कविता

जपो पत्नी का ही नाम

परमपिता पर अगर हो, तुमको पूर्ण विश्वास

परमेश्वरी पत्नी को मानिये, पूरी करती आस।

नास्तिक बन बैठो रहो, न हो पत्नी पर विश्वास

फल की आस न कीजिये, मिट जायेगा आवास।।

प्राणप्रतिष्ठा पत्नी की करे, मंदिर हो जाये आवास

भार पति का सदा हरे, पत्‍नी करे दुखों का नास।।

अन्नपूर्णा बनकर घर में, अन्न धन्न भण्‍डार भरे

शिवा भवानी चंडी माया,पत्नी अनेकों नाम रखे।।

पत्नी शरणागत पाने वाला, हर भय से मुक्त रहे

पत्नी अर्चन, पत्नी पूजन, पत्नी चर्या में युक्‍त रहे।।

पत्नीव्रत जो भी साधा, जगत में जिसका डंका बाजा

पीव पत्नी ही परमेश्वरी, पत्नी छोड कहीं भी न जा।।

सदा चलो पत्‍नी के पीछे, बातें उसकी सब मानो

कोट बैग लेकर चल, छाता उसके सिर पर तानो।।

पत्नी भक्ति में लीन रहो, जपो पत्नी का ही नाम

पत्नी वाद पर शास्‍त्र लिखो,आवास बने पत्‍नीधाम।।

ज्ञानी,ध्यानी अज्ञानी भी, पत्नी भक्ति में रहे हुये है

परमपद पत्‍नी सा पाकर, वे शिखरों पर चढे हुये है।।

परमेश्वरी पत्नी की, लीला का ना मिला सिला

एजी, ओजी, सुनो जी, इन बातों से दिल हिला।।

जीवन का पालन कारण, हर युग में पत्नी रही

दयामयि शक्ति अनन्या, उमा रमा शारदा कहीं।।

पत्नी है परमेश्‍वरी, मानिये परमेश्वर का अवतार

साकार ब्रह्म ही जानिये, वह हरती पति का भार।।

आत्‍माराम यादव पीव