लेख स्वास्थ्य-योग बवासीर : कारण व निवारण November 25, 2024 / November 25, 2024 | Leave a Comment डॉ रुप कुमार बनर्जीहोमियोपैथिक चिकित्सक बवासीर की समस्या आज के समय में सामान्य हो गई है। व्यस्त जीवन शैली,गलत खानपान, भोजन में अत्यधिक मसाले का प्रयोग, चटपटा भोजन करना, जंक फूड का अधिक से अधिक इस्तेमाल करना, कसरत मेहनत ना करना इत्यादि इसके कई कारण हो सकते हैं। बवासीर, जिसे पायल्स, हेमोरोइड्स और मुलव्याधि भी कहा जाता है, एक भयानक रोग है। यह एक कष्टकारी समस्या है जो दुनिया भर में कई लोगों को प्रभावित करती है। आंतरिक, बाहरी या दोनों प्रकार का हो सकता है जिसमें दर्द,जलन, खुजली, खून गिरना और सूजन इत्यादि लक्षण दिखाई देते हैं। शुरू में शर्म के मारे चिकित्सक को दिखाने में हीला हवाली करने पर बाद में यह विकट रूप धारण कर भयंकर कष्ट का कारण बन सकता है। बवासीर के कारण :- बवासीर होने के कई कारण हो सकते हैं। इनके बारे में जानकारी हमे सतर्क रहने में मदद कर सकती है। बवासीर के पांच मुख्य कारण हैं :- मल त्याग करते समय जोर लगाना , अव्यवस्थित जीवनशैली , अपेक्षाकृत पानी कम पीना , आहार में फाइबर की कमी , मोटापा , गर्भावस्था बवासीर के प्रकार :- बवासीर को उसकी गंभीरता और अन्य कारकों के आधार पर दो प्रमुख प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है। वे दो प्रमुख प्रकार हैं – खूनी बवासीर व बादी बवासीर खूनी बवासीर :- बवासीर उभरती हुई और सूजी हुई नसों के कारण आंतरिक या बाहरी गुदा में होती है। ब्लीडिंग बवासीर उन फूली हुई नसों के टूटने से होती है जो बार-बार मल त्याग करने या बैठते समय फट जाती है। खूनी बवासीर से बचने के लिए निम्नलिखित सावधानियां अपनानी चाहिए :- प्रतिदिन खूब पानी पिएं और हाइड्रेटेड रहें , फाइबर युक्त आहार लें , मल त्याग करते समय ज्यादा जोर न लगाएं , नियमित रूप से सप्ताह में कम से कम पांच दिन अवश्य व्यायाम करें , लंबे समय तक बैठे न रहें । खूनी बवासीर का इलाज :- इसके उपचार की विधि समस्या की गंभीरता पर निर्भर करती है। हल्के मामलों में, दवाइयों और दवाओं का उपयोग करके सूजन को कम करने में मदद मिल सकती है। होम्योपैथिक विभाग के द्वारा खूनी बवासीर को जड़ से ठीक किया जा सकता है । बशर्ते इसके लिए मरीज को धैर्यपूर्वक काफी दिनों तक इस बीमारी का इलाज करवाना चाहिए और चिकित्सक के बिना पूछे दवा नहीं बंद करना चाहिए। बादी बवासीर :- बादी बवासीर एक गंभीर मलाशय संबंधी समस्या होती है, जिसमें मलाशय की नसें सूज जाती हैं और मलाशय से बाहर लटकती हैं। अंग्रेजी में यह “Grade 3 or Grade 4 hemorrhoids” के रूप में भी जाना जाता है। बादी बवासीर के लक्षण :- बादी बवासीर के लक्षणों में खून आना, खुजली, सूजन और दर्द शामिल हैं। इसके साथ ही, मलत्याग के समय भी बादी बवासीर के रोगी को बहुत दर्द होता है और मलाशय में खुजली हो सकती है। बादी बवासीर के लक्षणों को अनदेखा नहीं किया जाना चाहिए और समय रहते उपचार के लिए चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए ना कि बिना चिकित्सकीय परामर्श के बाजार से दवा खरीद के खाना चाहिए। बवासीर के महत्वपूर्ण उपचार :- बवासीर का इलाज स्थिति के प्रकार और गंभीरता पर निर्भर करता है। सामान्य मामलों में उच्च फाइबर आहार लेना, शरीर में पानी की मात्रा बनाए रखना और नियमित व्यायाम करना जैसी जीवनशैली में परिवर्तन करने से हल किया जा सकता है। खुजली और असहजता जैसे सामान्य लक्षणों का इलाज क्रीम और उबटनों के इस्तेमाल से किया जा सकता है। गंभीर स्थितियों में चिकित्सा उपचार की आवश्यकता हो सकती है। यदि आप बवासीर के लक्षणों का अनुभव कर रहे हैं, तो अपने चिकित्सक से अवश्य परामर्श करें ताकि आपकी व्यक्तिगत उपचार आवश्यकताओं के लिए सर्वश्रेष्ठ उपचारों का निर्धारण किया जा सके। होम्योपैथी एक ऐसी विधा है जिससे बवासीर की बीमारी को जड़ से ठीक किया जा सकता है। अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न :- बवासीर क्यों होता है? बवासीर कई कारणों से हो सकता है। कुछ मुख्य कारण में मल त्याग करते समय जोर लगाना, बैठने की लम्बी अवधि, कब्ज या दस्त का अधिक समय तक होना, अत्यधिक मोटापा, और गर्भावस्था शामिल है2. बवासीर की शुरुआत कैसे होती है?बवासीर उस समय शुरू होता है जब गुदा और मलाशय क्षेत्र की नसें सूज और फूल जाती हैं। इसके कई कारण हो सकते हैं। बवासीर की शुरुआती अवस्था में, लोगों को गुदा क्षेत्र में दर्द, खुजली और सूजन जैसे लक्षणों का सामना करना पड़ता है। कुछ मामलों में मल त्याग करते समय खून भी निकल सकता है।3. बवासीर में क्या खाना चाहिए?बवासीर के मरीज को आहार में फाइबर से भरपूर फल और सब्जी जैसे कि गाजर, सेब, पपीता, अनार, लौकी,पत्तागोभी,आदि, दालें, हरी सब्जियां और उनके सूप अधिक पानी पीना, नारियल पानी, आदि लेने की सलाह दी जाती है।4. बवासीर होने पर क्या नहीं खाना चाहिए?बवासीर के मरीज को अपने आहार में कुछ खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए। कुछ ऐसे खाद्य पदार्थों की सूची में तले हुए और मसालेदार खाद्य पदार्थ, तीखे और तले हुए नमकीन स्नैक्स, तली हुई चीजें, मिर्च-मसाला वाले खाद्य पदार्थ, बहुत ज्यादा चाट पकौड़ी,जंक फूड टोमेटो सॉस आदि शामिल हैं।5. बवासीर जड़ से खत्म कैसे होता है?बवासीर को जड़ से खत्म करने के लिए कुछ मुख्य उपाय निम्नलिखित हैं:सही खान-पानपानी का सेवननियमित व्यायाम:चिकित्सा–बिना पूछे चिकित्सक से दवा बिल्कुल बंद नहीं करना चाहिए।प्रस्तुतकर्ता – विनय कुमार मिश्र Read more » बवासीर
जरूर पढ़ें किसानों की आर्थिक बदहाली और फलस्वरूप ‘आत्महत्या’ April 14, 2014 | Leave a Comment -सारदा बैनर्जी- देश में किसानोंकी आर्थिक बदहाली और उसके परिणामस्वरूप उनकी आत्महत्या की घटनाएं पिछले दो दशकों से एक बहुत बड़ी चुनौती के रूप में सामने आईं हैं। यह बेहद परेशान करने वाली घटना है कि देश का प्रमुख उत्पादक वर्ग एवं देश की अन्नदाता शक्ति गरीबी और आर्थिक तनाव का बुरी तरह से शिकार […] Read more » farmers' problems and suicide किसानों की आर्थिक बदहाली और फलस्वरूप ‘आत्महत्या’
आलोचना कबीर-तुलसी के काव्यों में स्त्री-विरोध August 17, 2013 | 3 Comments on कबीर-तुलसी के काव्यों में स्त्री-विरोध सारदा बैनर्जी भक्तिकालीन साहित्य में पाखंड-विरोध के समानांतर स्त्री-विरोध का स्वर भी स्पष्टतः मुखर हुआ है। खासकर कबीर जैसे प्रगतिशील और भक्त कवि ने अपने दोहों में स्त्री को दो रुपों में विभाजित कर उसका चरित्रांकन किया है। ये दो रुप हैं, ‘पातिव्रत्य’ रुप और ‘कामिनी’ रुप। कबीर ने नारी के कामिनी रुप की भरसक […] Read more »
आलोचना धूमिल की कविताओं में व्यक्त स्त्री-विरोधी दृष्टिकोण — सारदा बनर्जी June 27, 2013 | 6 Comments on धूमिल की कविताओं में व्यक्त स्त्री-विरोधी दृष्टिकोण — सारदा बनर्जी धूमिल की कविताएं जनतंत्र को संबोधित करने वाली कविताएं हैं। ये कविताएं सीधे-सीधे देश के लोकतंत्र, संविधान, संसद और नेता की तीखी आलोचना में लिखी गई और उन्हें चुनौती देती कविताएं हैं। धूमिल देश की पूँजीवादी लोकतांत्रिक व्यवस्था से संतुष्ट नहीं थे, फलतः उन्होंने अपनी कविताओं में इस असंतुष्टि को बड़े आक्रोश के साथ व्यक्त […] Read more » धूमिल
महिला-जगत स्त्री चेतन मन में होनी चाहिए, अवचेतन में नहीं – सारदा बनर्जी April 10, 2013 | Leave a Comment आम तौर पर देखा गया है कि हिन्दी साहित्य में पुरुष कवियों के हमेशा अवचेतन में स्त्री आई है। स्त्री को लेकर कुंठित भाव व्यक्त होता आया है। स्त्री कवियों के चेतन भावबोध का हिस्सा न होकर अवचेतन में घर किए रहती है जो स्त्री के प्रति संकुचित और स्त्री को देखने का एक तरह […] Read more » स्त्री चेतन
महिला-जगत आख़िर ये स्त्री-उत्पीड़न कब बंद होगा ? – सारदा बनर्जी April 10, 2013 | Leave a Comment क्या महज महिला दिवस को सेलिब्रेट करके, सलामी ठोककर या नमन करके या उस दिन स्त्री-सम्मान और स्त्री-महिमा की असंख्य बातें करके स्त्रियों का कोई भला हो सकता है? क्या यह ज़रुरी नहीं कि एक दिन नहीं हर दिन स्त्रियों का हो यानि स्त्रियों के पक्ष में हो, स्त्री की समानता के पक्ष में खड़ा […] Read more » स्त्री-उत्पीड़न
महिला-जगत ‘वैवाहिक बलात्कार’ आपराधिक कानून के तहत ‘इंडियन पेनल कोड’ में शामिल हो — सारदा बनर्जी March 12, 2013 / March 12, 2013 | 4 Comments on ‘वैवाहिक बलात्कार’ आपराधिक कानून के तहत ‘इंडियन पेनल कोड’ में शामिल हो — सारदा बनर्जी दिल्ली में हुई सामूहिक बलात्कार की वारदात के परिणामस्वरुप आपराधिक कानून में संशोधन के लिए गठित की गई जस्टिस जे. एस. वर्मा कमिटी ने सिफारिश की थी कि वैवाहिक बलात्कार को इंडियन पेनल कोड(आइ.पी.सी.) के तहत स्त्रियों के खिलाफ़ यौन-अपराध की सूची में शामिल किया जाए और अपराधी की कड़ी सज़ा हो। लेकिन भारत सरकार […] Read more » वैवाहिक बलात्कार
महिला-जगत स्त्री-उत्पीड़न के खिलाफ़ ‘फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट्स की तेज़ पहलकदमी – सारदा बनर्जी February 19, 2013 | 1 Comment on स्त्री-उत्पीड़न के खिलाफ़ ‘फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट्स की तेज़ पहलकदमी – सारदा बनर्जी स्त्रियों के खिलाफ़ यौन-अपराध के मुकदमों को लेकर दिल्ली में छह फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट गठित हुए। 4 जनवरी को छह न्यायिक पदाधिकारियों ने इन अदालतों की ज़िम्मेदारी ली। हालिया शोध के मुताबिक कुल 1031 मुकदमें जो छह ज़िला-अदालतों में लंबित थे, उनमें से 500 मुकदमों को फ़ास्ट ट्रैक अदालत में स्थानांतरण किया गया। इन 500 […] Read more »
महिला-जगत ‘ओबोशेषे’ फ़िल्म और स्त्री-अस्मिता – सारदा बनर्जी February 14, 2013 | 1 Comment on ‘ओबोशेषे’ फ़िल्म और स्त्री-अस्मिता – सारदा बनर्जी ऐसे किरदार स्त्री-जीवन में खास मायने रखते हैं जो स्त्री की बहुमुखी प्रतिभा को सामने लाए और एक ऐसे व्यक्तित्व से हमें रुबरु कराए जो हम सब स्त्रियों में होना चाहिए या होना संभव है। अदिती राय की बांग्ला फ़िल्म ‘ओबोशेषे’ कई दृष्टियों से एक जानदार फ़िल्म है। इस फ़िल्म में मां-बेटे की केमेस्ट्री को […] Read more »
महिला-जगत सिनेमा धार्मिक पाखंडों और रुढ़ियों पर चोट करती फ़िल्म ‘ओ माइ गॉड’ – सारदा बनर्जी February 6, 2013 / February 6, 2013 | 2 Comments on धार्मिक पाखंडों और रुढ़ियों पर चोट करती फ़िल्म ‘ओ माइ गॉड’ – सारदा बनर्जी स्त्रियों का एक बड़ा सेक्शन है जिनका धार्मिक रुढ़ियों और आडम्बरों से बहुत आत्मीयता का संबंध है। खासकर बुज़ुर्ग महिलाओं का विभिन्न तरह के धार्मिक पाखंडों से रागात्मक संबंध आज भी बना हुआ है। इन धार्मिक छल-कपटों में बेइंतिहा भरोसा रखने वाली स्त्रियों को ज़रुर ‘ओ माइ गॉड’ फ़िल्म देखनी चाहिए। ‘ओ माइ गॉड’ विभिन्न […] Read more »
महिला-जगत बलात्कार का स्त्री-जीवन में पड़ता प्रभाव — सारदा बनर्जी February 4, 2013 / February 6, 2013 | 4 Comments on बलात्कार का स्त्री-जीवन में पड़ता प्रभाव — सारदा बनर्जी बलात्कार के बढ़ते वारदातों या कहें कि मीडिया-प्रचार के कारण हाइलाइट होकर सामने आते बलात्कार की वारदातों का स्त्री-जीवन पर क्या एफ़ेक्ट हो रहा है? क्या इन खबरों के सामने आने पर स्त्री-सुरक्षा में बढ़ोतरी हो रही है, स्त्री-अस्मिता पर बातें हो रही है या ये खबरें स्त्री-आज़ादी में हस्तक्षेप करने का एक नया औज़ार […] Read more » बलात्कार
महिला-जगत मर्दवादी महिषासुर और स्त्रीवादी दुर्गा – सारदा बनर्जी January 12, 2013 | Leave a Comment लोग स्त्री पर जब भी बात करते हैं तो उसे मां, बहन, बीवी, चाची, बुआ, ताई के नज़रिए से देखने पर ज़ोर देते रहते हैं। लेकिन वे स्त्री को एक नागरिक के नज़रिए से नहीं देख पाते। एक स्त्री की सबसे अहम और आधुनिक पहचान नागरिक की पहचान है। वह मां, बहन, बीवी, चाची से […] Read more » नारीवाद मर्दवाद