कला-संस्कृति विश्व में भारत की पहचान – संस्कृत एवं हिन्दी June 16, 2015 / June 16, 2015 | 1 Comment on विश्व में भारत की पहचान – संस्कृत एवं हिन्दी –मनमोहन कुमार आर्य- हमारे देश की वास्तविक पहचान क्या है? विचार करने का हमें इसका एक यह उत्तर मिलता है कि संसार की प्राचीनतम भाषा संस्कृत व आधुनिक भारत की सबसे अधिक बोली व समझी जाने वाली भाषा आर्यभाषा-हिन्दी है। हिन्दी को एक प्रकार से संस्कृत की पुत्री कह सकते हैं। इसका कारण हिन्दी में […] Read more » Featured भारत विश्व संस्कृत हिन्दी
जन-जागरण विविधा गो माता सम्पूर्ण विश्व की माता है June 15, 2015 / June 15, 2015 | Leave a Comment सभी पशुओं में गाय ऐसा प्राणी है जिसका भारत ही नहीं संसार के सभी लोग दुग्धपान हैं। भारत की धर्म व संस्कृति उतनी ही पुरानी है जितनी की यह सृष्टि। सृष्टि बनने के बाद परमात्मा ने प्रथम भारत में ही आदि सृष्टि की थी। उस समय भारत या आर्यावर्त्त पूरे भूगोल में संसार का पहला […] Read more » Featured गो माता विश्व की माता
धर्म-अध्यात्म वेदों के नासदीय-सूक्त में सिद्धान्त रूप में सृष्टि की प्रलय व उत्पत्ति का वर्णन है June 13, 2015 / June 13, 2015 | 1 Comment on वेदों के नासदीय-सूक्त में सिद्धान्त रूप में सृष्टि की प्रलय व उत्पत्ति का वर्णन है –मनमोहन कुमार आर्य- ऋग्वेद के मण्डल 10 सूक्त 129 को नासदीय–सूक्त कहते हैं। इस सूक्त में सृष्टि की उत्पत्ति होने से पूर्व आकाश की अन्धकाररूप स्थिति का वर्णन है। परमात्मा के सम्मुख सृष्टि का उपादान कारण द्रव्यभाव से वर्तमान था, आत्माएं भी साधारण और मुक्त अवस्था की बहुत थीं आदि ऐसे अनेक विषयों का वर्णन […] Read more » Featured उत्पत्ति नासदीय-सूक्त प्रलय वेद सृष्टि
धर्म-अध्यात्म वेदों का पुरूष-सूक्त और मन्त्रों में विहित रहस्यात्मक सत्य ज्ञान June 10, 2015 | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य– ऋग्वेद के दशवें मण्डल का नव्वेवां सूक्त पुरूष-सूक्त के नाम से विख्यात है। इस सूक्त की मन्त्र संख्या 16 है। यह सभी मन्त्र यजुर्वेद के 31 वें अध्याय में भी आये हैं। ऋग्वेद के 16 मन्त्रों के अलावा यजुर्वेद में 6 मन्त्र अधिक हैं। इन 6 मन्त्रों को उत्तर-नारायण-अनुवाक की संज्ञा दी […] Read more » Featured पुरूष-सूक्त मंत्र वेद वेदों का पुरूष-सूक्त और मन्त्रों में विहित रहस्यात्मक सत्य ज्ञान सत्य ज्ञान
धर्म-अध्यात्म महर्षि दयानन्द और उनके सत्य व सर्वहितकारी मन्तव्य June 3, 2015 / June 3, 2015 | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य- महर्षि दयानन्द संसार में सम्भवतः ऐसे पहले धार्मिक महापुरूष हुए हैं जिन्होंने ईश्वरीय ज्ञान वेदों का प्रचार करने के साथ अपने मन्तव्यों तथा अमन्तव्यों का भी सार्वजनिक रूप से पुस्तक लिखकर प्रचार किया है। धार्मिक महापुरूष प्रायः अपनी मान्यताओं के विस्तृत व्याख्यात्मक ग्रन्थ लिख दिया करते हैं। उन्हीं ग्रन्थों को उनके शिष्य […] Read more » Featured मन्तव्य महर्षि दयानन्द महर्षि दयानन्द और उनके सत्य व सर्वहितकारी मन्तव्य सत्य
धर्म-अध्यात्म मेरे स्वप्नों का गुरूकुल June 2, 2015 | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य- महर्षि दयानन्द ने जिस शिक्षा पद्धति का समर्थन किया है वह गुरूकुल शिक्षा पद्धति है। महर्षि दयानन्द सुसंस्कारों व ज्ञान-विज्ञान से युक्त आधुनिक शिक्षा के भी समर्थक थे परन्तु इसके साथ ही वह वेद व वैदिक साहित्य के ज्ञान को सारे विश्व के लिए अपरिहार्य मानते थे। वेद और वैदिक ज्ञान […] Read more » Featured महर्षि दयानंद सरस्वती मेरे स्वप्नों का गुरूकुल
धर्म-अध्यात्म ब्रह्मचर्य विद्या, स्वस्थ जीवन व दीर्घायु का आधार June 2, 2015 / June 2, 2015 | 1 Comment on ब्रह्मचर्य विद्या, स्वस्थ जीवन व दीर्घायु का आधार –मनमोहन कुमार आर्य- संसार में धर्म व संस्कृति का आरम्भ वेद एवं वेद की शिक्षाओं से हुआ है। लगभग 2 अरब वर्ष पहले (गणनात्मक अवधि 1,96,08,53,115 वर्ष) सृष्टि की रचना व उत्पत्ति होने के बाद स्रष्टा ईश्वर ने अमैथुनी सृष्टि में चार ऋषियों को वेदों का ज्ञान दिया था। इस वैदिक ज्ञान से ही वैदिक […] Read more » Featured दीर्घायु का आधार ब्रह्मचर्य विद्या स्वस्थ जीवन
धर्म-अध्यात्म मनुष्य समाज के लिए हानिकारक फलित ज्योतिष और महर्षि दयानन्द May 31, 2015 | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य- सृष्टि का आधार कर्म है। ईश्वर, जीवात्मा एवं प्रकृति तीन अनादि, नित्य और अविनाशी सत्तायें हैं। सृष्टि प्रवाह से अनादि है परन्तु ईश्वर के नियमों के अनुसार इसकी उत्पत्ति-स्थिति-प्रलय-उत्पत्ति का चक्र चलता रहता है। जीवात्माओं को कर्मानुसार ईश्वर से जन्म मिलता है जिसमें वह पूर्व जन्मों के कर्मों का फल भोगते हैं […] Read more » Featured ज्योतिष मनुष्य महर्षि दयानन्द समाज
धर्म-अध्यात्म मूर्तिपूजा, तीर्थ व नामस्मरण का सच्चा स्वरूप और स्वामी दयानन्द May 30, 2015 | 3 Comments on मूर्तिपूजा, तीर्थ व नामस्मरण का सच्चा स्वरूप और स्वामी दयानन्द –मनमोहन कुमार आर्य- महर्षि दयानन्द न केवल वेदों एवं वैदिक साहित्य के विद्वान थे अपितु उन्हें पुराणों सहित सभी अवैदिक धार्मिक ग्रन्थों व पुस्तकों का भी तलस्पर्शी ज्ञान था। अपने इस व्यापक ज्ञान के कारण ही उन्होंने जहां वेदों का भाष्य किया और सत्यार्थ प्रकाश, ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका सहित संस्कार विधि आदि अनेक महत्वपूर्ण ग्रन्थों का प्रणयन […] Read more » Featured तीर्थ नामस्मरण का सच्चा स्वरूप मूर्तिपूजा स्वामी दयानन्द
धर्म-अध्यात्म उपनिषदों में प्राप्त जीवात्मा की मुक्ति विषयक कुछ सूक्तियां May 28, 2015 / May 28, 2015 | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य- संसार से सबसे प्राचीन ग्रन्थ वेद हैं। वेद सभी सत्य विद्याओं की पुस्तकें हैं। वेदों में तृण से लेकर ईश्वर सहित सभी विषयों का सत्य ज्ञान व विज्ञान निहित है। यह वेदेां का ज्ञान इस संसार के सृष्टिकत्र्ता ईश्वर से आदि चार ऋषियों को मिला था। वेदों के आधार पर ही प्राचीन […] Read more » Featured उपनिषद उपनिषदों में प्राप्त जीवात्मा की मुक्ति विषयक कुछ सूक्तियां
धर्म-अध्यात्म जीवात्मा के मोक्ष विषयक महर्षि दयानन्द के शास्त्र सम्मत विचार May 28, 2015 / May 28, 2015 | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य- मनुष्य जीवन का उद्देश्य सत्कर्म करके धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष की प्राप्ति है। इस पुरूषार्थ चतुष्टय में मोक्ष का विवरण वेद, दर्शन व उपनिषदों आदि प्राचीन ग्रन्थों में मिलता है। महर्षि दयानन्द जी ने अपने विश्व प्रसिद्ध ग्रन्थ सत्यार्थ प्रकाश में इसका विस्तार से वर्णन किया है जो कि अन्यत्र दुर्लभ […] Read more » fearured जीवात्मा जीवात्मा के मोक्ष विषयक महर्षि दयानन्द के शास्त्र सम्मत विचार महर्षि दयानन्द मोक्ष
धर्म-अध्यात्म ईश्वर से आदि चार ऋषियों को वेद ज्ञान विषयक हमारी भ्रान्ति May 19, 2015 | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य- कुछ दिन पूर्व हम वैदिक साधन आश्रम तपोवन, देहरादून में सत्संग में बैठे हुए आर्य विद्वान श्री उमेश चन्द्र कुलश्रेष्ठ जी का ईश्वर द्वारा चार आदि ऋ़षियों को वेद ज्ञान प्रदान करने का वर्णन सुन रहे थे। इसी बीच हमारे मन में अचानक एक विचार आया। हम सुनते व पढ़ते आयें हैं […] Read more » Featured ईश्वर से आदि चार ऋषियों को वेद ज्ञान विषयक हमारी भ्रान्ति वेद वेद ज्ञान