भजन : द्रौपदी पुकार

तर्ज : लोक गीत ब्रज रसिया

मु : ओ प्यारे कृष्णा मुरार। -२,
सुनलो कृष्णा की पुकार,
अब क्यों है लगाई देरी,
ओ द्वारिका के सरकार। -२

अ १: तेरी कृष्णा बहन पुकार रही
मेरी लाज है लूटी जाए रही
तेरे सिवाए नहीं है कोई हमारा
मि : मेरे पति बैठे हैं लाचार
मेरा एक तू ही है आधार
ओ द्वारिका के सरकार। -२

अ २: दुशासन है अति बलधारी
सभा बीच मेरी खींचे साड़ी ,
मौनी बैठे है सब ज्ञानी ध्यानी
मि : सब देखे हैं अत्याचार
ओ द्वारिका के सरकार। -२

अब मुझको बस तेरा सहारा
तुम बिन कौन हरे दुःख भारा
जो न सुनो तुम मेरी विनति
मर जाऊं मार कतार
ओ द्वारिका के सरकार। -२

नन्दो राकेश हैं यह समझाए रहे
चीर रूप धर कन्हैया आये रहे
खींच न पायेगा साडी दुशासन
लग जाये साड़ियों का अम्बार
ओ द्वारिका के सरकार। -२

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