कांग्रेस को लोग भ्रष्ट कहते है पर मेरा दावा है कि आज से मेरे इस लेख को पढकर न जाने कितने लोग कांग्रेस को भ्रष्ट कहना छोड़ देगे। क्योकि भाई कांग्रेस भ्रष्ट नही महाभ्रष्ट है, देश में जितने घोटाले कांग्रेस राज में हुए शायद ही किसी देश में किसी सरकार के टाईम में इतने घोटाले हुए हो। आईये अब मुद्दे पर आते है। हमारे देश में जीवित प्रधानमंत्रीयो की सुरक्षा किस प्रकार होती है हम सब लोग जानते है, मगर स्वर्ग सिधारने के बाद उन की हैसियत कांग्रेस के राज और कांग्रेस की निगाहो में इतनी घट जाती है कि अपने कुछ गिने चुने प्रधानमंत्रियों की जयंती और पुण्यतिथि पर कांग्रेस दिल खोलकर खर्च होता है पर कुछ स्वः पूर्व प्रधानमंत्रियों पर कांग्रेस सरकार के राज में चवन्नी भी खर्च नही की जाती। भले ही पिछले दिनो प्रधानमंत्री की सुरक्षा में लगे एसपीजी सुरक्षाकर्मी की ओर से संसद भवन परिसर में बसपा सांसद रमाशंकर राजभर के साथ दुर्व्यवहार पर सरकार ने माफी मांग ली हो पर इस ओर न तो कभी किसी ने सरकार का ध्यान दिलाया और न ही सरकार ने माफी मांगी। हमारे देश में जीवित पूर्व प्रधानमंत्रियों की सुरक्षा और रखरखाव के लिये भले ही सरकारी नियम एक जैसे हो पर इन के मरने के बाद किसी पर तो सरकार दिल खेलकर खर्च करती है और किसी स्वः प्रधानमंत्री के प्रति सरकार की श्रद्वा और सरकारी खर्च करने का पैमाना अचानक घट बढ जाता है, कुछ पर थोड़ा, कुछ पर ना के बराबर और देश के पॉच पूर्व प्रधानमंत्रियों पर तो उन के मरने के बाद सरकार ने एक पैसा भी खर्च नही किया।
स्वर्गीय पूर्व प्रधानमंत्रियों की हर वर्ष जयंती एंव पुण्यतिथि का आयोजन की जिम्मेदारी शहरी विकास मंत्रालय के पास रहती है। पूर्व प्रधानमंत्रियों के लिये जिस तरह सुरक्षा, वाहन, स्टाफ एंव आवास की पूरी जिम्मेदारी सरकार की होती है,ठीक उन के मरने के बाद अतिंम संस्कार, जयंती और पुण्यतिथि का आयोजन करने की जिम्मेदारी भी मौजूदा सरकार की होती है। और इस के लिये शहरी विकास मंत्रालय ने बाकायदा एक अलग से विभाग भी बना रखा है। इस विभाग का नेतृत्व निर्देशक स्तर का अधिकारी करता है। मगर मृत प्रधानमंत्रियों की जयंती या पुण्यतिथि का आयोजन करने में यह विभाग जिस का खाऊ उस कस गाऊ व चमत्कार को नमस्कार वाली कहावतो पर अमल करता है, और सरकार के हुक्म के बगैर पत्ता भी नही हिलने देता है। ये ही कारण है कि देश का सिर्फ एक बार 31 अक्टूबर 84 से 2 दिसम्बर 89 तक प्रधानमंत्री रहे स्वर्गीय राजीव गांधी की जयंती और पुण्यतिथि पर सब से ज्यादा पैसा इस विभाग द्वारा खर्च किया जाता है। कांग्रेस की सरकार सत्ता में है इस लिये कांग्रेस भी अपने कुछ खास मृत प्रधानमंत्रियों की जयंती और पुण्यतिथि पूरी शान-ओ-शौकत के साथ मनाती है, यानि कांग्रेस ने देश की जिंदा जनता पर तो मंहगाई, घोटालो से जुल्मो सितम ढाह ही रखा है मगर मृत प्रधानमंत्रियों के साथ भी भेदभाव तोबा तोबा, राजीव गांधी के बाद सब से ज्यादा पैसा स्वः पंडित जवाहरलाल नेहरू, इस के बाद स्वः इंदिरा गांधी, स्वः लाल बहादुर शस्त्री, और स्वः चौधरी चरण सिंह जी की जयंती और पुण्यतिथि के आयोजन भी सरकार ही इस विभाग से खूब धूमधाम से करवाती है इन में से भी कुछ की जयंतिया ओने पोने में निबटा दी जाती है। किंतु पॉच देश के ऐसे स्वर्गीय प्रधानमंत्री है जिन की जयंतियो व पुण्यतिथि पर सरकार की अनुमति न होने के कारण ये विभाग चवन्नी भी खर्च नही करता।
ये प्रधानमंत्री है 1964 और 1966 में दो बार अंतरिम प्रधानमंत्री रहे स्वः गुलजारी लाल नंदा, 24मार्च 1977 से 28 अगस्त 1979 तक प्रधानमंत्री रहे स्वः मोरार जी देसाई, 2 दिसम्बर 1989 से 10 नवम्बर 90 तक प्रधानमंत्री रहे स्वः विश्वनाथ प्रताप सिंह, 10 नवम्बर 1990 से 21 अगस्त 91 तक प्रधानमंत्री रहे स्वः चंद्रशेखर और उन के बाद 16 मई 1996 मक प्रधानमंत्री रहे स्वः पीवीनरसिंह राव की जयंती और पुण्यतिथि के देश में आयोजन तो होते है पर सरकार की ओर से किसी भी प्रकार की आर्थिक सहायता या सहयोग इन मृत देश के पूर्व प्रधानमंत्रियों की जयंती और पुण्यतिथि पर नही दिया जाता। जब की राजीव गांधी, जवाहरलाल नेहरू, इंद्रिरा, लाल बहादुर शास्त्री जी की जयंती और पुण्यतिथिया देश में हर वर्ष बडी धूम धाम से मनाई जाती है। इस विषय पर शहरी विकास मंत्रालय के अधिकारियो का ये कहना है कि यह फैसला कैबिनेट से पास हुआ था जिस में केवल इन पॉच पूर्व मृत प्रधानमंत्रियों की जयंती और पुण्यतिथि के आयोजन करने की ही जिम्मेदारी शहरी विकास मंत्रालय को दी गई थी। आखिर क्यो कांग्रेस द्वारा कैबिनेट में इस प्रकार का फैसला लिया गया और अगर लिया भी गया तो जिंदो का ही खून चूस लो मरे हुओ को तो बख्श दो, मुर्दो पर तो तरस खाओ, इन पर तो राजनीति मत करो, मृत लोगो के साथ तो दुशमन भी भेदभाव नही करता। क्या राजीव गांधी का देश की राजनीति में स्वः मोरार जी देसाई से ज्यादा योगदान था। वही इन के बाद 29 अगस्त 1979 से 14 जनवरी 1980 तक देश के प्रधानमंत्री रहे स्वः चौ. चरणसिंह जी का नाम इस सूची में शामिल है। मैं स्वः चरणसिंह जी का कोई विरोधी नही हूँ न ही मुझे उन के नाम पर कोई आपत्ती है, मुझे ये भी मालुम है कि उन की पुण्यतिथि और जयंती पर सब से कम पैसा शहरी विकास मंत्रालय द्वारा खर्च किया जाता है पर हा इतना मलाल जरूर है कि इस सूची में देश के एक कद्दावर राजनेता और पूर्व प्रधानमंत्री मोरार जी देसाई जी का नाम भेदभाव व सरकार के कहने पर ही निकाला गया। देश के बडे बडे घोटालो लिप्त कांग्रेस सरकार का यहा भी दामन पाक साफ नही है, और किरदार ऐसा के कहना ही पडेगा कि अंधा बाटे रेवडी अपने अपने को।
भाई मात्र भ्रष्टाचार ही वह चासनी है जो कांग्रेसियों को एक रखती है और मात्र गांधी नेहरु खानदान के चरणों पर ही सभी शीष झुक सकते हैं । आप देखिए जितने भी पांच उपेक्षित नाम आपने लिए हैं सब कांग्रेसी ही थे किंतु इंदिरा जी अथवा राजीव जी अथवा सोनिया जी के चरण न पकड उन्होंने अपनी क्षमता एवं नेतृत्व का लौहा मनवाया और कांग्रेस छोड़ दी तो प्रधान मंत्री बन सके नहीं तो आज नारायण दत्त तिवारी , प्रणव मुखर्जी वाली पंक्ति की शोभा बढ़ा रहे होते । मुझे याद है जब चंद्रशेखर जी की सरकार गिराने का स्वांग चल रहा था तो राजीव जी ने एक चिट पर लिख कर भेजा कि अब भी मान जाओ हम समर्थन जारी रखेंगे तो उसी चिट के पीछे चंद्रशेखर जी ने राजीव जी को लिख भेजा था कि लोग एवरेस्ट पर झंडा फहराने जाते हैं वहां रहने वसने के लिए नहीं । ( हो सकता है शब्दों में कुछ हेर फेर हो ) । तो कांग्रेस का तो चाल चलन और चरित्र ही सदैव से ऐसा है कि यहां सिर्फ चमचे ही जी सकते हैं स्वाभिमानी नहीं यहां फलने फूलने की शर्ते स्पष्ट हैं जिनमें श्री मनु सिंघवी, दिग्गी राजा मनीष तिवारी आदि महापुऱुष ही जी सकते हैं जो कभी भी थूक कर चाट लें, मोरारी भाई, चंद्रशेखर चरण सिंह जैसे थोड़े से स्वाभिमानियों को तो कांग्रेस के बाड़े में घुटन होने लगती है । मैं यहां कतई अन्य की भी कोई तारीफ नहीं कर रहा हूं , किया इन्होने भी कुछ खास नहीं ,जिसके लिए इन्हे याद किया जाए सब आपस में ही लड़ मर गए और देश को और थोडा सा गर्त में धकेल गए। पर सरकार चाहे वह कोई हो मृतात्माओं के नाम पर राजनीति नहीं करनी चाहिए । कांग्रेस की एक मजबूरी यह है कि इसके पास कुछ नामों की कमाई खाने के अलावा कुछ नहीं है और वे नामों को इतना पवित्र मान बैठी है कि उन की तरफ उंगली उठते ही बौखला जाती है। मेरे विचार से 2047 आते आते कांग्रेस के काले चिठ्टे आम होने लगेंगे फिर एक सामान्य आदमी की तरह गांधीजी. नेहरु जी राजीव जी सोनिया जी प्रियंका जी राहुल जी संजय जी मेनका जी और बहुत सारे जी ( जिनमें प्रियंका जी के पुत्र पौत्र आदि के नाम आएंगे क्योंकि राहुल जी तो अटल जी की राह पर हैं) इनके कार्यकालों की चीरफाड़ इतिहासकार करेगे क्यों कि अब सारे इतिहासकार वामपंथी नहीं है जो कांग्रेस चाहेगी ठेके पर लिखवा लेगी , इंटरनेट का जमाना है सारे संसार में नेहरु गांधी खानदान के इतिहास का ई मेल फैल रहा है , काले धन के आंकडें आम हो गए हैं . सरकार कितना ही दबा ले, सब जानते हैं कि जब तक खास लोगों का पैसा सही तरह से ठिकाने नहीं लग जाएगा नाम सामने नहीं आएंगे- एकाध बकरा काट दिया जाएगा— (और मैं तो बाबा रामदेव और अन्ना के भोले पन पर खीजता हूं कि अगर 400 लाख करोड़ आ भी गए तो इन्ही के हाथों में आएँगे न, लोकपाल बन भी गया तो दिग्गी राजा का आदमी ही बनेगा न फिर क्यों अपनी फजीहत करवा रहे हैं) –अब ये कांग्रेसी देश के देवता नहीं रह जाएंगे और जब ये महामानव की पदवी से सामान्य श्रेणी में आएंगे तब सही आंकलन होगा इनके अवदान और विनाश का । आखिर कहां गए सुभाष, डॉ मुखर्जी, दीनदयाल उपाध्याय, शास्त्री जी, संजय, राजीव, बहुत सारे प्रश्नों से नई पीढ़ी जूझेगी, जिनसे चारण भाट श्रेणी के कांग्रेसियों को बड़ी असहजता असुविधा होगी हालाकि असलियत सब जानते हैं परंतु उनके पास और कोई घंटा है नहीं जिसे वे हिला कर आपनी रोजी रोटी चला सकें । इसलिए उनकी भी मजबूरी है। दैश मात्र कांग्रेसियो का ही पोस्टमार्टम नहीं करेगा अतिपूज्य वाक कला के सम्राट अटल जी के अंध भक्तों से भी प्रश्न पूछेगा कि कारगिल में असलियत में क्या हुआ था , क्यों नहीं एक जहाज के यात्रियों को बचाने मिग 21,23 29 जगुआर, गए क्यों नही, कुछकी बलि चढ़ाकर अपना नाम फौलाद में लिखाया और मसूद को लाल चौक पर गोली मारदी क्यों अपना नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखाने का ही मोह रह गया, क्यों नहीं कुछ किया पाकिस्तानी प्रशिक्षण शिविरों को नष्ट करने के लिए क्यों नही खत्म किया आरक्षण, 370, क्यो नहीं कोई ऐसा कानून बनाया कि हमारी जनसंख्या जो सुरसा के मुंह की तरह बढ़ रही है, को रोकने में मदद मिले जो कि अंततः देश की सभी समस्याओं की जड़ है ( आजकल तो कोई औपचारिकता में झूंठे को भी इस विषय को नहीं छूता ) क्यों चिपके रहे सत्ता से कुछ वलिदान करते तो संसार याद रखता । संसार वलिदानियों को याद करता है प्रधानमंत्रियों को नहीं । अमेरिका के कितने राष्ट्रपति हो चुके हैं किसी अमेरिकी को याद भी नहीं होगा.किंतु लिंकन , वाशिंगटन लूथर किंग को कोई कभी नहीं भुला पाएगा। (शायद टिप्पणी की जगह लेख होता जा रहा है- राष्ट्रीय कमजोरी है बकवास करने की)। इसी तरह आज सरकार चाहे अपने चहेतों की जयंतिया मनाए या शहीद दिवस न तो ये सरकार हमेषा रहेगी और न ये पैरोकार । अंत में-
तुमसे पहले जो शख्स यहां तख्तनशीं था,
उसको भी खुदा होने का इतना ही यंकी था ।
भाई मात्र भ्रष्टाचार ही वह चासनी है जो कांग्रेसियों को एक रखती है और मात्र गांधी नेहरु खानदान के चरणों पर ही सभी शीष झुक सकते हैं । आप देखिए जितने भी पांच उपेक्षित नाम आपने लिए हैं सब कांग्रेसी ही थे किंतु इंदिरा जी अथवा राजीव जी अथवा सोनिया जी के चरण न पकड उन्होंने अपनी क्षमता एवं नेतृत्व का लौहा मनवाया और कांग्रेस छोड़ दी तो प्रधान मंत्री बन सके नहीं तो आज नारायण दत्त तिवारी , प्रणव मुखर्जी वाली पंक्ति की शोभा बढ़ा रहे होते । मुझे याद है जब चंद्रशेखर जी की सरकार गिराने का स्वांग चल रहा था तो राजीव जी ने एक चिट पर लिख कर भेजा कि अब भी मान जाओ हम समर्थन जारी रखेंगे तो उसी चिट के पीछे चंद्रशेखर जी ने राजीव जी को लिख भेजा था कि लोग एवरेस्ट पर झंडा फहराने जाते हैं वहां रहने वसने के लिए नहीं । ( हो सकता है शब्दों में कुछ हेर फेर हो ) । तो कांग्रेस का तो चाल चलन और चरित्र ही सदैव से ऐसा है कि यहां सिर्फ चमचे ही जी सकते हैं स्वाभिमानी नहीं यहां फलने फूलने की शर्ते स्पष्ट हैं जिनमें श्री मनु सिंघवी, दिग्गी राजा मनीष तिवारी आदि महापुऱुष ही जी सकते हैं जो कभी भी थूक कर चाट लें, मोरारी भाई, चंद्रशेखर चरण सिंह जैसे थोड़े से स्वाभिमानियों को तो कांग्रेस के बाड़े में घुटन होने लगती है । मैं यहां कतई अन्य की भी कोई तारीफ नहीं कर रहा हूं , किया इन्होने भी कुछ खास नहीं ,जिसके लिए इन्हे याद किया जाए सब आपस में ही लड़ मर गए और देश को और थोडा सा गर्त में धकेल गए। पर सरकार चाहे वह कोई हो मृतात्माओं के नाम पर राजनीति नहीं करनी चाहिए । कांग्रेस की एक मजबूरी यह है कि इसके पास कुछ नामों की कमाई खाने के अलावा कुछ नहीं है और वे नामों को इतना पवित्र मान बैठी है कि उन की तरफ उंगली उठते ही बौखला जाती है। मेरे विचार से 2047 आते आते कांग्रेस के काले चिठ्टे आम होने लगेंगे फिर एक सामान्य आदमी की तरह गांधीजी. नेहरु जी राजीव जी सोनिया जी प्रियंका जी राहुल जी संजय जी मेनका जी और बहुत सारे जी ( जिनमें प्रियंका जी के पुत्र पौत्र आदि के नाम आएंगे क्योंकि राहुल जी तो अटल जी की राह पर हैं) इनके कार्यकालों की चीरफाड़ इतिहासकार करेगे क्यों कि अब सारे इतिहासकार वामपंथी नहीं है जो कांग्रेस चाहेगी ठेके पर लिखवा लेगी , इंटरनेट का जमाना है सारे संसार में नेहरु गांधी खानदान के इतिहास का ई मेल फैल रहा है , काले धन के आंकडें आम हो गए हैं . सरकार कितना ही दबा ले, सब जानते हैं कि जब तक खास लोगों का पैसा सही तरह से ठिकाने नहीं लग जाएगा नाम सामने नहीं आएंगे- एकाध बकरा काट दिया जाएगा— (और मैं तो बाबा रामदेव और अन्ना के भोले पन पर खीजता हूं कि अगर 400 लाख करोड़ आ भी गए तो इन्ही के हाथों में आएँगे न, लोकपाल बन भी गया तो दिग्गी राजा का आदमी ही बनेगा न फिर क्यों अपनी फजीहत करवा रहे हैं) –अब ये कांग्रेसी देश के देवता नहीं रह जाएंगे और जब ये महामानव की पदवी से सामान्य श्रेणी में आएंगे तब सही आंकलन होगा इनके अवदान और विनाश का । आखिर कहां गए सुभाष, डॉ मुखर्जी, दीनदयाल उपाध्याय, शास्त्री जी, संजय, राजीव, बहुत सारे प्रश्नों से नई पीढ़ी जूझेगी, जिनसे चारण भाट श्रेणी के कांग्रेसियों को बड़ी असहजता असुविधा होगी हालाकि असलियत सब जानते हैं परंतु उनके पास और कोई घंटा है नहीं जिसे वे हिला कर आपनी रोजी रोटी चला सकें । इसलिए उनकी भी मजबूरी है। दैश मात्र कांग्रेसियो का ही पोस्टमार्टम नहीं करेगा अतिपूज्य वाक कला के सम्राट अटल जी के अंध भक्तों से भी प्रश्न पूछेगा कि कारगिल में असलियत में क्या हुआ था , क्यों नहीं एक जहाज के यात्रियों को बचाने मिग 21,23 29 जगुआर, गए क्यों नही, कुछकी बलि चढ़ाकर अपना नाम फौलाद में लिखाया और मसूद को लाल चौक पर गोली मारदी क्यों अपना नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखाने का ही मोह रह गया, क्यों नहीं कुछ किया पाकिस्तानी प्रशिक्षण शिविरों को नष्ट करने के लिए क्यों नही खत्म किया आरक्षण, 370, क्यो नहीं कोई ऐसा कानून बनाया कि हमारी जनसंख्या जो सुरसा के मुंह की तरह बढ़ रही है, को रोकने में मदद मिले जो कि अंततः देश की सभी समस्याओं की जड़ है ( आजकल तो कोई औपचारिकता में झूंठे को भी इस विषय को नहीं छूता ) क्यों चिपके रहे सत्ता से कुछ वलिदान करते तो संसार याद रखता । संसार वलिदानियों को याद करता है प्रधानमंत्रियों को नहीं । अमेरिका के कितने राष्ट्रपति हो चुके हैं किसी अमेरिकी को याद भी नहीं होगा.किंतु लिंकन , वाशिंगटन लूथर किंग को कोई कभी नहीं भुला पाएगा। (शायद टिप्पणी की जगह लेख होता जा रहा है- राष्ट्रीय कमजोरी है बकवास करने की)। इसी तरह आज सरकार चाहे अपने चहेतों की जयंतिया मनाए या शहीद दिवस न तो ये सरकार हमेषा रहेगी और न ये पैरोकार ।
अंत में-
तुमसे पहले जो शख्स यहां तख्तनशीं था,
उसको भी खुदा होने का इतना ही यंकी था ।
भाई मात्र भ्रष्टाचार ही वह चासनी है जो कांग्रेसियों को एक रखती है और मात्र गांधी नेहरु खानदान के चरणों पर ही सभी शीष झुक सकते हैं । आप देखिए जितने भी पांच उपेक्षित नाम आपने लिए हैं सब कांग्रेसी ही थे किंतु इंदिरा जी अथवा राजीव जी अथवा सोनिया जी के चरण न पकड उन्होंने अपनी क्षमता एवं नेतृत्व का लौहा मनवाया और कांग्रेस छोड़ दी तो प्रधान मंत्री बन सके नहीं तो आज नारायण दत्त तिवारी , प्रणव मुखर्जी वाली पंक्ति की शोभा बढ़ा रहे होते । मुझे याद है जब चंद्रशेखर जी की सरकार गिराने का स्वांग चल रहा था तो राजीव जी ने एक चिट पर लिख कर भेजा कि अब भी मान जाओ हम समर्थन जारी रखेंगे तो उसी चिट के पीछे चंद्रशेखर जी ने राजीव जी को लिख भेजा था कि लोग एवरेस्ट पर झंडा फहराने जाते हैं वहां रहने वसने के लिए नहीं । ( हो सकता है शब्दों में कुछ हेर फेर हो ) । तो कांग्रेस का तो चाल चलन और चरित्र ही सदैव से ऐसा है कि यहां सिर्फ चमचे ही जी सकते हैं स्वाभिमानी नहीं यहां फलने फूलने की शर्ते स्पष्ट हैं जिनमें श्री मनु सिंघवी, दिग्गी राजा मनीष तिवारी आदि महापुऱुष ही जी सकते हैं जो कभी भी थूक कर चाट लें, मोरारी भाई, चंद्रशेखर चरण सिंह जैसे थोड़े से स्वाभिमानियों को तो कांग्रेस के बाड़े में घुटन होने लगती है । मैं यहां कतई अन्य की भी कोई तारीफ नहीं कर रहा हूं , किया इन्होने भी कुछ खास नहीं ,जिसके लिए इन्हे याद किया जाए सब आपस में ही लड़ मर गए और देश को और थोडा सा गर्त में धकेल गए। पर सरकार चाहे वह कोई हो मृतात्माओं के नाम पर राजनीति नहीं करनी चाहिए । कांग्रेस की एक मजबूरी यह है कि इसके पास कुछ नामों की कमाई खाने के अलावा कुछ नहीं है और वे नामों को इतना पवित्र मान बैठी है कि उन की तरफ उंगली उठते ही बौखला जाती है। मेरे विचार से 2047 आते आते कांग्रेस के काले चिठ्टे आम होने लगेंगे फिर एक सामान्य आदमी की तरह गांधीजी. नेहरु जी राजीव जी सोनिया जी प्रियंका जी राहुल जी संजय जी मेनका जी और बहुत सारे जी ( जिनमें प्रियंका जी के पुत्र पौत्र आदि के नाम आएंगे क्योंकि राहुल जी तो अटल जी की राह पर हैं) इनके कार्यकालों की चीरफाड़ इतिहासकार करेगे क्यों कि अब सारे इतिहासकार वामपंथी नहीं है जो कांग्रेस चाहेगी ठेक पर लिखवा लेगी , इंटरनेट का जमाना है सारे संसार में नेहरु गांधी खानदान के इतिहास का ई मेल फैल रहा है , काले धन के आंकडें आम हो गए हैं . सरकार कितना ही दबा ले, सब जानते हैं कि जब तक खास लोगों का पैसा सही तरह से ठिकाने नहीं लग जाएगा नाम सामने नहीं आएंगे- एकाध बकरा काट दिया जाएगा— (और मैं तो बाबा रामदेव और अन्ना के भोले पन पर खीजता हूं कि अगर 400 लाख करोड़ आ भी गए तो इन्ही के हाथों में आएँगे न, लोकपाल बन भी गया तो दिग्गी राजा का आदमी ही बनेगा न फिर क्यों अपनी फजीहत करवा रहे हैं) –अब ये कांग्रेसी देश के देवता नहीं रह जाएंगे और जब ये महामानव की पदवी से सामान्य श्रेणी में आएंगे तब सही आंकलन होगा इनके अवदान और विनाश का । आखिर कहां गए सुभाष, डॉ मुखर्जी, दीनदयाल उपाध्याय, शास्त्री जी, संजय, राजीव, बहुत सारे प्रश्नों से नई पीढ़ी जूझेगी, जिनसे चारण भाट श्रेणी के कांग्रेसियों को बड़ी असहजता असुविधा होगी हालाकि असलियत सब जानते हैं परंतु उनके पास और कोई घंटा है नहीं जिसे वे हिला कर आपनी रोजी रोटी चला सकें । इसलिए उनकी भी मजबूरी है। दैश मात्र कांग्रेसियो का ही पोस्टमार्टम नहीं करेगा अतिपूज्य वाक कला के सम्राट अटल जी के अंध भक्तों से भी प्रश्न पूछेगा कि कारगिल में असलियत में क्या हुआ था , क्यों नहीं एक जहाज के यात्रियों को बचाने मिग 21,23 29 जगुआर, गए क्यों नही, कुछकी बलि चढ़ाकर अपना नाम फौलाद में लिखबाया और मसूद को लाल चौक पर गोली मारदी क्यों अपना नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखाने का ही मोह रह गया, क्यों नहीं कुछ किया पाकिस्तानी प्रशिक्षण शिविरों को नष्ट करने के लिए क्यों नही खत्म किया आरक्षण, 370, क्यो नहीं कोई ऐसा कानून बनाया कि हमारी जनसंख्या जो सुरसा के मुंह की तरह बढ़ रही है, को रोकने में मदद मिले जो कि अंततः देश की सभी समस्याओं की जड़ है ( आजकल तो कोई औपचारिकता में झूंठे को भी इस विषय को नहीं छूता ) क्यों चिपके रहे सत्ता से कुछ वलिदान करते तो संसार याद रखता । संसार वलिदानियों को याद करता है प्रधानमंत्रियों को नहीं । अमेरिका के कितने राष्ट्रपति हो चुके हैं किसी अमेरिकी को याद भी नहीं होगा.किंतु लिंकन , वाशिंगटन लूथर किंग को कोई कभी नहीं भुला पाएगा। (शायद टिप्पणी की जगह लेख होता जा रहा है- राष्ट्रीय कमजोरी है बकवास करने की)। इसी तरह आज सरकार चाहे अपने चहेतों की जयंतिया मनाए या शहीद दिवस न तो ये सरकार हमेषा रहेगी और न ये पैरोकार ।
अंत में-
तुमसे पहले जो शख्स यहां तख्तनशीं था,
उसको भी खुदा होने का इतना ही यंकी था ।
शादाब जी कलम के सच्चे सिपाही को तारीफ़ या आलोचना से कोई फर्क नहीं पड़ता किन्तु जहा पर दुराग्रह हो वहा फर्क पड़ता है .
आपके इस साहसिक प्रयास की जितनी भी तारीफ की जाय कम ही है
बधाई
यदि लेख की विषयवस्तु सत्य है तो निश्चय ही केंद्र सरकार के कथित निर्णय की न मात्र आलोचना और भर्त्सना की जानी चाहिए, बल्कि इसे युक्तिसंगत बनाने के लिए भी प्रयास होने चाहिए! इस बारे में ये बात भी देखी जानी चाहिए कि गैर कांग्रेसी सरकारों के कार्यकाल में अंतरिम प्रधानमंत्री रहे स्वः गुलजारी लाल नंदा एवं पूर्व प्रधानमंत्री स्वः मोरार जी देसाई की जयन्ती और पून्य तिथि पर क्या नीति रही? लेखक से आग्रह है कि इस बारे में प्रकाश डालें, तब ही यह लेख सम्पूर्ण होगा!
डॉ. पुरुषोत्तम मीणा ‘निरंकुश’
संपादक-प्रेसपालिका (पाक्षिक)
कभी ऐसा सोचा भी नहीं था|
लेखक ने अपनी पैनी दृष्टी से एक अनदेखा विषय वृत्तान्त सहित प्रस्तुत किया है\
धन्यवाद|
Dr. Madhusudan ji me aapki baat se sahmat hu parantu ye b sach h ki congress ho ya bjp ye manavta k hatyare h…………..
q k koi b inmese aaj tak zameeni rajniti nahi kr saka h modi ko mohra bana k rss or nda k log center me bjp patty dekhna chahte h or satta lobhi h……in logo ne sapne dikhane kabhi nahi tyage nahi to jitna pesa modi ki raillyo me ho raha h ek dusre ki taang kheechne me ho raha h are wo pesa kidi ek state me khrch kr dete to world me naya etihaas ban jata…..
sabhi pathko se anurodh h k vastavikta ko samajhe ya to en dalo me ghus kr hame sahi karna hoga otherwise all is bad and very