बारह साल बाद महाशिवरात्रि का दुर्लभ शिवयोग संयोग

mahashivratriइस बार महाशिवरात्रि का त्योहार सात मार्च को यानी सोमवार को मनाया जाएगा।  देवों के देव महादेव की आराधना का शिवरात्रि महापर्व सोमवार के दिन शिवयोग धनिष्ठा नक्षत्र में सात मार्च को है। सोमवार का दिन तो वैसे भी शिव का प्रिय दिन है। इस दिन दुर्लभ शिवयोग का संयोग श्रद्घालुओं के लिए विशेष फलकारी है। चार साल बाद बना यह योग लोगों के जीवन में शिव की कृपा प्राप्ति में सहायक रहेगा। इससे पहले यह वर्ष 2012 में यह योग आया था। इस दिन पंचग्रही और चांडाल योग भी रहेगा। जिनका चंद्रमा शुक्र राहु खराब हो उनके लिए शिव पूजा विशेष फलदायी होगी।

कई वर्षों बाद इस बार महाशिवरात्रि अद्भुत संयोग लेकर आ रही है। ज्योतिषाचार्यों की माने तो वर्षों बाद इस तरह का संयोग निर्मित हुआ है।  इस शुभ संयोग शिवरात्रि पर शिव की आराधना का भक्तों को कई गुणा अधिक फल प्राप्त होगा। भगवान रुद्र रूप में प्रकट हुए थे।भगवान को जलाभिषेक व पूजा-पाठ करने से घर में सुख- समृद्धि बनी रहेगी। धार्मिक कार्यों की दृष्टि से यह खास माना गया है।

देश भर के शिव मंदिरों और शिवालयों में तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। महाशिवरात्रि का पावन दिन सभी कुंवारी कन्याओं को मनचाहा वर और विवाहित महिलाओं को अखंड सुहाग का वरदान दिलाने वाला सुअवसर प्रदान करता है। अगर विवाह में कोई बाधा आ रही हो, तो भगवान शिव और जगत जननी के विवाह दिवस यानी महाशिवरात्रि पर इनकी पूजा-अर्चना करने से मनोकामनाएं अवश्य पूर्ण होती हैं। इस दिन व्रती को फल, पुष्प, चंदन, बिल्वपत्र, धतूरा, धूप, दीप और नैवेद्य से चारों प्रहर की पूजा करनी चाहिए। दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से अलग-अलग तथा सबको एक साथ मिलाकर पंचामृत से शिव को स्नान कराकर जल से अभिषेक करें। चारों प्रहर के पूजन में शिव पंचाक्षर ‘ओम् नमः शिवाय’ मंत्र का जप करें।

महाशिवरात्रि पर लाखों की संख्या में श्रद्धालु शिव मंदिरों में जाकर भगवान शंकर की पूजा करते हैं। पूजन के बाद शाम को शिवजी की बारात धूमधाम से निकलती है। शास्त्रों में सोमवारको भगवान शंकर हेतु विशेष माना जाता है क्योंकि सोमवार चंद्रदेव को समर्पित है व भगवान शंकर को चंद्रशेखर भी कहा जाता है। भगवान शंकर के पूजन से सुख-समृद्धि मिलेगी। इस बार शिव योग रात 8.18 बजे तक रहेगा। सोमवार शिव आराधना के लिए श्रेष्ठ होता है और चार साल बाद महाशिवरात्रि सोमवार को रही है।

इस बार सात मार्च को मनाए जा रहे महाशिवरात्रि पर्व पंचग्रही व शिव योग में मनाया जाएगा। इस दिन कुंभ राशि में सूर्य, चंद्रमा, बुध, शुक्र व केतु का मिलन होगा। जिससे इसकी मान्यता और भी बढ़ जाती है। इस बारे में ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि कुंभ राशि में पाच ग्रहों का यह योग महाशिवरात्रि पर चारों प्रहर की पूजा करने वाले शिव भक्तों को स्थिर लक्ष्मी व अरोग्यता प्रदान करेगा। जो व्यक्ति पूरे वर्ष कोई उपवास नहीं रखता है, लेकिन वह केवल शिवरात्रि का ही व्रत कर लेता है तो उसे साल भर किए जाने वाले उपवासों के बराबर फल की प्राप्ति होती है।

इस बार की महाशिवरात्रि विशेष महत्वपूर्ण

1-  वैसे तो हर मास की कृष्णपक्ष चतुर्दशी को मास शिवरात्रि मनाई जाती है लेकिन फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को त्रयोदशी सयुक्त चतुर्दशी एवं रात्रि प्रधान चतुर्दशी को महाशिवरात्रि की प्रधानता मानी गई है।

2-  इस बार चतुर्दशी सात मार्च सोमवार दोपहर 1-20 बजे से प्रारम्भ होकर मंगलवार प्रातः10-33 तक रहेगी।

3-  यह महाशिवरात्रि इसलिए भी बहुत विशेष है क्यों की शिव की दोनों तिथियाँ त्रयोदशी और चतुर्दशी शिववार सोमवार को आ रही हैं।

4-  इसी दिन शुभ योग एवं पंचग्रह ग्रहण और कालसर्प योग भी रहेंगे जिनसे ग्रह शांति का विशेष लाभ मिलेगा।

5-  शिव तंत्र के महादेव हे इसलिए तंत्र की चार महारात्रियों में से एक तथा मार्च की पहली महारात्रि महाशिवरात्रि है।

6-  तंत्र में कई साधना ऐसे होती हे जो केवल इसी रात्रि को की जा सकती है।

7-  इस साधना को करने से कई गुना फलदायी एवं सुख-समृद्धि दायक होती हैं।

8-  इसी दिन शिवज्योति प्राकट हुई थी और शिव पारवती का विवाह हुआ था।

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