कला-संस्कृति हमारे धर्मग्रंथ आधुनिक परिप्रेक्ष्य में September 15, 2025 / September 15, 2025 | Leave a Comment शिवानन्द मिश्रा हमारे सारे धर्मग्रंथ राक्षसों के वध से भरे पड़े हैं। राक्षस भी कठिन और जटिल वरदानों से सुरक्षित थे। किसी को वरदान प्राप्त था कि न दिन में मरेगा-न रात में, न आदमी से मरेगा-न जानवर से, न घर में मरेगा-न बाहर, न आकाश में मरेगा- न धरती पर। किसी को वरदान था कि वे भगवान भोलेनाथ और विष्णु के संयोग से उत्पन्न पुत्र से ही मरेगा तो किसी को वरदान था कि उसके खून की जितनी बूंदे जमीन पर गिरेगी,उसकी उतनी प्रतिलिपि पैदा हो जाएगी। कोई अपने नाभि में अमृत कलश छुपाए बैठा था लेकिन सभी राक्षसों का वध हुआ। सभी राक्षसों का वध अलग अलग देवताओं ने अलग अलग कालखंड एवं अलग अलग प्रदेशों में किया लेकिन सभी वध में एक चीज कॉमन रही कि किसी भी राक्षस का वध उसका स्पेशल स्टेटस हटाकर अर्थात उसके वरदान को रिजेक्ट कर के नहीं किया गया। तुम इतना उत्पात मचा रहे हो इसीलिए, हम तुम्हारा वरदान कैंसिल कर रहे हैं। देवताओं को उन राक्षसों को निपटाने के लिए उसी वरदान में से रास्ता निकालना पड़ा कि इस वरदान के मौजूद रहते हम इसे कैसे निपटा सकते हैं। अंततः कोशिश करने पर वो रास्ता निकला भी तथा सभी राक्षस निपटाए भी गए। अर्थात् परिस्थिति कभी भी अनुकूल होती नहीं है बल्कि पुरुषार्थ से अनुकूल बनाई जाती है। किसी भी एक राक्षस के बारे में सिर्फ कल्पना कर के देखें कि अगर उसके संदर्भ में अनुकूल परिस्थिति का इंतजार किया जाता तो क्या वो अनुकूल परिस्थिति कभी आती ?? उदाहरण के लिए रावण को ही लीजिए. रावण के बारे में भी ये तर्क दिया जा सकता था कि कैसे मारेंगे भला ? उसे तो अनेकों तीर मारे और उसके सर को काट भी दिए लेकिन उसका सर फिर जुड़ जाता है तो इसमें हम क्या करें ? इसके बाद इस नाकामयाबी का सारा ठीकरा रावण को ऐसा वरदान देने वाले ब्रह्मा पर फोड़ दिया जाता कि उन्होंने ही रावण को ऐसा वरदान दे रखा है कि अब उसे मारना असंभव हो चुका है लेकिन ऐसा नहीं हुआ। भगवान राम ने उन वरदानों के मौजूद रहते ही रावण का वध किया। यही “सिस्टम” है। पुरातन काल में हम जिसे वरदान कहते हैं ,आधुनिक काल में हम उसे संविधान द्वारा प्रदत्त स्पेशल स्टेटस कह सकते हैं। आज भी हमें राक्षसों को इन वरदानों ( स्पेशल स्टेटस) के मौजूद रहते ही निपटाना होगा। इसके लिए हमें इन्हीं स्पेशल स्टेटस में से लूपहोल खोजकर रास्ता निकालना होगा। ये नहीं लगता कि इनके स्पेशल स्टेटस को हटाया जाएगा। हर युग में एक चीज अवश्य हुआ है राक्षसों का विनाश एवं धर्म की स्थापना। अभी उसी की तैयारी हो रही है। निषादराज, वानर राज सुग्रीव, वीर हनुमान , जामवंत आदि को गले लगाया जा रहा है, माता शबरी को उचित सम्मान दिया जा रहा है। सोचने वाली बात है कि जो रावण पंचवटी में लक्ष्मण के तीर से खींची हुई एक रेखा तक को पार नहीं कर पाया था,भला उसे पंचवटी से ही एक तीर मारकर निपटा देना क्या मुश्किल था। जिस महाभारत को श्रीकृष्ण सुदर्शन चक्र के प्रयोग से महज 5 मिनट में निपटा सकते थे, भला उसके लिए 18 दिन तक युद्ध लड़ने की क्या जरूरत थी लेकिन रणनीति में हर चीज का एक महत्व होता है और जिसके काफी दूरगामी परिणाम होते हैं। इसीलिए कभी भी उतावला नहीं होना चाहिए। भ्रष्ट, विदेशों में धन अर्जित करने वाला, अनैतिक धन अर्जित करने वाला, विदेशी भूमि पर अपने राष्ट्र की बदनामी, देश में उपद्रव, , तुष्टिकरण करने वाला आदि का विनाश तो निश्चित है तथा यही उनकी नियति है!! धर्मग्रंथ सिर्फ पुण्य कमाने के उद्देश्य से पढ़ने के लिए नहीं होते बल्कि, हमें ये बताने के लिए लिपिबद्ध है कि आगामी वंशज ये जान सकें कि अगर भविष्य में फिर कभी ऐसी स्थिति उत्पन्न होगी तो उससे कैसे निपटा जाएगा। शिवानन्द मिश्रा Read more » Our scriptures in modern perspective हमारे धर्मग्रंथ आधुनिक परिप्रेक्ष्य में
प्रवक्ता न्यूज़ कांग्रेस, बीजेपी और राहुल गांधी का खेल August 27, 2025 / August 28, 2025 | Leave a Comment शिवानन्द मिश्रा 1968 से 1992 तक अमेरिका के लिए रिपब्लिकन युग कहा जा सकता है क्योंकि इन 24 वर्षों में सिर्फ 4 साल डेमोक्रेट्स के पास रहे, शेष 20 साल रिपब्लिकन पार्टी का राज रहा। 1988 के चुनाव में जब जॉर्ज बुश जीते, उनके उपराष्ट्रपति ने खुलकर कहा था कि अब डेमोक्रेट्स को जीवित रखना हमारी जिम्मेदारी है ताकि कोई तीसरा मोर्चा उभर ना पाए। डेमोक्रेट्स ने इस उपहास को गंभीरता से लिया और 1992 में बिल क्लिंटन के नेतृत्व में जीत दर्ज कर अपनी वापसी की। आज भारत में बीजेपी उसी रिपब्लिकन स्थिति में है जहाँ कांग्रेस को जीवित रखना बीजेपी का रणनीतिक हित बन गया है ताकि तीसरी पार्टियों का खतरा कम हो। आज कांग्रेस पंजाब, राजस्थान, हिमाचल, कर्नाटक और तेलंगाना तक सिमट चुकी है। राहुल गांधी की सबसे बड़ी “उपलब्धि” यही है कि उन्होंने राज्य स्तर पर खुद को शून्य किया, प्रधानमंत्री बनने की उम्मीद में। कांग्रेस को अब अपनी खोई हुई जमीन पाने के लिए सैकड़ों प्रमोद महाजन या अमित शाह जैसे नेताओं की आवश्यकता होगी। उनकी 99 सीटें उनकी उच्चतम उपलब्धि थीं; उसके बाद शुरू हुआ पतन। अब मामला वोट चोरी तक पहुंच चुका है। एक अनुमान के मुताबिक अगला टारगेट न्यायपालिका, पुलिस या सेना हो सकता है। यह वही सत्ता की निराशा है जिसे मुहम्मद अली जिन्ना ने भी झेला। जब से ममता बनर्जी ने राहुल को नेता प्रतिपक्ष पद से हटने का सुझाव दिया, उनके लिए खुद को प्रासंगिक बनाए रखना जरूरी हो गया है। बिहार में वे खुद शून्य हैं, साथ में आधा दर्जन सीटों वाला तेजस्वी यादव उनके साथ। अब ये दोनों हुड़दंग को जन आंदोलन बताने में लगे हैं। बीजेपी के हित में यही जरूरी है कि कांग्रेस प्रासंगिक रहे, ताकि कोई तीसरा चेहरा कांग्रेस से ऊपर ना उठ पाए। राहुल गांधी की “ट्यूशन से सीखी राजनीति” से निपटना आसान है लेकिन कोई जननेता आ जाए तो चुनौती बढ़ जाएगी। अमित शाह का उदय हाल के दिनों में तेज़ हुआ है। मोदीजी उनके भरोसे संसद के बिल पास करवा रहे हैं। ऐसा लग रहा है कि अगले दशक में अमित शाह का युग लगभग निश्चित है। 2029 में मोदीजी अगर फिर चुनाव लड़े तो नेहरू का रिकॉर्ड टूट सकता है लेकिन 2029 या 2034 से अमित शाह का समय शुरू होना लगभग तय है। जो कांग्रेसी अब मोदीजी को “वोट चोर” बोल रहे हैं, वे भविष्य में मोदी का फोटो लगाकर रोते नजर आएंगे। मोदीजी अब नेता वाली लीग से बाहर, उनका नाम अमर। संघर्ष अब नए नेताओं का है और जब विपक्ष में राहुल गांधी हों तो ये संघर्ष आसान होता है। राजनीतिक रणनीति यही है: कांग्रेस अगर सिर्फ 4-5 राज्यों में लड़े तो हमेशा नंबर 2 बनेगी और यह बीजेपी के लिए उचित परिणाम होगा। बस शर्त यही है कि उनके यहाँ डेमोक्रेटिक पार्टी जैसा कोई बिल क्लिंटन न आए, जो रास्ते खुद कांग्रेस ने बंद कर रखे हैं। राजनीति = गणित + रणनीति + धैर्य राहुल गांधी और कांग्रेस का खेल इस समय सिर्फ बीजेपी के हित में प्रासंगिक बने रहने का है। शिवानन्द मिश्रा Read more »
राजनीति भारत अमेरिका टैरिफ वार August 11, 2025 / August 11, 2025 | Leave a Comment शिवानन्द मिश्रा कहते हैं बाज़ जब शिकार करता है तो सबसे पहले ऊँचाई पर चढ़ता है, फिर बिना आहट के झपट्टा मारता है। आज भारत ठीक उसी मोड़ पर खड़ा है। अमेरिका ने भारत से होने वाले आयात पर टैरिफ को 25% से बढ़ाकर 50% कर दिया है। कुछ लोग कह रहे हैं कि प्रधानमंत्री जी को तुरंत बात करनी चाहिए, अमेरिका से दो टूक कह देना चाहिए कि ये हमें मंज़ूर नहीं पर समझदारी इसी में है कि इस वक्त हम चुप रहें लेकिन हाथ पर हाथ धर कर नहीं बल्कि मन ही मन तैयारी करते हुए। कोरोना जैसे संकट ने पूरी दुनिया को झकझोर दिया लेकिन भारत उस समय भी घबराया नहीं। जहाँ एक ओर अमेरिका में लोग सड़कों पर ऑक्सीजन के लिए तड़प रहे थे, वहीं भारत गाँव की पगडंडियों से लेकर महानगरों की गलियों तक जीवन के लिए लड़ रहा था और लड़ कर जीता भी। हमने टीके बनाए, दवाइयाँ बाँटी, यहाँ तक कि दूसरों की मदद भी की। अब जब अमेरिका ने टैरिफ बढ़ाए हैं तो क्या हमें नहीं घबराना चाहिए क्योंकि यह पहला और आखिरी झटका नहीं है। हो सकता है कल ये टैरिफ 150% तक बढ़ जाएँ। हमने सीखा है रोटी तब पकती है जब आँच तेज़ हो। भारत को अब मुँह से नहीं, हाथों से जवाब देना है। जो चीज़ें बाहर से आती हैं, उन्हें यहीं बनाना सीखना चाहिए। देश के गाँव-गाँव में हुनर बिखरा पड़ा है। बस उसे दिशा देने की ज़रूरत है। आज भी लोहार की भट्टी में वह आग है जो मशीन को टक्कर दे सकती है, अगर उसे अवसर मिले। अगर अमेरिका अपना दरवाज़ा बंद करता है तो अफ्रीका, रूस, दक्षिण एशिया और अरब देशों के साथ व्यापारिक रिश्ते मज़बूत करना चाहिए। बाजार एक नहीं,कई होते हैं पर आँख सिर्फ उसी पर टिकती है जहाँ आदत पड़ जाए। जनता को जागरूक बनना होगा। हम हर विदेशी चीज़ के पीछे दौड़ने वाले लोग नहीं रहे। अब हम समझ चुके हैं कि ‘मेड इन इंडिया’ सिर्फ शब्द नहीं, एक ज़रूरत है, आत्मसम्मान की ज़रूरत। सरकार को चाहिए कि वह छोटे कारीगरों को, खेत के किसानों को और छोटे उद्यमियों को ऐसी छत दे जहां वो धूप-बारिश में भी कुछ बना सकें जो बाहर भेजा जा सके। सबसे बड़ा संकट बाहर से नहीं, भीतर से आता है। जब घर की दीवारें खुद कमजोर हो जाएँ तो बाहर की आंधी क्या कर लेगी लेकिन जब भीतर ही दरारें हों, एकता की नींव हिलने लगे, तब सबसे बड़ा डर वहीं से होता है। आज देश के भीतर कुछ ऐसे स्वर सुनाई देते हैं जो विदेशी ताक़तों को न्योता देते हैं। जब एक घर का बेटा ही पड़ोसी से कहे कि ‘आओ,हमारे घर में आग लगाओ’ तो किसे दोष दिया जाए? हमें सतर्क रहना है लेकिन उत्तेजित नहीं। हमें जागरूक रहना है लेकिन आक्रामक नहीं। क्योंकि राष्ट्र की रक्षा सिर्फ सरहद पर नहीं होती। गाँव के किसान,शहर के मजदूर,और पढ़ने वाले छात्र के भीतर भी होती है। इस समय प्रधानमंत्री जी को कोई जवाब नहीं देना चाहिए बल्कि उन्हें वही करना चाहिए जो एक धैर्यवान पिता करता है जब कोई पड़ोसी ऊँची आवाज़ में बोलता है. वह अपना काम दोगुनी मेहनत से करता है ताकि उसका घर पहले से मज़बूत हो जाए। बात तब होनी चाहिए जब बोलने का मतलब हो और आज नहीं तो कल वह दिन आएगा। जब भारत बोलेगा भी और दुनिया सुनेगी भी। देश की रक्षा बंदूक से ही नहीं, चरित्र से भी होती है। नारे से नहीं, निर्माण से होती है और सबसे बढ़कर आत्मनिर्भरता से होती है। आज भारत को सिर झुकाकर बात नहीं करनी है लेकिन सिर उठाकर चलने की तैयारी ज़रूर करनी है। शिवानन्द मिश्रा Read more » भारत अमेरिका टैरिफ वार
राजनीति बंग में राष्ट्रपति शासन की संभावना July 29, 2025 / July 29, 2025 | Leave a Comment शिवानन्द मिश्रा पश्चिम बंगाल में बाजी पलट गई है। चुनाव आयोग ने कड़ी कार्रवाई शुरू कर दी है। पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन की संभावनाएँ। हाँ, यह सच है! चुनाव आयोग ने घोषणा की है कि पूरे देश में मतदाता सूची सत्यापन किया जाएगा। बिहार के बाद, अगला राज्य पश्चिम बंगाल है जहाँ मुख्यमंत्री […] Read more » Possibility of President's rule in Bengal बंग में राष्ट्रपति शासन की संभावना
लेख समाज लुप्त होता समाज भारतीय समाज July 3, 2025 / July 3, 2025 | Leave a Comment शिवानन्द मिश्रा सावधान हो जाइए ! भारत सहित पश्चिमी देशों में कुछ ही दशक बाद फैमिली सिस्टम का अंत निकट है। परिवार लगातार टूट रहे हैं , बिखर रहे हैं , समाप्त हो रहे हैं। इस समय फैमिली सिस्टम को बचाना पश्चिमी जगत का सबसे बड़ा मुद्दा है। भारत के सनातनी समाज में भी फैमिली सिस्टम बड़ी तेजी से सिमट रहा है । फैमिली सिस्टम यूँ ही बिखरता रहा तो भविष्य खराब है । आज पश्चिमी समाज को तबाही का दृश्य दिखाई पड़ने लगा है । कल भारत भी इसी दौर से गुजरनेवाला है। मशहूर पश्चिमी लेखक डेविड सेलबोर्न की किताब ” loosing battle with islam ” में आँखें खोलने वाले खुलासे किए गए हैं । बताया गया है कि ईसाई जगत के समान सनातनी जगत के सामने भी ऐसा ही खतरा है। यहूदियों ने इस खतरे पर पार पा लिया है। डेविड के अनुसार इस्लाम के सशक्त फेमिली सिस्टम से पश्चिमी दुनिया हार रही है। पश्चिम में लोग शादी करना पसंद नहीं करते। समलैंगिकता , अवैध सम्बन्ध , लिव इन रिलेशनशिप आदि से फैमिली सिस्टम टूट गया है । पश्चिम में ऐसे बच्चों की तादाद बढ़ती जा रही है , जिन्हें अपने पिता का पता नहीं । मां बाप के साथ रहने का चलन पश्चिम पूरी तरह भूल चुका है । लोगों का बुढ़ापा ओल्ड एज होम्स में गुजर रहा है । नतीजा यह कि पश्चिमी बच्चे दादा दादी , नाना नानी , चाचा ताऊ जैसे रिश्तों के नाम भी भूल चुके हैं ।अब तो नो चाइल्ड लाइफ स्टाइल बहुत शीघ्र पश्चिम को बर्बाद कर देगा । आबादी घटने से उत्पन्न अकेलेपन के सबसे बड़े शिकार जापान और दक्षिण कोरिया हैं । कारण , खाओ पियो ऐश करो , नो चाइल्ड ऑनली प्लेजर, ऑनली मस्ती। गौर से देखने पर पता चल जाता है कि भारत का हिन्दू समाज भी उधर बढ़ चुका है जहां से पश्चिमी जगत के सामने अंधेरा ही अंधेरा नजर आ रहा है । सॉलिड फेमिली सिस्टम के कारण अमेरिका , ब्रिटेन , जर्मनी और फ्रांस में इस्लाम की संख्या बढ़ती जा रही है। इस्लाम धर्म में परिवार वास्तव में मजबूत इकाई है । परिवार को जोड़े रखने की कला यहूदियों ने इस्लाम से सीखी है और अपनी आबादी बढ़ाई है। पश्चिम में अकेला होता जा रहा आदमी भयावह ऊब और घुटन का शिकार है। भारत के शहरों में ही नहीं , कस्बाई जीवन में भी अकेलापन प्रवेश कर चुका है । भारत में भी पाएंगे कि समाज में भी चाचा , भतीजा , बुआ , ताऊ , मामा , मौसी और यहां तक कि सगे भाई सगी बहन के रिश्ते भी धीरे धीरे समाज में खत्म हो रहे है । यह घोर चिन्ता का विषय है , दुर्भाग्य से इस पर चिंतन अभी शुरू भी नहीं हुआ है । इसका एक प्रमुख कारण विवाहित बेटियों का अपने मैके में दखल देना तथा बेटियों के मां को उनके ससुराल में दखलंदाजी है। विवाहित बहन भी अपनी उल्लू सीधा कर भाइयों को आपस में खूब लड़वाते हैं। याद कीजिए चीन ने वन चाइल्ड पॉलिसी लागू कर अपनी आबादी घटाई जो अब भारत से कम हो गई । वहां भी चीनी जनता ने जब वन चाइल्ड के बजाय नो चाइल्ड अपनाना शुरू किया तब चीन ने दो बच्चों की इजाजत दी । आज दुनिया के अनेक देशों में आबादी बढ़ाने के अभियान चल पड़े हैं । भारत में भी कुछ धार्मिक गुरु ज्यादा बच्चे पैदा करने को कह रहे हैं । बहरहाल एक समस्या तो है जिसका समाधान खोजना पूरी दुनिया के लिए जरूरी है। मनुष्य सामाजिक प्राणी है । समाज तभी बनता है जब परिवार हो। समाज की सबसे बड़ी ताकत संयुक्त परिवार थी जो अब लगभग मर चुका है । मैं , मेरी बीबी और मेरे बच्चे सिद्धांत ने परिवारों के बीच दीवारें खड़ी कर दी है। नारी को इस बाबत सबसे ज्यादा विचार करने की आवश्यकता है क्योंकि वो जननी है उसको अपना स्वहित त्याग समाज हित को देखना होगा । अपना फिगर अपना कैरियर अपनी फ्री लाइफ अपने आनन्द से ऊपर उठ परिवार समाज व सनातन धर्म के लिये संकल्प लेना होगा। आप देखिए , पश्चिम में फैले अवसाद , अकेलापन और डिप्रेशन भारत में भी बहुत गहरे प्रवेश कर चुके है। इन्हें अब रोकना होगा रोकना होगा और यह कार्य भारतीय नारी ही कर सकती है। शिवानन्द मिश्रा Read more » Vanishing Society Indian Society लुप्त होता समाज भारतीय समाज
राजनीति दुश्मन की नींद उड़ाने वाला स्वदेशी चमत्कार- भारत का ‘आकाशतीर’ ड्रोन June 27, 2025 / June 27, 2025 | Leave a Comment शिवानन्द मिश्रा “आकाशतीर” नाम का यह स्वदेशी ड्रोन हाल ही में भारत-पाक संघर्ष के दौरान इस्तेमाल हुआ और इसकी ताकत देखकर पाकिस्तान ही नहीं, चीन और अमेरिका तक हैरान रह गए। ये ड्रोन पाकिस्तान की सीमा में बिना किसी शोर और रडार सिग्नल के गया, अपना टारगेट पूरा किया और सही-सलामत लौट भी आया। किसी […] Read more » Akashteer drone An indigenous miracle that will take away the enemy’s sleep – India’s ‘Akashteer’ drone
आर्थिकी भारत में प्रति व्यक्ति आय बढ़ाने के तरीके June 11, 2025 / June 11, 2025 | Leave a Comment शिवानन्द मिश्रा भारत जापान को पछाड़कर चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है।स्टॉक मार्केट रॉकेट बनकर उड़ रहा है। खबर सुकून वाली है लेकिन बस एक ही आंकड़ा है जो व्यथित करता है, जापान की आबादी 12 करोड़ है हमारी 150 करोड़। हर जापानी साल का 29 लाख रूपये कमा रहा है और हम 2.5 लाख […] Read more » Ways to increase per capita income in India भारत में प्रति व्यक्ति आय भारत में प्रति व्यक्ति आय बढ़ाने के तरीके
राजनीति भारत और इस्लामिक देश June 10, 2025 / June 10, 2025 | Leave a Comment शिवानन्द मिश्रा इस्लामिक देशों से भारत की दोस्ती कितनी गहरी और कितनी सांस्कृतिक है, मलेशिया की घटना से समझ लीजिए। यूँ तो सभी जानते हैं कि सऊदी अरब, अबुधाबी,कतर,संयुक्त अरब अमीरात आदि भारत के कितने खास दोस्त हैं, इतने खास कि मक्का मदीना और इस्लाम के जनक देशों में उन्हें मंदिर बनवाने तक से कोई […] Read more » India and Islamic countries भारत और इस्लामिक देश
राजनीति क्या पाकिस्तान 2029 से पहले “ध्वस्त” हो जाएगा? June 3, 2025 / June 3, 2025 | Leave a Comment शिवानन्द मिश्रा क्या पाकिस्तान 2029 से पहले “ध्वस्त” हो जाएगा? संक्षिप्त उत्तर है: हाँ। 28 अप्रैल को असीम मुनीर और शाहबाज़ शरीफ़ ने क्रिप्टो फ़ंड WLF को पाकिस्तानी संपत्तियाँ बेच दी हैं। बलूच, सिंध, पश्तून, POJK पहले से कहीं ज़्यादा गरम हो रहे हैं। लेकिन पाकिस्तान कैसे ध्वस्त होगा? ध्वस्त होने का मतलब है अंदर […] Read more » Will Pakistan "collapse" before 2029? पाकिस्तान
राजनीति अंतिम सांसे गिन रहा है नक्सलवाद। May 26, 2025 / May 26, 2025 | Leave a Comment शिवानन्द मिश्रा कौन था बसवराजू? कोई छोटा-मोटा नक्सली नहीं, नक्सलियों का हाफिज सईद था बसवराजू। सुरक्षाबलों ने जंगल में घुसकर किया ढेर। शीर्ष माओवादी नेता बसवराजू को सुरक्षाबलों ने किस रणनीति से किया ढेर? अब अंतिम चरण में है नक्सलवाद? 150 जवानों का हत्यारा, 1 करोड़ का इनाम, 70 घंटे का ऑपरेशन, आतंक के पर्याय […] Read more » नक्सलवाद
राजनीति उत्तेजना फैलाते विचार May 5, 2025 / May 5, 2025 | Leave a Comment शिवानन्द मिश्रा “उन्हें मार डालो… उन्हें नष्ट कर दो… उन्हें मिटा दो… अब केवल युद्ध की आवश्यकता है…” आजकल ऐसे लेख, विचार, सलाह सभी जगह छाए हुए हैं। प्रिंट मीडिया, सोशल मीडिया, टेली मीडिया सर्वत्र ऐसे समाचार भरे पड़े हैं। ऐसा ताज मत पहनो जिसके आप हकदार नहीं हैं। फिलहाल, भारत (मोदी सरकार) को किसी […] Read more » provocative thoughts उत्तेजना फैलाते विचार
आर्थिकी लेख अमेरिका के टैरिफ का चीन पर प्रभाव April 17, 2025 / April 17, 2025 | Leave a Comment शिवानंद मिश्रा चीन की पूरी अर्थव्यवस्था और जीडीपी एक्सपोर्ट आधारित है. चीन दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है जिसकी जीडीपी का 65% एक्सपोर्ट से आता है. इतना बड़ा एक्सपोर्ट दुनिया में कोई भी देश नहीं करता जितना बड़ा एक्सपोर्ट चीन करता है. अमेरिका चीन के लिए सबसे बड़ा बाजार था. अमेरिका के किसी भी मॉल में […] Read more » Impact of US tariffs on China अमेरिका के टैरिफ