चिंतन भद्रजनों ने क्या कभी अपनी अभद्र भाषा पर गौर किया है ? May 16, 2012 / May 16, 2012 by विनायक शर्मा | 3 Comments on भद्रजनों ने क्या कभी अपनी अभद्र भाषा पर गौर किया है ? विनायक शर्मा संसद की प्रथम बैठक की 60 वीं वर्षगांठ पर सदन में बोलते हुए लालूप्रसाद यादव ने एक बार फिर सांसदों के आचरण पर बोलनेवालों को घेरते हुए संसद की मर्यादाओं और लोकतंत्र पर खतरे के नाम पर उन्हें लक्ष्मण रेखा में बांधने का प्रयत्न किया है. देश की जनता जनार्धन की समझ से […] Read more » evil words used by parliamentarians अभद्र भाषा
चिंतन चुनाव विश्लेषण खुद को ऊँचा उठाने इतना भी नीचे न गिरे May 15, 2012 / May 15, 2012 by डॉ. दीपक आचार्य | Leave a Comment डॉ. दीपक आचार्य हर दिशा में लोगों की भीड़ बेतहाशा भाग रही है। सभी को अपने नम्बर बढ़ाने की पड़ी है। जो नम्बरी हैं उन्हें भी, और जो गैर नम्बरी हैं उन्हें भी। प्रतिभाओं और हुनर से बेखबर या कि शून्य लोगों की सबसे बड़ी समस्या ही यह है कि वे अपना वजूद कायम करने […] Read more » dont try to be so great खुद को ऊँचा उठाने इतना भी नीचे न गिरे
चिंतन बद् दुआएँ न लें,ये ही करती हैं बरबाद May 13, 2012 / May 13, 2012 by डॉ. दीपक आचार्य | 1 Comment on बद् दुआएँ न लें,ये ही करती हैं बरबाद डॉ. दीपक आचार्य दुआओं का जितना असर होता है उससे कहीं ज्यादा असर होता है बद् दुआओं का। क्योंकि दुआएँ देते वक्त प्रसन्नता का भाव होता है और बद्दुआएं देते वक्त आक्रोष का। सामान्यतः किसी भी व्यक्ति के लिए चरम प्रसन्नता के क्षण जीवन में बहुत थोड़े आते हैं लेकिन चरम क्रोध और आक्रोष के […] Read more » बद् दुआएँ न लें
चिंतन पशुता का लक्षण है जुगाली May 12, 2012 by डॉ. दीपक आचार्य | Leave a Comment अशुद्ध मुख से आती है दरिद्रता डॉ. दीपक आचार्य मनुष्य का शरीर धारण कर लेने से ही जीवन सफल नहीं हो जाता बल्कि मनुष्यता की पूर्णता और जीवन लक्ष्य पाने के लिए जिन सिद्धान्तों, आचार-विचारों और व्यवहारों की जरूरत होती है उनका पूरी तरह परिपालन करने से ही मनुष्य योनि की प्राप्ति धन्य हो सकती […] Read more » अशुद्ध मुख से आती है दरिद्रता पशुता का लक्षण है जुगाली
चिंतन तय सीमा में करें काम-काज May 12, 2012 / May 12, 2012 by डॉ. दीपक आचार्य | 1 Comment on तय सीमा में करें काम-काज डॉ. दीपक आचार्य संसार के प्रत्येक कर्म की एक निर्धारित समय सीमा होती है जो कार्य विशेष के अनुरूप कम-ज्यादा रहती है। हर काम समय पर होना चाहिए, इसके साथ ही यह जरूरी है कि इसके संपादन के लिए दी गई तयशुदा समय सीमा में ही पूर्ण होना चाहिए। प्रत्येक मनुष्य के लिए हर काम […] Read more » सीमा में करें काम-काज
चिंतन पालतू होकर आका बदलते रहें April 29, 2012 / April 29, 2012 by डॉ. दीपक आचार्य | Leave a Comment डॉ. दीपक आचार्य मस्ती चाहें तो स्वाभिमान से रहें वरना पालतु होकर आका बदलते रहें जीवन का सबसे बड़ा दर्शन है आनंद से जीवनयापन और मानवीय लक्ष्यों की पूर्णता। इसके लिए विभिन्न मार्ग हैं जिन पर चलकर आनंदमय जीवन जीया जा सकता है। एक मार्ग परम्परा से चला आ रहा है और वह है ईश्वरीय […] Read more » पालतु होकर आका बदलते रहें स्वाभिमान से रहें
चिंतन परायेपन का अहसास April 26, 2012 / April 26, 2012 by डॉ. दीपक आचार्य | Leave a Comment डॉ. दीपक आचार्य परायी सामग्री देती है परायेपन का अहसास जो अपना है वही दे सकता है अपनेपन का अहसास। जो पराया है उसे अपनाने पर जीवन के हर क्षण में परायेपन का अहसास होता है। यहाँ बात किसी व्यक्ति के बारे में नहीं बल्कि सामग्री के बारे में की जा रही है। पुरुषार्थ से […] Read more » परायेपन का अहसास
चिंतन वर्तमान को प्रसन्नता से स्वीकारें April 26, 2012 / April 26, 2012 by डॉ. दीपक आचार्य | 1 Comment on वर्तमान को प्रसन्नता से स्वीकारें डॉ. दीपक आचार्य वर्तमान को प्रसन्नता से स्वीकारें भविष्य की आशंकाओं से मुक्त रहे जो लोग आज को सामने रखकर प्रसन्नता का भाव रखते हैं वे जीवन में भविष्य की समस्याओं से मुक्त रहते हैं। जिसका वर्तमान अच्छा होता है उसका भविष्य अपने आप अच्छा होता चला जाता है। इसलिए वर्तमान की प्रत्येक घटना को […] Read more » be happy in present वर्तमान को प्रसन्नता से स्वीकारें
चिंतन औरों पर न थोपें अपनी कार्यशैली दूसरों की मौलिकता को भी दें आदर April 24, 2012 / April 24, 2012 by डॉ. दीपक आचार्य | Leave a Comment – डॉ. दीपक आचार्य जब से आत्म मूल्यांकन, चिंतन और विश्लेषण की प्रवृत्तियाँ समाप्त हो चली हैं, हमारे यहाँ हर क्षेत्र में स्वयं को महानतम बुद्धिमान और योग्यतम समझने का शौक दूर-दूर तक अपने पाँव पसार चुका है। कहीं भी आदमी की योग्यता की कोई कसौटी नहीं रही। व्यक्तित्व की ऊँचाइयों को दर्शाने वाले मानदण्ड […] Read more » conclusion चिंतन मूल्यांकन विश्लेषण
चिंतन दुर्भाग्य के साये में जीते हैं पेढ़ियों पर बैठने वाले April 24, 2012 / April 24, 2012 by डॉ. दीपक आचार्य | Leave a Comment – डॉ. दीपक आचार्य हमारा बैठना-उठना भी हमारे व्यक्तित्व और भविष्य का संकेत देता है। आम तौर पर मनुष्य को निरन्तर कर्मशील रहना चाहिए और जो ऐसा नहीं कर पाते हैं और समय गुजारने के लिए अवसर और स्थान तलाशते रहते हैं वे अपने जीवन के अमूल्य क्षणों को खो देते हैं और टाईमपास जिन्दगी […] Read more » badluck दुर्भाग्य
चिंतन समस्याओं के वक्त स्नेह का सम्बल दें, उपेक्षा और प्रताड़ना का भाव त्यागें April 24, 2012 / April 24, 2012 by डॉ. दीपक आचार्य | 1 Comment on समस्याओं के वक्त स्नेह का सम्बल दें, उपेक्षा और प्रताड़ना का भाव त्यागें – डॉ. दीपक आचार्य समस्याएँ हर किसी के जीवन में सामने आती हैं। मनुष्य के जीवन में समस्याओं और इच्छाओं का कोई अंत नहीं है ये सागर की तरह गहरी और आसमान की तरह विराट व्यापक हैं। कई पीड़ाएं और समस्याएं पूर्व जन्मों के कर्मों का परिणाम होती हैं तो कुछ वर्तमान जन्म के असंयम […] Read more » problems wishes इच्छाओं समस्याओं
चिंतन शांत चित्त ही दे सकता है सुकून April 22, 2012 / April 22, 2012 by डॉ. दीपक आचार्य | Leave a Comment डॉ. दीपक आचार्य शोरगुल में रमना पागलपन से कम नहीं, आज का सफर कई जोखिमों से भरा हो चला है। जोखिम बाहर के भी हैं और भीतर के भी। कई जोखिम दुर्भाग्यजनित हैं तो कई मानवजनित। अनायास आ टपकने वाले जोखिमों के बारे में कोई कुछ नहीं कर सकता मगर मानवजनित हरकतें खतरनाक से कम […] Read more » be quiet and peaceful