कविता जिंदगी का सच February 16, 2022 / February 16, 2022 | Leave a Comment हम सबने मानव जीवन पायाकुछ अच्छा कर दिखलाने कोसब धर्म एक है ,एक ही शिक्षाफिर हम सब हैं इतने बेगाने क्योंजो दूसरों का है दुःख समझतेदुःख रहता उनके पास नहींऔरों को हंसाने वालेरहते कभी उदास नहींआचरण हमारा ही हम सबकोहर ऊँचाई तक पहुंचाता हैअगर यह दुराचरण बन जायेतो गर्त तक ले जाता हैकष्ट उठाने से […] Read more » जिंदगी का सच
कविता लहर लहर लहराए तिरंगा January 24, 2022 / January 24, 2022 | Leave a Comment यह तिरंगा तो ,हमारी आन बान हैयह दुनिया में रखता ,अजब शान हैयह राष्ट्र का ईमान है ,गर्व और सम्मान हैस्वतन्त्रता और अस्मिता की ,यह एक पहचान हैक्रान्तिकारियों की गर्जन हुंकार हैविभिन्नता में एकता की मिसाल हैएकता सम्प्रभुता का कराता ज्ञान हैधर्म है निरपेक्ष इसका ,जाति एक समान हैयह तिरंगा तो ,हमारी आन बान हैयह […] Read more » poem on tiranga लहर लहर लहराए तिरंगा
कविता देखो ,नया वर्ष आया है December 30, 2021 / December 30, 2021 | Leave a Comment आ रहा व्योम से मदभरा प्यारबह रही हर गली में सुधा धारकौमुदी का बिखरता मदिर गानहर किरन के अधर पर सरस तानप्रगति का नया दौर आया हैजीवन में खुशियां लाया हैदेखो नया वर्ष आया है ||जलाओ पौरुष अनल महानवेद गाता जिसका यश गानउठ रहा खुशियों का ज्वारकर रहा गर्जन बारम्बारलुटाने को तुम पर सर्वस्वधरती पर […] Read more » poem on new year
कविता जीवन December 24, 2021 / December 24, 2021 | Leave a Comment जीवन छेत्र है कर्म युद्ध कानयन के सैन को उच्चार देता हैजीवन सुगन्ध है पुष्प हजारों कीउम्र के आवेग को पहल देता हैजीवन भजन है ,जीवन है पूजाउठ रहे उच्छ्वास को तरह देता हैप्रतिपल सुनहरे स्वप्न बुनता है येकुलमुलाती कल्पना को छन्द देता हैचलता सतत न थकता रुकताअव्यक्त भावना को शब्द देता है।।इतफाकों का अजीब […] Read more » जीवन
कविता खुशहाली November 14, 2021 / November 14, 2021 | Leave a Comment अपने पन की बगिया है ,खुशहाली का द्वारजीवन भर की पूंजी है ,एक सुखी परिवारखुशहाली वह दीप है यारोंहर कोई जलाना चाहता हैखुशहाली वह रंग है यार्रोंहर कोई रमना चाहता हैखुशहाली वह दौर था यारों कागज़ की नावें होती थींमिट्टी के घरौंदे थे ,छप्पर की दुकानें होती थीकहीं सुनाई देती थी रामायणकहीं रोज अजानें होती […] Read more » happiness खुशहाली
कविता शायद ,अब तुमको मेरी जरुरत नहीं September 16, 2021 | Leave a Comment शायद ,अब तुमको मेरी जरुरत नहींक्या करीने से महफ़िल सजी आपकीफिर क्यों रहमत नहीं है अजी आपकीआँखों का है धोखा या धोखा मिट रहाखो गया है चैन ,सुकून मिलता नहींहुस्नवालों में होती है ,चाहत नहींफिर भी इनके बिना ,दिल को राहत नहींतू जानती है बिन तेरे ,दम घुटता मेराशायद अब तुमको मेरी जरुरत नहीं ||अश्क […] Read more » अब तुमको मेरी जरुरत नहीं
कविता आदमी July 25, 2021 / July 25, 2021 | Leave a Comment कहीं खो गया है आभासी दुनिया में आदमीझुंठलाने लगा है अपनी वास्तविकता को आदमीपरहित को भूलकर स्वहित में लगा है आदमीमीठा बोलकर ,पीठ पर वार करता है आदमीचलता जा रहा है सुबह शाम आदमीपता नहीं किस मंजिल पर पहुँच रहा है आदमीअपनी तरक्की की परवाह नहीं हैदूसरों की तरक्की से जल भुन रहा है आदमीमन […] Read more » आदमी
कविता जीवन July 5, 2021 / July 5, 2021 | Leave a Comment रोने से क्या हासिल होगाजीवन ढलती शाम नहीं हैदर्द उसी तन को डसता हैमन जिसका निष्काम नहीं है ।।यह मेरा है ,वह तेरा हैयह इसका है ,वह उसका हैतोड़ फोड़ ,बाँटा -बाँटी का ,गलत इरादा किसका हैकर ले अपनी पहचान सहीतू मानव है ,यह जान सहीदानवता को मुंह न लगामानवता का कर मान सहीतुम उठो […] Read more » life जीवन
कविता कोरोना त्रासदी : अपनों को खोने का गम May 12, 2021 / May 12, 2021 | Leave a Comment अंधेरे में डूबा है यादों का गुलशनकहीं टूट जाता है जैसे कोई दर्पणकई दर्द सीने में अब जग रहे हैंहमारे अपने ,हमसे बिछड़ रहे हैंन जाने ये कैसी हवा बह रही हैज़िन्दगी भी थोड़ी सहम सी गई हैहवाओं में आजकल ,कुछ तल्खियां हैंराहों में आजकल ,कुछ पाबंदियां लग गई हैं ||आंखों का है धोखा या […] Read more » Corona tragedy कोरोना त्रासदी
कविता माँ (हैपी मदर्स डे ) May 8, 2021 / May 12, 2021 | Leave a Comment माँ के जीवन की सब साँसेबच्चों के ही हित होती हैंचोट लगे जब बालक के तन कोआँखें तो माँ की रोती हैंख़ुशी में हमारी ,वो खुश हो जाती हैदुःख में हमारे ,वो आंसू बहाती हैनिभाएं न निभाएं हमअपना वो फ़र्ज़ निभाती हैऐसे ही नहीं वो ,करुणामयी कहलाती हैप्रेम के सागर में माँ ,अमृत रूपी गागर […] Read more » mothers day मदर्स डे
कविता कोरोना त्रासदी(अपनों को खोने का गम ) May 4, 2021 / May 4, 2021 | Leave a Comment अंधेरे में डूबा है यादों का गुलशनकहीं टूट जाता है जैसे कोई दर्पणकई दर्द सीने में अब जग रहे हैंहमारे अपने ,हमसे बिछड़ रहे हैंन जाने ये कैसी हवा बह रही हैज़िन्दगी भी थोड़ी सहम सी गई हैहवाओं में आजकल ,कुछ तल्खियां हैंराहों में आजकल ,कुछ पाबंदियां लग गई हैं ||आंखों का है धोखा या […] Read more » कोरोना त्रासदी
कविता कलियुग April 17, 2021 / April 17, 2021 | Leave a Comment सब खेल विधाता रचता हैस्वीकार नहीं मन करता हैबड़ों बड़ों का रक्षक कलियुगयहां लूट पाट सब चलता है ||जो जितना अधिक महकता हैउतना ही मसला जाता हैचाहे जितना भी ज्ञानी हो ,कंचन पाकर पगला जाता हैचोरी ही रोजगार है जहाँअच्छा बिन मेहनत के मिलता हैबड़ों बड़ों का रक्षक कलियुगयहां लूट पाट सब चलता है ||हर […] Read more » कलियुग