धर्म-अध्यात्म ईश्वर, वेद, राजर्षि मनु व महर्षि दयानन्द सम्मत शासन प्रणाली September 8, 2015 / September 8, 2015 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य महर्षि दयानन्द ने सप्रमाण घोषणा की थी कि वेद ईश्वरीय ज्ञान है एवं यही धर्म व सभी सत्य विद्याओं के आदि ग्रन्थ होने से सर्वप्राचीन एवं सर्वमान्य हैं। यदि ऐसा है तो फिर वेद में देश की राज्य व शासन व्यवस्था कैसी हो, इस पर भी विचार मिलने ही चाहियें। महर्षि दयानन्द […] Read more » Featured ईश्वर महर्षि दयानन्द सम्मत शासन प्रणाली राजर्षि मनु वेद
धर्म-अध्यात्म योगेश्वर श्री कृष्ण जन्म दिवस पर्व और शिक्षक दिवस September 7, 2015 | Leave a Comment महत्व और उपादेयता मनमोहन कुमार आर्य, भारतीय धर्म व संस्कृति के गौरव योगेश्वर श्रीकृष्ण का आज जन्म दिवस है। हमें और हमारे देश को इस बात का गौरव है कि योगेश्वर श्रीकृष्ण, मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम और वेद, वैदिक धर्म और संस्कृति के पुनरुद्धारक महर्षि दयानन्द आदि अनेक महापुरूषों के समान विश्व में ऐसे गौरवमय जीवन […] Read more » कृष्ण जन्म कृष्ण जन्म दिवस पर्व शिक्षक दिवस
धर्म-अध्यात्म महर्षि दयानन्द ने देश व धर्म के लिए माता-पिता-बन्धु-गृह व अपने सभी सुखों का स्वेच्छा से त्याग किया September 3, 2015 | 1 Comment on महर्षि दयानन्द ने देश व धर्म के लिए माता-पिता-बन्धु-गृह व अपने सभी सुखों का स्वेच्छा से त्याग किया -विश्व इतिहास की अन्यतम् घटना- भारत संसार में महापुरूषों को उत्पन्न करने वाली भूमि रहा है। यहां प्राचीन काल में ही अनेक ऋषि मुनि उत्पन्न हुए जिन्होंने वेदानुसार आदर्श जीवन व्यतीत किया। इन ऋषियों में से कुछ के नाम ही विदित हैं। अनेक ऋषि मुनियों ने महान कार्यों को किया परन्तु उन्होंने न तो अपना […] Read more » Featured महर्षि दयानन्द
जन-जागरण समाज मृतक श्राद्ध विषयक भ्रान्तियां: विचार और समाधान September 1, 2015 / September 1, 2015 | Leave a Comment हिन्दू समाज आज कल अन्धविश्वासों का पर्याय बन गया है। श्राद्ध शब्द को पढ़कर धर्म-कर्म में रूचि न रखने वाला एक अल्प ज्ञानी सामान्य व्यक्ति भी समझता है कि श्राद्ध अवश्य ही श्रद्धा से सम्बन्ध रखता है। जिस प्रकार से देव से देवता शब्द बनता है उसी प्रकार से श्रद्धा से श्राद्ध बनता है। श्रद्धा […] Read more » Featured मृतक श्राद्ध
धर्म-अध्यात्म अंधविश्वासों का खण्डन समाज की उन्नति के लिए परम आवश्यक August 31, 2015 | 2 Comments on अंधविश्वासों का खण्डन समाज की उन्नति के लिए परम आवश्यक जिस प्रकार से मनुष्य शरीर में कुपथ्य के कारण समय-समय पर रोगादि हो जाया करते हैं, इसी प्रकार समाज में भी ज्ञान प्राप्ति की समुचित व्यवस्था न होने के कारण सामाजिक रोग मुख्यतः अन्धविश्वास, अपसंस्कृति एवं किंकर्तव्यविमूढ़ता आदि हो जाया करते हैं। अज्ञान, असत्य व अन्धविश्वास का पर्याय है। जहां अज्ञान होगा वहां अन्धविश्वास वर्षा […] Read more » Featured अंधविश्वासों का खण्डन
धर्म-अध्यात्म सच्चे तीर्थ माता-पिता-आचार्य व आप्त विद्वानों के सदुपदेश आदि हैं। August 31, 2015 | Leave a Comment आजकल कुछ स्थानों अथवा नदी व सरोवरों को तीर्थ कहा जाता है। किसी से कोई पूछे कि इन तीर्थ स्थानों से इतर देश के अन्य सभी स्थान सच्चे तीर्थ क्यों नहीं है, तो इसका उत्तर शायद कोई नहीं दे सकेगा। तीर्थ शब्द संस्कृत भाषा का है और इसका प्रयोग वेद व वैदिक साहित्य […] Read more » Featured
वर्त-त्यौहार विविधा रक्षा बन्धन अन्याय न करने और अन्याय पीढि़तों की रक्षा करने का संकल्प लेने का पर्व है August 29, 2015 / August 30, 2015 | Leave a Comment प्रत्येक वर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन रक्षा बन्धन का पर्व सभी सुहृद भारतीयों द्वारा विश्व भर में सोत्साह मनाया जाता है। समय के साथ प्रत्येक रीति रिवाज व परम्परा में कुछ परिवर्तन होता रहता है। ऐसा ही कुछ परिवर्तन रक्षा बन्धन पर्व में हुआ भी लगता है। भारत में मुस्लिम काल में […] Read more » Featured रक्षा बन्धन
धर्म-अध्यात्म देश की परतन्त्रता में मूर्तिपूजा की भूमिका August 27, 2015 | 1 Comment on देश की परतन्त्रता में मूर्तिपूजा की भूमिका ‘देश की परतन्त्रता में मूर्तिपूजा की भूमिका पर महर्षि दयानन्द का सन् 1874 में दिया एक हृदयग्राही ऐतिहासिक उपदेश’ हमने विगत तीन लेखों में महर्षि दयानन्द के सन् 1874 में लिखित आदिम सत्यार्थ प्रकाश से हमारे देश आर्यावर्त्त में महाभारत काल के बाद अज्ञान व अन्धविश्वासों में वृद्धि, मूर्तिपूजा के प्रचलन, मन्दिरों के विध्वंश व […] Read more » देश की परतन्त्रता में मूर्तिपूजा की भूमिका
धर्म-अध्यात्म मूर्तिपूजा के इतिहास पर महर्षि दयानन्द का उपदेश August 24, 2015 / August 24, 2015 | Leave a Comment महर्षि दयानन्द के इतिहास विषयक एक उपदेश जिसमें उन्होंने महाभारत काल व उसके बाद देश में धर्म व अध्ययन अध्यापन पर प्रकाश डाला है, को हमनें अपने पूर्व लेख में प्रस्तुत किया था। उसी क्रम में उसके बाद देश में वेदाध्ययन को छोड़कर मूर्तिपूजा के प्रचलन विषयक घटी घटनाओं के इतिहास पर उनके उपदेश […] Read more »
धर्म-अध्यात्म महर्षि दयानन्द का भारत के यथार्थ इतिहास पर महत्वपूर्ण उपदेश August 22, 2015 / August 22, 2015 | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य महर्षि दयानन्द (1825-1883) का सारा जीवन ईश्वर की खोज, मृत्यु पर विजय, योग, अध्ययन-अध्यापन, उपदेश, वेद-धर्म प्रचार, शास्त्रार्थ, समाज सुधार व अनुमानतः सन् 1857 के देश की आजादी के लिए संग्राम में गुप्त रूप से कार्य करने में व्यतीत हुआ था। महर्षि दयानन्द बाल ब्रह्मचारी थे। वह जन्म से ही […] Read more »
धर्म-अध्यात्म मैं और मेरा धर्म August 21, 2015 | 2 Comments on मैं और मेरा धर्म मैं कौन हूं और मेरा धर्म क्या है? इस विषय पर विचार करने पर ज्ञात होता है कि मैं एक मुनष्य हूं और मनुष्यता ही मेरा धर्म है। मनुष्य और मनुष्यता पर विचार करें तो हम, मैं कौन हूं व मेरे धर्म मनुष्यता का परिचय जान सकते हैं। इसी पर आगे विचार करते हैं। […] Read more »
धर्म-अध्यात्म मैं और मेरा आचार्य दयानन्द August 20, 2015 | Leave a Comment देश व संसार में अनेक मत-मतान्तर हैं फिर हमें उनमें से ही किसी एक मत को चुन कर उसका अनुयायी बन जाना चाहिये था। यह वाक्य कहने व सुनने में तो अच्छा लगता है परन्तु यह एक प्रकार से सार्थक न होकर निरर्थक है। हमें व प्रत्येक मनुष्य को यह ज्ञान मिलना आवश्यक […] Read more » मेरा आचार्य दयानन्द