विविधा राष्ट्र नायक नेताजी सुभाष की राष्ट्र भाषा हिन्दी की भक्ति August 6, 2016 | 1 Comment on राष्ट्र नायक नेताजी सुभाष की राष्ट्र भाषा हिन्दी की भक्ति मनमोहन कुमार आर्य हिन्दी प्रेमियों! बड़ी खुशी के साथ (कलकत्ता) नगर में हम लोग आपका स्वागत करते हैं। जो सज्जन कलकत्ता से वाकिफ हैं, उनको यह बतलाने की जरूरत नहीं कि कलकत्ता में पांच लाख हिन्दी भाषा-भाषी रहते हैं। शायद हिन्दुस्तान के किसी भी प्रान्त में–जो प्रान्त हिन्दी वालों के घर हैं, उनमें भी कहीं […] Read more » राष्ट्र नायक नेताजी सुभाष राष्ट्र भाषा हिन्दी की भक्ति
धर्म-अध्यात्म आघुनिक काल में सभी मतों का अन्धविश्वास-ग्रस्त होना और उन्हें दूर करने में उदासीन होना महान आश्चर्य August 5, 2016 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य मनुष्यों की समस्त जनसंख्या इस भूगोल के प्रायः सभी व अनेक भागों में बस्ती है। सारी जनसंख्या आस्तिक व नास्तिक दो मतों व विचारधाराओं में बटी हैं। बहुत से लोग ऐसे हैं जो ईश्वर व जीवात्मा के अस्तित्व को न तो जानते हैं और मानते हैं। वह खुल कर कहते हैं कि […] Read more » सभी मतों का अन्धविश्वास-ग्रस्त
धर्म-अध्यात्म ऋषि दयानन्द की दो मुख्य देन सत्यार्थ प्रकाश और आर्यसमाज August 5, 2016 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर् ऋषि दयानन्द महाभारतकाल के बाद उत्पन्न महापुरुषों में सत्यज्ञान व उसके प्रचार व प्रसार के कार्यों को करने वाले विश्व के सर्वोत्तम महापुरुष हैं। उनसे पूर्व इन कार्यों को करने वाला अन्य महापुरुष विश्व इतिहास में दृष्टिगोचर नहीं होता। महाभारत काल से पूर्व विश्व में सर्वत्र वेदों का प्रचार व प्रसार था, […] Read more » आर्यसमाज ऋषि दयानन्द की देन सत्यार्थ-प्रकाश
धर्म-अध्यात्म मूर्तिपूजा और जन्मना जाति प्रथा ईश्वरीय ज्ञान वेद के विरुद्ध और हिन्दू समाज के लिए हानिकारक August 3, 2016 | 1 Comment on मूर्तिपूजा और जन्मना जाति प्रथा ईश्वरीय ज्ञान वेद के विरुद्ध और हिन्दू समाज के लिए हानिकारक मनमोहन कुमार आर्य मूर्तिपूजा से तात्पर्य ईश्वर की वैदिक शास्त्रों के अनुसार पूजा, ध्यान व स्तुति-प्रार्थना-उपासना न कर एक कल्पित पाषाण व धातु आदि की मूर्ति बना कर उसमें रूढ़ किये गये वैदिक व कुछ संस्कृत श्लोकों से प्राण-प्रतिष्ठा की कल्पना कर उसके आगे माथा टेकना, शिर झुकाना, भजन-कीर्तन करना, मूर्ति को मिष्ठान्न आदि का […] Read more » जन्मना जाति प्रथा ईश्वरीय ज्ञान वेद के विरुद्ध मूर्तिपूजा हिन्दू समाज के लिए हानिकारक
धर्म-अध्यात्म मैं कर्म-बन्धन में फंसा एक चेतन अनादि व अविनाशी जीवात्मा हूं August 2, 2016 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य हम परस्पर जब किसी से मिलते हैं तो परिचय रूप में अपना नाम व अपनी शैक्षिक योग्यता सहित अपने कार्य व व्यवसाय आदि के बारे में अपरिचित व्यक्ति को बताते हैं। हमारा यह परिचय होता तो ठीक है परन्तु इसके अलावा भी हम जो हैं वह एक दूसरे को पता नहीं चल […] Read more » जीवात्मा
धर्म-अध्यात्म ईश्वर-जीवात्मा-प्रकृति विषयक अविद्या विश्व में अशान्ति का कारण July 31, 2016 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य संसार में लोग उचित व अनुचित कार्य करते हैं। अनुचित काम करने वालों को सामाजिक नियमों के अनुसार दण्ड दिया जाता है। न केवल सामान्य मनुष्य अपितु शिक्षित व उच्च पदस्थ राजकीय व अन्य मनुष्य भी अनेक बुरे कामों को करते हैं जिनसे देश व समाज कमजोर होता है और इसके परिणाम […] Read more » अविद्या ईश्वर जीवात्मा प्रकृति विश्व में अशान्ति का कारण
प्रवक्ता न्यूज़ सर्वशक्तिमन् ईश्वर की कृपा, रक्षा और सहाय से हम लोग परस्पर एक दूसरे की रक्षा करें July 28, 2016 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य सभी मनुष्यों को नित्य-प्रति ईश्वर की स्तुति, प्रार्थना और उपासना अवश्य करनी चाहिये जिससे वह कृतघ्नता के महापाप से बच सकता है। आज जिस मन्त्र को लेकर हम उपस्थित हुए हैं वह मन्त्र ऋषि दयानन्द सरस्वती द्वारा प्रणीत आर्याभिविनय, ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका और संस्कारविधि में भावार्थ सहित उपलब्ध है। इस मन्त्र व इसके भावार्थ […] Read more » ईश्वर
धर्म-अध्यात्म पं. लेखराम की ऋषि दयानन्द से भेंट का देश व समाज पर प्रभाव July 27, 2016 | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य पंडित लेखराम जी स्वामी दयानन्द जी के आरम्भिक प्रमुख शिष्यों में से एक थे जो वैदिक धर्म की रक्षा और प्रचार के अपने कार्यों के कारण इतिहास में अमर हैं। उन्होंने 17 मई, सन् 1881 को अजमेर से ऋषि दयानन्द से भेंट की थी और उनसे अपनी शंकाओं का समाधान प्राप्त किया […] Read more » ऋषि दयानन्द से भेंट देश व समाज पर प्रभाव लेखराम
धर्म-अध्यात्म ऋषि दयानन्द के अनुसार हवन से लाभ व न करने से पाप July 27, 2016 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य आर्यसमाज के संस्थापक और वेदों के महान विद्वान ऋषि दयानन्द सरस्वती हवन करने से लाभ व न करने में पाप मानते थे। इसका उल्लेख उन्होंने अपने ग्रन्थ सत्यार्थप्रकाश और ऋग्वेदादिभाष्य भूमिका के कुछ प्रसंगों ने किया है। आर्यजगत के उच्च चोटी के विद्वानों में से एक पं. राजवीर शास्त्री, पूर्व सम्पादक, दयानन्द […] Read more » हवन न करने से पाप हवन से लाभ
धर्म-अध्यात्म ‘ऋषि दयानन्दभक्त पं. गुरुदत्त विद्यार्थी के कुछ प्रेरक प्रसंग’ July 22, 2016 / July 22, 2016 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य पं. गुरुदत्त विद्यार्थी जी का आर्यसमाज के इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान है। आप बहुमुखी प्रतिभा से सम्पन्न युवक थे। मात्र 26 वर्ष के अल्प जीवन काल में ही आपने वैदिक धर्म और आर्यसमाज की जो सेवा की है उसका मूल्याकंन करना अतीव कठिन कार्य है। दयानन्द एंग्लो वैदिक स्कूल व कालेज की […] Read more » ऋषि दयानन्दभक्त पं. गुरुदत्त विद्यार्थी
जन-जागरण विविधा योग विषयक सर्वजनहितकरी सत्य व यथार्थ मान्यताएं’ July 20, 2016 | Leave a Comment योगऋषि स्वामी रामदेव जी की योग विषयक सर्वजनहितकरी सत्य व यथार्थ मान्यताएं’ मनमोहन कुमार आर्य योगदर्शन वेदों के 6 उपांगों में से एक है। आर्यसमाज के विद्वान संन्यासी स्वामी वेदानन्द तीर्थ जी ने ‘योगोपनिषद्’ नामक एक लघु ग्रन्थ लिखा था जो वेदों के कुछ मन्त्रों का संकलन व वेद में योग विषयक किसी एक सूक्त […] Read more » योग विषयक सर्वजनहितकरी सत्य व यथार्थ मान्यताएं’
धर्म-अध्यात्म वेदों के स्वतः प्रमाण होने की मान्यता के उद्घोषक व प्रचारक ऋषि दयानन्द इतिहास में प्रथम व्यक्ति July 20, 2016 | 2 Comments on वेदों के स्वतः प्रमाण होने की मान्यता के उद्घोषक व प्रचारक ऋषि दयानन्द इतिहास में प्रथम व्यक्ति ओ३म् मनमोहन कुमार आर्य वेद ईश्वरीय ज्ञान होने से स्वतः प्रमाण हैं। अन्य सभी ग्रन्थ वेदानुकूल होने पर प्रमाण और वेद विरुद्ध होने पर अप्रमाण होने की कसौटी ऋषि दयानन्द ने महाभारत-काल के बाद देश और विश्व को दी जो उन्हें अपने विद्या गुरु दण्डी स्वामी विरजानन्द सरस्वती से प्राप्त हुई थी। ऋषि दयानन्द वेद […] Read more » ऋषि दयानन्द वेदों के स्वतः प्रमाण