धर्म-अध्यात्म त्रिकालदर्शी हमारा प्राण प्रिय ईश्वर August 1, 2015 | 2 Comments on त्रिकालदर्शी हमारा प्राण प्रिय ईश्वर हम अल्पज्ञ जीवात्मा हैं इस कारण हमारा ज्ञान अल्प होता है। ईश्वर जिसने इस सृष्टि को बनाया व इसका संचालन कर रहा है, वह हमारी तरह अल्पज्ञ नहीं अपितु सर्वज्ञ है। सर्वज्ञ का अर्थ होता है कि जिसे सब प्रकार का पूर्ण ज्ञान हो। जो अतीत के बारे में भी जानता हो, वर्तमान के बारे […] Read more »
विविधा शख्सियत पं. लेखराम एवं वीर सावरकर के जीवन विषयक सत्य घटनाओं का प्रकाश July 31, 2015 / July 31, 2015 | Leave a Comment मनुष्य अल्पज्ञ है इसलिये उससे अज्ञानता व अनजाने में यदा-कदा भूल व त्रुटियां होती रहती है। इतिहास में भी बहुत कुछ जो लिखा होता है, उसके लेखक सर्वज्ञ न होने से उनसे भी न चाहकर भी कुछ त्रुटियां हो ही जाती हैं। अतः इतिहास विषयक घटनाओं की भी विवेचना व छानबीन होती रहनी […] Read more » लेखराम वीर सावरकर
धर्म-अध्यात्म मैं ब्रह्म नहीं अपितु एक जीवात्मा हूं July 29, 2015 | 4 Comments on मैं ब्रह्म नहीं अपितु एक जीवात्मा हूं मैं कौन हूं? यह प्रश्न कभी न कभी हम सबके जीवन में उत्पन्न होता है। कुछ उत्तर न सूझने के कारण व अन्य विषयों में मन के व्यस्त हो जाने के कारण हम इसकी उपेक्षा कर विस्मृत कर देते हैं। हमें विद्यालयों में जो कुछ पढ़ाया जाता है, उसमें भी यह विषय व इससे […] Read more » जीवात्मा हूं मैं ब्रह्म नहीं
धर्म-अध्यात्म समाज महर्षि दयानन्द का वर्णव्यवस्था पर ऐतिहासिक उपेदश July 29, 2015 | 2 Comments on महर्षि दयानन्द का वर्णव्यवस्था पर ऐतिहासिक उपेदश आज से लगभग 140 वर्ष पूर्व हमारा समाज अज्ञान व अन्धकार से आवृत्त तथा रूढि़वादी परम्पराओं में जकड़ा हुआ था। सामाजिक विषमता अपने जटिलतम रूप में व्याप्त थी। ऐसे समय में महर्षि दयानन्द ने वेद एवं वैदिक साहित्य से समाज सुधार के क्रान्तिकारी विचारों व मान्यताओं को प्रस्तुत किया था। यह भी तथ्य है कि […] Read more » महर्षि दयानन्द वर्णव्यवस्था
धर्म-अध्यात्म योगेश्वर श्री कृष्ण, गीता एवं वेद July 27, 2015 | 2 Comments on योगेश्वर श्री कृष्ण, गीता एवं वेद श्री कृष्ण योगेश्वर थे, महात्मा थे, महावीर, धर्मात्मा व सुदर्शनचक्रधारी थे। वह वेदभक्त, ईश्वरभक्त, देशभक्त, ऋषियो व योगियों के अनुगामी थे। पूज्यों की पूजा व अपूज्यों की अवहेलना व उपेक्षा के साथ उनको दण्डित करते थे। अन्यायकारियों के लिए वह साक्षात काल थे। उन्होंने अपना सारा जीवन वेद धर्म का पालन करके व्यतीत किया। […] Read more » गीता एवं वेद योगेश्वर श्री कृष्ण
प्रवक्ता न्यूज़ ‘अपने बच्चों में अच्छे संस्कार डाल कर संस्कारित करें : डा. सोमदेव शास्त्री’ July 25, 2015 | Leave a Comment देहरादून स्थित श्रीमद्दयानन्द ज्योतिर्मठ आर्ष गुरुकुल, पौंधा के सोलहवें वार्षिकोत्सव के अवसर अन्य अनेक आयोजनों सहित एक ‘‘संस्कार सम्मेलन” का भी आयोजन किया जिसके अनेक विद्वान वक्ताओं में प्रथम वक्ता थे आर्य जगत के वेदों के प्रसिद्ध विद्वान डा. सोमदेव शास्त्री, मुम्बई। अपने सम्बोधन में उन्होंने कहा कि आयुर्वेद के अनुसार किसी पदार्थ के अवगुणों […] Read more »
धर्म-अध्यात्म जीवात्मा और इसका पुर्नजन्म July 25, 2015 | 2 Comments on जीवात्मा और इसका पुर्नजन्म हम इस विस्तृत संसार के एक सदस्य है। चेतन प्राणी है। हमारा एक शरीर है जिसमें पांच ज्ञानेन्द्रियां, पांच कर्मेन्द्रियां, मन, बुद्धि, चित्त एवं अहंकार आदि अवयव हैं। शरीर से हम सुख व दुख का भोग करते हैं। हम चाहते हैं कि हमें कभी कोई दुख न हो परन्तु यदा-कदा जाने-अनजाने सुख व दुःख […] Read more » जीवात्मा पुर्नजन्म
धर्म-अध्यात्म वैज्ञानिक कृत्य अग्निहोत्र-होम से आरोग्यता सहित अनेक लाभ July 23, 2015 | Leave a Comment हमने अद्यावधि जो अध्ययन किया है उसके आधार हमें लगता है कि भारत की संसार को सबसे प्रमुख देन वेदों का ज्ञान है। यदि वेदों का ज्ञान न होता तो वैदिक धर्म व संस्कृति अस्तित्व में न आती और तब सारा संसार अज्ञान व अन्धकार से ग्रसित व रूग्ण होता। आज भी अधिकांशतः यही स्थिति […] Read more » अग्निहोत्र-होम
धर्म-अध्यात्म संसार को किसने धारण किया है? July 22, 2015 | Leave a Comment सभी आंखों वाले प्राणी सूर्य, चन्द्र व पृथिवी से युक्त नाना रंगों वाले संसार को देखते हैं परन्तु उन्हें यह पता नहीं चलता कि यह संसार किसने व क्यों बनाया और कौन इसका धारण व पालन कर रहा है? जिस प्रकार प्राणियों के शरीर का धारण उसमें निहित जीवात्मा के द्वारा होता है, इसी प्रकार […] Read more » ‘संसार को किसने धारण किया है
धर्म-अध्यात्म गायत्री मन्त्र व उसका प्रामाणिक ऋषिकृत अर्थ July 21, 2015 | Leave a Comment बुद्धि को शुद्ध कर ईश्वरीय प्रेरणा प्रदान कराने वाला गायत्री मन्त्र व उसका प्रामाणिक ऋषिकृत अर्थ गायत्री मन्त्र आध्यात्मिक एवं सामाजिक जीवन में एक श्रेष्ठ वेदमन्त्र के रूप में विश्व में जाना जाता है। इसमें दी गई शिक्षा के मनुष्यमात्र के लिए कल्याणकारी होने के प्रति कोई भी मतावलम्बी अपने आप को पृथक नहीं कर […] Read more »
विविधा हिंद स्वराज भारतीय इतिहास की कुछ महत्वपूर्ण विस्मृत घटनाओं का प्रामाणिक उपदेश July 19, 2015 | Leave a Comment प्राचीनकालीन परम्परा के अनुसार किसी व्यक्ति को ऋषि का पद तब ही प्राप्त होता था जो पूर्ण वेदज्ञानी, शास्त्रवेत्ता होने के साथ सत्य वक्ता, स्वार्थशून्य, निष्पक्ष, न्यायप्रिय व सिद्ध योगी होता था। आज इस श्रेणी के ही एक ऋषि द्वारा दिये गये भारत के इतिहास विषयक एक उपदेश का श्रवण व अध्ययन करते हैं। इसके […] Read more »
धर्म-अध्यात्म ‘हम सद्ग्रन्थों का स्वाध्याय कर धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष को सिद्ध करें।’ July 19, 2015 | Leave a Comment मनुष्य एक विचारशील या बुद्धिमान प्राणी है। मनुष्य का बुद्धि तत्व अन्य सभी प्राणियों से विशिष्ट होने के कारण मनुष्य की स्थिति सभी प्राणियों से श्रेष्ठ व उत्तम है। अन्य प्राणियों की तरह से मनुष्य भी अन्न, फल व दुग्धादि पदार्थों का भोजन करता है, ऐसा अनेक प्राणी भी करते हैं परन्तु वह सब […] Read more » मोक्ष को सिद्ध करें सद्ग्रन्थों का स्वाध्याय