चिंतन नीयत साफ हो तभी नियति साथ June 6, 2012 / June 6, 2012 by डॉ. दीपक आचार्य | 2 Comments on नीयत साफ हो तभी नियति साथ सारी उपासनाओं, साधनाओं और कर्मयोग का यही सार है कि जिसकी नीयत साफ है, भगवान उसी के साथ है। फिर जिसके साथ भगवान है उसे नियति भी हरसंभव सहयोग देती है। मनुष्य के जीवन में सफलता पाने के लिए मन का साफ होना पहली और अनिवार्य शर्त है। जो भी भजन-पूजन और आराधना की जाती […] Read more »
चिंतन लावारिश पशुओं से ज्यादा घातक हैं स्वच्छन्द विचरते आवारा आदमी June 4, 2012 / June 4, 2012 by डॉ. दीपक आचार्य | 1 Comment on लावारिश पशुओं से ज्यादा घातक हैं स्वच्छन्द विचरते आवारा आदमी डॉ. दीपक आचार्य आजकल हर कहीं आवारा या लावारिश मवेशियों की चर्चा होती है और इन पर प्रतिबंध की बातें अक्सर छायी रहने लगी हैं। एक बात अच्छी तरह समझ लेनी चाहिए कि इस देश में कोई लावारिश नहीं है। जिस ईश्वर ने उसे धरा पर भेजा है वह उन सबका वारिस है। वही परमपिता […] Read more » useless men more fatal than uselessanimals पशुओं से ज्यादा घातक हैं
चिंतन समाज बदहाल कानून के साये में जिंदगी June 3, 2012 / June 3, 2012 by राखी रघुवंशी | Leave a Comment राखी रघुवंशी अपने चरम पर हैं। हर रोज अखबार में अपराध से जुड़ी दो खबरें तो निशिचत तौर पर प्रकाशित होती ही हैं। मर्डर, चोरी, बलात्कार, दुर्घटना या फिर विधार्थियों द्वारा आत्महत्या। इनमें सबसे निर्मम है, ट्रक या डंपर चालकों का आम व्यकित को बेरहमी से कुचलते हुए जाना। हम रोज सुबह की शुरूआत अखबार […] Read more » crime in M.P मध्यप्रदेश में अपराध
चिंतन देश के विकास में बाधक सांसद June 2, 2012 / June 2, 2012 by शशांक शेखर | 1 Comment on देश के विकास में बाधक सांसद आज़ाद भारत को बहुत कुछ अंग्रेजों से एक अमानत के रुप में मिला , मसलन रेल,डाक,राष्ट्रपति भवन,संसद और साथ में मिली देश को खाने वाली व्यवस्था। एक ऐसी व्यवस्था जिसमें सब कुछ नेताओं के हाथ में हो। इसमें सत्ताधारी नेताओं की तो पौ बारह हो जाते हैं। पूरे देश की व्यवस्था इन नेताओ के हाथ […] Read more » विकास में बाधक सांसद
चिंतन दुराग्रही और नासमझ होते हैं एकतरफा सोचने वाले June 2, 2012 / June 2, 2012 by डॉ. दीपक आचार्य | Leave a Comment डॉ. दीपक आचार्य यह दुनिया एक अजायबघर है जहाँ किसम-किसम के पशु-पक्षियों और मनुष्यों का ऎसा जमघट है जो कभी कम नहीं होने वाला। आदिकाल से साथ-साथ रहते हुए इन सभी की आदतों में कहीं न कहीं नकल और दोहराव के साथ अनुगमन और परिमार्जित आदतों को हृदयंगम कर लिए जाने की स्थितियाँ भी सामने […] Read more »
चिंतन जहाँ काँटे वहाँ कलह-कुटिलता जहाँ हरियाली वहाँ प्रेम-सुगंध May 31, 2012 / May 31, 2012 by डॉ. दीपक आचार्य | Leave a Comment डॉ. दीपक आचार्य परिवेश का व्यक्ति और समुदाय पर खूब फर्क पड़ता है। परिवेश की हवाएँ और स्थितियाँ हर किसी को प्रभावित करती रहती हैं। आस-पास के हालातों से हर कोई किसी न किसी रूप में प्रभावित होता ही है चाहे वह मानव हो या पशु या फिर पेड़-पौधे। जिन क्षेत्रों में घर या प्रतिष्ठान […] Read more » कलह-कुटिलता हरियाली वहाँ प्रेम-सुगंध
चिंतन कर्त्तव्य कर्म हो सर्वोपरि यही सँवारता है व्यक्तित्व May 31, 2012 / May 31, 2012 by डॉ. दीपक आचार्य | Leave a Comment डॉ. दीपक आचार्य हर आदमी के लिए विधाता ने मनुष्यता का आवरण देकर अपने कर्त्तव्य कर्म को पूर्ण करने के लिए धरा पर भेजा हुआ है। यह कर्म उसके स्वयं के लिए, घर-परिवार के लिए और समाज के लिए निहित हैं और इन्हीं की पूर्णता से उसके समग्र व्यक्तित्व का विकास होता है। इस कर्त्तव्य […] Read more » कर्त्तव्य कर्म हो सर्वोपरि सँवारता है व्यक्तित्व
चिंतन धार्मिकता का ढोंग है सबसे बड़ा अधर्म May 25, 2012 / May 25, 2012 by डॉ. दीपक आचार्य | Leave a Comment डॉ. दीपक आचार्य धार्मिक होना अच्छी बात है लेकिन धार्मिकता का ढोंग पाल कर जमाने को भ्रमित करते रहना अपने आप में सबसे बड़ा अधर्म है। धर्म वही कहलाता है जिसे धारण करने पर वह धारणकर्त्ता की रक्षा करता है। इसका सीधा सा अर्थ यह है कि जो धर्म के अनुरूप आचरण करता है उसकी […] Read more » dont be superstitious धार्मिकता का ढोंग सबसे बड़ा अधर्म
चिंतन बेवजह शत्रुता का मतलब है पूर्वजन्म का प्रतिशोध May 23, 2012 / May 23, 2012 by डॉ. दीपक आचार्य | Leave a Comment डॉ. दीपक आचार्य दुनिया में ऐसा कोई व्यक्ति नहीं होगा जिसके कोई मित्र या शत्रु न हों। व्यक्ति के जन्म के साथ ही राग-द्वेष के बीज अंकुरित होना शुरू हो जाते हैं जो कालान्तर में उम्र के बढ़ने के साथ ही अपना असर दिखाना शुरू कर देते हैं और उम्र ढलने तक पीछा नहीं छोड़ते। […] Read more » पूर्वजन्म का प्रतिशोध बेवजह शत्रुता
चिंतन अब गायब हो जाती है खुशी मेहमानों के आने पर May 22, 2012 / May 22, 2012 by डॉ. दीपक आचार्य | 1 Comment on अब गायब हो जाती है खुशी मेहमानों के आने पर डॉ. दीपक आचार्य एक जमाना था जब मेहमानों के आगमन की सूचना भर से मन मयूर नाच उठता था और बड़े ही उत्साह व उल्लास से आवभगत की तैयारियाँ होती थीं। मेहमानों के आने पर घर-परिवार में किसी आनंद-उत्सव का माहौल पसर जाया करता था। जीवन के कई रंगों और उत्सवों में मेहमानवाजी भी किसी […] Read more »
चिंतन अनायास जो विचार आए लिख लें May 22, 2012 / May 22, 2012 by डॉ. दीपक आचार्य | Leave a Comment डॉ. दीपक आचार्य अनायास जो विचार आए लिख लें दुबारा कभी पास नहीं फटकते ये दिव्य तरंगों का बहुत ही व्यापक संसार हमारे इर्द-गिर्द दिन-रात परिभ्रमण करता रहता है। इन तरंगों का सीधा संबंध उन सभी विषयों से होता है जो इतिहास में घट चुके हैं, घट रहे हैं और आने वाले समय में घटने […] Read more » write the thoughts विचार
चिंतन शुद्ध आचरण के बिना अर्थहीन हैं May 18, 2012 / May 18, 2012 by डॉ. दीपक आचार्य | Leave a Comment डॉ. दीपक आचार्य शुद्ध आचरण के बिना अर्थहीन हैं सकारात्मकता अपनाने के उपदेश उपदेशों की हर जगह भरमार है। अपने यहाँ से लेकर सभी जगह जनसंख्या का सर्वाधिक प्रतिशत उन्हीं लोगों का है जो अच्छे उपदेश देने में माहिर हैं। भले ही उनकी कथनी और करनी में कहीं कोई मेल नहीं हो, पर उपदेश देने […] Read more » try to b optimistic शुद्ध आचरण के बिना अर्थहीन सकारात्मकता अपनाने के उपदेश