प्रवक्ता न्यूज़ प्यार करने वालों को किसी तरह की कोई आजादी क्यों नहीं है? June 26, 2020 / June 26, 2020 | Leave a Comment डॉo सत्यवान सौरभ हाल ही में तमिलनाडु के तिरुपर में 2016 में ऑनर कि लिंग के बहुचर्चित मामले में मद्रास हाईकोर्ट का फैसला आया है। कोर्ट ने सबूतों के अभाव में मुख्य आरोपी लड़की के पिता के साथ-साथ ,लड़की की मां और एक अन्य को बरी कर दिया है और पांच आरोपियों की सजा को फांसी […] Read more » ऑनर किलिंग मद्रास हाईकोर्ट
सार्थक पहल परमाणु परीक्षण की जगह गूंजेगी कुम्हारों के चाक की ध्वनि June 24, 2020 / June 24, 2020 | Leave a Comment डॉo सत्यवान सौरभ, बदलते दौर में भारत के गांवों में चल रहे परंपरागत व्यवसायों को भी नया रूप देने की जरूरत है। गांवों के परंपरागत व्यवसाय के खत्म होने की बात करना सरासर गलत है। अभी भी हम ग्रामीण व्यवसाय को थोड़ी-सी तब्दीली कर जिंदा रख सकते हैं। ग्रामीण भारत अब नई तकनीक और नई सुविधाओं […] Read more » कुम्हार सशक्तीकरण योजना कुम्हारों के चाक की ध्वनि खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग पोखरण में कुम्हारों के परिवारों को इलेक्ट्रिक पॉटर चाकों का वितरण
लेख विविधा सार्वजनिक परिवहन को ज्यादा साफ-सुरक्षित बनाना होगा June 19, 2020 / June 19, 2020 | Leave a Comment डॉo सत्यवान सौरभ, अब परिवहन सड़कों पर लौट आया है, लेकिन जब तक कोरोनोवायरस संक्रमण बढ़ रहा है, चीजें सामान्य से बहुत दूर रहेंगी। अर्थव्यवस्था को फिर से गति देने और शहरों में कामगारों को कार्यस्थल पर लाने में सार्वजनिक परिवहन एक प्रमुख माध्यम है, लेकिन कोरोना वायरस महामारी के समय में बसों, ट्रेनों की […] Read more » Public transport will have to be made safer सार्वजनिक परिवहन
राजनीति हर भारतीय को चीन विरुद्ध जंग शुरू करनी होगी June 17, 2020 / June 17, 2020 | Leave a Comment डॉo सत्यवान सौरभ, पिछले कुछ समय से जिस तरह चीन भारतीय सीमा पर अपने सैनिकों व शस्त्रों की संख्या बढ़ा रहा था। उसको लेकर भारत की जो आशंका थी चीनी सैनिकों के साथ हुई झड़प से स्पष्ट हो गई है। लद्दाख की गलवान घाटी में भारत-चीन सीमा पर धक्कामुक्की के दौरान भारतीय सेना के एक कर्नल, […] Read more » boycott chinese product चीन विरुद्ध जंग
लेख भुखमरी के कगार पर हैं मिट्टी का बर्तन बनाकर पेट पालने वाले कुम्हार June 15, 2020 / June 15, 2020 | Leave a Comment डॉo सत्यवान सौरभ, कोरोना के चलते हुए लॉकडाउन ने मिट्टी बर्तन बनाने वाले कारीगरों के सपनों को भी चकनाचूर कर दिया है। इन्होने मिट्टी बर्तन बनाकर रखे लेकिन बिक्री न होने की वजह से खाने के भी लाले पड़ गए हैं। लेकिन अब न तो चाक चल रहा है और न ही दुकानें खुल रही हैं। […] Read more » potter on the verge of starvation Potter who fills stomach with pottery is on the verge of starvation कुम्हार
जन-जागरण बच्चों का पन्ना लेख बाल श्रम से कैसे बच पायेगा भविष्य June 11, 2020 / June 11, 2020 | Leave a Comment संयुक्त राष्ट्र बाल श्रम को ऐसे काम के रूप में परिभाषित करता है, जो बच्चों को उनके बचपन, उनकी गरिमा और क्षमता से वंचित करता है, जो उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। बच्चों के स्कूली जीवन में हस्तक्षेप करता है। बाल श्रम आज दुनिया में एक खतरे के रूप में मौजूद है। आज के बच्चे कल के भविष्य हैं। देश की प्रगति और विकास उन पर निर्भर है। लेकिन बाल श्रम उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर चोट करता है। कार्य करने की स्थिति, और दुर्व्यवहार, समय से पहले उम्र बढ़ने, कुपोषण, अवसाद, नशीली दवाओं पर निर्भरता, शारीरिक और यौन हिंसा, आदि जैसी समस्याओं के कारण ये बच्चे समाज की मुख्य धारा से अलग हो जाते है। यह उनके अधिकारों का उल्लंघन है। यह उन्हें उनके सही अवसर से वंचित करता है जो अन्य सामाजिक समस्याओं को ट्रिगर कर सकता है। विश्व बाल श्रम निषेध दिवस- बाल श्रम एक वैश्विक चुनौती है। बाल श्रम को लेकर अलग-अलग देशों ने कई क़दम उठाए हैं। बाल श्रम से निपटने के लिए हर साल 12 जून को “विश्व बाल श्रम निषेध दिवस” मनाया जाता है। विश्व बाल श्रम निषेध दिवस की शुरुआत साल 2002 में ‘इंटरनेशनल लेबर आर्गेनाईजेशन’ द्वारा की गई थी। इस दिवस को मनाने का मक़सद बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा की ज़रूरत को उजागर करना और बाल श्रम व अलग-अलग रूपों में बच्चों के मौलिक अधिकारों के उल्लंघनों को ख़त्म करना है। हर साल 12 जून को मनाए जाने वाले विश्व बाल श्रम निषेध दिवस के मौके पर संयुक्त राष्ट्र एक विषय तय करता है। इस मौके पर अलग – अलग राष्ट्रों के प्रतिनिधि, अधिकारी और बाल मज़दूरी पर लग़ाम लगाने वाले कई अंतराष्ट्रीय संगठन हिस्सा लेते हैं, जहां दुनिया भर में मौजूद बाल मज़दूरी की समस्या पर चर्चा होती है। दुनिया भर में ऐसे कई क्षेत्र हैं जहां बच्चों को मजदूर के रूप में काम पर लगाया जा रहा है। पहले बच्चे पूरी तरह से खेतों में काम करते थे, लेकिन अब वे गैर-कृषि नौकरियों में जा रहे हैं। कपड़ा उद्योग, ईंट भट्टे, गन्ना, तम्बाकू उद्योग आदि में अब बड़ी संख्या में बाल श्रमिकों को देखा जाता है। अशिक्षा के साथ गरीबी के कारण, माता-पिता अपने बच्चों को स्कूलों में दाखिला दिलवाने के बजाय काम करने के लिए मजबूर करते हैं। पारिवारिक आय की तलाश में, माता-पिता बाल श्रम को प्रोत्साहित करते हैं। अज्ञानता से, वे मानते हैं कि बच्चों को शिक्षित करने का अर्थ है धन का उपभोग करना और उन्हें काम करने का अर्थ है आय अर्जित करना। लेकिन वे ये नहीं समझते कि बाल श्रम काम नहीं होता बल्कि गरीबी को बढ़ाता है क्योंकि जो बच्चे काम के लिए शिक्षा का त्याग के लिए मजबूर होते हैं, वे जीवन भर कम वेतन वाली नौकरियों में बर्बाद होते हैंआंकड़ों में बाल श्रम- दुनिया भर में बाल श्रम में शामिल 152 मिलियन बच्चों में से 73 मिलियन बच्चे खतरनाक काम करते हैं। खतरनाक श्रम में मैनुअल सफाई, निर्माण, कृषि, खदानों, कारखानों तथा फेरी वाला एवं घरेलू सहायक इत्यादि के रूप में काम करना शामिल है। इस तरह के श्रम बच्चों के स्वास्थ्य, सुरक्षा और नैतिक विकास को खतरे में डालते हैं। इतना ही नहीं, इसके कारण बच्चे सामान्य बचपन और उचित शिक्षा से भी वंचित रह जाते हैं। बाल श्रम के कारण दुनिया भर में 45 मिलियन लड़के और 28 मिलियन लड़कियाँ प्रभावित हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में क़रीब 43 लाख से अधिक बच्चे बाल मज़दूरी करते हुए पाए गए। दुनिया भर के कुल बाल मज़दूरों में 12 प्रतिशत की हिस्सेदारी अकेले भारत की है। ग़ैरसरकारी आंकड़ों के मुताबिक़ भारत में – क़रीब – 5 करोड़ बाल मज़दूर हैं। बाल श्रम के पीछे कौन है ? बाल श्रम केवल भारत तक ही सीमित नहीं है, यह एक वैश्विक घटना है। बाल श्रम में बच्चों का इस्तेमाल इसलिए किया जाता है, क्योंकि उनका आसानी से शोषण किया जा सकता है। बच्चे अपनी उम्र के अनुरूप कठिन काम जिन कारणों से करते हैं, उनमें आमतौर पर गरीबी पहला कारण है। इसके अलावा, जनसंख्या विस्फोट, सस्ता श्रम, उपलब्ध कानूनों का लागू नहीं होना, बच्चों को स्कूल भेजने के प्रति अनिच्छुक माता-पिता (वे अपने बच्चों को स्कूल की बजाय काम पर भेजने के इच्छुक होते हैं, ताकि परिवार की आय बढ़ सके) जैसे अन्य कारण भी हैं। बाल श्रम के लिए जिम्मेदार एक और प्रमुख समस्या है तस्करी। अनुमान के अनुसार, लगभग 1.2 मिलियन बच्चे यौन शोषण और बाल श्रम के लिए सालाना तस्करी होते हैं। भारत में बाल तस्करी की मात्रा अधिक है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार, प्रत्येक आठ मिनट में एक बच्चा गायब हो जाता है। ये बच्चे मुख्य रूप से भीख मांगने, यौन शोषण और बाल श्रम के लिए तस्करी के शिकार हैं। बाल श्रम और कानून –संवैधानिक व्यवस्था के अनुरूप भारत का संविधान मौलिक अधिकारों और राज्य के नीति-निर्देशक सिद्धातों की विभिन्न धाराओं के माध्यम से कहता है- 14 साल के कम उम्र का कोई भी बच्चा किसी फैक्टरी या खदान में काम करने के लिये नियुक्त नहीं किया जाएगा और न ही किसी अन्य खतरनाक नियोजन में नियुक्त किया जाएगा। बाल श्रम (निषेध व नियमन) कानून 1986- 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को किसी भी अवैध पेशे और 57 प्रक्रियाओं में, जिन्हें बच्चों के जीवन और स्वास्थ्य के लिये अहितकर माना गया है, नियोजन को निषिद्ध बनाता है। इन पेशों और प्रक्रियाओं का उल्लेख कानून की अनुसूची में है। फैक्टरी कानून 1948 के तहत 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के नियोजन को निषिद्ध करता है। 15 से 18 वर्ष तक के किशोर किसी फैक्टरी में तभी नियुक्त किये जा सकते हैं, जब उनके पास किसी अधिकृत चिकित्सक का फिटनेस प्रमाण पत्र हो। इस कानून में 14 से 18 वर्ष तक के बच्चों के लिये हर दिन साढ़े चार घंटे की कार्यावधि तय की गई है और उनके रात में काम करने पर प्रतिबंध लगाया गया है। भारत में बाल श्रम के खिलाफ कार्रवाई में महत्त्वपूर्ण न्यायिक हस्तक्षेप 1996 में उच्चतम न्यायालय के उस फैसले से आया, जिसमें संघीय और राज्य सरकारों को खतरनाक प्रक्रियाओं और पेशों में काम करने वाले बच्चों की पहचान करने, उन्हें काम से हटाने और गुणवत्तायुक्त शिक्षा प्रदान करने का निर्देश दिया गया था। बाल श्रम से कैसे बच पायेगा भविष्य – बाल अधिकारों और शिक्षा के महत्व के बारे में जागरूकता पैदा करना बहुत जरूरी है। बाल श्रम की कमियों के बारे में कम शिक्षित या अनपढ़ माता-पिता को शिक्षित करना इस संकट से लड़ने में सहायक हो सकता है। माता-पिता को बच्चों को स्कूल भेजने के लिए प्रेरित करना बाल श्रम के खतरे को नियंत्रण में ला सकता है। सामाजिक कार्यकर्ताओं, मीडिया व्यक्तियों, नागरिक समाजों, गैर-सरकारी संगठनों, वास्तव में, सभी क्षेत्रों के लोगों को इस मुद्दे के खिलाफ एकजुट होने की जरूरत है ताकि हमारे बच्चों का समृद्ध जीवन हो सके। आइए हम इस विश्व दिवस पर बाल श्रम (12 जून) के खिलाफ बाल अधिकारों के संरक्षण के लिए व्यक्तिगत स्तर पर प्रयास करें। आगे की राह – बाल श्रम ग़रीबी, बेरोज़गारी और कम मज़दूरी का एक दुष्चक्र है। परिवारों की आर्थिक स्थिति में सुधार लाने और बच्चों को काम पर न भेजने के लिए सरकार को सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों और नकद हस्तांतरण की दिशा में ठोस प्रयास करने होंगे। शैक्षिक संस्थानों और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार की ज़रूरत साथ ही शिक्षा की प्रासंगिकता को सुनिश्चित करने के लिए शैक्षिक बुनियादी ढांचे में बदलाव की ज़रूरत है। बाल श्रम से निपटने के मौजूदा भारतीय क़ानूनों में एकरूपता लाने की ज़रूरत है। नि: शुल्क और अनिवार्य शिक्षा को प्रभावी बनाना होगा।सार्वजनिक हित और बच्चों के बड़े पैमाने पर जागरूकता और बाल श्रम के ख़तरे को रोकने के लिए एक राष्ट्रीय अभियान शुरू करने की ज़रूरत है।व्यक्तिगत स्तर पर भी हने बाल श्रम रोकना होगा क्यूंकि ये हम सभी का नैतिक दायित्व है। — डॉo सत्यवान सौरभ, Read more » बाल श्रम
मनोरंजन कलाकारों पर कहर, कलाएं गई ठहर- June 10, 2020 / June 10, 2020 | Leave a Comment डॉo सत्यवान सौरभ, आधुनिक परिवेश में सांस्कृतिक मूल्यों को सहेजने का यदि कोई कार्य कर रहा है तो वह कलाकार ही हैं| मनुष्य को मनुष्यता का पाठ पढ़ाने वाली शिक्षा, जिसमें त्याग, बलिदान और अनुशासन के आदर्श निहित हैं, यदि कहीं संरक्षित है तो वह मात्र लोक कलाओं में ही है| लेकिन कोरोना महामारी के कारण […] Read more » ओट्टन थुलाल कठपुतली नृत्य करियाला ख्याल चौबोला जवाबी कीर्तन जात्रा ढोला तमाशा तेरुक्कुट्टू दशावतार नाचा नौटंकी भाम कलापम म्यूजिशियन यक्षगान रम्मान रासलीला लोक कलाकार लोकगायन लोकनाट्य यथा रामलीला लोकनृत्य वादन साउंड सिस्टम आपरेटर और टैंट हाउस वाले स्वांग
स्वास्थ्य-योग डरिये मत, हर ब्रेन ट्यूमर कैंसर नहीं होता। June 9, 2020 / June 9, 2020 | Leave a Comment 8 जून विश्व ब्रेन ट्यूमर दिवस —डॉo सत्यवान सौरभ, विश्व ब्रेन ट्यूमर दिवस प्रतिवर्ष ‘8 जून’ को मनाया जाता है। विश्व भर में हर दिन एक लाख में से दस लोग ब्रेन ट्यूमर के कारण मरते हैं। ‘विश्व ब्रेन ट्यूमर दिवस’ वर्ष 2000 से प्रतिवर्ष 8 जून को मनाया जाता है। इस दिवस को सबसे पहले […] Read more » brain tumor ब्रेन ट्यूमर ब्रेन ट्यूमर कैंसर नहीं
आलोचना साहित्य मैंने तुम पर भरोसा किया, तुमने किया विश्वासघात। June 8, 2020 / June 8, 2020 | Leave a Comment डॉo सत्यवान सौरभ, आदमी अपने जीवन काल में किसी न किसी जानवर को पानी पिलाता ही है या किसी न किसी रूप में उसे खाना देता ही है। ऐसे में मनुष्य और इन जानवरों के बीच कम से कम एक भरोसे का रिश्ता तो रहा ही है। बेशक कोई व्यक्ति हाथी को अपने घर में नहीं […] Read more » elephant death by eating eating pineapple full of explosives विश्वासघात
पर्यावरण पढ़ कुदरत की पीर ! June 4, 2020 / June 4, 2020 | Leave a Comment वैश्विक आर्थिक गतिविधियों में ठहराव का यह दौर बेशक बहुत चिंताजनक है, लेकिन पर्यावरण पर सकारात्मक असर पड़ा है। जाने-अनजाने मनुष्य पर्यावरण के खिलाफ जो काम करता था, वह पिछले कुछ महीनों से बंद हो गये। इसके बाद ताजी हवा के झोंकों, साफ नदियों और नीले आसमान की दुनियाभर से जो तस्वीरें आयीं, उन्हें देख […] Read more » world environment day पढ़ कुदरत की पीर !
बच्चों का पन्ना लेख मासूम बच्चों की पीड़ा का अंतर्राष्ट्रीय दिवस June 4, 2020 / June 4, 2020 | Leave a Comment डॉo सत्यवान सौरभ, अंतर्राष्ट्रीय दिवस जनता को चिंता के मुद्दों पर शिक्षित करने के लिए, वैश्विक समस्याओं को संबोधित करने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति और संसाधन जुटाने के लिए, मानवता की उपलब्धियों को मनाने और सुदृढ़ करने के अवसर हैं। अंतर्राष्ट्रीय दिनों का अस्तित्व संयुक्त राष्ट्र की स्थापना से पहले है, लेकिन संयुक्त राष्ट्र ने उन्हें […] Read more » International Day of Pains of Innocent Children मासूम बच्चों की पीड़ा का अंतर्राष्ट्रीय दिवस
विधि-कानून विविधा क्यों ईमानदारी फांसी पर झूल गई ? June 2, 2020 / June 2, 2020 | Leave a Comment डॉo सत्यवान सौरभ, राजस्थान के सिंघम कहे जाने वाले थानाधिकारी विष्णु दत्त बिश्नोई का शव उनके सरकारी आवास पर फांसी के फंदे पर लटका मिला जिसके बाद प्रशासन व सियासी जगत में हड़कंप मच गया. प्रदेश की राजनीति और प्रशासन में भूचाल खड़ा हो गया. बिश्नोई पिछले कुछ दिनों से तनाव में थे तथा नौकरी […] Read more » ईमानदारी फांसी थानाधिकारी विष्णु दत्त बिश्नोई