मिलन सिन्हा
इसमें आम लगे हैं ढेर।
बच्चे खेलते हैं इसके नीचे
भागते हैं एक दूसरे के पीछे।
थक कर फिर बैठ जाते हैं
मिलजुल कर आम खाते हैं।
झूले भी लगे हैं यहाँ – वहाँ
ऐसा मजा फिर मिलेगा कहाँ।
आम के पेड़ होते हैं अच्छे
जैसे होते हैं हमारे बच्चे ।
may I add one poem?
Kindly send the poem
good poems for children.