धर्म-अध्यात्म वेदो की उत्पत्ति कब व किससे हुई? November 29, 2014 / November 29, 2014 by मनमोहन आर्य | 2 Comments on वेदो की उत्पत्ति कब व किससे हुई? ओ३म् मनमोहन कुमार आर्य भारतीय व विदेशी विद्वान स्वीकार करते हैं कि वेद संसार के पुस्तकालय की सबसे पुरानी पुस्तकें हैं। वेद चार है, ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद। यह चारों वेद संस्कृत में हैं। महाभारत ग्रन्थ का यदि अध्ययन करें तो ज्ञात होता है कि महाभारत काल में भी वेद विद्यमान थे। महाभारत में […] Read more » emergence of vedas वेदो की उत्पत्ति
धर्म-अध्यात्म ‘हमारा जीवात्मा अजन्मा, अमर, अनुत्पन्न, सनातन, नित्य व शाश्वत है’ November 26, 2014 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment ओ३म् संसार की उत्पत्ति व इसमें विद्यमान पदार्थों पर विचार करने पर यह ज्ञात होता है कि जड़ व चेतन दो प्रकार के पदार्थ हैं। जड़ संवेदना से रहित होते हैं और चेतन संवेदनशील होते हैं। यदि हम जड़ पदार्थों को अग्नि में जलाते हैं तो उन्हें कोई पीड़ा नहीं होती परन्तु यदि हमारा […] Read more »
धर्म-अध्यात्म दक्षिण भारत के आलवार सन्त November 24, 2014 by बी एन गोयल | Leave a Comment बी एन गोयल जनक नृपते पुन्न्याः पाणिग्रहाय यथा तदा हदधनुर्भंगम् चकार नृणां पणम्। वृशभकरीणां भंगं नीलाग्रहाय यथा च मे कमपि पणमत्रास्ते कुर्वन तथा न करग्रहे।। (गोदास्तोत्र – पृष्ठ 12) ये उद्गार हैं प्रसिद्ध भक्ति सन्त गोदा के जो उन्होंने राम की उपासना में व्यक्त किए। गोदा जो तमिल भक्ति साहित्य में आन्दाल तथा […] Read more » alwar saints of south india आलवार सन्त
धर्म-अध्यात्म धर्म-अध्यात्म के नाम पर ढोंगियों की बाबागीरी November 24, 2014 / November 24, 2014 by तनवीर जाफरी | Leave a Comment तनवीर जाफ़री धर्म,विश्वास तथा आस्था के विषय पर भारतीय समाज की सहिष्णुता व लचीलापन सर्वविदित है। और भारतवासियों के सर्वधर्म स्वीकार्यता के इसी मिज़ाज ने न सिर्फ़ भारत को विश्वस्तीय ख्याति दिलाई है बल्कि पूरी दुनिया से विभिन्न धर्मों,आस्थाओं तथा विश्वासों के मानने वाले लोग यहां आकर अपना प्रभाव बनाते देखे गए हैं। भारतवर्ष विश्व […] Read more » Religion-Spirituality Religion-Spirituality in the name fake gurus ढोंगियों की बाबागीरी
धर्म-अध्यात्म मैं और मेरा परमात्मा November 17, 2014 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment ओ३म् मनमोहन कुमार आर्य एक शाश्वत प्रश्न है कि मैं कौन हूं। माता पिता जन्म के बाद से अपने शिशु को उसकी बौद्धिक क्षमता के अनुसार ज्ञान कराना आरम्भ कर देते हैं। जन्म के कुछ समय बाद से आरम्भ होकर ज्ञान प्राप्ति का यह क्रम विद्यालय, महाविद्यालय आदि से होकर चलता रहता है और इसके […] Read more » मेरा परमात्मा
धर्म-अध्यात्म मनुस्मृति का सर्वग्राह्य शुद्ध स्वरूप November 16, 2014 / November 17, 2014 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment ओ३म् मनमोहन कुमार आर्य समस्त वैदिक साहित्य में मनुस्मृति का प्रमुख स्थान है। जैसा कि नाम है मनुस्मृति मनु नाम से विख्यात महर्षि मनु की रचना है। यह रचना महाभारत काल से पूर्व की है। यदि महाभारत काल के बाद की होती तो हमें उनका जीवन परिचय कुछ या पूरा पता होता जिस प्रकार विगत […] Read more » मनुस्मृति
धर्म-अध्यात्म ‘आयुष्काम (महामृत्युंजय) यज्ञ और हम’ November 13, 2014 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment सभी प्राणियों को ईश्वर ने बनाया है। ईश्वर सत्य, चेतन, निराकार, सर्वव्यापक, सर्वान्तरयामी, सर्वातिसूक्ष्म, नित्य, अनादि, अजन्मा, अमर, सर्वज्ञ, सर्वशक्तिमान है। जीवात्मा सत्य, चेतन, अल्पज्ञ, एकदेशी, आकार रहित, सूक्ष्म, जन्म व मरण धर्मा, कर्मों को करने वाला व उनके फलों को भोगने वाला आदि स्वरूप वाला है। संसार में एक तीसरा एवं अन्तिम पदार्थ प्रकृति […] Read more » ‘आयुष्काम (महामृत्युंजय) यज्ञ और हम’
धर्म-अध्यात्म ऋषि कणाद का वैशेषिक दर्शन November 13, 2014 / November 13, 2014 by महावीर शर्मा | 1 Comment on ऋषि कणाद का वैशेषिक दर्शन महावीर शर्मा प्राचीन भारत का वैदिक साहित्य इतना व्यापक है कि किसी भी वेदपाठी या वेदज्ञानी के लिए उन्हें पूरी तरह समझना और स्मरण रखना कठिन कार्य है। वेदों में ईश्वर या परम ब्रह्म के बारे में और सृष्टि की उत्पत्ति के बारे में काफी कुछ कहा गया है। इनमें दर्शन एवं विश्व-विज्ञान निहित है। […] Read more » ऋषि कणाद का वैशेषिक दर्शन
चिंतन धर्म-अध्यात्म ‘ईश्वर व उसकी उपासना पद्धतियां – एक वा अनेक?’ November 13, 2014 / November 15, 2014 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment हम संसार में देख रहे हैं कि अनेक मत-मतान्तर हैं। सभी के अपने-अपने इष्ट देव हैं। कोई उसे ईश्वर के रूप में मानता है, कोई कहता है कि वह गाड है और कुछ ने उसका नाम खुदा रखा हुआ है। जिस प्रकार भिन्न-भिन्न भाषाओं में एक ही संज्ञा – माता के लिए मां, अम्मा, माता, […] Read more » ‘ईश्वर व उसकी उपासना पद्धतियां - एक वा अनेक?’ god and the ways of their worship
धर्म-अध्यात्म धार्मिक इण्डस्ट्री के बीज November 3, 2014 / November 3, 2014 by डॉ. कौशल किशोर मिश्र | Leave a Comment कौशलेन्द्रम आबाबाबाबाबाबाबाबा ….शीबाबाबाबाबाबाबा ….हालू लुइया ….हालू लुइया …हालू लुइया …हालू लुइया ……धन्यवाद …धन्यवाद ….धन्यवाद ….धन्यवाद …………..! जगदलपुर के लगभग हर मोहल्ले में स्थापित चर्चों में, अक्टूबर माह में आयोजित होने वाला, ईसाइयों का यह एक चंगाई और धन्यवादी समारोह है जिसमें चिल्ला-चिल्ला कर दोहराये जाने वाले हिब्र्यू भाषा के ये शब्द एक धार्मिक आवेश सा […] Read more »
चिंतन जन-जागरण समाज ‘हमारा स्वर्णिम अतीत और देश की अवनति के कारणों पर विचार’ October 29, 2014 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment ओ३म् संसार में वैदिक धर्म व संस्कृति सबसे प्राचीन है। इसका आधार चार वेद – ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद एवं अथर्ववेद हैं। वेदों का लेखक कोई मनुष्य या ऋषि-मुनि नहीं अपितु परम्परा से इसे ईश्वर प्रदत्त बताया जाता है। वैदिक प्रमाणों एवं विचार करने पर ज्ञात होता […] Read more » ‘हमारा स्वर्णिम अतीत और देश की अवनति के कारणों पर विचार’
धर्म-अध्यात्म दिपावली पर करें धन प्राप्ति और प्रसन्नता के लिए अष्टलक्ष्मी पूजन October 24, 2014 by मयंक चतुर्वेदी | Leave a Comment मयंक चतुर्वेदी सांसारिक जीवन में आज धन के महत्व को कोई नकार नहीं सकता। भारतीय परम्परा में वैदिक काल में ही इसके महत्व को स्वीकार करते हुए ऐसे मंत्रों और प्रार्थनाओं का श्रृजन किया गया था जिससे मनुष्य जीविनभर अधिक से अधिक धन कमाने के प्रयास कर सके। आज यह सिद्ध भी हो गया है […] Read more » अष्टलक्ष्मी पूजन