डा रवि प्रभात

डा रवि प्रभात

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लेखक एक कालेज में संस्कृत के प्राध्यापक हैं।समसामयिक विषयो को राष्ट्रीय महत्त्व की दृष्टि से परखने और विश्लेषण करने में लेखक की विशिष्ट अभिरुचि है।

लेखक - डा रवि प्रभात - के पोस्ट :

समाज

शहरी नक्सलियो को बेनकाब करने की जरूरत

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नक्सली अपने प्रभाव क्षेत्र में क्रूरतापूर्वक युवतियों का यौनशोषण कर रहे हैं,उन्हें मनमर्जी से उठाकर ले जाते हैं,उन महिलाओं का सामूहिक बलात्कार तक किया जाता है बड़े नक्सली कमांडरों द्वारा,यहां तक कि समय समय पर गर्भपात और जबर्दस्ती नसबंदी जैसे अमानुषी कुकृत्यों को भी अंजाम देने में नक्सली कतई नही हिचकते। नक्सली तमाम ठेकेदारों,आम जनता तथा उद्योगपतियों से अवैध धन उगाही में लिप्त हैं,जो इनका मुख्य धंधा है।जो निर्दोष आदिवासी इनक़े पाशविक कारनामो का विरोध करते हैं उन्हें सरेआम पत्थरो से कुचलकर मार दिया जाता है।अनेक बच्चो को अपहृत कर लिया जाता है, जो आदिवासी मांसाहार न करना चाहे उसे बलपूर्वक गाय तथा मनुष्य तक का मांस खिलाने का पैशाचिक कारनामा ये लोग करते सुनाई देते हैं।

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राजनीति

2019 में और प्रखर हो सकती है मोदी सुनामी

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मोदी सरकार सामाजिक सुरक्षा के साथ साथ राजनीतिक निर्णय लेने में भी किसी तरह की हिचकिचाहट नहीं दिखा रही है।फिलहाल एक निर्णय जिसने भारत नहीं पूरे विश्व का ध्यान विभिन्न कारणों से अपनी ओर खींचा है , जिसे मोदी द्वारा लिए गए साहसिक निर्णय में से एक माना जा रहा है , वह है योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री , उत्तर प्रदेश बनाना । यद्यपि तमाम राजनीतिक पंडित इस बात से आशान्वित थे कि कोई भी मुख्यमंत्री होगा परंतु योगी के नाम पर तो विचार भी नहीं किया जाएगा। लेकिन मोदी और भाजपा के इस फैसले ने सभी को हैरान कर दिया। निश्चित रूप से मोदी ने यह निर्णय बहुत सोच समझकर और दूरदर्शिता के साथ लिया है ।जैसा कि पहले मैंने लिखा था कि अब भाजपा के पास विकास और हिंदुत्व को एक साथ लेकर चलने का स्वर्णिम अवसर है ,यह निर्णय उसी का प्रतिमान है। जिस तेजी से योगी ने इन दिनों में फैसले दिए हैं उससे यह बात सिद्ध भी हो रही है कि वह इस निर्णय पर बिल्कुल खरे उतरेंगे , जिसका असर देशव्यापी होगा और 2019 में सहायक भी ।

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राजनीति

सुशासन के कीर्तिमान गढ़ने का समय

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अब समय आ गया है जब भाजपा को प्रत्येक निर्वाचित जनप्रतिनिधि के लिए विशिष्ट आचार संहिता का प्रावधान करना चाहिए , जिसमें नैतिकता , सदाचार , इमानदारी, संवेदनशीलता और सहृदयता जैसे उच्च मानक हो जिनके पालन को सुनिश्चित कराया जाए । क्योंकि भले ही जनता ने मोदी जी और पार्टी की विचारधारा पर विश्वास करके भाजपा को वोट दिया हो परंतु रोजमर्रा की समस्याओं के लिए कार्यकर्ताओं जनता का साबका पार्षद , विधायको और सांसदों से ही पड़ता है ।अगर इन लोगों का आचरण विपरीत किस्म का होगा तो जनता का विश्वास टूटेगा और उसे दूसरे विकल्प की तरफ देखना पड़ेगा ।

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