 2013 / December 30, 2013 | Leave a Comment देवेन्द्र कुमार- आज पूरी दुनिया एक विश्व ग्राम की ओर बढ़ती जा रही है । समय और स्थान की दूरी लगातार सिमटती जा रही है । दूरसंचार के नये – नये तरीके व तकनीक प्रत्येक दिन सामने आ रहे हैं जिनकी कल्पना आज से महज कुछ वर्ष पूर्व तक नहीं की गर्इ थी । सड़क, […] Read more » what about our knowledgeble things ! फिर हमारी इस ज्ञान - संपदा का क्या होगा !
मीडिया मीडिया पहुंच में विस्तार की सीमा October 31, 2013 | Leave a Comment देवेन्द्र कुमार आज मीडिया की पहुँच में विस्तार की चर्चा जोरों पर हैं ,पर मीडिया पहुँच में यह विस्तार अर्थव्यवस्था में बदलाव का प्रतिफल व बाजार की मजबूरी है, उदारीकरण व वैश्वीकरण की देन है। इस मीडिया पहुँच में विस्तार के कारण वैश्विकग्राम की संकल्पना को साकार रूप लेते दिखलाया जा रहा है, पर सच्चाई […] Read more »
राजनीति अति पिछड़ी जातियों की राजनीतिक सहभागिता का उमड़ता सवाल September 24, 2013 | 1 Comment on अति पिछड़ी जातियों की राजनीतिक सहभागिता का उमड़ता सवाल देवेन्द्र कुमार, बिहार की राजनीति में काफी सम्मान के साथ याद किये जाने वाले स्व. कर्पूरी ठाकुर ने पहली बार पिछड़ी जातियों को वर्गीकृत करते हुए अतिपिछड़ी जाति की अवधारणा को राजनीतिक स्वीकृति दी थी । यह वह सामाजिक समूह था जो अपनी राजनीतिक- सामाजिक -र्आर्थिक एवं शैक्षणिक वंचना से मुक्ति के लिए तत्कालीन सत्तासीन […] Read more »
विविधा जादू की छड़ी नहीं है विशेष राज्य का दर्जा September 17, 2013 / September 17, 2013 | Leave a Comment देवेन्द्र कुमार एक लम्बा संघर्ष, अनगिनत कुर्बानियां और जनान्दोलन की कोख से उपजा झारखंड अपने जन्म के साथ ही राजनीतिक अस्थिरता का शिकार हो गया । छोटे छोटे दल और निर्दलियों की केन्द्रीय भूमिका हमेशा बनी रही । सच कहा जाय तो वे किंग मेकर की भूमिका में बने रहें । मंत्री – मुख्यमंत्री पद […] Read more »
राजनीति वानप्रस्थ की ओर बढ़ते कदम September 16, 2013 / September 16, 2013 | 2 Comments on वानप्रस्थ की ओर बढ़ते कदम देवेन्द्र कुमार कभी भाजपा की ओर से लौह पुरुष के रुप में प्रचारित किये जाते रहे लालकृष्ण आडवाणी अपने ही दल में इस कदर दरकिनार किये जाएगें, इसकी कल्पना आज से एक दशक पूर्व शायद ही किसी ने की होगी। यह वह दौर था, जब रामजन्म भूमि और बाबरी विवाद अपने चरम पर था […] Read more » वानप्रस्थ की ओर बढ़ते कदम