शख्सियत समाज सभी देशवासियों के सम्मानीय महात्मा ज्योतिबा फूले April 28, 2017 | Leave a Comment समाज सुधार के क्षेत्र में भी आपका महत्वपूर्ण योगदान है। आपने विधवा विवाह की वकालत की थी और धार्मिक अन्धविश्वासों का विरोध किया था। महात्मा ज्योतिबा फूले ने 24 सितम्बर, 1872 को ‘सत्य शोधक समाज’ की स्थापना की थी। हमें यह नाम बहुत प्रभावित करता है। ऐसा प्रतीत होता है कि महात्मा फूले इसके द्वारा समाज का शोधन कर देश को सत्य मान्यताओं और सिद्धान्तों पर आरूढ़ करना चाहते थे। इस समाज को स्थापित करने का महात्मा जी का मूल उद्देश्य दलितों पर अत्याचारों का उन्मूलन करना था। आपने विधवाओं व महिलाओं का शोषण दूर कर समानता का अधिकार उन्हें दिलाया। आपने किसानों व श्रमिकों की हालात सुधारने के अनेक प्रयास किये। आप अपने समस्त कार्यों से महाराष्ट्र में प्रसिद्ध हो गये और समाज सुधारकों में आपकी गणना की जाने लगी। आपने अनेक पुस्तकों का प्रणयन किया। आपकी कुछ पुस्तकें हैं- तृतीय रत्न, छत्रपति शिवाजी, ब्राह्मणों का चातुर्य, किसान का कोड़ा, अछूतों की कैफीयत, गुलाम-गिरी, संसार, सार्वजनिक सत्यधर्म आदि। आप निःसन्तान रहे। आपने एक विधवा के बच्चे यशवन्त को गोद लिया था। यह बालक बाद में डाक्टर बना। इसने महात्मा फूले के कार्यों को विस्तार दिया। जुलाई, 1888 में महात्मा फुले जी को पक्षाघात हो गया था। आपने 18 नवम्बर, 1890 को अपने कुछ मित्रों को वार्तालाप के लिये बुलाया था। उनसे वार्तालाप किया। दाके कुछ देर बाद आपकी मृत्यु हो गई थी। Read more » महात्मा ज्योतिबा फूले
धर्म-अध्यात्म सर्वोपरि महान ग्रन्थ सत्यार्थप्रकाश April 26, 2017 | Leave a Comment विद्या अविद्या सहित मनुष्यों के यथार्थ धर्म का प्रकाशक सर्वोपरि महान ग्रन्थ सत्यार्थप्रकाश मनमोहन कुमार आर्य चार वेद ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद सृष्टि की आदि में उत्पन्न ईश्वर प्रदत्त ज्ञान है जो ईश्वर ने चार ऋषियों अग्नि, वायु, आदित्य व अंगिरा की आत्माओं में प्रेरणा द्वारा प्रकट वा स्थापित किया था। इन चार ऋषियों ने […] Read more » सर्वोपरि महान ग्रन्थ सत्यार्थप्रकाश
धर्म-अध्यात्म शख्सियत वेदभाष्यकार एवं वैदिक विद्वान पं. हरिश्चन्द्र विद्यालंकार का संक्षिप्त परिचय April 24, 2017 | Leave a Comment पं. हरिश्चन्द्र विद्यालंकार जी के जिन ग्रन्थों का उल्लेख उपर्युक्त सूची में है, आज उनमें से कोई एक ग्रन्थ भी कहीं से उपलब्ध नहीं होता। आर्यसमाज की सभाओं को लेखक के ग्रन्थों के संरक्षण की ओर ध्यान देना चाहिये। यदि इन सबकी पीडीएफ बनाकर किसी साइट पर डाल दी जाये तो पाठकों को सुविधा होने के साथ ग्रन्थों का संरक्षण स्वतः ही हो जायेगा। आशा है कि हमारे नेतागण इस पर ध्यान देंगे। Read more » पं. हरिश्चन्द्र विद्यालंकार
धर्म-अध्यात्म हमारी रक्षा के लिए उसका धन्यवाद करना हम सबका परम कर्तव्य April 24, 2017 | Leave a Comment प्रतिदिन प्रातः एवं सायं ईश्वर का सम्यक् ध्यान वा सन्ध्या करना सभी मनुष्यों का परम कर्तव्य है। जो नहीं करता वह अपराध करता है। ऋषियों का विधान है कि सन्ध्या न करने वाले के सभी अधिकार छीन लेने चाहिये और उसे श्रमिक कोटि का मनुष्य बना देना चाहिये। सन्ध्या पर अनेक विद्वानों ने टीकायें लिखी हैं। पं. विश्वनाथ वेदोपाध्याय, पं. गंगाप्रसाद उपाध्याय, पं. चमूपति, स्वामी आत्मानन्द सरस्वती जी आदि की टिकायें उपलब्ध हो जाती हैं। अभ्युदय व निःश्रेयस की प्राप्ति के इच्छुक सभी मनुष्यों को प्रतिदिन दोनों समय सन्ध्या अवश्य करनी चाहिये Read more » ईश्वर
धर्म-अध्यात्म यज्ञ व संस्कार कराने वाले पुरोहित तथा उसकी दक्षिणा April 20, 2017 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य पुरोहित उस व्यक्ति को कहते हैं जो देश व समाज के प्रत्येक व्यक्ति के हित की भावना से कार्य करता हे। इसके लिए पुरोहित को अपने उद्देश्य का पता होना चाहिये और उसके साधनों का ज्ञान भी होना चाहिये। वह विद्वान एवं पुरुषार्थी होना चाहिये और चारित्रिक बल का धनी हो। विद्वान […] Read more » यज्ञ
धर्म-अध्यात्म वेद स्वतः प्रमाण धर्म ग्रन्थ और अन्य सभी ग्रन्थ वेदानुकूल होने पर ही परतः प्रमाण April 20, 2017 / April 28, 2017 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य मनुष्य का जन्म वाद-विवाद के लिए नहीं अपितु सत्य व असत्य का निर्णय कर सत्य का ग्रहण व उसका पालन करने क लिए हुआ है। सत्य का निर्णय करने का साधन व कसौटी क्या है? इसका उत्तर धर्म व सत्य की जिज्ञासा होने पर ईश्वरीय ज्ञान चार वेद की मन्त्र संहिताओं के […] Read more » प्राचीन भाषा वेद वेद वेद अर्वाचीन ग्रन्थों में सबसे उन्नत वेद का ज्ञान
शख्सियत समाज डा. अम्बेदकर को पूर्व जन्म के महान् संस्कारों ने उच्च स्थान प्राप्त कराया April 18, 2017 | 1 Comment on डा. अम्बेदकर को पूर्व जन्म के महान् संस्कारों ने उच्च स्थान प्राप्त कराया मनमोहन कुमार आर्य डा. अम्बेदकर जी के जन्म दिवस 14 अप्रैल को 4 दिन व्यतीत हो चुके हैं। उस दिन हम उन पर कुछ लिखना चाहते थे परन्तु लिख नहीं सके। हमारा मानना है कि किसी महापुरुष के जीवन पर चिन्तन करना केवल जन्म दिन व पुण्य तिथि पर ही उचित नहीं होता अपितु […] Read more » डा. अम्बेदकर
धर्म-अध्यात्म प्रमुख वैश्विक संस्था आर्यसमाज की स्थापना का मुख्य उद्देश्य व इसके उपयोगी राष्ट्रहितकारी कार्य April 18, 2017 | Leave a Comment आर्यसमाज की स्थापना वेद प्रचार अर्थात् सत्य ज्ञान के प्रचार के लिए की गई थी जिससे देश व संसार के सभी मानवों का कल्याण हो। ऋषि दयानन्द ने आर्यसमाज के दस नियम सूत्र बद्ध किये हैं। इनका उल्लेख कर देना उचित प्रतीत होता है। पहला नियम है ‘सब सत्य विद्या और जो पदार्थ विद्या से जाने जाते हैं उनका आदि मूल परिमेश्वर है।’ दूसरा नियम: ईश्वर सच्चिदानन्दस्वरूप, निराकार, सर्वशक्तिमान, न्यायकारी, दयालु, अजन्मा, अनन्त, निर्विकार, अनादि, अनुपम, सर्वाधार, सर्वेश्वर, सर्वव्यापक, सर्वान्तर्यामी, अजर, अमर, अभय, नित्य, पवित्र और सृष्टिकत्र्ता है। Read more » आर्यसमाज की स्थापना का मुख्य उद्देश्य
धर्म-अध्यात्म मर्यादा पुरुषोत्तम राम का जीवन एवं चरित्र April 5, 2017 / April 5, 2017 | Leave a Comment श्री रामचन्द्र जी का जीवन आदर्श जीवन था। आर्य विद्वान पं. भवानी प्रसाद जी ने उनके विषय में लिखा है कि ‘इस समय भारत के श्रृंखलाबद्ध इतिहास की अप्राप्यता में यदि भारतीय अपना मस्तक समुन्नत जातियों के समक्ष ऊंचा उठा कर चल सकते हैं, तो महात्मा राम के आदर्श चरित की विद्यमानता है। यदि प्राचीनतम ऐतिहासिक जाति होने का गौरव उनको प्राप्त है तो सूर्य कुल-कमल-दिवाकर राम की अनुकरणीय पावनी जीवनी की प्रस्तुति से। Read more » मर्यादा पुरुषोत्तम राम
धर्म-अध्यात्म ‘सच्चे देश भक्तों के आदर्श जीवित शहीद वीर विनायक दामोदर सावरकर’ April 5, 2017 | Leave a Comment ओ३म् मनमोहन कुमार आर्य भारत की गुलामी का कारण देश व मनुष्य समाज का वेदपथ से पददलित होना और अज्ञानता व अन्धविश्वासों के कूप में गिरना था। महाभारत के युद्ध के अनेक भयकर परिणामों में से एक दुष्परिणाम यह था कि देश वेद पथ व वैदिक धर्म से दूर हो गया जिसका परिणाम धार्मिक व […] Read more » आदर्श जीवित शहीद देशभक्त वीर सावरकर वीर विनायक दामोदर सावरकर’ सावरकर
धर्म-अध्यात्म सृष्टि एवं विक्रमी नव संवत्सर हमारे इतिहास का एक गौरवपूर्ण दिन March 29, 2017 | Leave a Comment हम संसार में यह भी देखते हैं कि संसार में जितने भी मत, सम्प्रदाय, वैदिक संस्कृति से इतर संस्कृतियां व सभ्यतायें हैं, वह सभी विगत 3-4 हजार वर्षों में ही अस्तित्व में आईं हैं जबकि सत्य वैदिक धर्म व संस्कृति एवं वैदिक सभ्यता विगत 1.96 अरब वर्षों से संसार में प्रचलित है। वैदिक धर्म ही सभी मनुष्यों का यथार्थ धर्म है, ज्ञान व विवेक पर आधारित, पूर्ण वैज्ञानिक, युक्ति एवं तर्क सिद्ध है। वेद के ईश्वरीय ज्ञान होने के कारण वैदिक सिद्धान्तों की पोषक अन्य मतों की मान्यतायें ही स्वीकार्य होती है, विपरीत मान्यतायें नहीं। Read more » विक्रमी नव संवत्सर
प्रवक्ता न्यूज़ वैदिक साधन आश्रम तपोवन में चतुर्वेद पारायण यज्ञ के समापन पर यज्ञ के ब्रह्मा आचार्य गौतम जी और स्वामी चित्तेश्वरानन्द सरस्वती के आध्यात्मिक उपदेश’ March 17, 2017 | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून। वैदिक साधन आश्रम, तपोवन देहरादून का आर्य संस्कृति के प्रचार व प्रसार का पुराना आध्यात्मिक केन्द्र है। समय समय पर यहां पर वृहद यज्ञों सहित अनेक शिविरों, शरदुत्सव एवं ग्रीष्मोत्सव का आयोजन किया जाता है। इसी श्रृंखला मे यहां 1 फरवरी से 12 मार्च, 2017 तक चतुर्वेद ब्रह्मपारायण यज्ञ एवं योग-ध्यान-स्वाध्याय […] Read more »