राजनीति अब वैश्विक स्तर पर भी भारत के विरुद्ध झूठा विमर्श गढ़ा जा रहा है August 14, 2023 / August 14, 2023 | Leave a Comment भारत ने जब से ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ की शुरुआत की है, वैश्विक स्तर पर कई देशों, विशेष रूप से चीन, को भारत का यह अभियान रास नहीं आ रहा है क्योंकि अब भारत कई क्षेत्रों में तेजी से आत्मनिर्भर बनता जा रहा है जबकि पूर्व में विभिन्न उत्पादों का आयात इन देशों से किया जाता […] Read more »
आर्थिकी राजनीति भारतीय रिजर्व बैंक ने नहीं बढ़ाई ब्याज दर August 11, 2023 / August 11, 2023 | Leave a Comment वैश्विक स्तर पर आर्थिक विकास की तुलना में मुद्रास्फीति को दी जा रही है प्राथमिकता आज विश्व के समस्त देश आर्थिक विकास के एजेंडा पर कम ध्यान देते हुए मुद्रा स्फीति को नियंत्रित करने के प्रयासों पर अधिक ध्यान दे रहे हैं। हालांकि मुद्रा स्फीति को नियंत्रित करने के लिए आपूर्ति के साधनों में सुधार करने […] Read more » Reserve Bank of India did not increase the interest rate
आर्थिकी राजनीति भारत कीआर्थिक प्रगति को कुछ देश प्रभावित करना चाहते हैं August 7, 2023 / August 7, 2023 | Leave a Comment भारतीय सनातन संस्कृति की अपनी कुछ विशेषताएं हैं, जिनके पालन से भारत आर्थिक क्षेत्र में चंहुमुखी विकास करता दिखाई दे रहा है। परंतु, कुछ देश भारत की आर्थिक प्रगति को प्रतिस्पर्धा के नजरिए से देखते हुए इसे पचा नहीं पा रहे हैं क्योंकि आज भारत की विकास दर इन देशों से कहीं आगे निकल गई है जबकि इन देशों की न केवल विकास दर […] Read more » Some countries want to influence India's economic progress
राजनीति भारत में झूठा विमर्श गढ़ने के हो रहे हैं प्रयास August 4, 2023 / August 4, 2023 | Leave a Comment भारत में विभिन्न क्षेत्रों में विकास से सम्बंधित हाल ही में जारी किया गए आंकड़ों को देखने के पश्चात ध्यान में आता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था अब पटरी पर तेजी से दौड़ने लगी है। परंतु, देश के मीडिया में भारत के आर्थिक क्षेत्र में लगातार बन रहे नित नए रिकार्ड का जिक्र कहीं भी नहीं […] Read more » Efforts are being made to create false discourse in India भारत में झूठा विमर्श गढ़ने के हो रहे हैं प्रयास
आर्थिकी राजनीति विदेशी संस्थागत निवेशकों का भारतीय स्टॉक (पूंजी) बाजार में बढ़ रहा है निवेश July 25, 2023 / July 25, 2023 | Leave a Comment किसी भी देश के लिए स्टॉक (पूंजी) बाजार में हो रहा उतार चढ़ाव उस देश की अर्थव्यवस्था में भविष्य में होने वाले परिवर्तनों को दर्शाता है। यदि स्टॉक बाजार में तेजी दिखाई देती है तो इसका आशय सामान्यतः यह लगाया जाता है कि उस देश की अर्थव्यवस्था में सुधार दृष्टिगोचर है। इसके विपरीत यदि स्टॉक […] Read more » Investment of foreign institutional investors is increasing in the Indian stock (capital) market
लेख वैश्विक बाजारी शक्तियां सनातन भारतीय संस्कृति को प्रभावित करने का प्रयास कर रही हैं July 17, 2023 / July 17, 2023 | Leave a Comment सनातन भारतीय संस्कारों के अनुसार भारत में कुटुंब को एक महत्वपूर्ण इकाई के रूप में स्वीकार किया गया है एवं भारत में संयुक्त परिवार इसकी परिणती के रूप में दिखाई देते है। परंतु, पश्चिमी आर्थिक दर्शन में संयुक्त परिवार लगभग नहीं के बराबर ही दिखाई देते हैं एवं विकसित देशों में सामान्यतः बच्चों के 18 […] Read more » Global market forces are trying to influence the eternal Indian culture
आर्थिकी लेख वस्तुओं की कीमतों का निर्धारण भारतीय आर्थिक दर्शन पर आधारित होना चाहिए July 6, 2023 / July 6, 2023 | Leave a Comment कीमतों पर नियंत्रण के लिए कृषि उत्पादों का संयमित उपयोग हो वर्तमान में पूरे विश्व में सामान्यतः वस्तुओं की कीमतों का निर्धारण पश्चिमी आर्थिक दर्शन पर आधारित वस्तुओं की मांग एवं आपूर्ति के सिद्धांत के अनुरूप होता है। यदि किसी वस्तु की बाजार में मांग अधिक है और आपूर्ति कम है तो उस वस्तु की उत्पादन लागत कितनी भी […] Read more »
आर्थिकी लेख भारत दूरसंचार प्रौद्योगिकी का निर्यातक बनने की ओर अग्रसर July 5, 2023 / July 5, 2023 | Leave a Comment भारत में डिजिटल क्रांति ने अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में बहुत प्रभावी भूमिका निभाई है। भारतीय अर्थव्यवस्था, आज डिजिटल क्रांति के बलबूते ही, विश्व में बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच, सबसे तेज गति से आगे बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बन गई है। डिजिटल क्रांति ने भारत में वित्तीय समावेशन को बहुत आसान बना दिया है एवं आज […] Read more »
आर्थिकी लेख प्रधान मंत्री मुद्रा योजना ने उत्पन्न किए हैं रोजगार के करोड़ों नए अवसर July 3, 2023 / July 3, 2023 | Leave a Comment प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाय) 8 अप्रेल 2015 को भारत में प्रारम्भ की गई भी। इस योजना का मुख्य उद्देश्य छोटे छोटे व्यवसायियों को बैंक से ऋण उपलब्ध कराना था ताकि इन व्यवसाईयों को अपना व्यापार प्रारम्भ करने में पूंजी की कमी महसूस न हो। यह योजना छोटे कारोबारियों के व्यवसाय को आगे बढ़ाने की दिशा […] Read more » Pradhan Mantri Mudra Yojana has generated crores of new employment opportunities
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म सनातन भारतीय संस्कृति में गुरु पूर्णिमा का है विशेष महत्व July 3, 2023 / July 3, 2023 | Leave a Comment 3 जुलाई 2023 – गुरु पूर्णिमा पर विशेष आलेख भारतीय सनातन हिंदू संस्कृति में आस्था रखने वाले व्यक्तियों के लिए उनके जीवन में गुरु का स्थान सबसे ऊंचा माना गया है। परम पूज्य गुरुदेव जीवन में आने वाले विभिन्न संकटों से न केवल उबारते हैं बल्कि इस जीवन को जीने की कला भी सिखाते हैं ताकि इस जीवन को सहज रूप से जिया जा सके। गुरु ही अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने की क्षमता रखते हैं। भारत के मठ, मंदिरों एवं गुरुद्वारों में इसलिए प्रत्येक वर्ष व्यास पूर्णिमा के दिन गुरु पूजन का विशेष पर्व मनाया जाता है एवं इस शुभ दिन पर गुरुओं की पूजा अर्चना की जाती है ताकि उनका आशीर्वाद सदैव उनके भक्तों पर बना रहे। कई मंदिरों में गुरु पूजन एवं ध्वजा वंदन के समय कई गीत भी गाए जाते है, जैसे “हम गीत सनातन गाएंगे, हम भगवा ध्वज लहराएंगे।” यदि भारत के गौरवशाली इतिहास पर नजर दौड़ाते हैं तो ध्यान में आता है कि हिंदू सनातन संस्कृति के अंतर्गत कई महानुभावों को गुरु के आशीर्वाद एवं सानिध्य से ही देवत्व की प्राप्ति हुई है। दूसरे शब्दों में, देवत्व प्राप्त करने के लिए इन महानुभावों को गुरु के श्रीचरणों में जाना पड़ा है। इस प्रकार के कई उदाहरणों से हमारा इतिहास भरा पड़ा है। जैसे, भीष्म को “भीष्म” बनाने में ऋषि परशुराम की अहम भूमिका रही थी। चाणक्य ने चंद्रगुप्त को गढ़ने का महत्वपूर्ण कार्य किया था। समर्थ स्वामी रामदास ने शिवाजी महाराज को राष्ट्रवादी राजा बनाया था। स्वामी विवेकानंद ने स्वामी रामकृष्ण परमहंस से दीक्षा ली थी एवं उनके सानिध्य में ही अपना जीवन प्रारम्भ किया था। गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है। ऐसा कहा जाता है कि शताब्दियों पूर्व, आषाड़ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को महर्षि वेद व्यास जी का इस धरा पर अवतरण हुआ था।महर्षि वेद व्यास ने वैदिक ऋचाओं का संकलन कर इनका चार वेदों (ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद एवं अथर्ववेद) के रूप में वर्गीकरण किया था। साथ ही, 18 पुराणों, 18 उप-पुराणों, उपनिषदों, बृह्मसूत्र, महाभारत आदि अतुलनीय ग्रंथों को लेखनबद्ध करने का श्रेय भी महर्षि वेद व्यास को ही दिया जाता है। महान भारतीय परम्परा के अनुसार शिष्य, अपने गुरु का पूजन करते हैं। अतः गुरु वेद व्यास के शिष्यों ने भी सोचा कि महर्षि वेद व्यास का पूजन किस शुभ दिन पर किया जाय। बहुत गहरे विचार विमर्श के पश्चात समस्त शिष्य सहमत हुए कि क्यों न गुरु वेद व्यास के इस धरा पर अवतरण दिवस पर ही पूज्य गुरुदेव का पूजन किया जाय। इस प्रकार, गुरु वेद व्यास के शिष्यों ने इसी पुण्यमयी दिवस को अपने गुरु के पूजन का दिन चुना। यही कारण है कि गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है। तब से लेकर आज तक हर शिष्य अपने गुरुदेव का पूजन वंदन इसी शुभ दिवस पर करता है। ऐसा कहा जाता है कि भगवान शंकर ने सप्तऋषियों को योग की दीक्षा देना भी इसी दिन से प्रारम्भ किया था। प्राचीन काल में भारत के गुरुकुलों में गुरु पूर्णिमा को एक विशेष दिवस के रूप में मनाया जाता था। गुरु पूर्णिमा के दिन केवल उत्सव नहीं, बल्कि महोत्सव होता था। गुरूकुल से सम्बंधित दो सबसे मुख्य कार्य गुरु पूर्णिमा के दिन ही सम्पन्न किए जाते थे। एक तो गुरु पूर्णिमा के शुभ मुहूर्त पर ही नए छात्रों को गुरूकुल में प्रवेश प्रदान किया जाता था। यानी गुरु पूर्णिमा दिवस गुरूकुल में छात्र प्रवेश दिवस के रूप में मनाया जाता था। सभी जिज्ञासु छात्र इस दिन हाथों में समिधा लेकर पूज्य गुरुदेव के समक्ष आते थे। प्रार्थना करते थे कि हे गुरुवर, हमारे भीतर ज्ञान ज्योति प्रज्वलित करें। हम उसके लिए स्वयं को समिधा रूप में अर्पित करते हैं। दूसरे, गुरु पूर्णिमा की मंगल बेला में ही छात्रों को स्नातक उपाधियां प्रदान की जाती थीं। यानी गुरु पूर्णिमा के दिन ही गुरुकुलों में दीक्षांत समारोह के आयोजन किए जाते थे। जो छात्र गुरु की सभी शिक्षाओं को आत्मसात कर लेते थे और जिनकी कुशलता व क्षमता पर गुरु को संदेह नहीं रहता था उन्हें इस दिन उपाधियां प्रदान की जाती थीं। वे गुरु चरणों में बैठकर प्रण लेते थे कि हे गुरुवर, आपके सान्निध्य में रहकर, आपकी कृपा से हमने जो ज्ञान अर्जित किया है, उसे लोक हित और कल्याण के लिए ही उपयोग करेंगे। अपने परम पूज्य गुरुदेव को दक्षिणा देकर छात्र अपने कार्य क्षेत्र में उतरते थे। इस प्रकार प्राचीन काल में गुरु पूर्णिमा के दिन गुरुकुलों में गुरु का कुल बढ़ता भी था और विश्व में फैलता भी था। गुरु पूर्णिमा न केवल हिंदू धर्मावलम्बियों द्वारा एक पवित्र एवं अतिमहत्वपूर्ण त्यौहार के रूप में मनाया जाता है बल्कि जैन एवं बौद्ध धर्मावलम्बियों के लिए भी गुरु पूर्णिमा का दिन विशेष महत्व का माना जाता है। जैन धर्म में 24 तीर्थंकर हुए हैं। भगवान महावीर 24वें व परम तीर्थंकर के रूप में अभिवादित हैं। जैन धर्म के इतिहास में यह वर्णन भी मिलता है कि आषाढ़ पूर्णिमा के दिन भगवान महावीर ने इंद्रभूति गौतम को अपने प्रथम शिष्य के रूप में स्वीकार किया था अर्थात भगवान महावीर ने गौतम को दीक्षित कर उसे अपना प्रथम शिष्य बनाने का गौरव प्रदान किया था। अतः इस दिन एक नया इतिहास लिखा गया। तभी से जैन सम्प्रदाय के अनुयायी गुरु पूर्णिम को इसी अहोभाव से मनाते हैं कि इस दिन उन्हें भगवान महावीर गुरु रूप में मिले थे। इसी प्रकार बौद्ध पंथ के इतिहास में भी यह स्पष्ट रूप से वर्णित है कि महाबुद्ध ने जब बुद्धत्व को प्राप्त कर लिया तो उनके मन में यह विचार उत्पन्न हुआ कि सबसे पहले धम्मोपदेश किस अनुयायी को दिया जाना चाहिए। तब उहें अपने उन पांच साथियों का ध्यान आया, जो निरंजना नदी के तट पर उनके साथ तपस्या और काय क्लेश के पथ पर अग्रसर हुए थे। परंतु जब महाबुद्ध ने यह मार्ग छोड़ दिया था, तब उन पांचों साथियों ने महाबुद्ध को छोड़ दिया था। परंतु चूंकि अब महाबुद्ध ने यह निर्णय कर लिया था कि धम्मोपदेश सबसे पहिले उन पांच साथियों को ही दिया जाय। अतः महाबुद्ध ने उन पांच साथियों को खोजना प्रारम्भ किया। जब यह पता चला कि वे पांच साथी सारनाथ के इसिपतन के मिगदाय में रहते हैं, तो माहबुद्ध सारनाथ की ओर चल पड़े। जिस दिन महाबुद्ध सारनाथ पहुंचे और उन पांच परिव्राजकों को धम्मोपदेश दिया, वह दिन आषाढ़ पूर्णिमा का था। बौद्ध सम्प्रदाय की मौलिक शिक्षाएं इसी दिन अस्तित्व में आई। इसीलिए बौद्ध धर्मावलम्बियों के लिए भी गुरु पूर्णिमा का दिवस विशेष महत्व का दिन माना जाता है। अब तो ऐसा कहा जा रहा है कि वैज्ञानिक भी आषाड़ पूर्णिमा की महत्ता को अब समझ चुके हैं। “विस्डम आफ ईस्ट” पुस्तक के लेखक श्री आर्थर चार्ल्स सटोक अपनी पुस्तक में लिखते हैं कि जैसे भारत द्वारा खोज किए गए शून्य, छंद, व्याकरण आदि की महिमा अब पूरा विश्व गाता है, उसी प्रकार भारत द्वारा उजागर की गई सत्गुरु की महिमा को भी एक दिन पूरा विश्व जानेगा। विश्व यह भी जानेगा कि अपने महान गुरु की पूजा के लिए उन्होंने आषाड़ पूर्णिमा का दिन ही क्यों चुना। श्री सटोक द्वारा आषाड़ पूर्णिमा को लेकर कई अधय्यन एवं शोध किए गए हैं। इन अध्ययनों एवं शोधों के आधार पर श्री सटोक कहते हैं कि “वर्ष भर में अनेकों पूर्णिमाएं आती हैं, जैसे शरद पूर्णिमा, कार्तिक पूर्णिका, वैशाख पूर्णिमा, आदि। पर आषाढ़ पूर्णिमा भक्ति व ज्ञान के पथ पर चल रहे साधकों के लिए एक विशेष महत्व रखती है। इस दिन आकाश में अल्ट्रावायलेट रेडीएशन (पराबैंगनी विकिरण) फैल जाती है। इस कारण व्यक्ति का शरीर व मन एक विशेष स्थिति में आ जाता है। उसकी भूख, नींद व मन का बिखराव कम हो जाता है।” अतः यह स्थिति साधक के लिए बेहद लाभदायक है। वह इसका लाभ उठाकर अधिक से अधिक ध्यान साधना कर सकता है। कहने का भाव यह है कि आत्म उत्थान व कल्याण के लिए गुरु पूर्णिमा का दिन वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी अति उत्तम माना गया है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक किसी व्यक्ति या ग्रंथ की जगह केवल भगवा ध्वज को अपना मार्गदर्शक और गुरु मानते हैं। जब परम पूज्य डॉक्टर हेडगेवार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का प्रवर्तन किया, तब अनेक स्वयंसेवक चाहते थे कि संस्थापक के नाते वे ही इस संगठन के गुरु बने; क्योंकि उन सबके लिए डॉक्टर हेडगेवार का व्यक्तित्व अत्यंत आदरणीय और प्रेरणादायी था। इस आग्रहपूर्ण दबाव के बावजूद डॉक्टर हेडगेवार ने हिंदू संस्कृति, ज्ञान, त्याग और सन्यास के प्रतीक भगवा ध्वज को गुरु के रूप में प्रतिष्ठित करने का निर्णय किया। हिंदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष व्यास पूर्णिमा (गुरु पूर्णिमा) के दिन संघ स्थान पर एकत्र होकर सभी स्वयं सेवक भगवा ध्वज का विधिवत पूजन करते हैं। अपनी स्थापना के तीन साल बाद संघ ने वर्ष 1928 में पहली बार गुरु पूजा का आयोजन किया था। तब से यह परम्परा अबाध रूप से जारी है और भगवा ध्वज का स्थान संघ में सर्वोच्च बना हुआ है। भगवा ध्वज को गुरु के रूप में प्रतिष्ठित करने के पीछे संघ का दर्शन यह है कि किसी व्यक्ति को गुरु बनाने पर उसमें पहिले से कुछ कमजोरियां हो सकती हैं या कालांतर में उसके सदगुणों का क्षय भी हो सकता है, लेकिन ध्वज स्थायी रूप से श्रेष्ठ गुणों की प्रेरणा देता रह सकता है। Read more » गुरु पूर्णिमा
लेख भारत में किसानों की आय हो रही है दोगुनी June 28, 2023 / June 28, 2023 | Leave a Comment भारत में लगभग 60 प्रतिशत आबादी आज भी ग्रामीण इलाकों में रहती है एवं इसमें से बहुत बड़ा भाग अपनी आजीविका के लिए कृषि क्षेत्र पर निर्भर है। यदि ग्रामीण इलाकों में निवास कर रहे नागरिकों की आय में वृद्धि होने लगे तो भारत के आर्थिक विकास की दर को चार चांद लगाते हुए इसे […] Read more »
आर्थिकी राजनीति प्रधानमंत्री की अमेरिका यात्रा के दौरान सम्पन्न हुए समझौतों से तेज होगी भारत के विकास की रफ्तार एवं निर्मित होंगे रोजगार के नए अवसर June 28, 2023 / June 28, 2023 | Leave a Comment वित्तीय वर्ष 2022-23 एवं चतुर्थ तिमाही के हाल ही में जारी किए गए भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास सम्बंधी आंकड़ों से यह आभास हुआ है कि भारत में आर्थिक विकास दर उम्मीद से कहीं अधिक रही है। वित्तीय वर्ष 2022-23 में भारत में सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत की रही है एवं जनवरी-मार्च 2023 […] Read more »