यक़ीनन मोदी ने भ्रष्टाचारियों का 70 साल का सब-कुछ लूट लिया| उन्हें नोट की जगह कागज़ थमा दी| उनकी पीढ़ियों के सुख-सुविधा के लिए जमा पूंजी बर्बाद कर दी| 8 नवम्बर की रात भारत के प्रधानमंत्री ने गुपचुप समूचे देश के बेईमानों के घर डाके डाल दिए| अमीरों का सुख-चैन छीन लिया| लोग खदबदा उठे, चिंतित हो गए लेकिन अपने प्रधानमंत्री के निर्णय, उनके इरादों का जमकर समर्थन किया| नोटबंदी का फैसला जनता के लिए भले ही तकलीफदेह हो लेकिन यह भारत की आर्थिकी में संजीवनी का काम करेगा और नए आर्थिक आयाम भी सिद्ध होंगे| लोग बैंकों की लम्बी कतारों में खड़े होकर भी देश की आर्थिकी की चिंता करने लगे हैं जो पहले राजनितिक संभावनाओं के लिए चायों की दूकान तक सीमित थी|
देश वाकई में तभी गंभीर, समझदार या ईमानदार बनता है जब उसे चलाने वाले देश के लोगों के उज्जवल भविष्य के लिए ईमानदारी दिखाए, गंभीर हो| भ्रष्टाचार, बेईमानी से कमाया धन भले ही चंद लोगों को सुकून देता हो मगर ईमानदारी की राह पर चलने वाले लोगों के वर्तमान में मोदी हैं, उनकी व्यवस्था में नोटबंदी जैसे फैसले भी हैं और भ्रष्टों को मिटा देने की सनक भी है| ये सोंच, ये गंभीरता और व्यवस्था में कायापलट की जरूरतों के बलबूते समाज बेशक नई ऊचाईयों पर जाएगा| अगर सब कुछ ऐसा ही होता रहा तो वो दिन भी दूर नहीं जब लोग अपने हक़ के लिए कमाएं, मानवता में यकीन करें और देश को अपना परिवार समझें| ये थोडा कठिन है पर असंभव भी नहीं|
नोटबंदी का व्यापक असर निश्चित तौर पर आम जन जीवन पर पड़ा है| लोग 500, 1000के नोट लेकर सड़कों पर भटक रहे हैं| घरेलु महिलाओं की बचत के बैंकों में आ जाने मात्र से ही देश की आर्थिकी में मुद्रा का प्रवाह काफी बढ़ जाएगा| बैंकों, एटीएम के बाहर लगी शांतिपूर्ण लाइनों से लोग इस फैसले को सहजता से स्वीकार भी कर रहे और मोदी को इस फैसले के लिए बधाई भी दे रहे| बड़े नोटों की जमाखोरी और नकली नोटों के चलन से न केवन हमारी विकास रफ़्तार में बाधा पहुँच रही थी बल्कि देश के अमीरों-गरीबों के बीच आय में गहरी खाई उत्पन्न हो गई थी| इसलिए भी की लोग पैसों के लिए शॉर्टकट का इस्तेमाल करते हैं| यही शॉर्टकट का प्रयोग लोगों को अथाह, अनगिनत पैसे-साधन तो उपलब्ध तो करा देता है लेकिन उनका जीवन अशांत हो जाता है| मन में पैसों का डर बैठ जाता है| सरकार और उसकी व्यवस्था को ठेंगा दिखाया जाता है और अंततः देश ऐसे लोगों से कराह उठता है और जनता मोदी जैसे को आगे लाने की जरुरत महसूस करती है|
आम जनता में कुछ लोग बेईमान जरूर हैं पर ख़ास लोगों में नेताओं और उनकी पार्टियों का बेईमानी पर कॉपीराइट है| नेता, अफसर, जमाखोर ही सबसे ज्यादा उत्पात मचाते हैं, लोगों को लुटते हैं लेकिन इस बार उनकी लुटी है और आम जनता मज़े ले रही है, तालियाँ ठोंक रही है| नगद लेन-देन के बलबूते चल रहे नेताओं और पार्टियां औंधे मुंह गिरी है| मोदी के फैसले के साथ समूचा देश खड़ा है, उन्हें जनता से वाहवाही भी मिल रही है और ऐसा प्रधानमंत्री पाने का सौभाग्य से उन्हें आशीर्वाद भी|
देश भविष्य में और भी होने वाले सख्त निर्णयों को झेलने के लिए तैयार खड़ा है| देश बदल रहा है… यक़ीनन देश बदलेगा, हम भी बदल रहे हैं… यक़ीनन हम भी बदल जायेंगें… ईमानदार हो जायेंगे…