जरूर पढ़ें

कांग्रेस के चरित्रहीन नेता

-प्रवीण दुबे-
digvijaya-singh

एक बहुत पुरानी कहावत है ‘पैसा गया समझो कुछ नहीं गया, स्वास्थ्य गया समझो बहुत कुछ गया लेकिन चरित्र गया समझो सब कुछ गया। यह कहावत इस कारण याद आई, क्योंकि इस देश के सबसे पुराने राजनीतिक दल कांग्रेस से जुड़े वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह की चरित्रहीनता पूरे देश में चर्चा का विषय बनी हुई है। 67 वर्षीय दिग्विजयसिंह ने अपनी उम्र से बहुत कम की टीवी एंकर से अपने संबंध होने की न केवल बात स्वीकारी है बल्कि यह भी कहा है कि वे उससे विवाह भी करने जा रहे हैं। इस घटनाक्रम ने पूरे देश को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आखिर कांग्रेस में यह क्या हो रहा है? कहां गुम हो गई गांधी और पटेल की कांग्रेस। शर्म आती है आज के कांग्रेस नेताओं के चरित्र पर। ये मन वचन और कर्म तीनों से ही गिरे हुए नजर आते हैं। अकेले दिग्विजयसिंह ही नहीं आज की कांग्रेस के नेताओं की चरित्रावली खंगाली जाए तो सूची बहुत लंबी नजर आती है। कौन भूल सकता है नारायण दत्त तिवारी को, कौन भूल सकता है महिपाल मदेरणा को, कौन भूल सकता है अभिषेक मनु सिंघवी को, गोपाल कांडा, सुशील शर्मा, रणदीप सिंह सुरजेवाला आदि-आदि। ये वो नाम है जो कांग्रेस के बड़े नेता हैं, बड़े पद पर आसीन रहने के बावजूद इन्होंने न केवल चरित्र हीनता की बल्कि इस बात की भी चिंता नहीं की कि वे एक जनप्रतिनिधि हैं। यदि वे ऐसा घिनौना कृत्य प्रस्तुत करेंगे तो समाज पर उसका क्या असर पड़ेगा? सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि इस प्रकार के चरित्रहीन नेताओं को कांग्रेस में आगे बढऩे का मौका कैसे मिल जाता है?

इन नेताओं की सूची में शामिल नारायण दत्त तिवारी का नाम तो प्रधानमंत्री पद तक के लिए प्रस्तावित होता रहा है, इसी प्रकार मनीष तिवारी हों या अभिषेक मनु सिंघवी ये केन्द्रीय मंत्री रहे हैं। अब दिग्विजय सिंह की ही बात की जाए तो वे लगातार दो बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे, वर्तमान में वे कांग्रेस के मुखिया कहे जाने वाले गांधी परिवार के सबसे निकट माने जाते हैं। कहा तो यहां तक जाता है कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी कोई भी बड़ा निर्णय लेने से पहले दिग्विजयसिंह से चर्चा जरुर करते हैं। जो व्यक्ति नैतिक रूप से इतना गिरा हुआ है वह कांग्रेस को संचालित करने वाले गांधी परिवार के इतने निकट है यह कांग्रेस के गिरते स्तर को उजागर करता है। अब तो यह सवाल जोर-शोर से उठने लगा है कि कांग्रेस नेताओं की चरित्रहीनता की कहानियों का ये सिलसिला आखिर कहां जाकर थमेगा? कांग्रेस के भीतर ऐसे चरित्र नेताओं को मिल रही तवज्जो से सबसे ज्यादा वे लोग दुखी हैं जो कांग्रेस का समर्थन करते आए हैं और कांग्रेस का सम्मान सिर्फ इस कारण करते हैं क्योंकि वह देश की सबसे पुरानी पार्टी है। कांग्रेस को शायद उतना नुकसान उसकी नीतियों रीतियों ने नहीं पहुंचाया है जितना कि दिग्विजय सिंह और नारायण दत्त तिवारी जैसे तमाम चरित्रहीन नेताओं की कारगुजारियों ने पहुंचाया है। दिग्विजय सिंह की चरित्रहीनता सामने आने के बाद गौर करने लायक बात यह होगी कि कांग्रेस को संचालित कर रहा गांधी परिवार उनके खिलाफ क्या कार्रवाई करता है। वैसे राजनीतिक विश्लेषकों की मानी जाए तो इस बात की संभावना बहुत कम है कि सोनिया गांधी पार्टी नेताओं के लगातार गिर रहे चरित्र को लेकर कोई बड़ा नीतिगत वक्तव्य जारी करेंगी वैसे भी कांग्रेस का इतिहास गवाह है कि वहां इस तरह के चरित्रहीन नेताओं को बढ़ावा मिलता रहा है। हालांकि इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि समाज के विविध क्षेत्रों में जिसमें कि राजनीति भी शामिल है इस तरह की गंदगी से अछूता नहीं रहा है। पूरे देश ने देखा है कि किस प्रकार विविध क्षेत्रों में शामिल बड़े बड़े लोगों की चरित्रहीनता के किस्से सामने आते रहे हैं। समाज के कर्ता-धर्ताओं को इस बीमारी का हल तलाशना ही होगा।