भवेश पटेल ने खोली सरकारी षड्यंत्र की परतें-

congress6– डा० कुलदीप चन्द अग्निहोत्री

 

सोनिया कांग्रेस काफ़ी अरसे से भारत में अपने एजेंडा पर धीमी गति से कार्य कर रही है । पिछले दस साल से सरकारी मशीनरी पर भी उसका नियंत्रण हो गया है , अत: अपने एजेंडा की पूर्ति में अब उस का भी दुरुपयोग किया जा रहा है । सोनिया कांग्रेस का एजेंडा किसी भी तरह भारत की राष्ट्रवादी शक्तियों को आतंकवादी के नाम से प्रचारित करना है और इतना ही नहीं विश्व के अन्य देशों के सामने भी उन्हें आतंकवादी सिद्ध करना है । विश्व राजनीति में अपनी दादागिरी करने वाले देश सोनिया कांग्रेस द्वारा प्रदान की गई सहायता से भारत में आतंकवादी स्थिति पर चर्चा करने के बहाने , भारत की राष्ट्रवादी शक्तियों को घेरने की साजिश शुरु कर सकते हैं , जिसकी आशंका दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है । इस ऐजंडा की पूर्ति के लिये सोनिया कांग्रेस लगभग वही तरीक़े इस्तेमाल कर रही है जो कभी इटली का मुसोलिनी अपने विरोधियों को मारने से पहले उन्हें बदनाम करने के लिये इस्तेमाल करता था । लगता है सोनिया कांग्रेस ने अपने ऐजंडा की पूर्ति के लिये मैकयावली को पार्टी का गुरु बना लिया है । लेकिन दुर्भाग्य से यह इटली नहीं भारतवर्ष है । यहाँ मुसोलिनी के प्रशासन की शैली का प्रयोग करने के बाद भी किसी न किसी भवेश पटेल की अन्तरात्मा जाग जाती है और सरकार के हथकण्डे और षड्यंत्र दिन के उजाले में नंगे हो जाते हैं । सोनिया कांग्रेस सरकार के भवेश पटेल कांड की चर्चा करने से पहले हम देखें कि पटेल ने क्या कहा था , जिसने तहलका मचा दिया । भवेश पटेल ने राष्ट्रीय जांच अभिकरण के विशेष न्यायालय को लिखी एक चिट्ठी में कहा कि सोनिया कांग्रेस के सिपाहसलारों दिग्विजय सिंह, केन्द्रीय मंत्रियों सुशील कुमार शिन्दे और प्रकाश जायसवाल और आर पी एन सिंह ने मुझे लाखों रुपयों की पेशकश की थी ताकि मैं अजमेर दरगाह विस्फोट मामले में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के मोहन भागवत और इन्द्रेश कुमार की संलिप्तता की बात अपने बयान में दर्ज करवा दूँ ।

पटेल के इस चौंकाने वाले रहस्योदघाटन के बाद देखें कि यह भवेश पटेल कौन है और इस षड्यंत्र के अन्य पात्र कौन कौन से हैं और उनकी इस राष्ट्रविरोधी षड्यंत्र में क्या भूमिका रही है । भवेश पटेल का नाम पुलिस ने अजमेर दरगाह विस्फोट मामले में दर्ज की गई प्राथमिक सूचना रपट में दर्ज किया था । पुलिस ने कहा कि पटेल को गिरफ़्तार करने का वह प्रयास कर रही है , लेकिन वह पकड़ में नहीं आ रहा । लेकिन भवेश पटेल तो मुरादाबाद में प्रमोद त्यागी के आश्रम में ही रह रहा था । और पटेल का कहना है कि त्यागी के इसी आश्रम में उसकी भेंट एन.आई.ए के आई .जी से मुलाकात हुई थी । त्यागी के पास पटेल १८ महीने रहा । ताज्जुब है पुलिस उसे फिर भी न जानने का दावा करती रही । अब यह नया फ़ंडा । आख़िर यह  प्रमोद त्यागी कौन है ? प्रमोद त्यागी बहुत देर तक युवा कांग्रेस में सक्रिय रहा । सोनिया कांग्रेस की ओर से उत्तर प्रदेश में चुनावों में भी उछल कूद करता रहा । यह अलग बात है कि त्यागी चुनाव जीत नहीं सका । तब शायद पार्टी ने इस कार्यकर्ता के लिये नई भूमिका चुनी । पुराणों में कल्कि अवतार के आने की बात लिखी हुई है । त्यागी ने समझ लिया यह पद अभी ख़ाली पड़ा है , अत: पद पर तो क़ब्ज़ा किया ही जा सकता है । किसी को एतराज़ भी नहीं हो सकता । अाखिर इस पद के लिये तो लोकसभा के लिये चुनाव नहीं होगा । अत: त्यागी ने अपने आप को विधिवत कल्कि घोषित कर दिया और पद की गरिमा के अनुरुप अपना नाम भी त्यागी हटा कर कृष्णन कर लिया । प्रमोद कृष्णन । मुरादाबाद के अपने गाँव अचोडा कम्बोह में कल्किधाम का निर्माण किया । वहाँ कल्कि महोत्सव शुरु किया । सोनिया कांग्रेस के इस नये कल्कि के आश्रम में कपिल सिब्बल से लेकर प्रकाश जायसवाल,राजीव शुक्ला ,दिग्विजय सिंह तक सभी आते हैं । सोनिया कांग्रेस का यह कल्कि अवतार बीच बीच में नरेन्द्र मोदी और बाबा रामदेव के खिलाफ भी ज़हर उगलता रहता है ।

भवेश पटेल के माता पिता प्रमोद त्यागी को सचमुच नया कल्कि मान कर उसके उपासक हुये । उसी हैसियत में पटेल आश्रम में रहता था । पटेल का कहना है कि इसी त्यागी ने उसकी सोनिया कांग्रेस के प्रमुख नेताओं यथा गृहमंत्री शिन्दे और महासचिव दिग्विजय सिंह से मुलाक़ात करवाई । एन.आई.ए के अधिकारी भी पटेल से इसी त्यागी के तथाकथित आश्रम में मिलते थे । पटेल का कहना है कि दिग्विजय सिंह ने उसे आश्वासन दिया था कि तुम इस कांड में संघ प्रमुख मोहन भागवत एवं कार्यकारिणी सदस्य इन्द्रेश कुमार का नाम ले देना , तो तुम्हें गिरफ़्तारी के महीने बाद ही ज़मानत पर छुड़ा दिया जायेगा । इस काम के लिये उसे पैसे का आश्वासन भी दिया गया । शायद इसी समझौते के तहत मार्च में भवेश पटेल का आत्मसमर्पण हुआ । न्यायालय ने पटेल को न्यायिक हिरासत में भेज दिया । इसके बाद का पटेल का वक्तव्य चौंकाने वाला है । उसके अनुसार जयपुर जेल से ही अपने मोबाईल फ़ोन पर जाँच अधिकारी विशाल गर्ग ने उसकी एन.आई.ए के आई.जी संजीव कुमार सिंह और प्रमोद त्यागी से बात करवाई ,जिसमें उन्होंने भागवत और इन्द्रेश का नाम लेने के लिये फिर दबाव और लालच दिया । २३ मार्च को पटेल ने दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा १६४ के तहत बयान दर्ज करवाया लेकिन उसने मोहन भागवत और इन्द्रेश कुमार का नाम नहीं लिया । तब जांच अधिकारी उसे फिर जयपुर जेल में मिला और कहा कि तुमने हमारा काम नहीं किया इसलिये अब तुम्हारी कोई सहायता नहीं की जायेगी । इसके बाद बिना न्यायालय की अनुमति के पटेल को जयपुर जेल से अलवर जेल भेज दिया गया जबकि अजमेर कांड के बाक़ी सब अभियुक्त जयपुर जेल में रखे गये थे । यहीं बस नहीं , जाँच अधिकारी , पटेल के अनुसार एक बार फिर उससे अलवर जेल में मिला और उससे वायदा माफ़ गवाह बनने के लिये कहा । एन.आई.ए पूरा ज़ोर लगा रही थी कि किसी तरह इस केस में भागवत और इन्द्रेश का नाम डाला जाये । अब यह रहस्योदघाटन भी हुआ है कि पटेल को बिना अधिकार के अलवर स्थानान्तरित करने की योजना भी एन आई ए के डी जी की थी । पटेल ने न्यायालय से गुहार लगाई है कि उसे जान का ख़तरा है । कांग्रेस ने अपने राजनैतिक हितों के लिये उसका दुरुपयोग किया है ।

यह पूरी घटना अनेक सवालों को जन्म देती हैं । जाँच ऐजंसियां किसके इशारे पर संघ को इस मामले से जोड़ना चाहती है ? एजेंसियों का इस मामले में अपना तो कोई स्वार्थ हो नहीं सकता । उच्चतम न्यायालय ने जैसा कहा है कि सरकारी जाँच एजेंसी सी बी आई सरकार का तोता बन गई है । ज़ाहिर है कि अन्य जाँच ऐजंसियों की स्थिति उस से भी बदतर है । प्रमोद त्यागी जैसे दलालों की भूमिका की भी गहराई से जाँच करवाने की ज़रुरत है । आख़िर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को इस प्रकार के षड्यंत्रों के माध्यम से घेरने के पीछे कौन सी शक्तियाँ हैं ? आख़िर भारत में राष्ट्रवादी शक्तियों के आगे बढ़ने से किनकों ख़तरा है ? वे कौन सी देशी विदेशी ताक़तें हैं जो भारत को कमज़ोर करना चाहती हैं ? पटेल का रहस्योदघाटन कई आशंकाओं को जन्म देता है । क्या भारत में जो लोग राष्ट्रवादी शक्तियों को कमज़ोर कर रहे हैं वे केवल किसी विदेशी शक्ति के मोहरे भर तो नहीं ? ये ऐसे प्रश्न हैं जो साँप की तरह फन तान कर खड़े हो गये हैं । लेकिन इनका उत्तर कौन तलाशेगा ? जिन पर उत्तर तलाशने की ज़िम्मेदारी थी , भवेश पटेल की न्यायालय को लिखी चिट्ठी में तो वही अन्धेरे में रेंगते नज़र आ रहे हैं । दिन के उजाले से छिप कर अन्धेरे में रेंगते वाले यही लोग सबसे ज़्यादा ख़तरनाक होते हैं । लगता है इस बार उत्तर जनता को ख़ुद ही तलाशना होगा ताकि अन्धेरे में रेंगते वाले ये जीव अपने कल्कि के आश्रम में बैठ कर देश का और नुक़सान न कर सकें ।

1 COMMENT

  1. आपने ठीक कहा है की सोनिया की कार्यशेली मुस्सोलीनी से मिलती है.हो भी क्यों न?आखिर सोनिया की रगों में एक प्रमुख मुसोलिनी भक्त स्टीफेन मायिनो का खून जो है(?).सोनिया के पिता स्टीफेन मायिनो फासिस्ट पार्टी के संस्थापक मुसोलिनी के परम कट्टर अनुयायी थे.और द्वितीय विश्व युद्ध में मुसोलिनी के मित्र हिटलर की फौज के साथ सोवियत संघ पर हमले में शामिल थे.सोवियत सेना द्वारा हिटलर की फौज को हराकर बंदी बना लिया गया था.और सब युद्ध बंदियों को बीसबीस साल के लिए साईबेरिया की जेल में डाल दिया था.लेकिन स्टीफेन अम्यिनो को कुछ दिन बाद ही बेहतर स्थान पर शिफ्ट कर दिया गया था और सजा भी बीस साल के स्थान पर केवल तीन साल कर दी गयी थी. कुछ लोगों का कहना है की ऐसा इस कारण हुआ था की स्टीफेन मायिनो सोवियत संघ की गुप्तचर संस्था के.जी बी. के लिए कम करने को तैयार हो गया था जिसके लिए उसे जेल में प्रशिक्षण दिया गया था.वो १९४२ से १९४५ तक सोवियत संघ की जेल में रहा था.सोनिया गाँधी के मूल पासपोर्ट पर उनकी जन्म तिथि ९ दिसंबर १९४४ अंकित थी तथा जन्मस्थान भी लुसियाना था. लेकिन जब किसी ने कहा की मेडम, जब आपके पिता १९४2 से १९४५ तक सोवियत जेल में बंद थे तो आप १९४४ में कैसे पैदा हुईं?तो बाद में इस जन्म तिथि को परिवर्तित करके १९४६ और जन्मस्थान लुसियाना की जगह ओर्बसानो कर दिया गया और कह दिया की ये लिपिकीय त्रुटी है.मानो इटली सर्कार ने बिना जांच के ही पासपोर्ट जारी कर दिया हो.सोनिया की कार्यशेली में इसी कारण इटली के फासिस्ट और के जी बी के गहन षड्यंत्रात्मक रवैय्ये की झलक मिलती है.यहाँ तक भी कहा गया है की सोनिया के एक अंकल वेटिकन की गुप्तचर सेवा ओपस देई के बड़े अधिकारी हैं/थे.लेकिन उसका नाम इंटेलिजेंस की फाईलों से हटा दिया गया.
    फर्जी साक्ष्य गढ़ना और फर्जी गवाह तैयार करना फासिज्म और के जी बी की कार्यशेली का अभिन्न अंग रहा है.जिसके दर्शन भारत में भी पिछले तीस वर्षों में दिखाई दिए हैं.बेहतर होगा की अगर नयी सरकार राष्ट्रवादियों की बनती है तो इन पहलुओं की सूक्षम जांच करायी जाये.

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