सुनील कुमार महला
आत्मनिर्भर भारत अभियान या आत्मनिर्भर भारत अभियान आज नए भारत का नया विजन है। 12 मई 2020 को, भारत के प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र से आत्मनिर्भर भारत अभियान की शुरुआत करने का आह्वान किया था और आज भारत विभिन्न क्षेत्रों में स्वयं को स्थापित करने की दिशा में लगातार काम कर रहा है। उल्लेखनीय है कि आत्मनिर्भर भारत के पांच स्तंभों में क्रमशः अर्थव्यवस्था, बुनियादी ढांचा, प्रणाली, जीवंत जनसांख्यिकी और मांग को शामिल किया गया है। वास्तव में,आत्मनिर्भर भारत का मुख्य उद्देश्य देश और उसके नागरिकों को हर मायने में स्वतंत्र और आत्मनिर्भर बनाना है।
आज भारत ऊर्जा के क्षेत्र में विशेष प्रगति कर रहा है। कहना ग़लत नहीं होगा कि ऊर्जा वह चाबी है जो किसी भी देश के विकास का द्वार खोलती है। ऊर्जा के बिना न तो जीवन की ही कल्पना की जा सकती है और न ही किसी देश के विकास की। ऊर्जा क्षेत्र में विकास से देश की अर्थव्यवस्था को विशेष गति मिलती है। उल्लेखनीय है कि आज भारत में नवीकरणीय ऊर्जा(अक्षय ऊर्जा) का दायरा (उपयोग) बढ़ रहा है, यह न केवल अर्थव्यवस्था को गति दे रहा है बल्कि लाखों लोगों के लिए स्थायी आजीविका भी पैदा कर रहा है। नवीकरणीय ऊर्जा या अक्षय ऊर्जा में वे सारी ऊर्जाएं जैसे कि सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, जलविद्युत उर्जा, ज्वार-भाटा से प्राप्त उर्जा, बायोगैस, जैव ईंधन आदि को शामिल किया गया है, जो कि प्रदूषणकारक नहीं हैं तथा जिनके स्रोत का कभी क्षय नहीं होता, या जिनके स्रोत का पुनःभरण होता रहता है। कहना ग़लत नहीं होगा कि नवीकरणीय ऊर्जा का यह क्षेत्र देश के स्वच्छ हरित भविष्य , ऊर्जा क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता, पर्यावरण के क्षेत्र में स्थिरता की दिशा में भारत के प्रयासों को सार्थक बनाने और रोजगार के नए अवसर पैदा करने के लिहाज़ से काफी महत्वपूर्ण है।
आज ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता इसलिए जरूरी हो गई है क्यों कि भारत में ऊर्जा के लिए अधिकतर तेल बाहर के देशों से आयात किया जाता है।एक रिपोर्ट के अनुसार, 2020 में भारत ने कच्चे तेल के आयात पर लगभग 102 बिलियन डॉलर खर्च किए थे। लेकिन आज भारत नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में एक तगड़ा उछाल आया है। यदि हम यहां आंकड़ों की बात करें तो अंतर्राष्ट्रीय नवीकरणीय ऊर्जा एजेंसी(आईआरईएनए) की 2024 की वार्षिक समीक्षा के अनुसार, भारत के नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में 2023 में नौकरियों की कुल संख्या अनुमानित 1.02 मिलियन तक पहुंच गई। भारत में उल्लेखनीय वृद्धि के साथ वैश्विक नवीकरणीय ऊर्जा कार्यबल 2022 में 13.7 मिलियन से बढ़कर 16.2 मिलियन हो गया।
कहना ग़लत नहीं होगा कि आज भारत में नवीकरणीय ऊर्जा का दायरा बढ़ने से न केवल यहां की अर्थव्यवस्था को गति मिल रही है बल्कि इससे स्थाई रोजगार भी पैदा हो रहें हैं। गौरतलब है कि भारत सरकार ने 2022 तक 175 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता का लक्ष्य रखा था, जिसमें सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, और बायोमास ऊर्जा शामिल हैं। सच तो यह है कि आज भारत विभिन्न पहलों, ऊर्जा कार्यक्रमों की शुरूआत के माध्यम से लगातार एक स्थायी ऊर्जा भविष्य की ओर बढ़ा रहा है। प्रमुख कार्यक्रमों में राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन, पीएम-कुसुम, पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना और सौर पीवी मॉड्यूल के लिए पीएलआई योजनाएं(उच्च दक्षता वाले सौर पीवी माड्यूल पर आधारित कार्यक्रम), हरित ऊर्जा कोरिडोर (जीईसी), मानव संसाधन विकास और नवीकरणीय ऊर्जा प्रमाण पत्र(आरईसी) तंत्र आदि शामिल हैं। वास्तव में ये सभी कार्यक्रम देश में नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देते हैं बल्कि रोजगार के महत्वपूर्ण अवसर भी पैदा करते हैं। अच्छी बात यह है कि इससे न केवल पर्यावरण को लाभ हो रहा है, बल्कि इससे भारत की दीर्घकालिक ऊर्जा सुरक्षा भी सुनिश्चित हो रही है, क्योंकि इससे तेल पर विदेशी निर्भरता में कहीं न कहीं थोड़ी कमी अवश्य आई है। आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2023 में भारत के नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में कार्यरत 1.02 मिलियन लोगों में हाइड्रोपावर और सोलर फोटोवोल्टिक सबसे बड़े नियोक्ता थे, जिन्होंने सबसे अधिक व्यक्तियों को रोजगार दिया । इसके अलावा, पवन ऊर्जा क्षेत्र में 52,000 नौकरियां,तरल जैव ईंधन क्षेत्र में 35,000 नौकरियां, ठोस बायोमास क्षेत्र में 58,000 नौकरियां, सोलर हीटिंग और कूलिंग क्षेत्र में 17,000 नौकरियां, जबकि बायोगैस क्षेत्र ने 85,000 नौकरियां पैदा कीं, जो इस क्षेत्र के भीतर विविध रोजगार परिदृश्य को प्रदर्शित करता है।
कहना ग़लत नहीं होगा कि आज भारत एक स्थाई ऊर्जा भविष्य की ओर लगातार बढ़ रहा है, लेकिन आज भारत को न केवल ऊर्जा उत्पादन में बल्कि ऊर्जा के संचयन और इसकी वितरण प्रणाली में भी सुधार करने की आवश्यकता है। इसमें कोई संदेह और दोराय नहीं है कि आज देश में स्वदेशी तकनीक का विकास नहीं हुआ है । आज देश हर क्षेत्र में प्रगति और उन्नयन के सोपानों को लगातार छू रहा है लेकिन बावजूद इसके हमें आज भी स्वदेशी तकनीकी विकास को और अधिक बढ़ावा देने की आवश्यकता महत्ती है। ऊर्जा के क्षेत्र में आज भारत का अच्छा फोकस(स्थिरता और रोजगार) है लेकिन आज भी इस बात की जरूरत है कि हम अपनी नीतियों में सुधार के साथ ही समाज में ऊर्जा संरक्षण के प्रति जागरूकता पैदा करें। आज के समय में ऊर्जा संरक्षण इसलिए जरूरी और आवश्यक है क्योंकि इसके ज़रिए हम अपने कार्बन पदचिह्न को कम कर सकते हैं और ग्लोबल वार्मिंग के प्रभावों को कम कर सकते हैं, और हमारी धरती, हमारे पर्यावरण के साथ संपूर्ण मानवजाति व धरती के जीवों को बचा सकते हैं। हमें यह याद रखना चाहिए कि वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन जितना कम होगा, जलवायु परिवर्तन को कम करने का उतना ही बेहतर मौका होगा। ऊर्जा संरक्षण जीवाश्म ईंधन पर हमारी निर्भरता को कम करके ऐसा करने में हमारी मदद करता है।
सुनील कुमार महला