चिंतन दिखावा छोडें, मौलिकता अपनाएँ April 17, 2012 / April 17, 2012 | 3 Comments on दिखावा छोडें, मौलिकता अपनाएँ डॉ दीपक आचार्य दिखावा छोडें, मौलिकता अपनाएँ जीवन का शाश्वत आनंद पाएं हम क्या हैं ? यह दिखाने की बजाय अब हम क्या और कैसे दिखते हैं? इस पर सभी तरफ जोर दिया जा रहा है। हम बहुत कुछ हैं और हममें वह दम है कि जमाने भर को दिखा सकते हैं लेकिन इस गर्व […] Read more » live the life जीवन का शाश्वत आनंद पाएं दिखावा छोडें मौलिकता अपनाएँ
चिंतन उत्सवों को यादगार बनाएँ April 16, 2012 / April 16, 2012 | Leave a Comment उत्सवों को यादगार बनाएँ नए वर्ष में नए संकल्प लें डॉ. दीपक आचार्य हर अमावस के बाद पूनम और इसके बाद अमावास्या। शुक्ल पक्ष के बाद कृष्ण पक्ष और फिर वही क्रम। दिन, महीने साल गुजरते जाते हैं। जो समय बीत गया वह कभी लौटकर वापस नहीं आता। कालचक्र की गति कभी थमती नहीं, युगों […] Read more » celebrate festivals New Year उत्सवों को यादगार बनाएँ
चिंतन अपने बाड़ों से बाहर निकलें, जमाने को देखें, अपने आप खुलने लगेगा अक्ल का ताला April 15, 2012 / April 15, 2012 | 1 Comment on अपने बाड़ों से बाहर निकलें, जमाने को देखें, अपने आप खुलने लगेगा अक्ल का ताला – डॉ. दीपक आचार्य समाज-जीवन में अजीब सी स्थिरता और जड़ता आ गई है, न कोई हलचल हो रही है न कोई उत्साह। ‘जैसा चल रहा है वैसा चलने दो’ का नारा हर कहीं प्रतिध्वनित हो रहा है। धक्कागाड़ी की तरह चल रहा है सब कुछ। इसमें पुरानी गाड़ी है, घिसे-पिटे-टूटे पुर्जे हैं, नए हैं […] Read more » social life समाज-जीवन
चिंतन यथास्थितिवादी न बने रहें प्रयोगधर्मा व्यक्तित्व अपनाएँ April 12, 2012 / April 12, 2012 | Leave a Comment – डॉ. दीपक आचार्य जो लोग आए हैं उन्हें कभी न कभी तो जाना ही है। अपने पूरे जीवनकाल में ढेरों अवसर ऐसे आते हैं जब हमें कुछ न कुछ नया सोचने और करने को मिलता है। जो लोग नित नूतनता को जीवन की सारी चुनौतियों से ऊपर मानकर नए-नए प्रयोगों को अपने जीवन में […] Read more » chintan प्रयोगधर्मा व्यक्तित्व अपनाएँ यथास्थितिवादी
चिंतन आलोचनाओं को मन से स्वीकारें April 11, 2012 / April 11, 2012 | Leave a Comment डॉ. दीपक आचार्य जीवन में यथार्थ और सत्य को अपनाएँ आम तौर पर अपनी थोड़ी सी भी आलोचना होने पर लोग दुःखी हो जाते हैं और अपनी सारी सकारात्मक ऊर्जाओं को नकारात्मक सोच और शुचिताहीन गतिविधियों की ओर मोड़ लेते हैं। आलोचना से घबराए हुए लोग चाहे अनपढ़ हों, या पढ़े लिखे, या फिर आधे-अधूरे, […] Read more » role of truth in life जीवन में यथार्थ और सत्य
चिंतन दुनिया को जानने की ललक है,अनजान हैं आस-पास के बारे में April 1, 2012 / April 12, 2012 | 1 Comment on दुनिया को जानने की ललक है,अनजान हैं आस-पास के बारे में डॉ. दीपक आचार्य हमें पूरी दुनिया में क्या हो रहा है, यह जानने की जिज्ञासा और उतावलापन दिन भर सताता रहता है लेकिन हमारे आस-पास क्या हो रहा है और क्या होना चाहिए, इसके बारे में हमें ज्यादा जानने की जरूरत कभी नहीं रहती। गाँव-कस्बों और शहरों के चौरों पर समूह बनाकर बैठने के आदी […] Read more » unknown about neighbourhood अनजान हैं आस-पास के बारे में
चिंतन समाज संस्कारहीनता ही है सब समस्याओं की जड़ March 30, 2012 / April 11, 2012 | 5 Comments on संस्कारहीनता ही है सब समस्याओं की जड़ – डॉ. दीपक आचार्य समाज में आज सब कुछ दिखाई देता है लेकिन जो नहीं दीख पा रहे हैं वे हैं- संस्कार हैं। इन्हीं की कमी से व्यक्ति व समुदाय से लेकर परिवेश और राष्ट्र तक में समस्याओं, कुटिलताओं, विदु्रपताओं और क्षुद्र ऐषणाओं के कई-कई मोहपाश अपना शिकंजा कसते जा रहे हैं। संस्कारहीनता ही वह […] Read more » cutural rite संस्कार