विविधा आह आरक्षण! वाह मेरिट! August 11, 2011 / December 7, 2011 | Leave a Comment संजय ग्रोवर क्या हम 20-30 मिनट के लिए उनका गला छोड़ सकते हैं जिन्हें नौकरियों और कुछ दूसरी जगहों पर आरक्षण मिलता है ? मेरा ख़्याल है इतना तो हम अफ़ोर्ड कर ही सकते हैं। जीवन के दूसरे क्षेत्रों में आईए ज़रा। याद करेंगे तो ज़रुर आपको ऐसा कोई न कोई संगी-साथी, जान-पहचान वाला याद […] Read more » Reservation आरक्षण
व्यंग्य व्यंग्य/मुश्क़िल June 23, 2011 / December 11, 2011 | Leave a Comment संजय ग्रोवर वह एक-एकसे पूछ रहा था। जनता से क्या पूछना था, वह हमेशा से भ्रष्टाचार के खि़लाफ़ थी। विपक्षी दल से पूछा, ‘‘मैंने ही तो सबसे पहले यह मुद्दा उठाया था।’’ उनके नेता ने बताया। उसने शासक दल से भी पूछ लिया, ‘‘हम आज़ादी के बाद से ही इसके खि़लाफ़ कटिबद्ध हैं। जल्द ही […] Read more » vyangya