शरद ऋतु

4
540

हर सिगार के फूल झड़े हैं,

मौसम ने करवट बदली है।

शरद ऋतु आने वाली है,

फूलों ने संदेशा भेजा है।

ख़ुशबूदार पवन का झोंका,

खिड़की से भीतर आया है।

 

वर्षा ऋतु ने मांगी विदाई,

अगले बरस मै फिर आउँगी

गर्मी और उमस को भी

मै अपने संग ही ले जाऊँगी।

कभी कभी छींटे पानी के,

जब तब आकर दे जाउँगी।

 

ये मौसम त्योहारों का है।

नवरात्रि, दशहरा और दिवाली,,

भाईदूज फिर शरद पूर्णिमा,

मिलजुल कर सभी मनायेंगे।

शरद ऋतु ये बड़ी सुहानी,, , ,

मनमोहक है और मस्तानी।

 

आते जाते हर मौसम के,

चित्र बनाऊँ रंग बिरंगे।

काग़ज़ बना कैनवस मेरा

शब्द सजाऊँ मै क़लम से।

शरद ऋतु जायेगी जब,

शीत ऋतु आयेगी तब।

 

4 COMMENTS

  1. शरद ऋतु…

    कभी कभी छींटे पानी के,

    जब तब आकर दे जाउँगी।

    बहुत मार्मिक भाव है । ऐसी कविता के लिए बधाई ।

    विजय निकोर

  2. बीनू भटनागर जी की एक और कविता पढ़ कर आनंदित हो गया हूँ . खूब लिखा है उन्होंने –

    आते – जाते हर मौसम के
    चित्र बनाऊँ रंग – बिरंगे

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

* Copy This Password *

* Type Or Paste Password Here *

17,849 Spam Comments Blocked so far by Spam Free Wordpress