धर्म-अध्यात्म मनुष्य को सृष्टिकर्ता ईश्वर के उपकारों को जानकर कृतज्ञ होना चाहिये March 5, 2021 / March 5, 2021 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्यमनुष्य मननशील प्राणी है। इसका शरीर उसने स्वयं उत्पन्न किया नहीं है। माता पिता से इसे जन्म मिलता है। माता पिता भी अल्पज्ञ एवं अल्प शक्ति वाले मनुष्य होते हैं। सभी मनुष्य व महापुरुष अल्पज्ञ ही होते हैं। कोई भी मनुष्य व इतर प्राणियों के शरीर को बनाना नहीं जानता। मनुष्य से भिन्न […] Read more » Man should be grateful to know the benevolence of the creator God. ईश्वर के उपकार
धर्म-अध्यात्म जीवात्मा के पुनर्जन्म का सिद्धान्त सत्य, नित्य होने सहित विश्वसनीय है March 2, 2021 / March 2, 2021 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्यमनुष्य में भूलने की प्रवृत्ति व स्वभाव होता है। वह अपने जीवन में अनेक बातों को कुछ ही समय में भूल जाता है। हमने कल, परसों व उससे पहले किस दिन क्या क्या व कब कब भोजन किया, किस रंग व कौन से वस्त्र पहने थे, किससे कब कब मिले थे, कहां कहां […] Read more » पुनर्जन्म का सिद्धान्त
धर्म-अध्यात्म साधना से पायी परम अवस्था : संत रविदास March 2, 2021 / March 2, 2021 by इ. राजेश पाठक | Leave a Comment जिस नवधा-भक्ति का रामचरितमानस में प्रतिपादन हुआ है, उसमें नौ प्रकार की भगवान की भक्ति के मार्ग बताये गए हैं. परन्तु चौदहवीं सदी के समाप्त होते-होते रामानंद स्वामी के प्रताप से एक और प्रकार की भक्ति इसमें आ जुड़ी. माधुर्य-भक्ति के नाम से विख्यात इस दसवीं भक्ति में कुछ और की कामना न करते हुए […] Read more » संत रविदास जयंती
धर्म-अध्यात्म वैदिक धर्मियों के लिये राष्ट्र वन्दनीय है तथा सत्यार्थप्रकाश इसका पोषक है March 2, 2021 / March 2, 2021 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्यसंसार में मत-मतान्तर तो अनेक हैं परन्तु धर्म एक ही है। वेद ही एकमात्र सर्वाधिक व पूर्ण मानवतावादी धर्म है। वेद में निर्दोष प्राणियों, मनुष्य व पशु-पक्षी आदि किसी के प्रति भी, हिंसा करने का कहीं उल्लेख नहीं है। वेद की विचारधारा मांसाहार को सबसे बुरा मानती है। वेद मनुष्य को सभी प्राणियों […] Read more » For Vedic religious people सत्यार्थप्रकाश
धर्म-अध्यात्म धर्म सत्कर्तव्यों के ज्ञान व पालन और असत् कर्मों के त्याग को कहते हैं March 1, 2021 / March 1, 2021 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्यधर्म के विषय में तरह तरह की बातें की जाती हैं परन्तु धर्म सत्याचरण वा सत्य कर्तव्यों के धारण व पालन का नाम है। यह विचार व सिद्धान्त हमें वेदाध्ययन करने पर प्राप्त होते हैं। महाराज मनु ने कहा है कि धर्म की जिज्ञासा होने पर उनका वेदों से जो उत्तर व समाधान […] Read more » असत् कर्मों के त्याग
धर्म-अध्यात्म वेदों की प्रमुख देन ईश्वर, जीव तथा प्रकृति विषयक त्रैतवाद का सिद्धान्त February 26, 2021 / February 26, 2021 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्यवेद संसार के सबसे पुराने ज्ञान व विज्ञान के ग्रन्थ है। वेदों का आविर्भाव सृष्टि के आरम्भ में इस सृष्टि रचयिता व पालक ईश्वर से हुआ है। ईश्वर सच्चिदानन्दस्वरूप, निराकार, सर्वज्ञ, सर्वशक्तिमान, सर्वव्यापक, सर्वान्तर्यामी, अनादि तथा नित्य सत्ता है। वह निर्विकार, अविनाशी तथा अनन्त है। सर्वज्ञ और सर्वशक्तिमान होने से वह पूर्ण ज्ञानवान […] Read more » त्रैतवाद का सिद्धान्त
धर्म-अध्यात्म ईश्वर अनादि, जगत का कर्ता एवं जड़-चेतन जगत का स्वामी है February 25, 2021 / February 25, 2021 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्यऋषि दयानन्द जी ने सत्यार्थप्रकाश के सप्तम समुल्लास के आरम्भ में ऋग्वेद के 4 और यजुर्वेद के एक मन्त्र को प्रस्तुत कर उनके अर्थों सहित ईश्वर के सत्यस्वरूप तथा गुण, कर्म व स्वभाव का प्रकाश किया है। इन मन्त्रों में तीसरा मन्त्र ऋग्वेद के दशवे मण्डल के सूक्त 48 का प्रथम मन्त्र है। […] Read more » ईश्वर
धर्म-अध्यात्म ऋषि दयानन्द को शिवरात्रि को हुए बोध से विश्व से अविद्या दूर हुई February 24, 2021 / February 24, 2021 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्यवर्तमान समय से लगभग 5,200 वर्ष पूर्व महाभारत का विनाशकारी युद्ध हुआ था। महाभारत काल तक वेद अपने सत्यस्वरूप में विद्यमान थे जिसके कारण संसार में विद्या व सत्य ज्ञान का प्रचार व प्रसार था। महाभारत के बाद वेदों के अध्ययन अध्यापन तथा प्रचार में बाधा उत्पन्न हुई जिसके कारण विद्या धीरे धीरे […] Read more » Avidya got away from the world due to the realization of Sage Dayanand on Shivaratri ऋषि दयानन्द को शिवरात्रि को हुए बोध से विश्व से अविद्या दूर हुई शिवरात्रि
धर्म-अध्यात्म वेदों को मानने और विश्व का उपकार करने की भावना के कारण आर्यसमाज विश्व का श्रेष्ठ संगठन है February 23, 2021 / February 23, 2021 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून। ईश्वर एक सर्वव्यापक, सर्वशक्तिमान एवं सर्वज्ञ सत्ता है जबकि जीवात्मा एक एकदेशी, ससीम तथा अल्पज्ञ सत्ता है। अल्पज्ञ होने के कारण से जीवात्मा वा मनुष्य को अपने जीवन को सुखी बनाने एवं लक्ष्य प्राप्ति के लिये सद्ज्ञान एवं शारीरिक शक्तियों की आवश्यकता होती है। सत्यस्वरूप ईश्वर सर्वज्ञ है एवं वह […] Read more » The Arya Samaj is the best organization in the world due to the spirit of following the Vedas and favoring the world. वेद
धर्म-अध्यात्म गुरुकुल शिक्षा प्रणाली मनुष्य जीवन का सर्वांगीण विकास होता है February 23, 2021 / February 23, 2021 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्यगुरुकुल शिक्षा प्रणाली विश्व की सबसे प्राचीन शिक्षा प्रणाली है। महाभारत के समय तक इसी प्रणाली से लोग विद्याध्ययन करते थे। इसी शिक्षा पद्धति का अनुसरण कर हमें ऋषि, मुनि, योगी, धर्म प्रचारक, विद्वान, आचार्य, उच्च कोटि के ब्रह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूरवीर आदि मिला करते थे। महाभारत युद्ध के कुछ वर्षों बाद वैदिक […] Read more » Gurukul education system is the all round development of human life गुरुकुल शिक्षा प्रणाली
धर्म-अध्यात्म हमें दैनिक अग्निहोत्र यज्ञ कर अपने घर की वायु को सुगन्धित करना चाहिये February 23, 2021 / February 23, 2021 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्यवैदिक धर्म एवं संस्कृति में यज्ञ का प्रमुख स्थान है। यज्ञ किसी भी पवित्र व श्रेष्ठ कार्य करने को कहा जाता है। मनुष्य जो शुभ कर्म करता है वह सब भी यज्ञीय कार्य होते हैं। माता पिता व आचार्यों सहित अपने परिवार की सेवा व पालन पोषण करना मनुष्य का कर्तव्य होता है। […] Read more » दैनिक अग्निहोत्र यज्ञ
धर्म-अध्यात्म हमें संसार के स्वामी ईश्वर की वेदाज्ञाओं का पालन करना चाहिये February 19, 2021 / February 19, 2021 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्यहम परमात्मा के बनाये हुए इस संसार में रहते हैं। इस संसार के सूर्य, चन्द्र, पृथिवी सहित पृथिवी के सभी पदार्थों, वनस्पतियों एवं प्राणी जगत को भी परमात्मा ने ही बनाया है। हमारा जन्मदाता, पालनकर्ता तथा मुक्ति सुखों सहित सांसारिक सुखों का दाता भी परमात्मा ही है। यह सिद्धान्त सत्य वैदिक सिद्धान्त है […] Read more » We should obey the Vedas of the lord of the world ईश्वर की वेदाज्ञाओं का पालन