राजनीति प्रजातंत्र से प्रशस्त होता विकास का मार्ग June 20, 2014 | Leave a Comment -कन्हैया झा- हमारी बातचीत का विषय प्रजातंत्र है. प्रजातंत्र आज की डेमोक्रेसी नहीं है; यह उससे अलग है. पांच वर्ष में एक बार वोट देकर हम शासकों को चुनते हैं, जो संविधान द्वारा प्रतिपादित एक तंत्र अथवा शासनतंत्र के तहत काम करते हैं. प्रजातंत्र शासनतंत्र से अलग है. देखा जाय तो आज प्रजा में कोई […] Read more » प्रजातंत्र लोकतंत्र विकास का मार्ग
विविधा विकास की भारतीय रूपरेखा May 26, 2014 | Leave a Comment -कन्हैया झा- “सर्वे भवन्तु सुखिनः” श्रृंखला (*) के आखिरी दसवें लेख में “विराट भारत” की कल्पना दी गयी है. एक विराट राष्ट्र ऐसा विशाल है “जिसमें सब चमकते हैं” अर्थात सभी विकसित हैं. “अर्थस्य मूलह राज्यम” के अनुसार शासनतंत्र का मुख्य कार्य देश के अर्थ पुरुषार्थ को पोषित कर सम्पन्नता लाना है. सन 1991 से […] Read more » अच्छे दिन नरेंद्र मोदी भारत का विकास मोदी सरकार
जरूर पढ़ें ग्रामीण पेयजल समस्या और समाधान May 21, 2014 | Leave a Comment -कन्हैया झा- अप्रैल 2013, सरिता ब्रारा के एक लेख के अनुसार देश के ग्रामीण क्षेत्र के लगभग 5 करोड़ लोगों को पीने का स्वच्छ पानी उपलब्ध नहीं है. मणिपुर, त्रिपुरा, ओडिशा, मेघालय, झारखंड एवं मध्य प्रदेश राज्यों में प्रभावित परिवारों की संख्या बहुत ज्यादा है. केन्द्रीय पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल मिशन […] Read more » गर्मी में पानी ग्रामीण पेयजल पेयजल पेयजल समस्या
चुनाव विश्लेषण कम से कम सरकार-अधिक से अधिक शासन May 17, 2014 | 3 Comments on कम से कम सरकार-अधिक से अधिक शासन -कन्हैया झा- आम चुनाव 2014 समाप्त हो गए हैं. नए प्रधानमन्त्री का नाम लगभग निश्चित है. चुनाव के दौरान राजनीतिक पार्टियों के रिश्तों में खटास रहना आम बात है. चुनाव के बाद सरकार बनाने के लिए इन खटास को मिटते हुए भी देखा गया है. इस प्रकार की खटास को दूर करने के लिए अनेक […] Read more » केंद्र सरकार नरेंद्र मोदी मोदी शासन मोदी सरकार
जन-जागरण नयी सरकार में युवाओं के लिए “रोजगार मिशन” आवश्यक May 13, 2014 | Leave a Comment -कन्हैया झा- नवयुवकों के लिए रोज़गार मुहैया कराना नयी सरकार की प्राथमिकता में होना चाहिए. इसके लिए उत्पादन क्षेत्र में काफी संभावनाएं हैं, जिसका देश के कुल-उत्पाद (जीडीपी) में योगदान केवल 16 प्रतिशत रह गया है. माल की खपत के लिए देश का घरेलू बाज़ार ही बहुत बड़ा है. पिछले दो दशकों में देश में […] Read more » नई सरकार में रोजगार रोजगार रोजगार चुनौती सरकार के सामने चुनौती
कला-संस्कृति विराट भारत – समाज अपना May 8, 2014 | Leave a Comment -कन्हैया झा- संस्कृत के शब्द विराट का अर्थ है “एक ऐसा विशाल जिसमें सब चमकते हैं”. इसी शब्द से जुड़े अन्य शब्द सम्राट, एकराट (मनुष्य), राष्ट्र आदि हैं. अर्थात विराट भारत की कल्पना एक ऐसे राष्ट्र की है जिसका तंत्र सभी को सुख देने में समर्थ है. “सर्वे भवन्तु सुखिनः” श्रृंखला के पिछले ९ लेखों […] Read more » इंडिया भारत भारतीय समाज भारतीय संस्कृति विराट भारत
चुनाव राजनीति चाणक्य की दृष्टि और राजधर्म निभाने की भारतीय परंपरा May 2, 2014 | Leave a Comment -कन्हैया झा- पिछले चुनावों में आम आदमी पार्टी के शीर्ष नेताओं पर स्याही फेंकना, मुंह पर थप्पड़ मारने आदि जैसी घटनाएं भी हुई. जिस पर सोशल नेटवर्किंग फेसबुक, ट्विटर आदि पर अनेक लोगों ने नेताओं की खिल्ली भी उड़ाई. आम चुनाव असभ्य जनता के लिए खिलवाड़ हो सकते हैं लेकिन भारत जैसे प्राचीन सभ्यता वाले […] Read more » राजधर्म राजनीति वर्तमान राजनीति
चुनाव राजनीति विकासोन्मुखी शासन की भारतीय दिशा April 30, 2014 | Leave a Comment -कन्हैया झा- आम-चुनाव 2014 के दौरान विकास के गुजरात मॉडल, बिहार मॉडल, आम-आदमी पार्टी का स्वराज मॉडल, आदि चर्चा में रहे. परन्तु चुनाव की गहमा-गहमी तथा आरोप प्रत्यारोपों के मध्य शायद उनमें से किसी पर भी गंभीरता से विचार नहीं हो किया गया. अब कुछ ही राज्यों में मतदान रह गए हैं तथा पिछले एक […] Read more » development-oriented-governance भारत में सत्ता परिवर्तन विकासोन्मुखी शासन की भारतीय दिशा
विविधा स्वराज की कामना और क्षत्रिय धर्म April 29, 2014 | 2 Comments on स्वराज की कामना और क्षत्रिय धर्म -कन्हैया झा- “सर्वे भवन्तु सुखिनः” लेखों की कड़ी के अंतर्गत धर्म, अर्थ, काम एवं मोक्ष-वर्णाश्रम के इन चार पुरुषार्थों में से धर्म एवं अर्थ पर चर्चा की जा चुकी है. इससे पूर्व “राजा एवं प्रजा” लेख द्वारा राज धर्म की चर्चा की थी. इस लेख में ‘प्रजा धर्म” के अंतर्गत काम पुरुषार्थ की चर्चा करेंगे, […] Read more » क्षत्रिय धर्म स्वराज की कामना
चुनाव राजनीति गठबंधन की सरकार नीतियों के क्रियान्वयन में बाधक April 24, 2014 / April 25, 2014 | Leave a Comment -कन्हैया झा- इस चुनाव के माहौल में प्रधानमंत्री पर लिखी गयी संजय बारू (लेखक) की पुस्तक बहुत चर्चा में है. लेखक यूपीए-1 के कार्यकाल में मनमोहन सिंह के मीडिया सलाहकार थे. नब्बे के दशक में श्री मनमोहन सिंह ने वित्त-मंत्री के पद पर कार्य करते हुए देश की अर्थव्यवस्था को लाईसेंस-परमिट राज से मुक्त किया […] Read more » गठबंधन सरकार यूपीए शासन
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म धर्मयुक्त अर्थोपार्जन से सर्वे भवन्तु सुखिन: April 24, 2014 / April 24, 2014 | Leave a Comment -कन्हैया झा- आज से 5000 वर्ष पूर्व सिन्धु-घाटी सभ्यता के समृद्ध शहरों से मिस्र एवं फारस के शहरों से व्यापार होता था. इन शहरों के व्यापारियों को “पणि” कहा जाता था, जो संभवतः कालांतर में वणिक अथवा व्यापारी शब्द में परिवर्तित हुआ. शायद इन्हीं व्यापारियों के कारण भारत को “सोने की चिड़िया” भी कहा गया […] Read more » धर्मयुक्त अर्थोपार्जन सर्वे भवन्तु सुखिन:
आर्थिकी नयी सरकार की चुनौतियां April 21, 2014 / April 21, 2014 | Leave a Comment -कन्हैया झा राजनैतिक दलों ने अपने घोषणा-पत्र में कई महत्वाकांक्षी योजनाओं का जिक्र किया है, जिनके लिए बजट में धन की व्यवस्था करनाएक चुनौती होगी. केंद्र सरकार एक वर्ष में लगभग 15 लाख करोड़ रुपये खर्च करती है, जबकि करों आदि से सरकार को केवल 9.4 लाख करोड़ रुपये प्राप्त होता है. यदि सरकार की आमदनी को 100 रुपये मानें तो […] Read more » challenges before new government नयी सरकार की चुनौतियां