हास्य-व्यंग्य : नारी सशक्तीकरण वर्सेज पुरुष सशक्तीकरण

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नारी सशक्तीकरण पर गोष्ठी करने का फैशन समकालीन हिंदी साहित्य की आज सबसे बड़ी उत्सवधर्मिता है। स्त्री-विमर्श के सैंकड़ों केन्द्र आज साहित्य में दिन-रात सक्रिय हैं। जगह-जगह काउंटर सजे हुए हैं। गौरतलब खासियत यह है कि इन जलसों में सबसे ज्यादा भागीदारी पुरुषों की होती है। जैसे मद्यनिषेद्य गोष्ठी में पीने के शौकीन लोग वहां जाने का सतर्क परहेज करते हैं, ठीक वैसे ही इन गोष्ठियों में साधनहीन स्त्रियां शरीक होने से भरपूर परहेज करती हैं। भूले-भटके जैसे मद्यनिषेद्य गोष्ठी में कुछ पियक्कड़ प्रवक्ता भी अपने बहुमूल्य विचारों से जन-जागृति करने का दुर्लभ कार्य करने पहुच जाते हैं,कुछ उसी अंदाज़ में संयोजक की पसंदानुकूल कुछ क्लबगामिनी स्त्रियां नारियों की दुर्दशा पर भावुक वक्तव्य देकर गोष्ठी को संतोषामाता की कथा के आयोजन की तरह फलदायी बनाने का पुण्य कार्य करती हैं। बहुत समय पहले मुझे एक ऐसे ही आयोजन में जाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। सौभाग्य इसलिए कह रहा हूं कि जिस आयोजन में गया था उसमें सौभाग्यशाली लोग ही जा पाते हैं। जो जाते हैं और सकुशल लौटकर भी आते हैं। गोष्ठी का विषय था- फासिस्ट विरोधी संवाद। एक भाषणप्रिय नेताजी को उसमें बोलने के लिए आमंत्रित किया गया। वक्तव्यवीर नेताजी ने अपना खूंखार ज्ञान बखारते हुए कहा कि- जो फासिस्ट विरोधी हैं,वो दशद्रोही हैं।गद्दार हैं। हमें इन फासिस्ट विरोधियों के खिलाफ पूरे देश को लामबंद करना होगा। बाद में उन्होंने पूरे जोश के साथ फासिस्टविरोधी मुर्दाबाद के जनोपयोगी नारे भी लगा डाले। आय़ोजक और श्रोता मंत्रीजी के विलक्षण ज्ञान से प्रभावित होकर मूर्छित हो गए। और नेताजी दूसरे किसी जलसे की शोभा बढ़ाने के लिए चल बसे। आज की गोष्ठी में सौभाग्यवती ललकारी देवी के प्रभावोत्पादक भाषण को सुनकर,मुझे उस ऐतिहासिक गोष्ठी की रोमांचक याद हो ताज़ा हो आई। ललकारी देवी ने पचास श्रोताओं की गोष्ठी में पूरे देश को लललकार कर अखिलभारतीय स्तर की सनसनी फैला दी। मैडम ने अपने भाषण की झन्नादेदार शुरुआत इस रहस्योदघाटन के साथ की कि स्त्री सशक्तीकरण की जरूरत पर जो लोग गोष्ठियां करते हैं, वे सभी लोग स्त्री विरोधी हैं और वे यह बताने का कुत्सित कार्य कर रहे हैं कि स्त्री कोई सरासर निर्बल जीव है। ऐसे लोगों को उलकी इस गलतफहमी का तोहफा हम बहनें ही दे सकती हैं। मैं कहती हूं कि- ये लोग स्त्री की शक्ति को जानते कहां हैं। और अगर जानते हैं तो जानबूझकर उसे नज़रअंदाज़ करने की साजिश रच रहे हैं। यहां इतने लोग जो कर्सियों पर रखे हुए हैं उनमें कितने हैं जो अपनी पत्नी को उसके सामने कमजोर कहने की हिम्मत रखते हैं। है कोई का माई का लाल। अगर है तो मेरे सामने आए और बोले। तमाम पत्नी-पीढ़ित पतियों के दिमाग के मुहल्ले में अपनी-अपनी धर्मपत्नियों की मनोहारी छवि पूरी ठसक औऱ धमक के साथ प्रकट हुईं। वे एक साथ कोरस में बोले- आप बिल्कुल ठीक कह रही हैं,बहनजी… स्त्री को कमजोर कहना या समझना नारी अस्मिता का अपमान है। और नीरी सशक्तिकरण की बात करनी तो अच्छे खासे पहलवान को टानिक की गोलियों का भोजन कराना है। हाथी को च्यवनप्राश खिलाना है। हिमालय को कुल्फी का महत्ल समझाना है। बहन ललकारी देवी की जै।

जयजयकारा सुनकर ललकारी देवी जोश में आ गईं। और उनकी ललकार सुनकर कुछ जोशजदा बूढ़ों की आंखों में शरीर का सारा खून निचुड़कर आंसुओं की शक्ल में ललकारी देवी –जैसी वीरांगना को गार्ड आफ आनर देने लगे। ललकारी देवी ने एक बार लचकते हुए और दो बार गुस्से में पैर पटकते हुए कहा- अगर मैंने ममतादीदी, मायावती बहनजी,राबड़ी देवी और सोनियाजी को जाकर बता दिया कि कुछ सिरफरे आपको कमजोर कह रहे हैं, और कमजोर समझकर आपको ताकतवर बनाने की बचकानी हरकत कर रहे हैं तो इन सब फ्यूज बल्बों के लाइट जलाने का सपना चकनाचूर हो जाएगा। हम चाहे सरपंच बन जाएं तो भी हम काम नहीं करतीं। हमारे पति ही नौकर की तरह काम करते है। इसमें बुरा भी क्या है। हमारा आयटम है, हम उसे कैसे भी यूज़ करें। कहते हैं कि पंच परमेश्वर होता है,पति भी परमेश्वर होता है। हम इन परमेश्वरों की शक्ति हैं। हम बिना पोस्ट पर रहे भी सुप्रीमो होती हैं। यकीन न हो तो चमनलाल जी जो हमारे कांग्रसी नेता हैं,इन से पूछ लो। इंसान-तो-इंसान पशु-पक्षी भी हमारी ताकतसे अच्छी तरह वाकिफ हैं। सदियों से इन मनुवादी महावतों ने बहुत हाथी चलाए। अब तो बस हाथी के कान में बहन मायावती का नाम ले दो वे खुद चलने लग जाते हैं और बिना महावत के सीधे लखनऊ जाकर ही दम लेते हैं। किसी भी रेल गाड़ी को ममता दीदी की फोटो दिखा दो,बिना ड्रायवर के वह सीधे कोलकाता ही जाकर रुकेगी। हमारी ताकत तो इतनी है कि हम जहां भी घूमने जाते हैं,देवता खुद-ब-खुद हमारी सिक्यूरिटी में आ जाते हैं। यत्र नार्यस्तु पूजयन्ते रमनते तत्र देवताः। और यहां इस शेखचिल्लियों के लाफ्टर शो में कुछ खिसके हुए लोग स्त्री सशक्तीकरण की बातें कर रहे हैं। अरे सशक्तीकरण की ही बात करनी है तो इन खिसकों को अपने भाई-बंधु किन्नरों के सशक्तीकरण की बात करनी चाहिए। हमने कई पहलवानों को पहली ही ही रात के बाद अदालत में तलाक की अर्जी लिए घूमते देखा है। बड़े आए हमारा सशक्तीकरण करने। इनमें कुछ शेखचिल्ली अपने को साहित्यकार समझ रहे हैं। इनसे ज़रा पूछो तो कि तुलसीदास को महान किसने बनाया। रत्नादेवी ने न। कालिदास को महान किसने बनाया। विद्योत्तमा ने न। और-तो-और काका हाथरसी को कवि किसने बनाया,काकी ने न। और भी कई कवि हैं जो अपनी घराड़ी का भजन करके ही कवि बने हुए हैं। अरे भाई स्त्री तो लक्ष्मी है। और जो स्त्री का महत्व नहीं समझते लक्ष्मी उनके यहां कभी नहीं टिकती है। इसी लिए जिन पतियों ने अपनी पत्नी को महत्व कम दिया उनकी पत्नी उसके घर नहीं रुकी। उसने मौका देखते ही घर छोड़ दिया। स्त्री लक्ष्मी का रूप होती है। जहां उसकी पूजा होगी,वहीं रुकेगी। जिनकी पत्नियों को पतियों की बेबकूफी के कारण घर छोड़ना पड़ा वे पराजित योद्धा ही स्त्री के सशक्तीकरण की बातें ज्यादा करते हैं। अपनी हीनता को छिपाने को। या फिर हमारी सिंपेथी पाने को। वैसे ये सिर्फ बातें ही करते हैं। कुछ करना-धरना इनके वश में नहीं है। ये काठ के उल्लू हैं। सचमुच के उल्लू होते तो लक्ष्मी बीएम डबल्यू से ज्यादा महत्व इन्हें ही देती. पर ये तो स्त्री के सशक्तीकरण की बातें करते हैं। तरस आता है इन खिसकों पर। अरे ज़रा सोचो अगर स्त्रियों के संगठन ने साथ नहीं दिया होता तो क्या एक बालक मथुरा के माफिया कंस की फ्रेंड पूतना का और फिर कंस का मर्डर कर सकता था। गोपियों के सपोर्ट से कृष्ण मुरारी यादव द्वारिकाधीश बन गए। भगवान बन गए। शक्ति तो स्त्री की ही थी न। कंस ने एक लड़की का मर्डर जो कर दिया था। वह बिजली बन गई। राज्य की सारी लड़कियां कंस के खिलाफ हो गईं। मारा गया बेमौत। जो भी स्त्री को कमजोर समझते हैं वे कंस हैं। जो कमजोर समझते हैं वही तो सशक्तीकरण की बात करते हैं। सोलह हजार एकसौआठ स्त्रियों की संख्यावाला संगठन गोपी ही था जिसने कृष्ण को भगवान बनाया था। मैं उसी एन.जी.ओ. गोपी संगठन की वर्तमान अध्यक्ष हूं। और पुरुषों के सशक्तीकरण के बारे में गंभीरता से विचार कर रही हूं। असक्त पुरुष मेले में-अकेले में जैसे चाहें,जब चाहें मुझसे संपर्क कर सकते हैं। मैं जल्दी ही कमजोर और पिछड़े पुरुषों के लिए एक खास टेलेंट हंट भी आयोजित करने जा रही हूं। प्रतिभागी एसएमएस करके भी एंट्री ले सकते हैं। सबसे कमजोर पुरुष के सशक्तीकरण का हैरतअंगेज कारनामा कर के हमारा संगठन उसे सुपर स्टार बना देगा।.जय भवानी..

.जय ललकारी देवी की। पुरुषों का जयकारा गूंजा। और पुरुषों की एक लंबी कतार लग गई ललकारी देवी के पीछे। अपने को सबसे कमजोर पुरुष-प्रतियोगिता में शामिल होने के लिए। हर पुरुष अपने को कमजोर सिद्ध करने की होड़ में पूरी ताकत से डटा था। स्त्री सशक्तीकरण गोष्ठी का ऐसा हास्यास्पद दुखांत होगा,यह आयोजकों ने सोचा भी नहीं होगा।

4 COMMENTS

  1. हर सफल पुरूष के पीछे एक सशक्त महिला होती है। और “असफल” प्र. मंत्री के पीछे भी एक सशक्त महिला ही है। आपकी सशक्त उपमाएं, और नए नए अर्थवाही शब्दयुग्म निर्माण की शक्ति के पीछे कोई देवी ही, प्रतीत होती हैं। अस्खलित व्यंग्य! और लेखक अपने आपको “नीरव” कहलवाता है। किसी “देवी” ने कोई आज्ञा तो दे नहीं रखी ना? जैसे अकबर के दरबार में भेजे गए, एक पति को दी गयी थी?
    नीरवजी धन्यवाद। कुछ दिनोंके बाद आज समय पाया, सफल रहा।

  2. हास्य-व्यंग्य : नारी सशक्तीकरण वर्सेज पुरुष सशक्तीकरण – by – पंडित सुरेश नीरव

    प्रोजेक्ट:
    कमजोर और पिछड़े पुरुषों के लिए एक खास टेलेंट हंट भी आयोजित करने जा रही हूं
    प्रतिभागी एसएमएस करके भी एंट्री ले सकते हैं.
    ————————————————-
    पंडित सुरेश नीरव जी,

    एंट्री के लिए कहाँ एसएमएस करना हैं ?
    मैं seriously टेलेंट हंट में भाग लेना चाहता हूँ .

    – अनिल सहगल –

  3. ये हास्य व्यंग नहीं हकीकत है ….सारा राजनीतिक -सामाजिक -फ़िल्मी और मीडिया परिद्र्शुय ललकारी देवियों से भरा पड़ा है …..कन्या भ्रूण हत्या में तो महिलाओं की भागीदारी ५०%से भी ज्यादा है …..कमजोर पुरुषों और पत्नी पीड़ितों की एक बानगी देखिये एक चेनल में एक भद्दी महिला ने नकली जज बनकर झाँसी के एक दलित की जान ले ली …..आपने व्यंग्य के रूप में असलियत को सरे बाज़ार नंगा खड़ा कर दिया है …..

  4. क्या बात है.. छा गए जी..
    महिलाओं की महानता बड़े मस्त तरीके से बतला गए..
    अच्छा लगा..

    आभार

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