कनाडा-प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो का भारत विरोधी राजनीति का पटाक्षेप

0
54

विजय सहगल   

अंततः कनाडा के 53 वर्षीय प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने 6 जनवरी 2025 को अपने पद से स्तीफ़ा दे दिया। वे अपनी लिबरल पार्टी के 11 साल एवं पिछले 9 (सन 2015 से) सालों से कनाडा के प्रधानमंत्री थे। विदित हो कि जस्टिन ट्रूडो के विरुद्ध कनाडा की विपक्षी पार्टियों  का  ट्रूडो सरकार के विरोध मे 27 जनवरी को  अविश्वास प्रस्ताव लाने का कार्यक्रम था। कनाडा की गिरती अर्थव्यवस्था, अपनी ही पार्टी मे जस्टिन ट्रूडो के विरुद्ध असंतोष के चलते और भारत से अनावश्यक पंगा लेने के कारण उन्हे त्यागपत्र देने के लिये बाध्य होना पड़ा।

 इस पूरे घटनाक्रम मे अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के कनाडाई आयात पर 25% शुल्क लगाने की धमकी के डर के  कारण बताते हुए न केवल उन्हे अमेरिका के 51वे राज्य का  गवर्नर कह कर उनका मखौल उड़ाया अपितु कनाडा को अमेरिका का 51वां  राज्य घोषित करते हुए कनाडा राज्य का मानचित्र भी जारी कर दिया! कनाडा जैसे एक संप्रभु राष्ट्र के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो का इस तरह मखौल उड़ाना जस्टिन ट्रूडो का अपमान नहीं तो क्या है? कदाचित ही किसी राष्ट्र प्रमुख की ऐसी छीछालेदर कभी देखी या सुनी गयी हो। यह इस बात का प्रमाण हैं कि भारत के साथ अमेरिका से भी कनाडा के रिश्ते अब उतने सहज, सुगम और प्रिय नहीं हैं। पिछले ढाई साल से जस्टिन ट्रूडो न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (एनडीपी) के समर्थन से अपनी अल्पमत की सरकार चला रहे थे।           

जस्टिन ट्रूडो के प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए जहां एक ओर ट्रूडो ने भारत विरोधी, खलिस्तान समर्थक लोगो को प्राश्रय देकर भारत के आंतरिक मामलों मे सीधा हस्तक्षेप कर कनाडा के  प्रधानमंत्री जैसे सम्मानजनक पद की गरिमा, प्रतिष्ठा और गौरव को शर्मसार और लज्जित किया था वहीं दूसरी ओर  कनाडा और भारत के संबंध बद से बदत्तर हालत मे पहुंचाने का कुत्सित कृत्य किया।  हालात यहाँ तक पहुंचे कि  दोनों देशों ने एक दूसरे के राजनयिकों को अपने अपने देश से बाहर निकालने जैसे अप्रिय और कठोर कदम उठाने के लिये बाध्य होना पड़ा। अपनी सत्ता और शासन बनाये रखने के लिये जस्टिन ट्रूडो,  भारत पर झूठे और मनगढ़ंत आरोप लगाते हुए अभिव्यक्ति की आज़ादी की आड़  मे भारत मे सर्वाधिक वांछित खालिस्तानी आतंकवादी गुरूपतवन्त सिंह पन्नु और अन्य खालिस्तानी समर्थकों को कनाडा मे अपनी गतिविधियों के संचालन और उनको  शरण देने मे लिप्त रहे।

यह लिखना अतिशयोक्ति न होगी कि जस्टिन ट्रूडो के प्रधानमंत्रित्व काल मे कनाडा मे खालिस्तान समर्थक तत्वों की गतिविधियों मे वृद्धि हुई। खालिस्तानी समर्थकों ने भारतीय उच्चायोग और वाणिज्यिक दूतावास के बाहर हिंसक प्रदर्शन कर भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का अपमान किया। इन आतंकवादियों ने भारत विरोधी नारे लगाये और भारतीय लोगो के साथ हिंसक घटनाओं को अंजाम दिया। भारत ने इन घटनाओं के विरुद्ध अपना कड़ा  विरोध जताते हुए कनाडा सरकार से सख्त कार्यवाही की मांग की लेकिन अफसोस जस्टिन ट्रूडो ने अभिव्यक्ति की आज़ादी के नाम पर इन भारत विरोधी तत्वों के विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं की अपितु उनकी गतिविधियों को पाला पोसा ।  

सितम्बर 2023 मे दिल्ली मे आयोजित जी20 देशों के शिखर सम्मेलन मे आये कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो से मुलाक़ात के दौरान भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कनाडा मे खालिस्तानी आतंकवादियों की गतिविधियों पर कड़ी नाराजगी जाहिर की पर दुर्भाग्य से जस्टिन ट्रूडो द्वारा कोई कार्यवाही की बजाय इसे उनके देश का आंतरिक मामला बतला कर भारत की चिंताओं को नज़रअंदाज़ कर मामले की गंभीरता को और बढ़ा दिया।

जून 2023 मे कनाडा स्थित खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की आपसी प्रतिद्वंदिता मे हुई हत्या को, प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कनाडाई संसद मे इस  हत्या मे भारत का हाथ बता कर भारत-कनाडा सम्बन्धों को निकृष्टम स्थिति मे ला  दिया। भारत ने प्रतिवाद करते हुए इसे आधारहीन, बेतुका और मनगढ़ंत बतला कर सबूत देने का आग्रह किया। लेकिन कनाडा की सरकार कोई भी ठोस सबूत पेश न कर सकी। इन छद्म आरोपों के चलते दोनों देशो ने एक दूसरे के राजनयिकों को निष्कासित कर, जस्टिन ट्रूडो ने एक और  अप्रिय स्थिति उत्पन्न कर दी।      

कनाडा मे खालिस्तानी अलगाववादियों की लगातार भारत विरोधी गतिविधियों पर अंकुश न लगा पाने के कारण भारत ने कनाडा के साथ चल रही व्यापार बातचीत रोक दिया और भारत कनाडा व्यापार सम्झौता, अनिश्चित काल के लिये स्थगित कर दिया। भारत ने राजनयिकों की सुरक्षा के मुद्दे पर कनाडाई नागरिकों को के लिये वीजा सेवाओ को काफी सीमित या निलंबित कर दिया।

भारत कनाडा सम्बन्धों की निम्नता की पराकाष्ठा तब हुई जब कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने, न केवल भारत के हाई कमिश्नर संजय कुमार वर्मा और दूसरे वरिष्ठ राजनयिकों जासूसी के अनैतिक और अनर्गल आरोप लगाये अपितु भारत के गृह मंत्री अमित शाह पर कनाडा मे स्थित खालिस्तानी समर्थकों के सफाये का आदेश जारी करने के मनगढ़ंत आरोप लगा कर भारत-कनाडा सम्बन्धों को  गंभीर से गंभीरतम स्थिति मे ला दिया। भारत सरकार ने इन आरोपों को खारिज कर कनाडा के विरुद्ध सख्त कदम उठाए।

जस्टिन ट्रूडो ने अपने राजनैतिक स्वार्थ के लिये, भारत विरोधी अधम राजनीति ने, न केवल भारत मे अपितु अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भी कनाडा को अलग-थलग कर दिया। कनाडा के  बिगड़ते  आर्थिक हालातों, देश मे जस्टिन ट्रूडो की गिरती छवि और उनकी अपनी, लिबरल पार्टी मे विरोध के चलते उनके राजनैतिक पतन को सुनिश्चित कर दिया। अमेरिका और भारत जैसे बड़े व्यापारिक और कूटनैतिक साझेदार के चलते अंततः कनाडा के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने के लिये बाध्य होना पड़ा। इस तरह 2025 नववर्ष  का शुभागमन पर, कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की कनाडाई राजनीति से  विदाई सुनिश्चित कर दी।  इस तरह जस्टिन ट्रूडो के  स्तीफे  ने   भारत विरोधी राजनीति का  पटाक्षेप कर दिया।

विजय सहगल   

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

* Copy This Password *

* Type Or Paste Password Here *

17,871 Spam Comments Blocked so far by Spam Free Wordpress