बिहार के विकास के लिए बिहारियों को भी आगे आना होगा

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चौबीस मार्च को एक तरफ नीतीश कुमार की अगुआई में पूरा बिहार, बिहार दिवस मनाने में जुटा हुआ था तो दूसरी ओर सिर्फ 100 रुपये के लिए दिल्ली से पटना होकर इस्लामपुर जाने वाली मगध एक्सप्रेस को बनाही गाँव के कुछ नौजवानों ने जगदेव प्रसाद हाल्ट से लगभग 1 किलोमीटर पहले और बनाही गाँव के ठीक सामने तकरीबन दो घंटो तक के लिए अगवा कर लिया। आश्‍चर्य की बात है कि इस कार्य को अंजाम देने वाले ग्रामीण नौजवान न तो आतंकवादी थे और न ही नक्सलवादी।

घटना कुछ इस तरह से घटित हुई-कुछ नौजवान जिनकी उम्र लगभग 13 से 20 साल की रही होगी, क्रिकेट खेलकर डूमरांव (डूमरांव, बिहार के बक्सर से सटा हुआ एक कस्बानुमा गाँव है) से बिना टिकट आ रहे थे। इन लड़कों से टिकट क्लेक्टर ने बनाही गाँव से थोड़ा पहले (यह गाँव दिल्ली से पटना जाने के क्रम में बिहिंया और आरा से पहले पड़ता है) 100 रुपया बतौर जुर्माना वसूला और उसे सरकार के खाते में न डालकर अपने खाते में डाल दिया।

उन लड़कों में से कुछ ने तो टिकट क्लेक्टर की कारवाई का कोई विरोध नहीं किया, लेकिन कुछ लड़कों ने न सिर्फ अपना विरोध प्रगट किया वरन् उस टिकट क्लेक्टर से अपने दिये गये पैसों को वापस लौटाने के लिए भी कहा, पर टिकट क्लेक्टर महोदय भी अड़ियल किस्म के थे, उन्होंने पैसे वापस करने के बजाए वातानुकूलित कोच में जाकर अपने को सुरक्षित कर लिया।

इससे लड़के आगबबूला हो गये और सभी कोचों पर पथराव करने लगे। उनके समर्थन में बनाही गाँव से कुछ और लड़के आ गये। यह नाटक तकरीबन 2 घंटो तक (दोपहर 12 बजे से दोपहर 2 बजे तक) चलता रहा, लेकिन न तो वहाँ प्रशासन का कोई आदमी आया, और न ही वातानुकूलित कोच से टिकट क्लेक्टर महोदय बाहर निकले।

इस पथराव से कोई भी घायल हो सकता था। राष्ट्रीय संपत्ति का नुकसान तो हो रहा था, फिर भी इसकी परवाह न तो उन लड़कों को थी, न ही टिकट क्लेक्टर महोदय को और न ही यात्रियों को। लड़के 100 रुपये वापस लेने की जिद पर अड़े रहे। उनकी एकसूत्रीय माँग थी, मेरा 100 रुपया जबतक मुझे वापस नहीं मिलेगा, हमलोग ट्रेन को यहाँ से हिलने तक नहीं देंगे। जबकि पहले से ही गाड़ी चेन पुलिंग की वजह से विलंब से चल रही थी। हर पाँच मिनट के बाद स्थानीय निवासी चेन पुलिंग कर रहे थे। इनकी नजरों में यात्रियों की परेशानी की कोई कीमत नहीं थी।

बिहारी होने के कारण मेरा अपने जन्मभूमि आना-जाना हमेशा लगा रहता है। बदकिस्मती से उस दिन मैं भी उस ट्रेन के एस-1 का यात्री था। शुरु में मैं भी एक आम आदमी बना रहा, किंतु जब मुझे लगा कि स्थिति अब हद से बाहर जा रही है, तब जाकर मैंने इस पूरे मामले में हस्तक्षेप करते हुए उन लड़कों को 100 रुपये वापस दिलवाया, उसके बाद ही वहाँ से ट्रेन खुल पाई।

यह घटना तो केवल बानगी भर है। भ्रष्ट तंत्र और अवसरवादी मानसिकता के माहौल में बिहार के विकास की कल्पना हम कैसे कर सकते हैं , साथ ही यदि इस तरह के परिवेश में कोई बिहारी दूसरे प्रदेश में जाकर वहीं रह जाता है, तो हम उसको किस हद तक दोषी मान सकते हैं? इस मुद्वे पर हमें निश्चित रुप से विचार करने की जरुरत है।

नीतीश बाबू बिहार के विकास के लिए लाख कोषिश करें या हम लाख बार बिहार के विकास के पक्ष में आंकड़े जुटा कर आलेख लिखें; इन प्रयासों से ही केवल बिहार का विकास नहीं हो सकता है और न ही बिहार की सकारात्मक तस्वीर लोगों के मन-मस्तिष्क में कायम हो सकती है।

बिहार का विकास बिहारी ही कर सकते हैं, पर इसके लिए उनको अपनी मन:स्थिति बदलनी होगी। विकास एकपक्षीय नहीं हो सकता है। सरकार तो अपना काम कर रही है, परन्तु इसके साथ हमें यह भी सुनिश्चित करना पड़ेगा कि हमारा सहयोग सरकार को हर कदम पर मिलता रहे।

-सतीश सिंह

4 COMMENTS

  1. MR. RAJESH, BIHAR KO TUMHARI SALAH KI JAROOORAT NAHI, TUM JAISON ,,,, KE BHUNKNE SE HATHI KO KOI PHARK NAHI PARTA,
    TUMHARI BADDUA KA BIHAR PAR KOI ASAR NAHI PADEGA.

    AUR HAN BIHAR KO BADALNE KI JAROORAT NAHI HAI,
    BIHAR KO JAROORAT HAI, SAMMAN KI , VISHWASH KI,
    aUR KENDRA SARKAR SEA “SAMAN” YAVHAR KI.
    BIHAR PEHLE BHI AAGE THA, PHIR HO RAHA HAI, HOKAR RAHEGA.

  2. Dear Nandan,

    I also want to see Bihar as a developed state, but for this, we will have to remove unconstructive characteristics which are persisting there. Your emotional attachment with Bihar is really appreciable.

  3. BAKWAS KAR RAHE HAIN SATISH SINGH,
    AISE GHATIYA LOG HI BIHAR KE DUSSMAN HAI,
    APNI KALPNA SE KISI KAHANI KO GARHNA AUR USE ATIRANJIT KAR PESH KARNA,
    KUCH KSHUDRA LOG YAHI KARTE HAI, JINME SATISH JAISE GHRINIT LOG SHAMIL HAIN,
    BIHAR ME GHATE KUCH BHI BHATNA KO BADHA CHDHA KAR PESH KARN, YAHI SHAGAL HAI INKA,
    YAH LEKH LIKH KAR KYA SABIT KARAN CHAHTA HO TUM,
    TUMNE BIHAR KE LIYE YA DESH KE LIYE KYA KIYA HAI,
    DILLI ME BASON ME ROJ DIN DAHARE LUT-PAT HOTI HAI,
    KYON NAHI LIKHTE HO TUM,
    YAHA EK MADHYMIK SCHOOL ME CHEDKHANI ME 5 MASOOM BACHHIYAN MAR GAYE,
    MEDIA KHAMOSH RAHI,.
    AUR YE SATISH SINGH NA JANE KIS KE AANBCCHL ME JA KAR CHUP GAYA (&^%#%&*()

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