तर्ज: राधा के मन बस गए श्याम बिहारी
दोहा: गुरुभक्तों के लिए, गुरु से बड़ा न कोय।
गुरु सेवा से बड़ी जग में, सेवा कोई न होय।।
मु: भक्तों के दिल में, रम रहे गुरुवर प्यारे।
(शिष्यों के दिल में, रम रहे गुरुवर प्यारे। )
गुरु का रंग चढ़ा है ऐसा -2….
रंग फीके पड गए सारे।।
भक्तों के दिल में, रम रहे गुरुवर प्यारे।
अ: १ गुरु मंत्र का जाप करें हम, गुरु गीत ही गावैं।
गुरु शरण में आ कर, साधक बड़भागी हैं मानें।।
मि: गुरु कृपा से हम सब के —2,
अवगुण मिट गए सारे।।
भक्तों के दिल में, रम रहे गुरुवर प्यारे।
अ २: गुरु वंदना करते हैं सब, गुरु की महिमा सुनावें।
सातांग में जा कर के अपना, जीवन सफल बनावें।।
मि : दर्शन पा कर सतगुरु जी के —2,
बोल रहे हैं जयकारे ।।
भक्तों के दिल में, रम रहे गुरुवर प्यारे।
अ ३: गुरु गीता का पाठ करें, नित्य सत्शास्त्र ही भावें ।
मिथ्या है संसार की माया, गुरुवर हैं समझावें।।
मि: माया जाल छुड़ा कर सबको —2,
भव सागर से तारे।।
भक्तों के दिल में, रम रहे गुरुवर प्यारे।
अ ४: नन्दो राकेश गुरु चरणों की, रोज करें है पूजा।
(हम सब साधक गुरु चरणों की, रोज करें है पूजा। )
गुरु भक्ति से बढ़ कर, जग में कार्य नहीं कोई दूजा।।
मि: गुरु प्रसन्न हो जाएँ तो —2,
कर दें सबके वारे न्यारे।
भक्तों के दिल में, रम रहे गुरुवर प्यारे ।
नन्दो भैया हाथरसी