परिचर्चा मीडिया का बदलता स्वरूप August 4, 2014 | Leave a Comment -अंशु शरण- तह-दर-तह इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में मौजूद लोगों की नियति सामने आ रही है, मीडिया ने इस आम चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुये अपनी ताकत को आँका है और हाल के आचरण से लगता है की अभी से ही विधान सभा चुनावों की तैयारियाँ शुरू कर दी । लोकतान्त्रिक विचारों पर नियंत्रण रखने वाली […] Read more » अखबार मीडिया मीडिया का बदलता स्वरूप
व्यंग्य किसकी आवाज़ बिकाऊ नहीं यहां August 4, 2014 | Leave a Comment -अंशु शरण- 1. अवसरवाद लोकतन्त्र स्थापना के लिए वो हमेशा से ऐसे लड़ें, कि उखड़े न पाये सामंतवाद की जड़ें, इसलिए तो लोकतंत्र के हर स्तम्भ पर पूंजी के आदमी किये हैं खड़े। किसकी आवाज़ बिकाऊ नहीं यहाँ, संसद से लेकर अख़बार तक, हर जगह दलाल हैं भरे पड़े। तो हम क्यों ना जाये बाहर, […] Read more » किसकी आवाज़ बिकाऊ नहीं यहां व्यंग्य हिन्दी व्यंग्य
व्यंग्य वोट देवता जिन्दाबाद August 2, 2014 | Leave a Comment -विजय कुमार- दिल्ली में ‘नमो सरकार’ बनने से सामाजिक संस्थाओं का रुख भी बदला है। जिस संस्था ने मुझे कभी श्रोता के रूप में बुलाने लायक नहीं समझा, पिछले दिनों उसके सचिव का फोन आया कि स्वाधीनता दिवस पर ‘संभ्रांत’ लोगों की सभा में मुझे भाषण देना है। यह सुनकर मैं डर गया। सम्भ्रान्त (सम्यक […] Read more » वोट वोट देवता वोट देवता जिन्दाबाद वोट व्यंग्य
कविता दूध पीकर, नाग देव प्रसन्न August 2, 2014 | Leave a Comment -पीयूष कुमार द्विवेदी ‘पूतू’- 1.दूध पीकर, नाग देव प्रसन्न, नाग पंचमी। 2.आओ झूलेँगे, द्वारे नीम सखियां, झूला पड़ा है। 3.बहनें सजीँ, गुड़िया जैसी लगें, गुड़िया पर्व। 4.दंगल लगें, मल्लयुद्ध के लिए, योद्धा तैयार। 5.सजी दुकानें, घूम रहे हैं बच्चे, लगा है मेला। 6.घुघुरी पकी, भर-भरके दोना, सभी चबाएँ। 7.रंग-बिरंगी, धरा पोशाक धारे, गुड़िया पर्व। 8.ऊँची […] Read more » दूध पीकर नाग देव प्रसन्न नाग पंचमी
कहानी उतर जा…! August 2, 2014 | Leave a Comment -क़ैस जौनपुरी- मुंबई की लोकल ट्रेन प्लेटफ़ॉर्म पे रूकी. फ़र्स्ट क्लास के डिब्बे में फ़र्स्ट क्लास वाले आदमी चढ़ गए. फ़र्स्ट क्लास वाली औरतें अपने डिब्बे में चढ़ गईं. तभी एक नंग-धड़ंग आदमी फ़र्स्ट क्लास लेडीज़ डिब्बे में चढ़ गया. वो शकल से खुश दिख रहा है. उसके दांत और आंखें अन्धेरे में चमक रही […] Read more » उतर जा लघु कथा
महत्वपूर्ण लेख भ्रष्टाचार का कुम्भ August 1, 2014 | Leave a Comment -सुधीर तालियान- देश की जनता जब उत्तर प्रदेश के कुम्भ मेले में आस्था के समंदर में डुबकी लगा रही थी तब अखिलेश सरकार भ्रष्टाचार के गणित को दुरुस्त करने में लगी हुई थी। हाल ही में कैग ने अपनी रिपोर्ट में जो तथ्य उजागर किये वो बहुत ही चौंकाने वाले है। कैग ने बताया है किस तरह […] Read more » भ्रष्टाचार भ्रष्टाचार का कुम्भ
राजनीति भारत में अवतारवादी राजनीति -एक खतरा August 1, 2014 | Leave a Comment -सुधीर तालियान- लोकतंत्र शासन का उच्चतम मानदंड कहा जाता है। यह पद्धति विश्व में अत्यंत स्वीकार्य पद्धति के रूप में विकसित हुई है। भारत एक सामाजिक विविधता वाला देश है। इस देश में लोकतान्त्रिक राजनीति ही उत्तम है। लेकिन लोकतांत्रिक राजनीति के दो आयाम होते है। जहाँ ये अधिकतम लोगो की सत्ता में भागीदारी सुनिश्चित […] Read more » भारत में अवतारवादी राजनीति भारतीय राजनीति
विविधा शिक्षा का वटवृक्ष… किसके भरोसे…? July 31, 2014 | Leave a Comment -आशीष शुक्ला- आधुनिक मानव विकास का खाका खींचते समय हम शिक्षा को उस पटरी अथवा स्केल की तरह से प्रयोग करते हैं जिसके सहारे ही सभी रेखाएं आकार में लाई जाती हैं। अगर हम यह कहकर अपनी चर्चा आगे बढ़ाएं कि शिक्षा, एक राजकीय विषय है और सरकारें इसके लिए जिम्मेदार व एकमात्र जिम्मेदार हैं […] Read more » शिक्षा शिक्षा का वटवृक्ष
राजनीति बिहार की राजनीति में मानसून ऑफर July 28, 2014 | 1 Comment on बिहार की राजनीति में मानसून ऑफर -हिमांशु शेखर झा- सावन के इस मानसून में ब्रांडेड कंपनियों की तरह आज कल बिहार के राजनीति में भी ‘ऑफर” चल रहा है. एक सुबह एक दैनिक अख़बार के मुख्य पृष्ट का मुख्य समाचार था ‘राजद को जदयू का ऑफर मंजूर”. कंपनियों की तरह जदयू भी नीतीश कुमार के “ब्रांड बिहार’ को उचित ऑफर पर […] Read more » नीतीश कुमार बिहार की राजनीति लालू यादव
गजल इंसा खुद से ही हारा निकला July 28, 2014 | Leave a Comment -नवीन विश्वकर्मा- किसके गम का ये मारा निकला ये सागर ज्यादा खारा निकला दिन रात भटकता फिरता है क्यों सूरज भी तो बन्जारा निकला सारे जग से कहा फकीरों ने सुख दुःख में भाईचारा निकला हथियारों ने भी कहा गरजकर इंसा खुद से ही हारा निकला चांद नगर बैठी बुढ़िया का तो साथी कोई न […] Read more » इंसा खुद से ही हारा निकला गजल जीवन गजल
विविधा 36*23 इंच के पेपर पर 600 लोगों के केरिकेचर्स July 28, 2014 | Leave a Comment -पीयूष गोयल- -मधु मक्खियों को क्या पता वो सहद बना रही हैं वो तो सिर्फ़ अपना काम कर रही हैं पीयूष गोयल अपनी धुन के पक्के हमेशा कुछ ना कुछ नया करते रहना उनकी फ़ितरत हैं. इसी के चलते पीयूष गोयल ने दुनिया की पहली मिरर इमेज किताब”श्री मदभगवदगीता” के सभी 18 अध्याय 700 श्लोक […] Read more » 600 लोगों के केरिकेचर्स केरिकेचर्स
विविधा पहचान खोता लखनऊ July 24, 2014 / July 24, 2014 | Leave a Comment -निशा शुक्ला- एक बार मैं बनारस से लखनऊ आ रहा था, ट्रेन लेट होने के कारण मुझे चारबाग स्टेशन पहुंचते-पहुंचते काफी रात हो गई। यही कोई रात के 12 या साढ़े 12 बजे थे। मैं स्टेशन से बाहर निकला। स्टैंड पर रखी बाइक उठाई और अपने कमरे की पर जाने लगा। अभी थोड़ी ही दूर […] Read more » पहचान खोता लखनऊ लखनऊ