धर्म-अध्यात्म भोले बाबा के त्रिशूल की महिमा March 2, 2015 / March 2, 2015 by सत्यव्रत त्रिपाठी | Leave a Comment आप देश के किसी हिस्से में जाइए। छोटे-छोटे मंदिर हों, गुफा या कंदरा। भोले बाबा का त्रिशूल आपको दिख ही जाएगा। इसकी पूजा-अर्चना भी होती है। दरअसल, त्रिशूल त्रिदेवों में एक, सृष्टि के संहारक महादेव शंकर का अस्त्र है। इसे धारण करने से ही शिव का शूलपाणि भी कहा जाता है। वैसे, त्रिशूल से मतलब […] Read more » त्रिशूल की महिमा
धर्म-अध्यात्म यशोदानंदन-१३ March 2, 2015 / March 2, 2015 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment कंस एक क्रूर अधिनायक था। पर साथ ही चतुर और धूर्त राजनीतिज्ञ भी था। मथुरा का वह राजा बन ही गया था। वहां की प्रजा, ऐसा प्रतीत होता था कि एक सांस लेने के बाद दूसरी सांस लेने के लिए कंस की आज्ञा की प्रतीक्षा करती थी। परन्तु उसने अन्य गणराज्यों की शासन-व्यवस्था में सीधे […] Read more » yashodanandan यशोदानंदन
धर्म-अध्यात्म सृष्टि की रचना, संचालन व प्रलय से जुड़े प्रश्नों पर विचार March 2, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment हम पृथिवी पर रहते हैं और इससे जीवन पाते हैं। पृथिवी में ही हम श्वांस लेना आरम्भ करते हैं, जीवन भर लेते हैं और मृत्यु के अवसर पर अन्तिम श्वांस लेकर इस शरीर को छोड़कर अपने कर्मों व प्रारब्ध के अनुसार ईश्वर की व्यवस्था से नया जन्म, योनि व जीवन पाते हैं। हमारी पृथिवी हमारे […] Read more » ‘सृष्टि की रचना संचालन व प्रलय से जुड़े प्रश्नों पर विचार’
धर्म-अध्यात्म ईश्वर कहाँ है ? February 28, 2015 by डा. अरविन्द कुमार सिंह | 2 Comments on ईश्वर कहाँ है ? डा. अरविन्द कुमार सिंह विवेकानन्द ने रामकृष्ण परमहंस से दो बहुत ही कठिनतम प्रश्न पूछे। पहला प्रश्न था – ‘‘ क्या आपने ईश्वर को देखा है? इसका जो उत्तर विवेकानन्द को मिला, वो हतप्रभ करने के लिये प्रर्याप्त था या कहे आशा के विपरित था। रामकृष्ण परमहंस ने कहा – ‘‘ हाँ, मैने […] Read more » ईश्वर कहाँ है
धर्म-अध्यात्म वेदाध्ययन में स्त्रियों व दलितों सहित सभी का समान अधिकार February 28, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment वेद ईश्वर प्रदत्त ज्ञान है जिसका उद्देश्य सभी विषयों, तृण से लेकर ईश्वर पर्यन्त, में मनुष्यों को सत्य व असत्य का विवेक कराना है। यदि ईश्वर ने सृष्टि के आरम्भ में वेदों का ज्ञान न दिया होता तो मनुष्य आंख, नाक, कान, मुंह, जिह्वा, कण्ठ, मन व बुद्धि के होते हुए भी अज्ञानी ही रहते। […] Read more » वेदाध्ययन में स्त्रियों व दलितों का समान अधिकार
धर्म-अध्यात्म यशोदानंदन-१२ February 28, 2015 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment योगमाया का प्रभाव समाप्त होते ही मातु यशोदा की निद्रा जाती रही। जैसे ही उनकी दृष्टि बगल में लेटे और हाथ-पांव मारते शिशु पर पड़ी, वे आनन्दातिरेक से भर उठीं। शिशु एक पवित्र मुस्कान के साथ उनको देखे ही जा रहा था। उन्होंने उसे उठाकर हृदय से लगाया। हृदय से लगते ही दूसरे क्षण शिशु […] Read more » यशोदानंदन
धर्म-अध्यात्म यशोदानंदन-११ February 27, 2015 / February 27, 2015 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment कंस तो कंस था। वह पाषाण की तरह देवी देवकी की याचना सुनता रहा, पर तनिक भी प्रभावित नहीं हुआ। देवी देवकी ने कन्या को अपनी गोद में छिपाकर आंचल से ढंक दिया था, परन्तु कंस ने आगे बढ़कर गोद से कन्या छीन ली। स्वार्थ और भय ने उसके हृदय से स्नेह और सौहार्द्र […] Read more » यशोदानंदन
धर्म-अध्यात्म यशोदानंदन-१० February 27, 2015 / February 27, 2015 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment मेघ, दामिनी और चन्द्रमा – तीनों ने जगत्पिता के एक साथ दर्शन किए। अतृप्ति बढ़ती गई। तीनों पूर्ण वेग से आकाश में प्रकट होने की प्रतियोगिता करने लगे। दामिनी की इच्छा थी कि वह प्रभु का मार्गदर्शन करे और चन्द्रमा की इच्छा थी कि वह करे। मेघ और दामिनी की इस दुर्लभ संधि ने […] Read more » यशोदानंदन
धर्म-अध्यात्म यशोदानंदन-८ February 24, 2015 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment कंस वापस अपने राजप्रासाद में आ तो गया परन्तु भगवान के प्रति शत्रुता के सागर में निमग्न वह बैठे-सोते, चलते-फिरते, भोजन करते, काम करते – जीवन की सभी अवस्थाओं में भगवान विष्णु का ही चिन्तन करने लगा। वह जितना ही इस चिन्तन से बाहर निकलने का प्रयास करता, उतना ही अनायास गहरे में डूब […] Read more » yashodanandan यशोदानंदन यशोदानंदन-८
धर्म-अध्यात्म यशोदानंदन-७ February 23, 2015 / February 24, 2015 by विपिन किशोर सिन्हा | 2 Comments on यशोदानंदन-७ अब वसुदेव को अपने शिशुओं को लेकर कंस के पास नहीं आना पड़ता था। शिशु के जन्म का समाचार पाते ही वह क्रूर स्वयं बन्दीगृह में पहुंचता था। देवकी की गोद से शिशु को छीन उनके सम्मुख ही पत्थर पर पटक देता था। छोटी बहन बिलखती रहती। अत्यधिक दुःख के कारण चेतनाशून्य हो जाती लेकिन […] Read more » यशोदानंदन
चिंतन जन-जागरण सरकार के सामने सपनों को पंख देने की चुनौती February 23, 2015 / February 24, 2015 by शाहिद नकवी | Leave a Comment देश मे लम्बे अर्से के बाद एक मजबूत प्रधानमंत्री के नेतृत्व मे पूर्ण बहुतम वाली सरकार अपना वास्तविक आम बजट पेश करने जा रही है ।हांलाकि जुलाई 2014 में भी इस सरकार ने बजट पेश किया था लेकिन ये बजट सरकार बनने के छह सप्ताह के भीतर पेश किया गया था इसलिए उसे उतनी तवज्जो […] Read more » budget 2015 india
धर्म-अध्यात्म यशोदानंदन-६ February 15, 2015 / February 15, 2015 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment कंस बाल्यकाल से ही आततायी और आसुरी प्रवृत्ति का था। राजा उग्रसेन के अथक प्रयास के पश्चात भी उसके स्वभाव में कोई परिवर्तन नहीं आया। वह उग्र से उग्रतर होता ही गया। युवराज पद पर अभिषेक के पश्चात् तो वह एक प्रकार से राजा ही हो गया। महाराज उग्रसेन का साम्राज्य उनके लिए मात्र […] Read more » यशोदानंदन-६