राजनीति अपने ही समाज से दो बार हारीं इरोम शर्मीला March 15, 2017 | Leave a Comment ये तो स्पष्ट है कि इरोम ने चुनाव इन्हीं अपनों के भरोसे लड़ा था | 16 साल का उपवास भी इन्हीं अपनों के लिए रखा था | और चुनाव परिणाम से स्पष्ट हुआ वे अपने कुल 90 लोग हैं | तो फिर क्या कारण था कि उनका त्याग और उनके अपनों की ये सहानुभूति उन्हें राजनीतिक पारी में विजयी ना बना सकी | क्या 16 वर्षों का उपवास केवल इन नब्बे लोगों के लिए रखा था | वास्तव में आयरन लेडी ने अपने लिए सहानुभूति और समर्थन के कारण को ठीक से भापा नहीं | Read more » Featured Irom Sharmila chanu इरोम शर्मीला
जन-जागरण शख्सियत समाज गांधी के राम December 22, 2015 | 2 Comments on गांधी के राम यूं ही गांधी के आदर्श राम नहीं थे। जीवन की जटिलताओं को सहजता से स्वीकार करने के लिये हम किसी जीवित व्यक्ति को गुरू तो मान सकते हैं किन्तु भारत में उन्हें आदर्श मानने की परंपरा नहीं रही है। उसके पीछे कारण यह है कि जीवन की ऊहापोह में व्यक्ति का स्वयं सदैव आदर्शवादी बने […] Read more » Featured Gandhi s Ram गांधी के राम
महत्वपूर्ण लेख राजनीति नागा समझौता- अखंड भारत की दिशा में एक और कदम August 27, 2015 | Leave a Comment 3 अगस्त 2015 को भारत सरकार और भारतीय नागा मूल के आइसाक-मुइवा द्वारा संचालित नागा आन्दोलनकारी संगठन ‘नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ़ नागालैंड’ यानि NSCN(IM) के बीच ऐतिहासिक समझौता हुआ है | ऐसे कई समझौते अतीत में हो चुके हैं, लेकिन जब मणिपुर में इसी के साथी संगठन NSCN (K) के हमले में हमारे 18 […] Read more » नागा समझौता
जन-जागरण युवा और आन्दोलन October 15, 2014 | Leave a Comment ऐसा माना जाता है कि विश्वविद्यालय युवाओं की आवाज़ और उत्साह को दिशा देते हैं | और फिर आन्दोलन का रूप एवं उसका परिणाम उसी दिशा में बढते हैं | दिल्ली का जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय (जे.एन.यू), दिल्ली विश्वविद्यालय, हैदराबाद का उस्मानिया विश्वविद्यालय, कलकत्ता का शान्तिनिकेतन, काशी का बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बी.एच.यू), अलीगढ़ का अलीगढ़ मुस्लिम […] Read more » युवा और आन्दोलन
चुनाव राजनीति सत्ता चाहिए? औरंगजेब बनना पड़ेगा April 26, 2014 | Leave a Comment -गुलशन कुमार गुप्ता- ‘अ’ से अन्ना, ‘अ’ से औरंगजेब। चूंकि दोनों की राशि एक है शायद, इसलिए गांधी जी के सिद्धांतों पर चलने वाले अन्ना और मुहम्मद की नसीहतों को मानने वाले औरंगजेब के कारनामों में आज कुछ समानता प्रतीत हो रही है, हालांकि उद्देश्य में भिन्नता है। ऐसा नहीं है कि भारत में आन्दोलानों […] Read more » politics राजनीति सत्ता सत्ता की राजनीति
मीडिया कौन जात मीडिया है भैया ! April 22, 2014 / April 22, 2014 | Leave a Comment -गुलशन गुप्ता- जिस पत्रकारिता की नींव निष्पक्षता की ईंटों और बेबाक सच्चाई की निडर अभिव्यक्ति के गारे से भरी गयी थी, उसने आज अपनी ज़मीन बदल ली है। नींव की कमजोरी या कहें उद्योग जगत की ताक़त ने उस नींव पर खड़ी ईमारत को मशीनों से उठाकर अपने नोटों की नींव पर खड़ा कर दिया […] Read more » media मीडिया
आर्थिकी समाज पूर्वोत्तर की समस्या का उपचार : शिक्षा और रोज़गार July 21, 2012 / July 21, 2012 | Leave a Comment गुलशन कुमार गुप्ता प्राकृतिक परिवेश में रहना बेशक जीवन का एक सुन्दरतम अनुभव है, लेकिन २१वीं सदी में इसकी कल्पना सिर्फ कोरी ही होगी, क्योंकि आज की सांसारिक गतिविधियां हमे उस ओर ध्यान देने का मौका नहीं देती | लेकिन फिर जब पूर्वोत्तर आज भी अपने दामन में वो सारी खुशियाँ सहेजे हुए हैं तो […] Read more » पूर्वोत्तर की समस्या