राजनीति वर्तमान नेपाल के समक्ष चुनौतियां एवं समाधान September 19, 2025 / September 20, 2025 | Leave a Comment डॉ.बालमुकुंद पांडे सन् 1997 से सन् 2012 के मध्य पैदा हुए लोगों को ‘ जेन जी’ या ‘ जेनरेशन ज़ूमर ‘ कहा जाता है। यह पीढ़ी उस दौर में पैदा हुई जब इंटरनेट का प्रभाव बहुत ज्यादा बढ़ गया था। ये युवा बड़े होकर सामाजिक प्लेटफार्मों पर अत्यधिक सक्रिय होकर अपने करियर, पेशा , अन्य […] Read more » Challenges and solutions facing present-day Nepal नेपाल के समक्ष चुनौतियां
लेख जनसंख्या असंतुलन : खतरनाक स्थिति September 8, 2025 / September 8, 2025 | Leave a Comment डॉ. बालमुकुंद पांडे जनसंख्या देश की सबसे बड़ी पूंजी हैं क्योंकि यही राज्य का तत्व श्रम शक्ति, प्रतिभा एवं विकास की नींव होती है। जब जनसंख्या असंतुलन की स्थिति में पहुंच जाती है तो यह जनशक्ति देश के लिए अभिशाप एवं राष्ट्रीय सुरक्षा के समक्ष संकट का आकार धारण कर लेती है। समकालीन में वैश्विक […] Read more » Population imbalance जनसंख्या असंतुलन
राजनीति विश्ववार्ता मालदीव के साथ प्रगाढ़ होते भारत के संबंध August 1, 2025 / August 1, 2025 | Leave a Comment डॉ.बालमुकुंद पांडेय भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने पड़ोसी देशों के साथ सौहार्दपूर्ण एवं मधुर संबंध को बनाए रखने की प्राथमिकता दे रहे हैं । मोदी जी विगत जुलाई महीने में 25 एवं 26 को मालदीव की यात्रा पर गए थे। सामरिक एवं व्यापारिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण पड़ोसी, मालदीव अपने देश का 60वा स्वतंत्रता दिवस […] Read more » India's relations with Maldives are deepening मालदीव के साथ प्रगाढ़ होते भारत के संबंध
कला-संस्कृति वैश्विक समस्याओं का समाधान भारतीय चिंतन में ! July 29, 2025 / July 29, 2025 | Leave a Comment डॉ.बालमुकुंद पांडेय संघ प्रमुख डॉ. मोहन भागवत वैश्विक समस्याओं का समाधान भारतीय चिंतन, विचार और अनुशासन में देख रहे हैं । भारत वैश्विक स्तर की प्राचीन सभ्यताओं में से एक है। भारत के पास समृद्ध सांस्कृतिक एवं नैतिक आधारित विश्व विरासत हैं जिसका अनुप्रयोग शांति, स्थिरता, स्थायित्व, सतत […] Read more » Solution to global problems lies in Indian thought!
राजनीति समावेशी शासन की प्राथमिकता July 11, 2025 / July 11, 2025 | Leave a Comment डॉ.बालमुकुंद पांडेय समावेशी शासन के लिए सरकार ने ‘ सेवा ,सुशासन एवं गरीब कल्याण’ के 11 वर्ष पूरे कर लिए हैं। यह 11 वर्ष गरीबों का कल्याण करने, मध्यम वर्ग को सुविधानुकूल वातावरण प्रदान करने, महिलाओं को सशक्त बनाने, किसानसमर्थक नीतियों को क्रियान्वित करने, देश के युवाओं को शैक्षणिक एवं रोजगारनुमुख माहौल देने, पड़ोसी देशों के साथ शांति, सहयोग ,स्थिरता एवं सौहार्द की नीति को क्रियान्वित करने ,वैश्विक पटल पर भारत […] Read more » समावेशी शासन की प्राथमिकता
राजनीति संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवादी ‘और ‘धर्मनिरपेक्ष ‘पर पुनर्विचार की आवश्यकता है। July 2, 2025 / July 2, 2025 | Leave a Comment डॉ. बालमुकुंद पांडेय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह श्रीमान दत्तात्रेय होसवाले जी ने’ इमरजेंसी के 50 साल ‘ के कार्यक्रम में कहा कि ‘ समाजवादी’ और’ धर्मनिरपेक्ष ‘ शब्दों को आपातकाल के दौरान संविधान की प्रस्तावना में शामिल किया गया था । इन शब्दों को सत्ता की सुरक्षा के लिए शामिल किया गया था । […] Read more » समाजवादी और 'धर्मनिरपेक्ष संविधान की प्रस्तावना में 'समाजवादी 'और 'धर्मनिरपेक्ष 'पर पुनर्विचार
पर्यावरण लेख पर्यावरण के लिए बेहद घातक हैं प्लास्टिक June 2, 2025 / June 2, 2025 | Leave a Comment डॉ. बालमुकुंद पांडेय प्लास्टिक मानव समाज के लिए आवश्यक आवश्यकता हो चुका हैं। प्लास्टिक मनुष्यों के दिनचर्या के लिए उपयोगी हो चुका हैं । मानवीय समाज के लिए इसकी उपादेयता के साथ इसके हानिकारक प्रभाव भी हैं। भू – वैज्ञानिकों एवं पर्यावरणविदों के अनुसार ,प्लास्टिक बैग्स पराबैंगनी किरणों के संपर्क में आते हैं तो उनसे ग्रीनहाउस गैस(GHG)निकलती है ,जो अत्यधिक मात्रा में हानिकारक एवं अस्वास्थ्यप्रद हैं । प्लास्टिक एवं पॉलीथिन पालतू जानवरों, वन्यजीवों एवं समुद्रीजीवों के लिए अति खतरनाक एवं अत्यधिक हानिकारक हैं। प्लास्टिक बैग्स एवं प्लास्टिक खाने से प्रत्येक वर्ष लाखों जीव जंतुओं की मृत्यु हो जाती है. इन जानवरों में गाय, भैंस ,एवं दुधारू पशु हैं। प्लास्टिक समुद्री जीवों एवं जंतुओं के लिए भी हानिकारक होता है, इनके कारण बड़ी संख्या में व्हेल ,डॉल्फिन एवं कछुओं की मृत्यु होती है जो खाद्य पदार्थ के साथ प्लास्टिक के बैग्स खा जाते हैं जिससे उनकी अकाल मृत्यु हो जाती है। वैज्ञानिकों द्वारा अन्वेषित प्लास्टिक ने नागरिक समाज, नागरिक जीवन एवं पृथ्वी पर उपस्थित संपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रभाव डाला है। प्लास्टिक को विज्ञान ने हमारी आवश्यकताओं एवं सुविधाओं के लिए तैयार किया था लेकिन यह पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी के शत्रु के रूप में उपादेयता प्रदान कर रहा हैं । भू – तल से लेकर समुद्र तक ,गांव से लेकर कस्बा तक एवं मैदान से लेकर पहाड़ तक प्लास्टिक का व्यापक प्रदूषण प्रभाव हैं। प्लास्टिक का दुष्प्रभाव मानव स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। पेयजल एवं खाद्य पदार्थों में प्लास्टिक का प्रभाव है जिससे मानव स्वास्थ्य पर नकारात्मक एवं प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। लोग यात्रा एवं अन्य प्रयोजनों में पॉलिथीन से बने लिफाफों एवं पन्नियों का अंधाधुंध इस्तेमाल करते हैं। यह प्रक्रिया मानव स्वास्थ्य एवं प्रकृति के लिए नुकसानदायक हैं । प्लास्टिक एक ऐसा अवशिष्ट है जो अविनाशी हैं। इसके इसी विशिष्टता के कारण यह प्रत्येक जगह अनंत समय तक बेतरतीब पड़ा रहता है एवं नष्ट नहीं होता हैं । यह मिट्टी एवं जल में विघटित नहीं होता है एवं जलने पर पर्यावरण को अत्यधिक प्रदूषण का प्रसार करते हैं। प्लास्टिक प्रदूषण में बहुत हानिकारक तत्व हैं । प्लास्टिक की थैलियां एवं प्लास्टिक बैग्स पानी में बहकर चले जाते हैं जिससे जलीय जीवों एवं जंतुओं को संक्रमित करते हैं एवं समुद्री जीव जंतुओं के जीवन पर खतरा खतरा मंडरा रहा हैं। इससे संपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र खतरे में आ गया हैं । पारिस्थितिकी तंत्र में हुए इस खतरे से पर्यावरण को अत्यधिक खतरा हैं जिससे समुद्री वातावरण में प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। प्लास्टिक मनुष्य के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा हैं । इसका चिंताजनक दुष्प्रभाव हैं कि यह मानव स्वास्थ्य पर निरंतर गंभीर खतरा उत्पन्न कर रहा हैं । मनुष्य पेयजल में भी प्लास्टिक मिश्रण वाला पानी पी रहे हैं, नमक में भी प्लास्टिक का मिश्रण खा रहे हैं। वैज्ञानिकों एवं पर्यावरणविदों के अध्ययन से यह स्पष्ट हो रहा है कि हृदय रोग से होने वाली मृत्यु के लिए प्लास्टिक में मौजूद ‘ थैलेटस ‘ के संपर्क में आने के कारण वर्ष 2020 में हृदय रोग से 7 लाख से अधिक मृत्यु हुआ था। इस मृत्यु से होने वालों की अवस्था क्रमशः 55 से 64 वर्ष के बीच थी। 7 लाख लोगों में लगभग तीन – चौथाई दक्षिण एशिया ,पश्चिम एशिया, पूर्वी एशिया, एवं उत्तरी अमेरिका में हुई थी । न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों एकेडमिक विशेषज्ञों एवं शोधार्थियों के दल ने लगभग 201 देश एवं महाद्वीपीय क्षेत्रों में ‘ थैलेटस ‘ के नकारात्मक प्रभाव के मूल्यांकन के लिए जनसंख्या सर्वेक्षणों से मनुष्य के स्वास्थ्य एवं पर्यावरण संबंधी आंकड़ों का विश्लेषण किया। इस अध्ययन में खास प्रकार के थैलेट्स पर गौर किया गया जिसका उपयोग खाद्य पदार्थों के कंटेनर जैसी वस्तुओं में प्लास्टिक को नरम बनाने के लिए किया जाता हैं जो मनुष्य के स्वास्थ्य को वृहद स्तर पर नुकसान एवं कठिनाई का सामना करना पड़ पड़ा था। थैलेट्स मनुष्य के शरीर में प्रवेश करके ऑक्सीजन के साथ क्रिया करके कार्बन मोनोऑक्साइड का निर्माण करके रक्तपरिशंचरण तंत्र को दूषित कर देता है एवं मनुष्य के स्वास्थ्य को अत्यधिक नुकसान पहुंचता है। प्लास्टिक बैग्स को बनाने के लिए जिन तत्वों की प्रधानता होती हैं ,वह उच्च स्तरीय रसायन होता हैं ,जो खाद्य सामग्री को बहुत शीघ्र सड़ा देता हैं। प्लास्टिक के कारण कृषिभूमि की उर्वरता का क्षरण हो रहा हैं ,जिससे भूमि की उर्वरता नष्ट हो जाती है। इसके कारण भू – जल स्रोत एवं जल स्रोत भी अत्यधिक मात्रा में दूषित हो रहे हैं जिससे जल संक्रमित होता जा रहा हैं । प्लास्टिक गांव, कस्बों,नगरों एवं महानगरों की जल निस्तारण प्रणाली को भी अवरुद्ध कर रहे हैं। गर्भावस्था के दौरान प्लास्टिक के संपर्क में आने पर नवजात शिशु के स्वास्थ्य में जटिलताएं उत्पन्न हो जाते हैं जिससे वह मानसिक स्तर पर मंद एवं शारीरिक विषमताओं से जकड़ जाते हैं । प्लास्टिक के कारण पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर एवं नपुंसकता हो रही है। कई वैज्ञानिक अध्ययनों एवं पर्यावरण विशेषज्ञों के अध्ययन के प्रतिवेदन से ज्ञात हुआ है कि खाद्य पदार्थों के पैकेजिंग में इस्तेमाल प्लास्टिक के प्रयोग से कैंसर, प्रजनन क्षमता में ह्रास,अस्थमा, त्वचा रोगों एवं हृदय रोगों का खतरा बढ़ता जा रहा हैं । यह नागरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ हमारे धरती की सेहत को भी अत्यधिक क्षति पहुंचा रहा हैं। प्लास्टिक से निर्मितपदार्थों से पैदा हुए कचरे का निपटारा करना अत्यंत कठिन काम होता हैं। हमारे पृथ्वी पर प्रदूषण के प्रसार के लिए प्लास्टिक भी उत्तरदाई हैं।विगत 40 वर्षों में प्लास्टिक प्रदूषण का स्तर अति तीव्र गति से बड़ा हैं जो मानवीय समुदाय के लिए एक गंभीर समस्या बन चुका है। प्रदूषण के लिए पॉलिथीन ही जिम्मेदार नहीं हैं बल्कि प्लास्टिक बैग्स एवं प्लास्टिक के फर्नीचर भी जिम्मेदार हैं । वैश्विक स्तर पर प्लास्टिक से निर्मित वस्तुएं प्रदूषण के लिए जिम्मेदार हैं। प्लास्टिक एवं प्लास्टिक से निर्मित वस्तुएं नागरिक समाज के स्वास्थ्य, पेयजल एवं स्वच्छ वातावरण के लिए जिम्मेदार हैं. यह सभी वातावरण के लिए एक गंभीर समस्या एवं संकट हो चुके हैं। यह मानव जाति, मानवीय संस्कृति एवं मानव समुदाय के जीवन को क्षीण कर रहे हैं क्योंकि प्रदूषण मनुष्य के आयु को क्षीण कर रहा हैं । मानवीय संस्कृति के अमरता एवं प्रासंगिकता के लिए प्लास्टिक पर प्रतिबंध आवश्यक हैं । प्लास्टिक नियंत्रण की दिशा में नागरिक समाज की पहल से प्रदूषण के नकारात्मक प्रभाव को न्यून किया जा सकता है। 1. नागरिक समाज को प्लास्टिक के बजाय अन्य विकल्प को अपनाना चाहिए; 2. प्लास्टिक के नकारात्मक प्रभाव के विषय में जागरूकता की आवश्यकता है; 3. हानिकारक प्लास्टिक के बढ़ते उपयोग को रोककर ही इसके भयावह समस्याओं पर काबू पाया जा सकता है; 4. सरकार को प्लास्टिक ,प्लास्टिक बैग्स एवं पॉलीथिन पर प्रतिबंध लगाना चाहिए; एवं 5. संगोष्ठियों, जनसभाओं एवं नागरिक समाज के पहल से समाज में संचेतना एवं जन जागरूकता की आवश्यकता है। डॉ. बालमुकुंद पांडेय Read more » प्लास्टिक
राजनीति पाकिस्तान के नापाक इतिहास से सबक लेने का समय! May 22, 2025 / May 22, 2025 | Leave a Comment डॉ. बालमुकुंद पांडेय मूल प्रश्न यह है कि पाकिस्तान आखिर क्यों गलत नीतियों का चयन करता है? पाकिस्तान क्यों सभ्य राष्ट्र – राज्यों के मौलिक सिद्धांतों का पालन नहीं करता है? कौन से आधारभूत तत्व हैं जो पाकिस्तान द्वारा गलत नीतियों एवं विकल्पों के चयन के लिए उत्तरदाई है ? किसी भी राष्ट्र – राज्य […] Read more » Time to learn a lesson from Pakistan's nefarious history! पाकिस्तान के नापाक इतिहास
राजनीति राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के “पंच परिवर्तन” के निहितार्थ April 29, 2025 / April 29, 2025 | Leave a Comment डॉ.बालमुकुंद पांडेय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ( आरएसएस ) की यह पहल ,संघ के चतुर्दिक् दृष्टिकोण, व्यक्ति निर्माण,सांगठनिक उद्देश्य ,समाज निर्माण और राष्ट्र- राज्य निर्माण के प्रति अटूट विश्वास , श्रद्धा एवं अटूट प्रतिबद्धता का प्रतिफल एवं समाज में इसकी सकारात्मक उपादेयता का प्रतीक है । संघ इस वर्ष ,2025 में ‘ शताब्दी वर्ष ‘ मनाने जा […] Read more » राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ
कला-संस्कृति भारत की विरासत इतिहास है April 17, 2025 / April 17, 2025 | Leave a Comment डॉ..बालमुकुंद पांडेय वैश्विक स्तर पर अक्षर ज्ञान के महान प्रणेता,महान अन्वेषक,महान दिव्यप्रकाश देवीत्यमान कर्मयोगी भगवान शिवजी हैं । तीनों लोकों में गीता – ज्ञान गुरु शिष्य परंपरा का स्रोत हैं और सांसारिक विषयों को जानने,समझने और उपर्युक्त परिस्थिति में क्रियान्वित करने का विधा है।गुरु शिष्य परंपरा नागरिक संस्कृति के लिए मानवीय समुदाय के लिए महती […] Read more » भारत की विरासत
राजनीति अगले 30 सालों में बांग्लादेश में कोई हिंदू नहीं बचेगा April 7, 2025 / April 7, 2025 | Leave a Comment डॉ. बालमुकुंद पांडेय भारत का पूर्वी देश बांग्लादेश 1971 में बना था। तत्कालीन नवोदित राष्ट्र (विकासशील राज्य) के रूप में बांग्लादेश ‘ धर्मनिरपेक्ष’ राज्य ( देश ) था लेकिन 1975 में तत्कालीन बांग्लादेश की सरकार( सरकार पर कट्टरपंथियों का प्रत्यक्ष एवं सेना का भी प्रभुत्व था) […] Read more » अगले 30 सालों में बांग्लादेश में कोई हिंदू नहीं बचेगा
राजनीति भारतीय राष्ट्रबोध की अवधारणा एवं उसका प्रस्फुटन March 21, 2025 / March 21, 2025 | Leave a Comment डॉ. बालमुकुंद पांडेय राष्ट्र एक सांस्कृतिक संकल्पना है। राज्य ही राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया का मुख्य भाग होता हैं । राजनीतिक एकता उसके अस्तित्व की पहली आवश्यकता है . राष्ट्र के लिए भूमि, भाषा, धार्मिक एवं नस्ल की एकता का होना भी अति आवश्यक हैं । भारत […] Read more » The concept of Indian nationalism and its blossoming