युद्ध विराम के फलादेश  

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विजय सहगल              

11 मई 2025 को भारत पाकिस्तान के बीच चल रहे युद्ध के बीच, दोनों देशों के  मिलिट्री ऑपरेशन के महानिदेशकों के बीच जैसे ही संघर्ष विराम पर सहमति बनी, भारत  के राजनैतिक क्षितिज पर बैठे राजनैतिक दलों के महारथियों के चेहरों पर अचानक से बने इस घटनाक्रम पर निस्तब्धता छा गयी यद्यपि  इसी  दिन शाम 5 बजे से लागू  किये  गये  संघर्ष विराम को पाकिस्तान की सेना ने एक बार फिर तोड़ कर अपने झूठे और अविश्वासनीय चरित्र को उजागर कर दिया।

पाकिस्तान के डीजीएमओ के आग्रह और अनुरोध पर भारत-और पाकिस्तान के बीच अचानक युद्ध विराम के समाचार से भारत के विपक्षी दलों के कुछ छूट भैये नेताओं की नींद उड़ा दी। दोनों देशों के डीजीएमओ की युद्ध विराम की घोषणा के कुछ समय पूर्व, अमेरिका के राष्ट्रपति के उस ट्वीट ने आग मे घी का काम किया जिसमे उन्होने भारत पाकिस्तान के बीच युद्ध विराम कराने मे अपनी भूमिका का जिक्र करते हुए अपने मुंह मियां मिट्ठू बनने की चेष्टा की। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के ट्वीट के तथ्यों को जाने विना कॉंग्रेस और अन्य दलों के प्रवक्ताओं ने भारत और पाकिस्तान के बीच अमेरिका जैसे किसी तीसरे पक्ष को शामिल करने की भारत की नीति पर प्रधान मंत्री मोदी से  सवालों की झड़ी लगाते हुए संसद के विशेष सत्र बुलाने की मांग कर दी।

अमेरिका के राष्ट्रपति के बड़बोलेपन से दुनियाँ के सारे देश बखूबी परिचित हैं जो कभी कनाडा और  कभी पनामा नहर पर अमेरिका के कब्जे की चर्चा के लिए पहले से ही प्रसिद्ध थे। वे भारत और कश्मीर समस्या को हजारों साल से चली आ रही समस्या बता कर पहले ही अपनी जग हँसाई करवा चुके हैं। जब सोश्ल मीडिया पर ऊलजलूल टिप्पड़ी के लिये, किसी गली छाप आदमी को नहीं रोका जा सकता हैं तो कोई, अमेरिका के राष्ट्रपति को ट्वीटर पर भारत-पाकिस्तान के युद्ध विराम संधि का उल्लेख करने से कैसे रोक सकता हैं? ये विचारणीय प्रश्न है? अमेरिका के राष्ट्रपति के अपेक्षा हमे भारतीय सेना के  अपने डीजीएमओ के कथन पर विश्वास करना चाहिये, इसलिये विपक्षी दलों का प्रधानमंत्री मोदी पर, कश्मीर मसले पर किसी तीसरे देश के हस्तक्षेप का आरोप लगाना न्यायोचित नहीं है।

कुछ राजनैतिक दलों को पाकिस्तान के विरुद्ध इस युद्ध मे कुछ बड़ा करने की मोदी से अपेक्षा थी? जैसे मोदी ने, पीओके को अपने कब्जे  मे क्यों नहीं लिया? ये वही लोग हैं जिन्होने भारत की स्वतन्त्रता के बाद उन नेताओं  से आज तक  कभी ये नहीं पूंछा कि कश्मीर को पाकिस्तान के कब्जे मे दिया क्यों? और जहाँ तक बात रही कुछ बड़ा करने की, क्या पाकिस्तान मे स्थित नौ आतंकी ठिकानों जिनमे जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैबा और हिज़्बुल मुजाहिद्दीन के हेडक्वार्टर और बड़े प्रशिक्षण केंद्र शामिल थे, पर मिसाइल, राकेटों और बमों से हमला कर सैकड़ों अंतंकवादियों को मार कर उन अड्डों को मिट्टी मे मिलाकर  नेस्तनाबूद कर दिया हो, वह कुछ बड़ा करने से कम था? 6-7 मई की देर रात मे इन आतंकी संगठनों के, भारत मे मोस्ट वांटेड आतंकी हाफिज़ मुहम्मद जमील, मोहम्मद युसुफ अज़हर मुहम्मद हसन खान, मुदस्सार खादियान और अबु अक्शा, अब्दुल राऊफ   भी मारे गये।

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने इस कथन को सच कर दिखाया कि आतंकवादियों के खात्मे के लिये भारत घर मे घुसकर, चुन चुन कर मिट्टी मे मिला देगा। इन आतंकियों के जनाजे मे पाकिस्तानी फौज के बड़े बड़े अफसरों और नेताओं के  शामिल होने पर देश और दुनियाँ ने एक बार फिर देखा कि, धूर्त पाकिस्तान की सेना ही दरअसल आतंकवादियों को खाद, पानी देकर पालने  पोषने जैसे अनैतिक कार्यों मे संलिप्त हैं और पाकिस्तान सेना का सेना प्रमुख स्वयं जनरल मुनीर आतंकवादी मदरसों मे पला बढ़ा जिहादी सोच वाला मौलवी हैं।  ये पाकिस्तान नहीं बल्कि आतंकिस्तान का गढ़ है जिसका उन्मूलन अवश्य संभावी है?   

हमने अपने अभेद्य  सुरक्षा तंत्र एस400 के कारण, बिना किसी बड़ी मानवीय क्षति और हवाई अड्डों पर एक भी खरोंच आए बिना पाकिस्तान की 600 से भी ज्यादा मिसाइल हमलों, रॉकेट और ड्रोन हमलों को पूरी तरह नाकाम कर दिया, पाकिस्तान की हवाई हमला रोधी सिस्टम को नष्ट कर उनके अनेकों हवाई अड्डो के  बुनियादी स्वरूप को नष्ट-भ्रष्ट करना क्या किसी बड़ी कार्यवाही से कम हैं? हमे याद रखना होगा कि भारत का मकसद सिर्फ पाकिस्तान मे पल रहे आतंकियों और उनके आतंकी अड्डों का समूल नाश करना था!! भारत का उद्देश्य पाकिस्तानी सेना या उनके नागरिकों को नुकसान पहुंचाना नहीं था। भारतीय सशस्त्र सेना अपने लक्ष्यों को भेदने मे पूरी तरह कामयाब रही, भारतीय सेनाओं के शौर्य और पराक्रम की जितनी भी प्रशंसा की जाय, कम होगी। भारतीय सेना की थल, जल और नभ सेनाओं का आपसी सहयोग और समंजस्य अकल्पनीय और अद्भुद था, उनकी  शूरवीरता, साहस और पराक्रम का कहीं कोई मुक़ाबला नहीं हो सकता पर एक बात का उल्लेख करना यहाँ लाज़मी हैं कि हमारी सुदृढ़ सेना के पीछे देश की दृढ़ राजनैतिक इच्छा शक्ति को भी नहीं नकारा जा सकता जिसने पहली बार दुश्मन के हरेक अपवित्र, अशुद्ध और अवांछनीय  इरादों को पूरी क्षमता और ताकत के साथ मुँह तोड़ जवाब देने की खुली छूट जो दी थी।

12 मई 2025 को रात्रि 8 बजे भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान सहित सारी दुनियाँ को राष्ट्र के नाम अपने सम्बोधन मे बड़े  दृढ़ और स्पष्ट तरीके से संदेश दे कर कहा कि आतंकवाद और उसके सरपरस्त पाकिस्तान के खिलाफ कार्यवाही केवल स्थगित हुई है। ऑपरेशन सिंदूर अभी भी जारी है। पाकिस्तान ने भारत पर हमला करने का जो दुस्साहस किया, उसका जवाब पाकिस्तान के सीने पर वार कर दिया गया। पाकिस्तान के गुहार लगाने पर ही संघर्ष विराम हुआ। उन्होने स्पष्ट लेकिन कठोर शब्दों मे कहा कि आतंक और व्यापार, आतंक और बातचीत  एक साथ नहीं चल सकते। उन्होने 19 अप्रैल 1960 को भारत और पाकिस्तान के बीच हुए सिंधु जल संधि के संदर्भ मे कहा कि, “पानी और खून भी एक साथ नहीं बह सकते”। विदित हो कि 22 अप्रैल 2025 को पहलगाँव मे 26 पर्यटकों की आतंकी हमले मे हत्या के बाद भारत ने 24 अप्रैल 2025 को स्वतंत्र भारत के  इतिहास मे पहली बार सिंधु जल संधि को निलंबित किया गया।

प्रधानमंत्री ने ऑपरेशन सिंदूर पर देश के सभी राजनैतिक दलों की एकजुटता का विशेष उल्लेख करते हुए न्यूक्लियर ब्लैकमेल सहन न करने और आतंकियों और उनके आकाओं को अलग अलग न देखने की अपनी  प्रतिबद्धता को  दोहराया फिर भले ही उनके साथ पाकिस्तानी सेना क्यों न हो। उन्होने पाकिस्तानी सेना और अंतकवादियों को चेतावनी देते हुए कहा कि उन्होने भारतीय सेना के शौर्य और पराक्रम को देखा वे अच्छी तरह जान गये हैं कि पाकिस्तान मे कोई भी जगह अब ऐसी नहीं है जहाँ आतंकवादी चैन की सांस ले सके, जरूरत पड़ने पर हम फिर इन आतंकवादियों के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही करेंगे। प्रधानमंत्री ने तीनों सेनाओं को सैल्यूट करते हुए उनकी प्रशंसा की और कहा कि मेड इन इंडिया हथियारों ने खुद को साबित किया है, जिन्हे सारी दुनियाँ देख रही है। उन्होने आतंकवाद के विरुद्ध एक जुटता दिखाते हुए दोहराया बेशक यह युग युद्ध का नहीं है लेकिन यह युग आतंकवाद का भी नहीं है। आतंकवाद के खिलाफ अपनी  ज़ीरो टोलरेन्स की नीति की भी याद दिलायी।

6-7 मई को आतंकवाद के विरुद्ध शुरू किये गए ऑपरेशन सिंदूर के माध्यम से आतंकवादियों और उनके पराश्रय देने वाले मार्गदर्शकों के अड्डों की तवाही इस बात के स्पष्ट संदेश थी कि अब  पाकिस्तान और उसकी सेना यदि ऐसा दुस्साहस दुबारा करेंगे तो भारतीय सशस्त्र बल और सेनाएँ किसी भी हद तक जाकर पाकिस्तान को इससे भी करारा जबाव देंगी । इस बार तो पाकिस्तान की मिलिट्री के डीजीएमओ की गिड़गिड़ाहट को भारतीय सेना ने सुन लिया, पर दुबारा शायद पाकिस्तान अपने बाजूद को खो कर गिड़गिड़ाने लायक भी न रहे।

विजय सहगल 

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