व्यंग्य साहित्य पुरस्कार का मापदंड March 30, 2016 by आरिफा एविस | Leave a Comment आरिफा एविस पुरस्कार किसी भी श्रेष्ठ व्यक्ति के कर्मो का फल है बिना पुरस्कार के किसी भी व्यक्ति को श्रेष्ठ नहीं माना जाना चाहिए. बिना पुरस्कार व्यक्ति का जीवन भी कुछ जीवन है? जैसे “बिन पानी सब सून.” इसलिए कम से कम जीवन में एक पुरस्कार तो बनता है जनाब. चाहे वह राष्ट्रीय, प्रदेशीय, धार्मिक, जातीय या कम से […] Read more » पुरस्कार का मापदंड
व्यंग्य साहित्य घोड़े की टांग पे, जो मारा हथौड़ा : व्यंग्य March 26, 2016 / March 26, 2016 by आरिफा एविस | 1 Comment on घोड़े की टांग पे, जो मारा हथौड़ा : व्यंग्य आरिफा एविस बचपन में गाय पर निबन्ध लिखा था. दो बिल्ली के झगड़े में बन्दर का न्याय देखा था. गुलजार का लिखा गीत ‘काठी का घोड़ा, घोड़े की दुम पे जो मारा हथौड़ा’ भी मिलजुलकर खूब गाया था. लेकिन ये क्या घोड़े की दुम पर, हथौड़ा नहीं मारा गया बल्कि उसकी टांग तोड़ी गयी. देखो […] Read more » घोड़े की टांग पे जो मारा हथौड़ा
व्यंग्य साहित्य रंगहीन दुनिया में राहु – केतु …!! March 24, 2016 by तारकेश कुमार ओझा | 1 Comment on रंगहीन दुनिया में राहु – केतु …!! तारकेश कुमार ओझा जब पहली बार खबर सुनी कि पाकिस्तान में एक खेल प्रेमी को इसलिए गिरफ्तार कर लिया गया क्योंकि वह विराट कोहली का बड़ा प्रशंसक था और अनजाने में उसने अपने घर पर भारत का झंडा फहरा दिया तो मेरा माथा ठनका और अनिष्ट की आशंका होने लगी। क्योंकि अरसे से मैं यही […] Read more » holi vacation in pakistan India pakistan रंगहीन दुनिया में राहु - केतु ...!!
व्यंग्य साहित्य तीसरे दर्जे के शुभचिंतक March 24, 2016 by अशोक गौतम | Leave a Comment मेरी किसी भी बात से आप भले ही सहमत हों या न, पर मेरी इस बात से तो आप भी हंडरड परसेंट सहमत होंगे कि पहली श्रेणी के शुभचिंतकों का मिलना आज की तारीख में वैसे ही कठिन है जैसे आप शताब्दी की करंट बुकिंग के लिए पांच बजे भी सीट मिलने की उम्मीद में […] Read more » third category of wellwisher तीसरे दर्जे के शुभचिंतक शुभचिंतक
राजनीति व्यंग्य साहित्य एक पाती शत्रुघ्न सिन्हा के नाम March 18, 2016 by विपिन किशोर सिन्हा | 3 Comments on एक पाती शत्रुघ्न सिन्हा के नाम प्रिय शत्रु बचवा तक चच्चा के प्यार-दुलार पहुंचे। आगे यह बताना है कि भगवान के किरिपा से हम इहां राजी-खुशी हैं, और तोहरी राजी खुशी के वास्ते भगवान से आरजू-मिन्नत करते रहते हैं। बचवा, कई बार हम तोसे भेंट करे वास्ते पटना गए, तो मालूम भया कि तुम दिल्ली गए हो – संसद के काम-काज […] Read more » Featured letter in the name of shatrughan sinha शत्रुघ्न सिन्हा
व्यंग्य साहित्य माल्या प्रा… तुस्सी ग्रेट हो…!!! March 16, 2016 by तारकेश कुमार ओझा | Leave a Comment तारकेश कुमार ओझा जन – धन योजना तब जनता से काफी दूर थी। बैंक से संबंध गिने – चुने लोगों का ही होता था। आलम यह कि नया एकाउंट खुलवाने के लिए सिफारिश की जरूरत पड़ती। किसी भी कार्य से बैंक जाना काफी तनाव भरा अनुभव साबित होता था। क्योंकि रकम जमा करानी हो या […] Read more » Featured Vijay Mallya माल्या प्रा
व्यंग्य साहित्य “आलसस्य परम सुखम “ March 10, 2016 by अमित शर्मा (CA) | 1 Comment on “आलसस्य परम सुखम “ प्राचीन काल से ही आलस को सामाजिक और व्यक्तिगत बुराई माना जाता रहा हैं. “जो सोवत हैं, वो खोवत हैं” जैसी कहावतो के माध्यम से आलसी लोगो को धमकाने और “अलसस्य कुतो विद्या” जैसे श्लोको के ज़रिये उनको सामाजिक रूप से ज़लील करने /ताने कसने के प्रयास अनंतकाल से जारी हैं. लेकिन फिर भी आज […] Read more » आलसस्य परम सुखम
व्यंग्य साहित्य प्रौढ़ शिक्षा केंद्र और राजनीती के अखाड़े March 7, 2016 by अमित शर्मा (CA) | Leave a Comment स्कूल और कालेजो को शिक्षा का मंदिर कहाँ जाता हैं। मंदिर इस देश की राजनीती को बहुत भाते हैं फिर चाहे वो इबादत के हो या शिक्षा के। शिक्षा के मंदिरो में राजनैतिक दल जितनी आसानी से घुस जाते हैं उतनी आसानी से तो अवैध बांग्लादेशी भी भारत में नहीं घुस पाते हैं। नेताओ को […] Read more » प्रौढ़ शिक्षा केंद्र प्रौढ़ शिक्षा केंद्र और राजनीती के अखाड़े राजनीती के अखाड़े
व्यंग्य साहित्य और बड़कू मामा बन गए बुद्धिजीवी…!! March 1, 2016 by तारकेश कुमार ओझा | Leave a Comment तारकेश कुमार ओझा बड़कू मामा गरीब बैकग्राऊंड से थे। लेकिन जैसा कि नाम से स्पष्ट है , वे अपने परिवार के दूसरे भाई – बहनों में बड़े थे। लिहाजा उन्हें अपनों का सुनिश्चित सम्मान बराबर मिलता था। घर के बड़े बुजुर्ग भी परिवार के सभी सदस्यों को बड़े के नाते उन्हें अनिवार्य सम्मान देने का […] Read more » और बड़कू मामा बन गए बुद्धिजीवी...!!
व्यंग्य साहित्य (ब)जट : यमला पगला दीवाना February 29, 2016 / February 29, 2016 by अमित शर्मा (CA) | Leave a Comment अमित शर्मा प्रतिवर्ष संसद में आम बजट पेश किया जाता हैं. इसे आम बजट इसीलिये कहाँ जाता हैं क्योंकि ये आम के सीजन के पहले आता है. बजट पेश करने के पीछे आय-व्यय का वार्षिक लेखा -जोखा रखना तो गौण कारण हैं इसके पीछे (सुविधानुसार चाहे तो आगे भी मान सकते हैं)मुख्य कारण ये हैं […] Read more » (ब)जट : यमला पगला दीवाना satire on bidget
व्यंग्य साहित्य अगड़ों मे अगड़े, पिछड़ों मे पिछड़े February 26, 2016 by बीनू भटनागर | 2 Comments on अगड़ों मे अगड़े, पिछड़ों मे पिछड़े आजकल जाति के आधार पर पिछड़ापन तय हो रहा है तो मैने सोचा अपनी जाति के अगड़े पिछड़े परकुछ रिसर्च करूँरिसर्च तो वैसे घर बैठे करने के लिये विकीडिया ही काफ़ी है पर किसी यूनिवर्सिटी से रि सर्च हो तो नाम के आगे डाक्टर का ठप्पा लगाना बड़ा अच्छा लगे गा।बड़ी पुरानी ख़वाहिश करवट ले रही है।रिसर्च के लियें आजकल सबसे अधिक चर्चित यूनीवर् सिटी तो जे.एन यू, ही और वहाँ ना उम्र की सीमा है, ना जन्म का है बंधन…….. और जे. एन यू. मे सोश्योलोजी मे शोध छात्रा बन जाऊं या ऐन्थोपौलोजी की , चाहें […] Read more » satire on reservation system
व्यंग्य साहित्य उनकी आजादी व हमारी असहिष्णुता February 25, 2016 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment डॉ० व्योमेश चित्रवंश मैं शांति से बैठा अख़बार पढ़ रहा था, तभी कुछ मच्छरों ने आकर मेरा खून चूसना शुरू कर दिया। स्वाभाविक प्रतिक्रिया में मेरा हाथ उठा और अख़बार से चटाक हो गया और दो-एक मच्छर ढेर हो गए.!! फिर क्या था उन्होंने शोर मचाना शुरू कर दिया कि मैं असहिष्णु हो गया हूँ.!! […] Read more » उनकी आजादी व हमारी असहिष्णुता