तर्ज : ओ बाबुल प्यारे
दोहा: बंसी बाजी श्याम की, जमुना जी के तीर।
गोपियाँ सुध बुध भूलीं, हो गयीं सभी अधीर।।
मु: ओ बंसी बारे, ओ बंसी बारे…
तेरी मुरली के ये धुन, करती मुझको है गुमसुम
हर लेती है मेरा मन,
ओ बंसी बारे, ओ बंसी बारे…
अ १: तेरी ही यादों में जीवन बिताया,
बढ़ती गई तन्हाई, __2
अब तो आई वो घडी, रहती हूँ मैं खड़ी की खड़ी
मि: तेरी यादों में भूली तन मन
ओ बंसी बारे, ओ बंसी बारे…
अ २: तरस न आया, ,इस विरहन पर
निकले बड़े ही निर्मोही,—–2
बंसी वैरिन हो गई मेरी, यह तो मुझको ही है हैरी,
मि : बिना तेरे जियूं क्यू प्रियतम
ओ बंसी बारे, ओ बंसी बारे…
अ ३: अब तो सुन ले पुकार हमारी
कैसी है यह अड़चन —-2
याद सताए मोहन तेरी, लगायी क्यू है इतनी देरी
मि : मिटा दो मेरे तेरे का वहम
ओ बंसी बारे, ओ बंसी बारे…
अ ४: नन्दो भैया का है समझाना
प्रभु मय हो जीवन —-2
(लागे सच्ची लगन) —–2
प्रभु बेडा पार करेंगे, तेरे संकट सभी हरेंगे,
राकेश चरणों करता है नमन
ओ बंसी बारे, ओ बंसी बारे…
नन्दो भैया