पर्व - त्यौहार समाज भाई-बहन के आत्मीय रिश्तों का अनूठा त्यौहार : भैया दूज October 30, 2016 | Leave a Comment हिन्दू समाज में भाई-बहन के पवित्र रिश्तों का प्रतीक पर्व है भैया दूज। बहन के द्वारा भाई की रक्षा के लिये मनाये जाने वाले इस पर्व को हिन्दू समुदाय के सभी वर्ग के लोग हर्ष उल्लास से मनाते हैं। Read more » Featured भाई-बहन के आत्मीय रिश्तों का अनूठा त्यौहार भैया दूज
राजनीति आदिवासी समाज की अस्मिता से जुड़े यक्ष प्रश्न October 21, 2016 / October 21, 2016 | Leave a Comment गुजरात से जुड़ा होने के कारण मेरे सम्मुख वहां के आदिवासी समाज की समस्याएं सर्वाधिक चिन्ता का कारण है। इनदिनों गुजरात में आदिवासी समुदाय में असन्तोष का बढ़ना बड़ी मुसीबत का सबब बन सकता है। सत्तारूढ़ भाजपा के लिए पाटीदारों और दलितों के बाद अब आदिवासी समुदाय मुसीबत खड़ी कर सकता है। राज्य के आदिवासी इलाकों में भिलीस्तान आंदोलन रफ्तार पकड़ रहा है। अगले साल विधानसभा चुनावों से पहले आदिवासी नेता विद्रोह करने की तैयारी कर रहे हैं। इसके पीछे कुछ और लोग भी हैं जो अपने राजनीतिक हितों के लिए उन्हें बढ़ावा दे रहे हैं। Read more » Featured problems linked with tribals in Gujarat Tribals in Gujarat आदिवासी समाज आदिवासी समाज की अस्मिता
समाज मुरारी बापू का जादू मुसलमानों के सिर चढ़ा October 19, 2016 | Leave a Comment मोरारी बापू का जीवन संयम, सादगी, त्याग और समर्पण का विलक्षण उदाहरण है। उनका दिखावा और प्रदर्शन में विश्वास नहीं है। कथा करते समय वे केवल एक समय भोजन करते हैं। उन्हें गन्ने का रस और बाजरे की रोटी काफी पसंद है। वे वसुधैव कुटुम्बकम एवं सर्वधर्म समन्वय के प्रेरक है। आप समस्त धर्मों, परम्परपराओं एवं संस्कृति के समन्वय को महत्व देते हैं। Read more » Featured मुरारी बापू मुरारी बापू का जादू मुरारी बापू का जादू मुसलमानों के सिर
पर्व - त्यौहार समाज दीये मुंडेर पर ही नहीं, घट में भी जलने चाहिए October 19, 2016 | Leave a Comment अधिकतर लोग सिर्फ धन अर्जन को ही सफलता मान लेते हैं और इसी कारण जीवन का रोमांच, उमंग और आनंद उनसे दूर चला जाता है, जबकि गुणों को कमाने वाले लोगों के पास धन एक सहज परिणाम की तरह चला आता है। इसी में शोहरत भी अप्रयास मिल जाती है। साधारणता में ही असाधारणता फलती है। जड़ को सींचने से पूरे पौधे में फल-फूल आते हैं, जबकि टहनियों को भिगोते रहने से जड़ के साथ ही टहनियां भी सूख जाती हैं। Read more » दीये
राजनीति देश कोरे ‘‘वाद’’ या ‘‘वादों’’ से ही नहीं बनेगा October 17, 2016 / October 17, 2016 | 1 Comment on देश कोरे ‘‘वाद’’ या ‘‘वादों’’ से ही नहीं बनेगा बात तो बहुत सीधी-सी है। एक समझदार बालक भी कह सकता है कि घड़े में पानी इसलिए भर गया कि उसमें बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं था। घड़ा पूर्ण था किन्तु चलनी में तो अनेक छिद्र थे, भला उसमें पानी का ठहराव कैसे संभव होता? Read more » देश कोरे ‘‘वाद’’ या ‘‘वादों’’ से ही नहीं बनेगा
समाज अहिंसा है सुखी समाज का आधार October 12, 2016 | Leave a Comment शोषण विहीन समाज की रचना के लिए संग्रह स्पर्धा और उपभोग वृत्ति पर रोक आवश्यक है। इससे न केवल स्वयं के जीवन में संतुलन एवं संयम आएगा, समाज में भी संतुलन आएगा। शोषण की प्रवृत्ति पर रोक लगेगी और इस चक्की में पिस रहे लोगों को राहत मिलेगी। इसलिए भगवान महावीर ने अपरिग्रह को धर्मयात्रा का अभिन्न अंग माना। अपरिग्रह का अर्थ है संग्रह पर सीमा लगाना। इससे शोषण की आधारशिला कमजोर होगी तब हिंसा का ताण्डव नृत्य भी कम होगा। अपरिग्रह के बिना अहिंसा की सही संकल्पना हो ही नहीं सकती और न इसकी सही अनुपालना हो सकती है। Read more » अहिंसा सुखी समाज का आधार
समाज समस्याओं से कैसे निपटा जाये? October 12, 2016 | Leave a Comment जिंदगी एक पन्ने की तरह है, जिसके कुछ अक्षर फूलों से लिखे गए हैं, कुछ अक्षर अंगारों से लिखे गये हैं। क्योंकि जीवन में कहीं सुख का घास है तो कहीं रजनीगंधा के फूल हैं, कहीं रेगिस्तान है तो कहीं सागर है, कहीं मनमोहक घाटियां हैं तो कहीं सुंदर वन हैं, एक जैसा जीवन किसी का नहीं है। सबको संघर्षों से सामना करना पड़ता है। कई बार जीवन-संग्राम में संघर्ष करते-करते बहुत-से व्यक्ति थक-हारकर बैठ जाते हैं। Read more » how to get rid of problems in life समस्याओं से कैसे निपटा जाये?
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म दशहरा बुराइयों से संघर्ष का प्रतीक है October 8, 2016 / October 8, 2016 | Leave a Comment त्योहार एवं मेले भारतीय संस्कृति के अभिन्न अंग है। हमारे यहां हर दिन कोई-ना-कोई पर्व या त्योहार होता है, उनमें न केवल भौतिक आकर्षण के पर्व है बल्कि प्रेरणा से जुड़े पर्व भी है। एक ऐसा ही अनूठा पर्व है दशहरा। Read more » Featured दशहरा पर्व
विविधा आज गांधी की अहिंसा अधिक प्रासंगिक है October 1, 2016 | Leave a Comment सह-अस्तित्व के लिए अहिंसा अनिवार्य है। दूसरों का अस्तित्व मिटाकर अपना अस्तित्व बचाए रखने की कोशिशें व्यर्थ और अन्ततः घातक होती हैं। आचार्य श्री उमास्वाति की प्रसिद्ध सूक्ति है- ‘परस्परोपग्रहो जीवानाम्’ अर्थात् सभी एक-दूसरे के सहयोगी होते हैं। पारस्परिक उपकार-अनुग्रह से ही जीवन गतिमान रहता है। समाज और सामाजिकता का विकास भी अहिंसा की इसी अवधारणा पर हुआ। Read more » AHIMSA DAY mahatma Gandhi birthday अहिंसा अधिक प्रासंगिक अहिंसा दिवस गांधी की अहिंसा
समाज दान उत्सव- परोपकार की खुशी का जीवन September 29, 2016 | Leave a Comment सचमुच कई तरह से खुशियां देती है यह जिंदगी। खुशी एवं मुस्कान भी जीवन का एक बड़ा चमत्कार ही है, जो जीवन को एक सार्थक दिशा प्रदत्त करता है। हर मनुष्य चाहता है कि वह सदा मुस्कुराता रहे और मुस्कुराहट ही उसकी पहचान हो। क्योंकि एक खूबसूरत चेहरे से मुस्कुराता चेहरा अधिक मायने रखता है, लेकिन इसके लिए आंतरिक खुशी जरूरी है। Read more » Featured खुशी का जीवन दान उत्सव परोपकार परोपकार की खुशी
राजनीति पाकिस्तान के प्रति संयम के साथ कूटनीति September 27, 2016 | Leave a Comment पाकिस्तान की जनता शायद कभी युद्ध नहीं चाहती, और वह जो चाहती है वहां की हुक्मरान वह सब देने में नाकाम सिद्ध हो रहे हैं, इसलिये अपनी नाकामी को ढंकने के लिये वह आतंकवाद का सहारा लेती है। Read more » Featured pakistan Terrorist attack from Pakistan Uri Attack uri terrorist attack कूटनीति पाकिस्तान संयम
शख्सियत समाज अद्भुत, अकल्पित है स्वर-माधुर्य की साम्राज्ञी लता मंगेशकर September 26, 2016 | Leave a Comment लता मंगेशकर जन्म दिवस- 28 सितम्बर, 2016 ललित गर्ग वो ब्रह्म है। कोई उससे बड़ा नहीं। वो प्रथम सत्य है और वही अंतिम सत्ता भी। वो स्वर है, ईश्वर है, ये केवल संगीत की किताबों में लिखी जाने वाली उक्ति नहीं, ये संगीत का सार है और इसी संगीत एवं स्वर-माधुर्य की साम्राज्ञी है लता […] Read more » Featured लता मंगेशकर स्वर-माधुर्य की साम्राज्ञी लता मंगेशकर