मिलन सिन्हा
इसमें आम लगे हैं ढेर।
बच्चे खेलते हैं इसके नीचे
भागते हैं एक दूसरे के पीछे।
थक कर फिर बैठ जाते हैं
मिलजुल कर आम खाते हैं।
झूले भी लगे हैं यहाँ – वहाँ
ऐसा मजा फिर मिलेगा कहाँ।
आम के पेड़ होते हैं अच्छे
जैसे होते हैं हमारे बच्चे ।
मिलन सिन्हा
इसमें आम लगे हैं ढेर।
बच्चे खेलते हैं इसके नीचे
भागते हैं एक दूसरे के पीछे।
थक कर फिर बैठ जाते हैं
मिलजुल कर आम खाते हैं।
झूले भी लगे हैं यहाँ – वहाँ
ऐसा मजा फिर मिलेगा कहाँ।
आम के पेड़ होते हैं अच्छे
जैसे होते हैं हमारे बच्चे ।
स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान पत्रकारिता ने जन-जागरण में अहम भूमिका निभाई थी लेकिन आज यह जनसरोकारों की बजाय पूंजी व सत्ता का उपक्रम बनकर रह गई है। मीडिया दिन-प्रतिदिन जनता से दूर हो रहा है। ऐसे में मीडिया की विश्वसनीयता पर सवाल उठना लाजिमी है। आज पूंजीवादी मीडिया के बरक्स वैकल्पिक मीडिया की जरूरत रेखांकित हो रही है, जो दबावों और प्रभावों से मुक्त हो। प्रवक्ता डॉट कॉम इसी दिशा में एक सक्रिय पहल है।
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good poems for children.