चुनाव राजनीति नयी सरकार में “आम जनता से प्रजा” बनें April 21, 2014 | 3 Comments on नयी सरकार में “आम जनता से प्रजा” बनें -कन्हैया झा- दिनांक 16 मई 2014। स्थान भारत देश. देश में आम चुनाव संपन्न हो चुके होंगे. कुछ ही दिनों में देश के नए प्रधानमंत्री और सभी सांसद संविधान के अनुसार देश-सेवा की शपथ लेंगे. पिछले एक वर्ष में सभी पार्टियों के छोटे-बड़े सभी नेताओं ने एक दूसरे के प्रति खूब विष-वमन किया है. चुनाव के बादयह सब […] Read more » be a 'Praja' from a common man in new government नयी सरकार में "आम जनता से प्रजा" बनें
खेत-खलिहान किसान किस पर विश्वास करे ? April 11, 2014 / April 11, 2014 | Leave a Comment आजकल गेहूं, चावल, मक्का, कॉटन आदि अनेक फसलों के ऐसे बीज उपलब्ध हैं जो प्राकृतिक नहीं होते बल्कि प्रयोगशालाओं में तैयार किये जाते हैं. ये बीज Genetically Modified अथवा जी-एम् कहलाते हैं. अप्रैल 3, 2014 एक खबर के अनुसार केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दायर एक याचिका पर जवाब देते हुए प्रार्थना की है […] Read more » किसान किस पर विश्वास करे ?
विविधा भारतीय वर्णाश्रम व्यवस्था एवं लोकतंत्र April 7, 2014 / April 7, 2014 | Leave a Comment -कन्हैया झा- भारतीय लोकतंत्र का आधार वर्णाश्रम व्यवस्था है. वेदों की ही भांति वर्णाश्रम व्यवस्था का ज्ञान ईश्वरीय अथवा आकाशीय है, और भारत की प्राचीनतम विद्या ज्योतिष में निहित है. किसी भी जन्मकुंडली में चार पुरुषार्थों धर्म, अर्थ, काम एवं मोक्ष में से प्रत्येक के तीन घर निश्चित हैं. लग्न से जीवन का आरम्भ होता […] Read more » indian system and democracy भारतीय वर्णाश्रम व्यवस्था एवं लोकतंत्र भारतीय वानप्रस्थ व्यवस्था एवं लोकतंत्र
विविधा भारतीय विकास प्रतिमान की आवश्यकता April 2, 2014 | Leave a Comment -कन्हैया झा- आज़ादी के बाद देश को 15 वर्ष से भी कम समय में विकसित करने के लिए सिंचाई एवं बिजली उत्पादन के लिए बड़े बाँध, नहरें, निजी एवं सरकारी औद्योगिक क्षेत्र, आदि अनेक योजनाओं को प्रारंभ किया गया. इसके लिए किसानों की जमीन को सरकार ने सस्ते दामों पर ले लिया. इससे असंख्य देशवासियों […] Read more » need of India development भारतीय विकास प्रतिमान की आवश्यकता
चुनाव राजनीति राजनीति के भारतीय मानक और चाणक्य की दृष्टि March 27, 2014 | 2 Comments on राजनीति के भारतीय मानक और चाणक्य की दृष्टि -कन्हैया झा- अगले माह देश में आम चुनाव होने वाले हैं. देश की दो मुख्य पार्टियों के अलावा अनेक राज्य स्तरीय पार्टियां मैदान में हैं. पिछले एक वर्ष में सभी पार्टियों के छोटे-बड़े सभी नेताओं ने एक दूसरे के प्रति खूब विष-वमन किया है और चुनाव के बाद भी संसद में एक दूसरे के प्रति […] Read more » Indian political measurement राजनीति के भारतीय मानक और चाणक्य की दृष्टि
जन-जागरण ‘कार वालों पर मेहरबान सरकार’ February 24, 2014 / February 24, 2014 | Leave a Comment अभी हाल में सत्र 2014-15 के लिए पेश किये गए अंतरिम बजट में कारों पर टैक्स कम कर वित्त मंत्री ने ‘कार-सेवा’ ही की है. यह भी तब जब कि देश के मध्य एवं उच्च वर्ग की सेवा के लिए विश्व के अनेक कार निर्माता स्वयं यहाँ पर कारें बनाने को आतुर हैं. राष्ट्रीय शहरी […] Read more »
राजनीति अंतर्राष्ट्रीय दबाब का सामना करने के लिए केंद्र में पूर्ण बहुमत आवश्यक February 5, 2014 | 2 Comments on अंतर्राष्ट्रीय दबाब का सामना करने के लिए केंद्र में पूर्ण बहुमत आवश्यक -कन्हैया झा- सन 1990 से पहले कांग्रेस पार्टी की सरकार ने देश पर एक-छत्र राज्य किया था. 90 के दशक से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विदेशी पूंजी सभी विकासशील देशों में घुसने के लिए आतुर है, जो केन्द्रीय सत्ता को कमज़ोर करके ही सम्भव हो सकता है. इंडोनेशिया में केन्द्रीय सत्ता विदेशी पूंजी एवं निजी […] Read more » stable government needs in centre अंतर्राष्ट्रीय दबाब का सामना करने के लिए केंद्र में पूर्ण बहुमत आवश्यक
विविधा विकेंद्रीकरण के सन्दर्भ में ब्राजील का अध्ययन January 29, 2014 / January 29, 2014 | 6 Comments on विकेंद्रीकरण के सन्दर्भ में ब्राजील का अध्ययन -कन्हैया झा- बीसवीं शताब्दी में ब्राजील का आधुनिकरण तीन स्तंभों आर्थिक विकास, औद्योगीकरण, एवं शहरीकरण पर आधारित था. सन 1980 में कृषि एवं खनन (प्राथमिक क्षेत्र) में संलग्न जनता का प्रतिशत घटते-घटे केवल 30 रह गया था. गरीब एवं अति-गरीब का प्रतिशत 35 होने से ब्राजील उस समय सबसे अधिक असमान देश था. […] Read more » Brazil विकेंद्रीकरण के सन्दर्भ में ब्राजील का अध्ययन
राजनीति विकेंद्रीकृत शासन के लिए देश में किये गए प्रयास January 21, 2014 / January 21, 2014 | Leave a Comment दिल्ली विधानसभा में विकेंद्रीकृत विकास हेतु संचार प्रतिमान की आवश्यकता -कन्हैया झा- भारत में सदिओं से पंचायतों ने ही स्वायत्त ग्राम इकाइयों द्वारा पूरे देश का शासन चलाया था। ये पंचायतें गांव वाले स्वयं ही बिना किसी चुनाव के बना लेते थे। गांधीजी ने केंद्रीकृत (Centralized) ब्रिटिश संसद प्रणाली को एक “बिना आत्मा की मशीन” कहा […] Read more » tried for centralised governence विकेंद्रीकृत शासन के लिए देश में किये गए प्रयास
चिंतन सुंदर पृथ्वी की तीन पूंजियां – संसाधन, स्वास्थ्य और सत्व January 8, 2014 / January 8, 2014 | Leave a Comment -कन्हैया झा- 1930 के दशक में पश्चिमी राष्ट्रों में मंदी का दौर था. सामान्य उपयोग की वस्तुओं के दाम आसमान छू रहे थे. ऐसे में विश्व प्रसिद्ध अर्थशास्त्री कीन्स ने आने वाली पीढ़ियों के बारे में सोचकर यह कहा की कि वह दिन दूर नहीं जब सभी अमीर होंगे और जब सब अमीर हो जायेंगे तो […] Read more » keys of beautiful earth सुंदर पृथ्वी की तीन पूंजियां - संसाधन स्वास्थ्य और सत्व
राजनीति धारा 370: जम्मू-कश्मीर के विकास और देश की एकता में बाधक December 27, 2013 / December 27, 2013 | Leave a Comment -कन्हैया झा- भारत पाकिस्तान के बीच कश्मीर ब्रिटेन के अंतर्राष्ट्रीय स्वार्थों की वजह से एक विवाद बना। अमरीका मध्य-पूर्व एशिया में वहां के मुस्लिम राष्ट्रों को सोवियत संघ के विरुद्ध एकजुट कर रहा था। ब्रिटेन भी दोनों नए राष्ट्रों को सोवियत संघ के प्रभाव में नहीं जाने देना चाहता था। अन्य राजाओं की ही तरह […] Read more » Jammu Kashmir obstacle in the unity of india and jammu kashmir developement धारा 370: जम्मू-कश्मीर के विकास और देश की एकता में बाधक
विविधा मेघालय के विकास में अवैध खनन की बाधकता December 22, 2013 / December 22, 2013 | Leave a Comment मेघालय 22 हज़ार वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ एक छोटा राज्य है. सन 72 में दक्षिण असम के तीन मुख्य प्रान्तों खासी, गारो एवं जनिता को मिलाकर मेघालय को एक अलग राज्य का दर्ज़ा दिया गया. दक्षिण में मेघालय की सीमा बंगलादेश से लगती है. यहाँ की आबादी लगभग 30 लाख है. इसकी राजधानी शिलांग […] Read more » मेघालय के विकास में अवैध खनन की बाधकता मेघालय में अवैध खनन