राजनीति उत्तेजना फैलाते विचार May 5, 2025 / May 5, 2025 | Leave a Comment शिवानन्द मिश्रा “उन्हें मार डालो… उन्हें नष्ट कर दो… उन्हें मिटा दो… अब केवल युद्ध की आवश्यकता है…” आजकल ऐसे लेख, विचार, सलाह सभी जगह छाए हुए हैं। प्रिंट मीडिया, सोशल मीडिया, टेली मीडिया सर्वत्र ऐसे समाचार भरे पड़े हैं। ऐसा ताज मत पहनो जिसके आप हकदार नहीं हैं। फिलहाल, भारत (मोदी सरकार) को किसी […] Read more » provocative thoughts उत्तेजना फैलाते विचार
आर्थिकी लेख अमेरिका के टैरिफ का चीन पर प्रभाव April 17, 2025 / April 17, 2025 | Leave a Comment शिवानंद मिश्रा चीन की पूरी अर्थव्यवस्था और जीडीपी एक्सपोर्ट आधारित है. चीन दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है जिसकी जीडीपी का 65% एक्सपोर्ट से आता है. इतना बड़ा एक्सपोर्ट दुनिया में कोई भी देश नहीं करता जितना बड़ा एक्सपोर्ट चीन करता है. अमेरिका चीन के लिए सबसे बड़ा बाजार था. अमेरिका के किसी भी मॉल में […] Read more » Impact of US tariffs on China अमेरिका के टैरिफ
लेख समाज भारतीय जनमानस कहां जा रहा है April 10, 2025 / April 10, 2025 | Leave a Comment शिवानंद मिश्रा भारत जैसा देश जहां विभीषण और जामवंत जैसे नीतिज्ञ हुए जिनकी परंपरा का निर्वहन करते हुए विदुर से लेकर कौटिल्य तक हमारे आदर्श हुए,आज उन्हीं मनीषियों के देश का युवा निर्णयहीन सा दिखता है। पंचतंत्र और हितोपदेश पढ़ने वाले देश का युवा आज तर्कशीलता और वाक्पटुता का आचरण तक नहीं जानता। ध्रुव, प्रह्लाद, नचिकेता और आदिशङ्कर के देश में जन्मा युवा आज मानसिक स्वास्थ्य को लेकर चिंतित है। जिस देश में ‘यत्र नार्यस्तु पूजन्ते रमन्ते तत्र देवता’ पढ़ाया जाता हो,उस देश में महिला अपराध का वर्ष दर वर्ष बढ़ना एक खतरनाक संकेत है। जिस देश में स्त्री का उदाहरण सीता, सती और सावित्री हों, वहां की नारी दहेज और एल्युमनी का केस करती है । जिस देश में राम,शिव और कृष्ण जैसे पुरुष का उदाहरण हो जिन्होंने स्त्री को सदैव पुरुष के समतुल्य माना, उस देश में पुरुष का स्त्री को सिर्फ घर और भोग तक सीमित रखना अजीब लगता है । रामायण और गीता पढ़ने वाले देश में अवसादग्रस्त युवा, योद्धाओं के वाङ्मय पढ़कर जवान हुआ युवा अपने अंतर्द्वंद्व से हार जा रहा है। भारत में बीते दशकों में हुई संचार क्रांति ने भारत के संयुक्त परिवार को एकल परिवार और परिवार नियोजन से लेकर आईवीएफ तक पहुँचा दिया है। सभी के हाथ का फोन स्मार्ट हो गया और सब भोले बन गए। फोन पतला होकर स्लिम ट्रिम और फिट हो रहा है और युवा बेडौल होते जा रहे हैं। खुद के शरीर में जंक फूड डाल रहे हैं और हर हफ़्ते समय से फोन का जंक क्लियर करते हैं। फैमिली टाइम नगण्य या शून्य हो रहा है और स्क्रीन टाइम बढ़ रहा है।आज सिर ऊपर करके बात किए घंटों बीत जाते हैं। गर्दन के दोनों किनारे की मसल्स पुश करना अच्छा लगता है क्योंकि युवा बेवज़ह के तनाव में हैं। चाय या सिगरेट पीते वक्त यहां तक कि अब लोग टायलेट में भी अपने फोन की स्क्रीन स्क्रॉल कर रहे हैं। यहां सब कुछ उपलब्ध है जो लोग देखना चाहते हैं, अश्लील साहित्य, पोर्न, क्राइम रिलेटेड, रिलेशनशिप, मोटिवेशनल हर तरह के वीडियोज और उनकी रील्स। एक डेटा के अनुसार औसत भारतीय दिन के पांच घंटे रील्स देख रहा है और पंद्रह सेकेंड में यह तय कर ले रहा है कि यह रील देखनी है या नहीं। फिर उसे स्क्रॉल करके आगे बढ़ जा रहा है। लेकिन यही भारतीय एक निर्णय लेने की क्षमता नहीं रखता। वह कम से कम बीस लोगों से उसका अच्छा और बुरा पूछता है। आज हम आप या अन्य कोई भी हो, देर रात जागते हैं, कारण बढ़ती अनिद्रा जिसका कारण भी हाथ का फोन है। इस फोन ने लोगों मौन कर दिया है। हम घर आकर किसी से बात तक नहीं करते न कोई घरवाला बात करना चाहता है। किसी को यह चिंता नहीं कि कैसे हैं। आज ऑफिस में या कालेज या अन्य जहां भी हैं वहां क्या हुआ ? साथी आपके साथ कैसे हैं? किसी को इन सबसे कोई मतलब नहीं। सबको महीने की पगार या मार्कशीट से मतलब है। सभी अपने-अपने फोन में व्यस्त हैं। लोग इसी अकेलेपन से जूझते हुए अपने फोन को अपना साथी बना लेते हैं, मजबूरन। लेकिन लोग किन चिंताओं की चिता पे लेट रहे हैं, किसी को कोई परवाह नहीं। फिर अचानक हुई आत्महत्या के बाद लोग कहते हैं, सब कुछ अच्छा था। रोज हंसता हुआ आता-जाता था।ऐसा अचानक कैसे हुआ? कुछ भी अचानक से नहीं हुआ है। वह व्यक्ति अपने मन की बात कहना चाहता था जिसे सुनने वाला कोई नहीं था। अगर वो बात समय पर किसी से कह देता तो आज उसका पंचनामा न हो रहा होता। वह ऐसी बात थी जिसे सबसे कहना उचित नहीं समझता था और शायद सामाजिक बदनामी से भी डरता था। किसी को दिया उधार,कोई प्रेम प्रसंग, किसी विषय में फेल होने का अपराधबोध ऐसे तमाम कारण होते हैं जिसे हम सबसे साझा नहीं कर सकते और यही हमारी मानसिक अस्वस्थता का रुप लेते हैं। आज मानसिक तनाव से हर पांचवां भारतीय ग्रसित है। हर कोई पीड़ित होने के बाद आत्महत्या नहीं करता हैं। कुछ जगह संबंध-विच्छेद और अपराध के भी मामले देखे जाते हैं। विदेशों में मानसिक स्वास्थ्य के लिए स्पेशल कोर्स,दवाएं और कुछ विशेष अस्पतालों का निर्माण किया गया है जहां पीड़ित व्यक्ति को परिवार जैसा देखभाल देने की तैयारी की गई है जबकि भारत में लोगों को मानसिक स्वास्थ्य पर चर्चा करना ऐसा लगता है कि पागलों की बात कर रहा है। कुछ बुद्धिमान मनोचिकित्सक को दिखाने की सलाह दे देते हैं। मानसिक स्वास्थ्य मनोचिकित्सकों के लिए ऐसा है,जैसे फल की दुकान में सब्जी बेची जाए। राजनीति, तंत्र और व्यापार से इतर एक सत्य यह है कि अगले कुछ वर्षों बाद भारत में मानसिक स्वास्थ्य का व्यापार हजारों करोड़ का होने वाला है। क्या आप इस बदलाव के लिए तैयार हैं ? शिवानंद मिश्रा Read more »
लेख अद्भुत भारतीय न्यायपालिका का एक अविश्वसनीय कारनामा। April 3, 2025 / April 3, 2025 | Leave a Comment शिवानंद मिश्रा वर्ष 1997 में सुप्रीम कोर्ट ने एक प्रस्ताव पारित किया था कि सभी जज अपनी संपत्ति का खुलासा सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के समक्ष करेंगे। इसके बाद 2005 में भारत में आरटीआई कानून लागू हुआ जिसके तहत कोई भी भारतीय नागरिक सरकार से कोई भी जानकारी प्राप्त कर सकता है। इसलिए 2007 […] Read more »
कला-संस्कृति मनोरंजन लेख राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में घोष का इतिहास April 1, 2025 / April 1, 2025 | Leave a Comment शिवानंद मिश्रा संघ की स्थापना 1925 के मात्र 2 वर्ष बाद 1927 में संघ में घोष को शामिल किया गया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जिसे आरएसएस या संघ परिवार के नाम से भी जाना जाता है, उसकी स्थापना सन 1925 में हुई। संघ के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण बात यह भी है कि अधिकांश लोग संघ के स्वयंसेवकों के सेवाकार्यों और शाखा पर होने वाले दंड प्रदर्शन से ही परिचित हैं किंतु संघ के ऐसे अनेकों रचनात्मक और सृजनात्मक कार्य हैं जो उसके स्वयंसेवकों की कठोर साधना से सिद्ध हुए हैं। ऐसा ही एक काम है संघ का घोष-वादन। जैसा कहा जाता है कि संघ कार्य का विस्तार देश, काल, परिस्थिति के अनुरूप समाजोपयोगी और प्रासंगिकता के अनुरूप बड़ी सहजता से हुआ है। आरंभिक समय में शाखा पर केवल व्यायाम और सामान्य चर्चा हुआ करती थी. फिर धीरे-धीरे शारीरिक और बौद्धिक कार्यक्रम होने लगे। इसी क्रम में शारीरिक अर्थात फिजिकल एक्सरसाइज में भी समता और संचलन का अभ्यास आरंभ हुआ। संचलन के समय शारीरिक विभाग ने इस बात पर विचार किया कि यदि संचलन के साथ घोष वाद्य का प्रयोग किया जाए तो इसकी रोचकता, एकरूपता और उत्साह में चमत्कारिक परिवर्तन हो सकता है। स्वयंसेवकों की इच्छा शक्ति का ही परिणाम था कि संघ स्थापना के केवल दो वर्षों बाद 1927 में शारीरिक विभाग में घोष भी शामिल हो गया। यह इतना आसान कार्य नहीं था। उस समय दो चुनौतियाँ थीं, एक तो यह कि घोष वाद्य जो संचलन में काम आ सकें, वे महँगे थे और सेना के पास हुआ करते थे। दूसरा यह कि उसके कुशल प्रशिक्षक भी सैन्य अधिकारी ही होते थे। चूँकि संघ के पास न तो इतना धन था कि वाद्य यंत्र खरीदे जा सकें और उस पर भी यह राष्ट्रभक्तों का ऐसा संगठन था जिसके संस्थापक कांग्रेस के आंदोलनों से लेकर बंगाल के क्रांतिकारियों के साथ काम कर चुके थे, इसलिए किसी सैन्य अधिकारी से स्वयंसेवकों को प्रशिक्षित कराना बड़ा कठिन कार्य था। उस समय सैन्य अधिकारियों को केवल सेना के घोष-वादकों को ही प्रशिक्षित करने की अनुमति थी। इस चुनौती से निबटने के लिए संघ के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार जी के परिचित बैरिस्टर श्री गोविन्द राव देशमुख जी के सहयोग से सेना के एक सेवानिवृत बैंड मास्टर के सहयोग से स्वयंसेवकों को घोष वाद्यों का प्रशिक्षण दिलाया गया। शंख वादन के लिए मार्तंड राव तो वंशी के लिए पुणे के हरिविनायक दात्ये जी आदि स्वयंसेवकों ने शंख, वंशी,आनक जैसे वाद्य यंत्रों पर अभ्यास आरंभ किया। इस प्रकार संघ में घोष का एक आरंभिक स्वरूप खड़ा हुआ। पाश्चात्य शैली के बैंड पर उनके ही संगीत पर आधारित रचनाएँ बजाने में भारतीय मन को वैसा आनंद नहीं आया जैसा कि आना चाहिए था। तब स्वयंसेवकों का ध्यान इस बात पर गया कि हमारे देश में हजारों वर्ष पूर्व महाभारत युद्ध में भगवान श्रीकृष्ण ने पांचजन्य और धनुर्धारी अर्जुन ने देवदत्त बजाकर विरोधी दल को विचलित कर दिया था। भगवान कृष्ण के समान वंशी वादक संसार में कोई हुआ नहीं, अतः हमें इन वाद्यों पर ऐसी रचनाएँ तैयार करनी चाहिए जिनमें अपने देश की नाद परंपरा की सुगंध हो। स्वर्गीय बापूराव व उनके साथियों ने इस दिशा में कार्य आरंभ किया। इस प्रकार राग केदार, भूप, आशावरी में पगी हुई रचनाओं का जन्म हुआ। स्वयंसेवकों ने घोष वाद्यों को भी स्वदेशी नाम प्रदान कर उन्हें अपनी संगीत परंपरा के अनुकूल बनाकर उनका भारतीय करण किया। इस क्रम में साइड ड्रम को आनक, बॉस ड्रम को पणव, ट्रायंगल को त्रिभुज, बिगुल को शंख आदि नाम दिए गए जो कि ढोल, मृदंग आदि नामों की परंपरा में ही समाहित होते हैं। घोष की विकास यात्रा में प्रथम अखिल भारतीय घोष प्रमुख श्री सुब्बू श्रीनिवास का नामोल्लेख भी अत्यंत समीचीन होगा। अनेक वर्षों तक सतत प्रवास करके घोष वर्ग और घोष शिविरों के माध्यम से पूरे देश में हजारों कुशल घोष वादक तैयार किये। घोष वादकों में निपुणता और दक्षता की दृष्टि से अखिल भारतीय घोष शिविर आयोजित किये जाने लगे। श्री सुब्बू जी घोष के प्रति इतने समर्पित रहे कि सतत प्रवास के कारण उनका स्वास्थ्य भी गिरने लगा किन्तु अंतिम साँस तक बिना रुके, बिना थके वे ध्येय मार्ग पर बढ़ते रहे। परंपरागत वाद्य शंख, आनक और वंशी से आरंभ हुई घोष यात्रा आज नागांग, स्वरद आदि अत्याधुनिक वाद्यों पर मौलिक रचनाओं के मधुर वादन तक पहुँच गई है। घोष वादन में मौलिक और भारतीय नाद परंपरा को समृद्ध करने की यात्रा प्रथम रचना गणेश से आरंभ होकर लगभग अर्ध शतक पूर्ण कर निरंतर बढ़ती जा रही है। शिवानंद मिश्रा Read more » History of Ghosh in RSS
Tech लेख टेक कंपनियों की भयावह दुनिया March 25, 2025 / March 25, 2025 | Leave a Comment शिवानंद मिश्रा क्या आपको लगता है कि आपके मस्तिष्क में क्या चल रहा है, इसे कोई टेक कंपनी नहीं जान सकती? आप जो सोचते हैं,जो महसूस करते हैं,और यहां तक कि जो सपने देखते हैं—सब कुछ टेक कंपनियों के रडार पर है। आपको लगता होगा कि आपका मस्तिष्क अभेद्य किला है लेकिन हकीकत इससे कहीं ज्यादा […] Read more » टेक कंपनियों की भयावह दुनिया
आर्थिकी टेलिविज़न बच्चों का पन्ना मनोरंजन Byju’s: भारत की सबसे बड़ी एजुकेशन कंपनी का पतन March 25, 2025 / March 25, 2025 | Leave a Comment शिवानंद मिश्रा एक समय था जब बायजूस को भारत की सबसे बड़ी और सफल एजुकेशन टेक्नोलॉजी (एडटेक) कंपनी के रूप में देखा जाता था। यह कंपनी बच्चों और युवाओं के लिए ऑनलाइन लर्निंग का सबसे प्रभावशाली माध्यम बन चुकी थी। बायजूस के संस्थापक बायजू रविंद्रन ने अपने टीचिंग के अनोखे अंदाज और बिजनेस मॉडल […] Read more » Byju's: The fall of India's largest education company
राजनीति आप और पंजाब का दस्तूर March 12, 2025 / March 12, 2025 | Leave a Comment शिवानंद मिश्रा यह पंजाब का दस्तूर है कि वहां सत्ता चलाने के रास्ते 2 ही हैं… या खुलकर तुष्टिकरण… या प्रदेश भर में ‘डांग फेरी जाए’ (लट्ठ चलाए)। समय रहते ही कट्टरवादी पंथकों पर डंडा नहीं चलाने वाली सरकारों के हाल बुरे ही हुए हैं जैसे ज्ञानी जैल सिंह , दरबारा गवर्नमेंट,बरनाला सरकार,भट्ठल गवर्नमेंट,सुखबीर बादल सरकार,चन्नी […] Read more » The tradition of Punjab to rule The tradition of you and Punjab आप और पंजाब
टेक्नोलॉजी धर्म-अध्यात्म मस्तिष्क की परिसंरचना में AI का प्रवेश। March 5, 2025 / March 5, 2025 | Leave a Comment शिवानंद मिश्रा क्या आपको लगता है कि आपके मस्तिष्क में क्या चल रहा है, इसे कोई टेक कंपनी नहीं जान सकती? अगर ऐसा सोचते हैं तो आप भारी गलतफहमी में हैं। आप जो सोचते हैं, जो महसूस करते हैं, और यहां तक कि जो सपने देखते हैं—सब कुछ टेक कंपनियों के रडार पर है। आपको […] Read more » Entry of AI into the brain ecosystem. मस्तिष्क की परिसंरचना में AI का प्रवेश
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म भगवान राम की सीख November 18, 2024 / November 18, 2024 | Leave a Comment शिवानंद मिश्रा वनवास के समय एक भीषण वन से गुजरते समय श्रीराम एक विकराल दैत्य को देखते हैं। इतना बड़ा कि वह सिंह, हाथियों, भैंसे आदि बड़े पशुओं को भी खाते हुए आगे बढ़ रहा है। संदेह न कीजिये, अधर्म का स्वरूप इतना ही विकराल होता है । उस गहन वन में दूर दूर तक […] Read more » Lord Ram's teachings