कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक समागम और यज्ञ: महाकुंभ मेला December 10, 2024 / December 10, 2024 | Leave a Comment सुनील कुमार महला सनातन भारतीय संस्कृति, भारत के प्राचीन गौरव, इतिहास और परंपरा का प्रतीक महाकुंभ मेला इस साल प्रयागराज(इलाहाबाद) में 13 जनवरी 2025 से शुरू होने जा रहा है। यह भारत का सबसे बड़ा धार्मिक समागम व सांस्कृतिक आयोजन है, जो 26 फरवरी 2025 को महाशिवरात्रि के पर्व तक चलेगा। जानकारों का कहना है […] Read more » World's largest religious gathering and yagya: Mahakumbh Mela महाकुंभ मेला
लेख जटिल विषय है जनसंख्या, संतुलन जरूरी। December 5, 2024 / December 5, 2024 | Leave a Comment सुनील कुमार महला आजकल जनसंख्या के गणित पर देश में बड़ी चर्चा छिड़ी हुई है। कोई आबादी बढ़ाने की बात करते नजर आते हैं तो कोई आबादी घटाने की। हाल ही में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने नागपुर में देश की घटती आबादी को लेकर चिंता जता दी। उन्होंने यह कहा है कि प्रजनन दर […] Read more » Population is a complex subject जटिल विषय है जनसंख्या जनसंख्या
राजनीति विश्ववार्ता बातचीत और आपसी संवाद ही एकमात्र विकल्प: भारत-बांग्लादेश वर्तमान संबंध December 5, 2024 / December 5, 2024 | Leave a Comment सुनील कुमार महला पिछले कुछ दिनों से भारत और बांग्लादेश में एक-दूसरे के ख़िलाफ़ प्रदर्शन किए जा रहे हैं। दोनों देशों के बीच हाल के दिनों में विवाद देखा जा रहा है और इस आशय की खबरें लगातार मीडिया की सुर्खियों में आ रहीं हैं। पाठक जानते होंगे कि बांग्लादेश में शेख़ हसीना सरकार के […] Read more » India-Bangladesh current relations भारत-बांग्लादेश वर्तमान संबंध
मनोरंजन युवा पीढ़ी हो रही ब्रेन रॉट का शिकार December 4, 2024 / December 4, 2024 | Leave a Comment सुनील कुमार महला आज का सूचना क्रांति और तकनीक का युग है। आज का युग इंटरनेट, सोशल नेटवर्किंग साइट्स व्हाट्स एप, फेसबुक, इंस्टाग्राम, यू-ट्यूब, ट्विटर का युग है। दूसरे शब्दों में यह भी कहा जा सकता है कि आज का युग घंटों-घंटों तक लगातार स्क्रीन को स्क्रॉल करने का युग है। आज हमारी युवा पीढ़ी […] Read more » ब्रेन रॉट
पर्यावरण लेख क्या मंडरा रहा है हम पर ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ़्लड का खतरा? December 3, 2024 / December 3, 2024 | Leave a Comment सुनील कुमार महला ग्लोबल वार्मिंग आज भारत ही नहीं , संपूर्ण विश्व की एक बड़ी समस्या है। आज धरती पर ग्रीन हाउस गैसों में निरंतर बढ़ोत्तरी हो रही है। प्रदूषण में भी बढ़ोत्तरी का क्रम लगातार जारी है। ग्रीन हाउस गैसों की अधिकता, बढ़ते प्रदूषण से धरती पर कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, सीएफसी की मात्रा […] Read more » glacial lake outburst flood ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ़्लड
लेख स्वास्थ्य-योग क्या टायलेट्स शर्मकथा हो गये हैं ? December 2, 2024 / December 2, 2024 | Leave a Comment सुनील कुमार महला भारतीय सनातन संस्कृति में महिलाओं को युगों-युगों से बहुत ही सम्माननीय स्थान दिया जाता रहा है और आज भी नारी हम सभी के लिए सम्माननीय और गौरवमयी है। हमारे वेदों में प्रथम शिक्षा ‘मातृ देवोभाव:’ से प्रारंभ किया जाता है अर्थात माता देवताओं के समान होती है लेकिन बावजूद इसके आज कुछ […] Read more »
लेख वास्तविक दुनिया से जुड़े और हरदम रहें खुश ! December 2, 2024 / December 2, 2024 | Leave a Comment सुनील कुमार महला युवाओं में आज सोशल नेटवर्किंग साइट्स का बहुत ज्यादा क्रेज है। वर्चुअल वर्ल्ड में युवा पीढ़ी इतनी अधिक रम-बस चुकी है कि युवा पीढ़ी को आज वास्तविक दुनिया का बिल्कुल भी अहसास ही नहीं है। कुल मिलाकर यह बात कही जा सकती है कि युवा पीढ़ी आज सोशल मीडिया का संयमित उपयोग, […] Read more » वास्तविक दुनिया से जुड़े और हरदम रहें खुश !
लेख समाज साइलेंट किलर ‘ध्वनि प्रदूषण’ के आगोश में मानवजाति December 2, 2024 / December 2, 2024 | Leave a Comment सुनील कुमार महला ध्वनि प्रदूषण की समस्या भारत में आज एक बड़ी शहरी समस्या है, जो एक अदृश्य प्रदूषण है। सच तो यह है कि ध्वनि प्रदूषण एक साइलेंट किलर है। बढ़ती जनसंख्या, लगातार बढ़ते शहरीकरण, अंधाधुंध औधोगिकीकरण, लगातार बढ़ते ट्रैफिक, विकास के आयामों के कारण आज ध्वनि प्रदूषण की समस्या ने बहुत ही विकराल रूप धारण कर लिया है। औधोगिक घरानों में मशीनों से होने वाला ध्वनि प्रदूषण,वाहनों के हॉर्न बजाने से होने वाला प्रदूषण, सड़क पर काम करने वाले लोगों द्वारा ड्रिलिंग करने से होना वाला प्रदूषण, डीजे, बैंड व लाउडस्पीकरों से होने वाला प्रदूषण तथा अन्य चीजों से पैदा होने वाला शोर हमारे शांत वातावरण में जहां एक ओर व्यवधान पैदा करता है वहीं दूसरी ओर जैसा कि विशेषज्ञ बताते हैं, ध्वनि प्रदूषण प्रजनन चक्र बाधित होने के साथ ही साथ प्रजातियों के विलुप्त होने को भी तेज करता है। आज प्लंबिंग, बॉयलर, जनरेटर, एयर कंडीशनर और पंखे, कूलर शोर का कारण बनते हैं।बायलर, टरबाइन, क्रशर तो बड़े कारक हैं ही, परिवहन के लगभग सभी साधन तेज ध्वनि पैदा कर, कोलाहल के साथ वायु प्रदूषण भी बढ़ाते हैं। विभिन्न प्रकार के निर्माण कार्यों के पैदा होने वाला शोर भी बड़ा कारण है। इतना ही नहीं,बिना इन्सुलेशन वाली दीवारें और छतें पड़ोसी इकाइयों से आने वाले संगीत, आवाज़ें, कदमों और अन्य गतिविधियों को प्रकट करतीं हैं। विमान, ड्रिलिंग , विभिन्न आपातकालीन वाहन यथा एंबुलेंस, अग्निशमन यंत्र व गाड़ियां, पटाखों का फोड़ना भी शोर के कारण बनते हैं। मनोरंजन के साधन टीवी, रेडियो भी ध्वनि प्रदूषण फैलाते हैं। जेट विमान तो शोर के कारण हैं ही। विभिन्न धार्मिक, वैवाहिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक कार्यक्रमों में भी ध्वनि विस्तारकों का प्रयोग शोर को बढ़ावा देता है। इतना ही नहीं बिजली कड़कने, ज्वालामुखी, भूकंप , विस्फोट अन्य कारण हैं। यहां तक कि वैक्यूम क्लीनर और विभिन्न रसोई उपकरण शोर पैदा करते हैं। आज के समय में विवाह शादियों में खानपान, डीजे डांस और नाइटलाइफ़, आउटडोर बार, रेस्तरां और छतों पर 100 डीबी से ज़्यादा शोर सुनने को मिलता है। सच तो यह है कि पब और क्लब शोर करते हैं। यहां तक कि मस्जिदों, मंदिरों, चर्चों और अन्य संस्थानों में भी आज निश्चत डेसिबल स्तरों से ऊपर शोर सुनने को मिलता है। इतना ही नहीं,पशु-पक्षियों तक की भूमिका भी बहुत बार शोर में होती है।उल्लेखनीय है कि ध्वनि प्रदूषण एक अवांछित ध्वनि है जो पशु (वन्य जीवों ) और मानव व्यवहार को प्रभावित कर सकती है, हालांकि यह भी एक तथ्य है कि सभी शोर प्रदूषण नहीं होते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन 65 डेसिबल से ऊपर के शोर को प्रदूषण के रूप में वर्गीकृत करता है। 75 डेसिबल पर शोर हानिकारक है और 120 डेसिबल पर कष्टदायक है। शोर का उच्च स्तर मनुष्य और प्राणियों दोनों के ही स्वास्थ्य को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है।शोर का उच्च स्तर बच्चों और बुजुर्गों में टिनिटस या बहरापन पैदा कर सकता है। चिकित्सकों का मानना है कि 80 डीबी(डेसिबल) वाली ध्वनि कानों पर अपना प्रतिकूल असर डालती है। 120 डीबी की ध्वनि कान के पर्दों पर भीषण दर्द उत्पन्न कर देती है और यदि ध्वनि की तीव्रता 150 डीबी अथवा इससे अधिक हो जाए तो कान के पर्दे फट सकते हैं, जिससे व्यक्ति बहरा हो सकता है। गौरतलब है कि मानव कान अनुश्रव्य (20 हर्ट्ज से कम आवृत्ति) और पराश्रव्य (20 हजार हर्ट्ज से अधिक आवृत्ति) ध्वनि को सुनने में अक्षम होता है। आज लगातार शोर के संपर्क में रहने से मानव कान कमजोर होते जा रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, दुनियाभर में लगभग डेढ़ अरब लोग इस समय कम सुनाई देने की अवस्था के साथ जीवन गुजार रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट दर्शाती है कि 2050 तक दुनिया में हर चार में से एक व्यक्ति यानी लगभग 25 प्रतिशत आबादी किसी न किसी हद तक श्रवण क्षमता में कमी की अवस्था के साथ जी रही होगी। अत्यधिक तेज, लगातार शोर के कारण श्वसन संबंधी उत्तेजना, नाड़ी का तेज चलना, उच्च रक्तचाप, माइग्रेन, गैस्ट्राइटिस, कोलाइटिस और दिल का दौरा पड़ना आदि हो सकता है। शोर परेशानी, थकान, अवसाद, चिंता, आक्रामकता और उन्माद पैदा कर सकता है। यह हमारी एकाग्रता में कमी लाता है। अध्ययन में विशेष व्यवधान पैदा करता है। 45 डेसिबल से अधिक शोर नींद में खलल(अनिद्रा की शिकायत) डालता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) 30 डेसिबल की सिफारिश करता है। बहरहाल, आंकड़े बताते हैं कि संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम की एक रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि हर वर्ष योरोपीय संघ में ध्वनि प्रदूषण के कारण 12 हजार लोगों की असामयिक मौत हो जाती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, वायु प्रदूषण के बाद शोर स्वास्थ्य समस्याओं का दूसरा सबसे बड़ा पर्यावरणीय कारक है। शोर हमारे हमारे शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य के साथ ही हमारी जीवनशैली को भी प्रभावित करता है। अवांछित और अप्रिय शोर मनुष्य में तनाव, अवसाद लाता है और चिड़चिड़ापन पैदा करता है। यहां यह गौरतलब है कि वर्ष 2018 में जारी अपने दिशा-निर्देशों में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दिन के समय ध्वनि प्रदूषण के विभिन्न स्रोतों के लिए पृथक मापदंड जारी किये थे, जिसके अनुसार सड़क यातायात में दिन के समय शोर का स्तर 53 डेसिबल, रेल परिवहन में 54, हवाई जहाज और पवन चक्की चलने के दौरान 45 डेसिबल से अधिक नहीं होना चाहिए। आज लोग भले ही ध्वनि विस्तारकों को प्रतिष्ठा का प्रश्न मानने लगें हों लेकिन ये प्रतिष्ठा का प्रश्न नहीं है। वर्ष 2005 में माननीय सुप्रीम कोर्ट ने लाउडस्पीकरों पर आदेश देते हुए यह कहा था कि ऊंची आवाज़ सुनने के लिए मजबूर करना मौलिक अधिकारों का हनन है। आज सार्वजनिक स्थलों पर रात दस बजे से सुबह छह बजे तक शोर मचाने वाले उपकरणों पर पाबंदी है लेकिन बावजूद इसके लोग ऐसा करते हैं। आज आबादी, अस्पताल और स्कूली क्षेत्र में प्रेशर हार्न बजाने,तेज पटाखों को छोड़ने पर रोक है।ध्वनि प्रदूषण नियम, 2000 के अनुसार व्यावसायिक, शांत और आवासीय क्षेत्रों के लिए ध्वनि तीव्रता की सीमा तय है।औद्योगिक क्षेत्रों में दिन में 75 और रात न 70 डेसिबल की सीमा सुनिश्चित है। व्यावसायिक क्षेत्रों के लिए दिन में 65 और रात में 55, आवासीय क्षेत्रों में दिन में 55 और रात में 45 तो शांत क्षेत्रों में दिन में 50 और रात में 40 डेसिबल तीव्रता की सीमा तय है। यह ठीक है कि भारतीय संविधान का अनुच्छेद 19 (1) एक मौलिक अधिकार है, जो किसी को भी बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, शांति से इकट्ठा होने, भारत के किसी भी हिस्से में रहने आदि की स्वतंत्रता की गारंटी देता है लेकिन इसका यह मतलब कतई नहीं है कि कोई भी अपने मौलिक अधिकारों का दुरूपयोग करे। जीवन को शांति और संयम के साथ जीने का अधिकार धरती के प्रत्येक प्राणी को है, इसलिए इस धरती का सर्वश्रेष्ठ प्राणी होते हुए हमें यह चाहिए कि हम ऐसा कोई भी व्यवहार न करें जिससे दूसरों की ज़िंदगी में खलल, व्यवधान अथवा कोई परेशानियां पैदा हों। सुनील कुमार महला Read more » Mankind in the throes of 'noise pollution' the silent killer ध्वनि प्रदूषण
लेख स्वास्थ्य-योग डग-डग डायबिटीज का खतरा ! November 29, 2024 / November 29, 2024 | Leave a Comment सुनील कुमार महला आज हमारी जीवनशैली में आमूल-चूल परिवर्तन आ गये हैं और ये परिवर्तन कहीं न कहीं अनेक लाइफ़ स्टाइल डिज़ीज़ यथा- उच्च रक्तचाप(हाई बीपी), हृदय रोग, मोटापा, मधुमेह(डाइबिटीज), पुरानी फेफड़ों की बीमारियाँ, कैंसर, अल्जाइमर रोग और अन्य बीमारियों को जन्म दे रहें हैं। वैसे तो ये सभी डिज़ीज़ अपने आप में बहुत ही चिंताजनक हैं लेकिन खान-पान, मोटापे, गरीब तबके की अज्ञानता, मधुमेह के प्रति जागरूकता का अभाव देश में डायबिटीज़ के पेशेंट्स बढ़ा रहा है। भारत में आज डग-डग पर डायबिटीज के पेशेंट्स हैं। उपलब्ध जानकारी के अनुसार वैश्विक स्तर पर 828 मिलियन में से भारत में अनुमानित 212 मिलियन लोग मधुमेह से पीड़ित हैं। दुनिया में मधुमेह से पीड़ित हर चार में से एक व्यक्ति (26%) भारत से है, जिससे यह दुनिया में सबसे अधिक प्रभावित देश बन गया है।पिछले साल यानी कि वर्ष 2023 में आई द लैंसेट की एक स्टडी के मुताबिक, भारत में 10.1 करोड़ लोग डायबिटीज के मरीज हैं। स्टडी में कहा गया है कि पिछले चार सालों में ही डायबिटीज के मामलों में 44% की बढ़ोतरी हुई है।इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च-इंडिया डायबिटीज की इस स्टडी में यह कहा गया था कि वर्ष 2019 में भारत में डायबिटीज के सात करोड़ मरीज थे। इसके अनुसार भारत की 15.3% आबादी (कम से कम 13.6 करोड़ लोग) प्री-डायबिटीज हैं। गौरतलब है कि डायबिटीज ऐसा रोग है जिससे शरीर में ब्लड शुगर की मात्रा बढ़ जाती है और शरीर पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन हार्मोन का निर्माण नहीं कर पाता है जिससे व्यक्ति में बार-बार पेशाब आने,नींद पूरी होने के बाद भी थकान के महसूस होने, बार-बार भूख लगने, वजन कम होने, आंखों की रोशनी कम होने, धुंधला दिखाई देने तथा घाव के जल्दी न भरने जैसी समस्याएं पैदा होने लगतीं हैं। डायबिटिक फुट(मधुमेह के अनियंत्रित होने पर पैरों में होने वाले घाव) भी जन्म लेता है और मरीज धीरे धीरे रिस्क जोन में चला जाता है। इस संदर्भ में हाल ही में राजस्थान के बीकानेर में सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज के डायबिटिक एंड रिसर्च सेंटर में डायबिटिक फुट पर वर्ष 2021 से जुलाई 2022 तक 900 मरीजों पर किए गए एक शोध में यह सामने आया है कि 180 के पैरों में घाव था। शोध में 20 से 79 वर्ष के 70 प्रतिशत पुरूषों में डायबिटिक फुट पाया गया। सच तो यह है कि आज अनियंत्रित शुगर लेवल शरीर के शरीर खोखले तो बना ही रही है, मधुमेह(डाइबिटीज)अनेक खतरनाक जख्म भी दे रहा है। डायबिटीज़ लाइफस्टाइल से जुड़ी हुई बीमारी है। हमारी अनहेल्दी लाइफस्टाइल, मोटापा तनाव और अवसाद के कारण ही यह बीमारी बढ़ती है। लाइफस्टाइल, संतुलित व हेल्दी डाइट और नियमित एक्सरसाइज से हम डायबिटीज के साथ ही साथ कई अन्य खतरनाक बीमारियों के खतरे को भी कम कर सकते हैं। हालांकि, बहुत बार डायबिटीज आनुवांशिक कारणों से भी होता है, इसलिए कई बार इसे रोकना मुश्किल व अत्यंत कठिन हो सकता है लेकिन इस संबंध में विभिन्न एहतियात व सावधानियां बरतकर हम इसके खतरे को कम कर सकते हैं। रोजाना आधे घंटे टहलकर भी डायबिटीज के खतरे को कम किया जा सकता है। डायबिटीज को प्रभावी ढंग से कंट्रोल करने के लिए नियमित रूप से अपने ब्लड शुगर लेवल की जांच करना जरूरी है। डायबिटीज़ से बचने के लिए रोजाना फिजीकल एक्टिविटी, पर्याप्त नींद और शरीर को हाइड्रेट रखना बहुत ही जरूरी है। सुनील कुमार महला Read more » Danger of diabetes!
लेख विविधा भारतीय समाज में लोन लीजिए,घी पीजिए की बढ़ती प्रवृत्ति। November 28, 2024 / September 27, 2025 | Leave a Comment भारत में खर्च के लिए क्रेडिट कार्ड पर निर्भरता की प्रवृत्ति में लगातार इजाफा हो रहा है। क्रेडिट कार्ड कंपनियां भी आज उपभोक्ताओं को क्रेडिट कार्ड जारी करने के एवज में फ्री गिफ्ट्स यथा स्मार्ट वाच, स्पीकर, इयर बड्स व अन्य गिफ्ट आइटम्स आदि बांटकर उन्हें अपने चंगुल में फंसा रहीं हैं। Read more » क्रेडिट कार्ड क्रेडिट कार्ड पर निर्भरता
बच्चों का पन्ना लेख समाज स्वास्थ्य-योग नशे का जाल ,बुरा हो रहा है हाल November 26, 2024 / November 26, 2024 | Leave a Comment सुनील कुमार महला पाकिस्तान, अफगानिस्तान आतंकवाद के साथ ही देश-दुनिया में नशे का ज़हर घोल रहे हैं। दुबई से नशा तस्कर, ड्रग्स माफिया भी भारत में आज सक्रिय हैं। पहले देश में पंजाब को नशे का बड़ा केंद्र माना जाता था लेकिन आज राजधानी दिल्ली, राजस्थान की शिक्षा नगरी कहलाने वाले सीकर और कोटा, हिमाचल […] Read more » नशे का जाल
लेख सोशल मीडिया के इस दौर में कैसे करें लेखन कार्य ? November 25, 2024 / November 25, 2024 | Leave a Comment सुनील कुमार महला लिखना भी एक कला है। पहले पत्र-लेखन किया जाता था। अंतर्देशीय पत्र, पोस्टकार्ड लिखे जाते थे, डायरी लिखने की भी परंपरा थी। पत्र-लेखन की और डायरी लेखन की परंपरा आज भी है लेकिन आज सूचना क्रांति, तकनीक और सोशल नेटवर्किंग साइट्स का दौर है। काग़ज़-कलम लेकर आज विरले ही लोग लिखते हैं। […] Read more »