प्रवक्ता न्यूज़ ‘जाति प्रथा देश का प्रबल शत्रु। June 24, 2016 | 1 Comment on ‘जाति प्रथा देश का प्रबल शत्रु। –गुरुकुल पौंधा देहरादून में 4 जून 2016 को आयोजित वर्णाश्रम सम्मेलन में कुछ वक्ताओं के सम्बोधन- आर्यसमाज ने जाति प्रथा को हिलाया तो परन्तु उसे समाप्त नहीं कर सके: डा. रघुवीर वेदालंकार’ -मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून। देहरादून के श्रीमद् दयानन्द आर्ष ज्यातिर्मठ गुरुकुल पौंधा के तीन दिवसीय वार्षिकोत्सव के दूसरे दिन 4 जून, 2016 को […] Read more » जाति प्रथा देश का प्रबल शत्रु।
शख्सियत समाज स्वामी दयानन्द के विचारों की देन थे हमारे प्रेरणास्रोत आर्य विद्वान अनूप सिंह June 22, 2016 | Leave a Comment आज 15 वीं पुण्य तिथि के अवसर पर ‘ -मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून। 15 वर्ष से पूर्व देहरादून में आर्य समाज के क्षेत्रों में एक जाना पहचाना नाम होता था प्रा. अनूप सिंह। आप आकर्षक व्यक्तित्व के धनी थे। सुन्दर चेहरा, कद-काठी सामान्य, लम्बाई लगभग 5‘8‘‘, स्वास्थ्य व स्वरूप में आकर्षण, विद्वता में अग्रणीय, युवाओं […] Read more » आर्य विद्वान अनूप सिंह
धर्म-अध्यात्म अपवित्र जीवात्मा पवित्र ईश्वर का साक्षात्कार नहीं कर पाती June 22, 2016 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य ईश्वर व जीवात्मा दो पृथक पृथक चेतन सत्तायें हैं। दोनों ही अनादि, नित्य, अनुत्पन्न, अविनाशी, अमर, ज्ञान व कर्म करने की शक्ति से युक्त सत्तायें हैं। दोनों के स्वरूप में कुछ समानतायें और कुछ भिन्नतायें भी है। ईश्वर आकाश के समान सर्वव्यापक है तो जीवात्मा एकदेशी है। ईश्वर और जीवात्मा का व्याप्य-व्यापक […] Read more » अपवित्र जीवात्मा ईश्वर ईश्वर का साक्षात्कार पवित्र ईश्वर साक्षात्कार
धर्म-अध्यात्म मृत्यु के समय मनुष्य का अन्तिम वेदोक्त का कर्तव्य June 19, 2016 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य यजुर्वेद मन्त्र संख्या 40/15 और ऋषि दयानन्द भक्त स्वामी अच्युतानन्द सरस्वती कृत इस मन्त्र के पदों का अर्थः वायुरनिलममृतमथेदं भस्मान्तंशरीरम्। ओ३म् क्रतो स्मर क्लिबे स्मर कृतंस्मर।। मन्त्र का पदार्थः- हे (क्रतो) कर्म कर्ता जीव ! शरीर छूटते समय तू (ओ३म्) इस मुख्य नाम वाले परमेश्वर का (स्मर) स्मरण कर। (क्लिबे) सामर्थ्य के […] Read more » मनुष्य का अन्तिम वेदोक्त का कर्तव्य
धर्म-अध्यात्म मांसाहार और मनुस्मृति June 16, 2016 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य प्राचीन काल में भारत में मांसाहार नहीं होता था। महाभारतकाल तक भारत की व्यवस्था ऋषि मुनियों की सम्मति से वेद निर्दिष्ट नियमों से राजा की नियुक्ति होकर चली जिसमें मांसाहार सर्वथा वर्जित था। महाभारतकाल के बाद स्थिति में परिवर्तन आया। ऋषि तुल्य ज्ञानी मनुष्य होना समाप्त हो गये। ऋषि जैमिनी पर आकर […] Read more » मनुस्मृति मांसाहार
धर्म-अध्यात्म सार्वभौम मानव धर्म का स्वरूप June 16, 2016 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य संसार में कुछ सहस्र वर्ष पूर्व कई महापुरुषों द्वारा चलाये गये अनेक मत, पन्थ व सम्प्रदाय अस्तित्व में हैं जो अपने आपको धर्म की संज्ञा देते हैं। क्या कोई मनुष्य व महापुरुष बिना किसी पूर्व धर्म व मत की सहायता के कोई नया मत व पन्थ चला सकता है? इसका उत्तर न […] Read more » मानव धर्म सार्वभौम
धर्म-अध्यात्म आर्यसमाज के यशस्वी विद्वान एवं उपदेशक पण्डित धर्मपाल शास्त्री June 2, 2016 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य देहरादून के एक गुरुकुल श्रीमद् दयानन्द आर्ष ज्योतिमठ गुरुकुल के वार्षिकोत्सव के अवसर पर 31 मई, 2015 को अपने पुराने परिचित आर्य विद्वान श्री धर्मपाल शास्त्री जी से हमारी भेंट हुई। 84 वर्षीय श्री धर्मपाल जी वर्षों पूर्व देहरादून में आर्यसमाज के पुरोहित रहे हैं। यद्यपि सन् 1970 में इन पंक्तियों क […] Read more » आर्यसमाज उपदेशक पण्डित धर्मपाल शास्त्री यशस्वी
धर्म-अध्यात्म विष्णुलाल शर्मा द्वारा ऋषि दयानन्द के दर्शन का वृतान्त May 28, 2016 | Leave a Comment . पं. विष्णुलाल शर्मा उत्तर प्रदेश में अवकाश प्राप्त सब जज रहे। स्वामी दयानन्द जब बरेली आये तब वहां 11 वर्ष की अवस्था में पं. विष्णुलाल शर्मा जी ने उनके दर्शन किए थे। उन्होंने इसका जो प्रमाणित विवरण स्वस्मृति से लेखबद्ध किया उसका वर्णन कर रहे हैं। वह लिखते हैं कि श्री स्वामी दयानन्द जी […] Read more » ऋषि दयानन्द विष्णुलाल शर्मा
धर्म-अध्यात्म शहीद भगत सिंह के दादा सरदार अर्जुन सिंह और ऋषि दयानन्द May 28, 2016 | Leave a Comment देश की गुलामी को दूर कर उसे स्वतन्त्र कराने के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले शहीद भगत सिंह के पिता का नाम सरदार किशन सिंह और दादा का नाम सरदार अर्जुन सिंह था। सरदार अर्जुन सिंह जी ने महर्षि दयानन्द के साक्षात दर्शन किये थे और उनके श्रीमुख से अनेक उपदेशों को भी […] Read more » ऋषि दयानन्द सरदार अर्जुन सिंह
धर्म-अध्यात्म ईश्वर ने मुझे मनुष्य क्यों बनाया? May 28, 2016 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य मैं मनुष्य हूं और मुझे मनुष्य व पुरुष जाति में यह जन्म मेरे माता-पिता से प्राप्त हुआ है। मेरे जन्म को लगभग 64 वर्ष हो गये परन्तु आज पहली बार मेरे मन में यह प्रश्न उठा कि इस बात पर भी विचार करूं कि ईश्वर ने मुझे मनुष्य और वह भी पुरुष […] Read more » ईश्वर ने मुझे मनुष्य क्यों बनाया
धर्म-अध्यात्म शख्सियत सद्धर्म प्रचारक वैदिक विद्वान महाशय चिरंजीलाल ‘प्रेम’ May 27, 2016 | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य महर्षि दयानन्द की जीवन ज्योति ने देश में अनेक नये जीवन दीपों को प्रज्जवलित किया था जिसका परिणाम धार्मिक और सामाजिक क्रान्ति सहित देश की परतन्त्रता के निवारण के रूप में सामने आया। अन्य अनेक कार्य भी महर्षि दयानन्द द्वारा वेदों के ज्ञान के प्रचार से देश में सम्पन्न हुए जिससे वैदिक […] Read more » महाशय चिरंजीलाल ‘प्रेम’ वैदिक विद्वान सद्धर्म प्रचारक
धर्म-अध्यात्म क्या इस सृष्टि को बनाने वाला कोई ईश्वर है? May 27, 2016 | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य क्या वस्तुतः ईश्वर है? यह प्रश्न वेद और वैदिक साहित्य से अपरिचित प्रायः सभी मनुष्यों के मन व मस्तिष्क में यदा कदा अवश्य उत्पन्न हुआ होगा। संसार में अपौरुषेय कार्यों, सूर्य सहित समस्त ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति, उसके संचालन, मनुष्य आदि प्राणियों की उत्पत्ति सहित कर्मफल व्यवस्था व सुख-दुःख आदि को देखकर ईश्वर […] Read more » ईश्वर क्या इस सृष्टि को बनाने वाला कोई ईश्वर है?