चिंतन वैष्णव जन तो तैने कहिये, जे पीर पराई जाने रे June 4, 2015 / June 4, 2015 | Leave a Comment -ललित गर्ग- आप अपनी जिंदगी किस तरह जीना चाहते हैं? यह तय होना जरूरी है, आखिरकार जिंदगी है आपकी! यकीनन, आप जवाब देंगे-जिंदगी तो अच्छी तरह जीने का ही मन है। यह भाव, ऐसी इच्छा इस तरह का जवाब बताता है कि आपके मन में सकारात्मकता लबालब है, लेकिन यहीं एक अहम प्रश्न उठता है-जिंदगी […] Read more » Featured इंसान जिंदगी जीवन जे पीर पराई जाने रे मनुष्य वैष्णव जन तो तैने कहिये
धर्म-अध्यात्म मांगलिकता एवं समृद्धि का प्रतीक है कलश June 2, 2015 / June 2, 2015 | Leave a Comment -ललित गर्ग – भारतीय संस्कृति में विविध मांगलिक प्रतीकों का विशिष्ट महत्व है। विशेषतः हिन्दू धर्म में इन मांगलिक प्रतीकों का बहुत प्रचलन है। हर मांगलिक कार्य चाहे नया व्यापार, नववर्ष का आरंभ, गृह प्रवेश, दिवाली पूजन, यज्ञ, अनुष्ठान, विवाह, जन्म संस्कार आदि सभी में इन मांगलिक प्रतीकों का उपयोग होता है, इनके बिना कोई […] Read more » Featured कलश मांगलिकता एवं समृद्धि का प्रतीक है कलश
विविधा भ्रष्टाचार का गरलः निजात नहीं सरल May 29, 2015 / May 29, 2015 | Leave a Comment -ललित गर्ग- चाणक्य ने कहा था कि जिस तरह अपनी जिह्ना पर रखे शहद या हलाहल को न चखना असंभव है, उसी प्रकार सरकारी कोष से संबंधित व्यक्ति राजा के धन का उपयोग न करे, यह भी असंभव है। जिस प्रकार पानी के अन्दर मछली पानी पी रही है या नहीं, जानना कठिन है, उसी […] Read more » Featured भ्रष्टाचार भ्रष्टाचार का गरलःनिजात नहीं सरल महंगाई
धर्म-अध्यात्म मां गायत्री है वेदों की जननी May 29, 2015 / May 29, 2015 | Leave a Comment -ललित गर्ग- भारत भूमि की यह विशेषता है कि यह भूमि कभी भी संतों, महापुरुषों, देवज्ञों, विद्वानों से खाली नहीं हुई, रिक्त नहीं हुई। स्वामी विवेकानन्द, दयानन्द सरस्वती, रामकृष्ण परमहंस, टैगोर और गांधी सरीखे महापुरुष हमारे आदर्श रहे हैं। उनके कर्म अनुकरणीय हैं। उन्होंने क्या हमारा मार्गदर्शन नहीं किया ? सत्य और अहिंसा का पाठ […] Read more » Featured मां गायत्री मां गायत्री है वेदों की जननी वेद
परिचर्चा स्वयं से रू-ब-रू होने का लक्ष्य बनाएं May 29, 2015 | Leave a Comment – ललित गर्ग – जीवन में व्यक्ति और समाज दोनों अपना विशेष अर्थ रखते हैं। व्यक्ति समाज से जुड़कर जीता है, इसलिए समाज की आंखों से वह अपने आप को देखता है। साथ ही उसमें यह विवेक बोध भी जागृत रहता है ‘मैं जो भी हूं, जैसा हूं’ इसका मैं स्वयं जिम्मेदार हूं। उसके अच्छे […] Read more » Featured जीवन लक्ष्य स्वयं से रूबरू होने का लक्ष्य बनाएं
चिंतन मनुष्य की वास्तविक पहचान के मायने May 21, 2015 | Leave a Comment -ललित गर्ग- मानव धर्म का हार्द है मनुष्य का मनुष्य के प्रति तादात्म्य भाव, एक-दूसरे के प्रति संवेदनशीलता और नैतिक एवं चारित्रिक उज्ज्वलता। जो धर्म मनुष्य को दुर्गति, हीनता और चारित्रिक भ्रष्टता से मुक्त करता है, जो हर इंसान की आत्मा को तेजोदीप्त बनाता है, हर हृदय को परदुःखकातर और संवेदनशील बनाता है, उसे मानव […] Read more » Featured जिंदगी मनुष्य मनुष्य की वास्तविक पहचान के मायने
परिचर्चा एस.एम.एस. से बन रही है एक नई दुनिया May 12, 2015 / May 12, 2015 | Leave a Comment -ललित गर्ग- पिछले लगभग दो वर्ष से प्रतिदिन सुबह लगभग 6 बजे मेरे मोबाइल पर एक टंकार बिना किसी नागा के बजती है और मैं उस टंकार के साथ आने वाले एस.एम.एस. को पढ़ने के लिये उत्सुक हो जाता हॅूं। इसी एस.एम.एस. के साथ मेरी दिन की शुरूआत शुभ और मंगलमय हो जाती है। ये […] Read more » Featured SMS एस.एम.एस. से बन रही है एक नई दुनिया एसएमएस
चिंतन विविधा आओ चलें, जीवन के प्रश्नों का डटकर सामना करें April 22, 2015 / April 22, 2015 | Leave a Comment -ललित गर्ग- एक सफल और सार्थक जिंदगी जीने के लिए मनुष्य के पास उन रास्तों का ज्ञान होना बहुत जरूरी है जो उसे अपने लक्ष्य तक पहुंचाते हैं। इन्हीं रास्तों पर आगे बढ़ते हुए हर मनुष्य की ‘सर्व भवन्तु सुखिनः’-सब सुखी हों- यह भावना होनी चाहिए। हम अपने कर्म और वाणी से ऐसा एक भी […] Read more » Featured आओ चलें जीवन जीवन के प्रश्नों का डटकर सामना करें जीवन प्रश्न जीवन संघर्ष
जन-जागरण सफल जीवन की एक नई राह बनाएं April 19, 2015 / April 19, 2015 | Leave a Comment -ललित गर्ग- व्यक्ति अपने जीवन को सफल और सार्थक बनाने के लिये समाज से जुड़कर जीता है, इसलिए समाज की आंखों से वह अपने आप को देखता है। साथ ही उसमें यह विवेक बोध भी जागृत रहता है ‘मैं जो भी हूं, जैसा भी हूं’ इसका मैं स्वयं जिम्मेदार हूं। उसके अच्छे बुरे चरित्र का […] Read more » Featured जीवन सफल जीवन सफल जीवन की एक नई राह बनाएं
स्वास्थ्य-योग भारतीय योग की विश्व मान्यता का सन्देश April 10, 2015 / April 11, 2015 | Leave a Comment प्राचीन काल में भारत से शुरु हुआ योग ने बीते दशकों में दुनिया भर के लोगों को आकर्षित किया है। अब भारत के आग्रह पर योग के महत्व को मान्यता देते हुए संयुक्त राष्ट्र ने 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस घोषित किया है। यह शायद पहला अवसर है, जब भारतीय योग से जुडे़ ज्ञान […] Read more » Featured भारतीय योग भारतीय योग की विश्व मान्यता का सन्देश ललित गर्ग
स्वास्थ्य-योग जीवन व्यस्त भले ही हो, लेकिन अस्त-व्यस्त नहीं April 10, 2015 / April 11, 2015 | Leave a Comment वर्तमान जीवन का हाल यह है कि यहां चीजें सरपट भाग रही हैं। लोग जल्दी में हैं। उन्हें डर है कि कहीं धीमें पड़ गए तो आगे बढ़ने की रेस में पीछे न छूट जाएं। इस आपाधापी में वे तमाम तरह की गड़बडि़यों में शामिल हैं। इसी तरह के जीवन ने व्यक्ति को लापरवाह एवं […] Read more » Featured Health swasthy असंतुष्ट अस्त-व्यस्त जीवन व्यस्त भले ही होे ललित गर्ग लेकिन अस्त-व्यस्त नहीं व्यस्त संतुष्टि
धर्म-अध्यात्म जरूरत है महावीर के अहिंसा दर्शन March 25, 2015 | 1 Comment on जरूरत है महावीर के अहिंसा दर्शन महावीर अब हमारे बीच नहीं है पर महावीर की वाणी हमारे पास सुरक्षित है। महावीर की मुक्ति हो गई है पर उनके विचारों की कभी मुक्ति नहीं हो सकती। आज कठिनाई यह हो रही है कि महावीर का भक्त उनकी पूजा करना चाहता है पर उनके विचारों का अनुगमन करना नहीं चाहता। उन विचारों के […] Read more » अहिंसा दर्शन जरूरत है महावीर के अहिंसा दर्शन महावीर