“अभियान २०१४, कांग्रेसमुक्त भारत”—डॉ. मधुसूदन

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-भारत के विकास हेतु जुडे प्रवासी भारतीय-

आयोजन का वृत्तान्त —

Mission 2014: Congress Mukta Bharat

Global Indians for Bharat Vikas

(१)अभियान २०१४,

कांग्रेसमुक्त भारत” नामक एक अभियान खडा हो गया है। इस अभियान का गठन, विश्व में बिखरे प्रवासी भारतीयों द्वारा; किंतु, भारत के विकास के लिए, २०१४ के चुनाव को प्रमुखतः लक्ष्य में रखकर किया गया है।

साथ आमंत्रण प्रस्तुत है, उन लोगों के लिए, जो कॉंग्रेस मुक्त भारत चाहते हैं, और नरेंद्र मोदी को भारत के प्रधान मंत्री के रूपमें देखना चाहते हैं। इस अभियान में रूचि रखनेवाले, लोगों को एकत्रित होने के लिए, निमन्त्रण है; और अनुरोध है, कि, वें अवश्य अपने नाम का पंजीकरण (रजिस्टर) करें।

इस संस्था द्वारा, कनाडा और अमरिका (U S A ) में २०१३ के अंत तक १०० नगरों के, सम्पर्क सूत्रधार, एवं कम से कम १००० कर्मठ स्वयंसेवक नियुक्त करनेका निर्णय लिया जा चुका है। स्वयंसेवकों से अपेक्षा होगी, कि, अन्य स्थानिक स्वयंसेवकों का भी पंजीकरण करवाएं।

(२)संचार माध्यम पर प्रभाव

ऐसे स्वयंसेवक भारत के संचार माध्यमों को प्रभावित करने में योगदान देंगे। साथ उनके अपने सम्पर्क में रहने वाले भारतीयों को मोदी के नेतृत्व में संगठित बी. जे. पी. को; मतदान के लिए भी आग्रह करेंगे। नगरो नगरों के सूत्रधार व्यवस्थापक, उनके अपने नगरों में, स्थानिक सभाओं एवं बैठकों का आयोजन, और केंद्रीय कार्यकारिणी के प्रवास का प्रबंध भी करेंगे। उसी प्रकार वें स्थानिक छात्रों को, उद्योजकों को, अग्रणी संस्थाओं के प्रमुखों को, और विचारकों को एकत्रित करने का कार्य भी करेंगे।अभियान २०१४ (“मिशन २०१४”) , विश्व में फैले हुए भारतीयों का यह प्रकल्प है।

(३)स्वयंसेवक प्रपत्र (फॉर्म)

प्रत्येक स्वयंसेवक को, एक प्रपत्र भरना होगा। उसमें निम्न जानकारी देनी होगी।रूचि की राजनैतिक, सामाजिक, और धार्मिक संस्थाओं (३ तक सीमित) के नाम? कितने वर्षों से संबंध? दायित्व ? किन कारणों से “अभियान २०१४” के साथ जुडना चाहते है? और किस प्रकार, अभियान में योगदान कर सकते हैं? इत्यादि। उपरोक्त प्रपत्र के नीचे, अलग अलग विशेष क्षेत्रों का उल्लेख है, जो, स्वयंसेवक रूचि और विशेषज्ञता के अनुसार चुन सकता है।

(४) कार्यक्रम

शुक्रवार संध्या से प्रारंभ होकर,रविवार दुपहर तक, कुल ढाई दिन का यह कार्यक्रम था। उस में यह लेखक भी सम्मिलित हुआ था। गणेश मूर्ति के सामने दीप प्रज्ज्वलन और मंगलाचरण से कार्यक्रम प्रारंभ हुआ। प्रायः भारत के सभी प्रदेशों से प्रवासी भारतीय कार्यकर्ता सम्मिलित हुए थे। यह अभियान का बीजारोपण था। इसमें चर्चाएं हुयी, भाषण हुए, अलग अलग रूचि रखने वालों की अलग अलग बैठकें हुयीं, हास परिहास भी हुआ। लगभग ८५ से ९० तक एकत्रित स्वयंसेवक-सेविकाओं में, “अभियान २०१४” के प्रति उत्साह झलक रहा था। और नरेंद्र मोदी के प्रति उत्साहमें सारे एक स्वर, और उत्साहित थे।

(५) भारत की उन्नति के लिए

भा. ज. पा. को २७२ से अधिक बैठकें किस प्रकार प्राप्त करवाएं, जिससे भारत की शीघ्र उन्नति में कोई अवरोध या अडंगा न रह पाए, इसी दृष्टि से सारे विचार व्यक्त कर रहे थे। भारत की सारी प्रमुख भाषाओं में एक प्रारुप प्रचार पत्र बनाकर, उसके सारी प्रादेशिक भाषाओं में अनुवाद किए गए हैं- कुछ हो रहे हैं।

प्रत्येक व्यक्ति को अपने सम्पर्क के १४ मित्र संबंधियों को ऐसे पत्र भेजने का अभियान है। जो मित्र दूरदर्शन, या संगणक (कम्युटर) नहीं रखते ऐसे मित्रों को पत्र भेजकर, और उनसे फिर, उनके और १४ मित्रों को पत्र भेजने की श्रृंखला चलाने की योजना है। अलग आलेख में पत्र का हिंदी मूल पाठ दिया जाएगा। तेलुगु, मलयालम, मराठी इत्यादि सारी प्रादेशिक भाषाओं में भी पत्र भेजे जाएंगे।कुछ तो आपको जालस्थल पर प्राप्त हो ही जाएंगे। काफी कार्यकर्ता छुट्टी लेकर चुनाव में प्रचार करने के हेतु भारत जाने का भी मन बना रहे हैं। चुनाव को लेकर, कभी भी प्रवासी भारतियों में इतना उत्साह अनुभव नहीं हुआ था।

(६) महाभ्रष्टाचारी कॉन्ग्रेस

और महाभ्रष्टाचारी कॉन्ग्रेस से सभी उकता कर, कपाल पर हथेली मार कर, निराशा व्यक्त कर रहे थे। भारत के प्रेम से ओतप्रोत ये सारे स्वयंसेवक अपने अपने क्षेत्रों में विशेषज्ञ थे। भारत से बाहर बसने के उपरांत, भारत इनके हृदय में बसा हुआ है, दिन रात भारत के सपने ये देखते रहते हैं, यह पद पद पर प्रतीत होता था।

बातचित से पता चलता था, कि, रूपए के घटते और डालर के बढते मूल्य से भी यह समूह निराश था, मुझे लगता है, कि, इसी निकष पर प्रत्येक प्रवासी भारतीय की देश-भक्ति को परखा जा सकता है।

(७)उष्मा भरा पारिवारिक भाव

देखते, देखते पचास साठ हजार डालरों का चंदा इकठ्ठा हो गया।

सारा ढाई दिनका स्वादिष्ट मिष्टान्न युक्त भोजन,और ३ सितारा होटल में प्रबंध, इत्यादि अत्यंत नगण्य शुल्क में सम्पन्न किया गया था। भारतीय होटल मालिक नें, अत्यल्प शुल्क में सारा प्रबंध उपलब्ध किया था। और उष्मा भरा पारिवारिक भाव भी हर कोई को प्रतीत हो रहा था। सारे अभ्यागत उत्साहित थे।

लेखक का गुजराती कविता संग्रह प्रत्येक प्रदाता को भेंट किया गया था। संग्रह का मुद्रण भी. विशेष चिकने रंगीन पृष्ठों वाला है। चित्रमय रंगीन पृष्ठोंवाली, बडे आकार की, यह पुस्तक भारत में पूरी बिक चुकी है। अमरिका में कॉफी टेबलों पर रखी जाती है। लेखक ने, एक छोटी हिंदी की कविता भी अंत में सुनाई थी। निम्न जानकारी आप अपने मित्रों को भी भेजकर इस अभियान में योगदान देंने का प्रेमभरा अनुरोध करता हूँ।

॥जय भारत॥ 

13 COMMENTS

  1. डॉ. मधुसूदन द्वारा संयुक्त राज्य अमरीका के न्यू जर्सी प्रान्त में स्थित नोर्थ ब्रन्सविक शहर में बीते सितम्बर ७-८ को आयोजित “अभियान २०१४, कांग्रेसमुक्त भारत” का विवरण सूचनात्मक और स्वयं मेरे ह्रदय के लिए विशेषकर रमणीय है| ऐसा प्रतीत होता है कि सामुदायिक व व्यक्तिगत विकास से परिपूर्ण अमरीकी समाज ने वहां बसे भारतीय प्रवासियों को अंततः वर्षों बाद अपनी मातृभूमि भारत के प्रति सोचने को विवश कर दिया है|

    यहाँ लेखक और मोदी जी के प्रति संशयी आर. सिंह जी के बीच वार्तालाप से ऐसा प्रतीत होता है कि एक तिहाई समृद्ध भारतीय जनसमूह ऐसा नहीं सोचता है| यदि तथाकथित स्वतंत्रता के छियासठ वर्षों के पश्चात देश में दो तिहाई जनसँख्या के लिए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम २०१३ के अंतर्गत रियायती खाद्यान्न का प्रावधान इस बड़े वर्ग को निष्क्रिय बनाता है तो शेष एक तिहाई वर्ग में अधिकांश लोग सर्वव्यापक भ्रष्टाचार और अनैतिकता में मची लूट का आनंद लेते चरित्र में सत्ताधारी के समान हो चुके हैं। जिस प्रकार फिरंगी को सत्ता में बनाये रखने पर उन्होंने अपने सहायकों को राय-जादा, राय-बहादुर अथवा दूसरे उपसर्ग दे रखे थे उसी प्रकार भ्रष्टाचार-ग्रस्त वातावरण अपने समर्थकों के लिए कांग्रेस का पुरुस्कार ही तो है| अब प्रश्न है ऐसी स्थिति में कौन ऊँगली उठाये? तिस पर पटना में मोदी जी की हुंकार रैली में उमड़ी भीड़ परिवर्तन का एक सुखद संदेश वाहक है| सामान्य रूप से स्वयं बीजेपी से असंतुष्ट मैं मोदी जी के नेतृत्व के अंतर्गत आगामी चुनावों में कांग्रेस को पूर्णतय परास्त कर पार्टी को एक नए राष्ट्रवादी स्वरूप में देखना चाहूँगा|

  2. चूँकि आप किसी दलविशेष से जुड़े हैं और व्यक्तिविशेष से अति प्रभावित हैं यह कहना उचित नहीं हो की राष्ट्र किसी एक एक दल या व्यक्ति का पर्याय नहीं होता फिर भी मैं नि;संकोच लिखता हूँ

    • डॉ. ठाकुर, टिप्पणी के लिए धन्यवाद।
      पर कुछ ठीक समझ नहीं सका।
      आप की राय में कौन उचित प्रतिस्पर्धी( विजयी) हो सकता है?
      वास्तविक धरातल पर जनता को किसे चुनने का परामर्श आप देंगे?
      या आपकी राय में कोई योग्य नहीं है?
      अवश्य आप अलग मत रखने और मतदान करने का अधिकार रखते हैं; साथ मत न देनेका भी।
      राष्ट्र से कोई बडा नहीं है; मान्य है।
      पर राष्ट्र को चलाने के लिए शासक आवश्यक ही है; यह मैं मानता हूँ।
      हमारे हठाग्रह के कारण राष्ट्र का घाटा, स्वीकार नहीं है।
      कुछ संवाद से ही पता चले।
      सविनय।

  3. श्र्धेय मधुसूदन जी, सादर प्रणाम,
    जब व्यक्ति से ऊपर उसका व्यक्तित्व हो जाता हैं तब व्यक्ति व्यक्ति न रह कर एक संस्था बन जाता हैं,और जब संस्था भी अपने उच्चतम भाव रूप में प्रकट होकर अपने पूर्ण आभा मंडल के साथ प्रसपूतिथ होती हैं तब संस्था भी संस्था न रह कर राष्ट्र बन जाती हैं। तब ऐसे मानस से जो विचार मोती मानवता को चुनने को मिलते हैं तब वो हर व्यक्ति के अन्तर्मन को गद-गद कर देते हैं ।
    …….. कहीं अधिक न हो जाये। परंतु यह सत्य हैं कि आपने सात समुंदर पार एक भारतीय राष्ट्र विकसित कर लिया हैं,अब यह कहना कठिन हैं कि राष्ट्र आपको ऊर्जाण्वित कर रहा हैं या आप राष्ट्र को ऊर्जाण्वित कर रहे हो। लेख के लिए हार्दिक धन्यवाद।

  4. निवृत्त ह्वाइस एयर मार्शल, श्री. विश्वमोहन तिवारी जी, की ओर से इ मेल से आया हुआ, निम्न संदेश. –आपकी उदार मानसिकता का द्योतक है।उन्हें विनम्रता सहित प्रणाम—-मधुसूदन।
    पाठकों के लिए उद्धरित करता हूँ, बिना काट छाट।
    ===================>
    ’मधुसूदन जी,
    आपका यह कार्य पुण्य कार्य है..
    —“जिसे करने वाले के परिवार,
    निकट सम्बन्धी और मित्र सुखी रहेंगे,
    उनके घरों में चोरियां नहीं होंगी,
    दूध और दवाइयों में, मिलावट नहीं होगी,
    मंहगाई सुरसा के मुंह की तरह नहीं बढेगी,
    सब ओर सुख ही सुख फैलेगा..”

    सफलता के लिये शुभ कामनायें
    विश्व मोहन तिवारी

  5. This is the most patriotic work in hand to free India from the rule of Indian National Congress and its partners then and then only India will emerge as a truly free country in true sense of the word freedom.
    Those who want India free from corruption, scams, scandals,attacks from neighbouring Pakistan, Bangladesh, Afghanistan and terrorists from within and without must come out in open to crush the congress and work whole heartedly to support Narendra Modi and his party B.J.P. in all future local, state and national General elections.
    Let us work togather for all round development for all under the leadership of Narendra Modi.
    CONGRESS KO ——————-HATAO.
    NEHRU-GANDHI DYNASTY——-HATAO.
    MODI KO——–LAAO–DES KO—BACHAO.

    • डॉ. शर्मा जी-टिप्पणी के लिए धन्यवाद।
      आप को जानकर हर्ष ही होगा, कि,जितने कार्यकर्ताओं को और सामान्य जनों को मैं जानता हूँ, सारे इस सडी हुयी कॉन्ग्रेस को हटाना चाह रहे हैं। इस अभियान में नए नए भारत प्रेमी अलग अलग संस्थाओं के भी, जुड रहे हैं। साथ में सहायता भी कर रहे हैं। अनेक कर्मठ स्वयंसेवक जुडे है, कुछ लिखने में रूचि नहीं रखते, पर काम अवश्य कर रहे हैं। आप को जालस्थल (www.gibv.org)देखने का अनुरोध करता हूँ।

      ===>भारत के दो महा रोग है।जिनपर सुधार होने से भारत उठकर खडा होगा, ऐसा मेरा मानना है।
      (१) भ्रष्टाचार, और (२) हीनता ग्रंथि।
      भ्रष्टाचार से निपटा जाने से ही अन्य सारी व्यवस्था आप ही आप सुधर जाती है। यह अनुभव है, गुजरात का। वैसे गुजरात में केवल शासकीय भ्रष्टाचार मात्र मिटा है; उसी से समृद्धि आ चुकी है। बिजली, सडक, पानी तो सभीको उपलब्ध होने ही लगी है। वैसे छुट पुट भ्रष्टाचार शायद अभी भी है।अहमदाबाद जब मैं गया था, २४ घंटे नल का पानी देख, विशेष प्रभावित हुआ।
      (२) हीनता ग्रंथि के लिए, जब आप को समय हो, तो “भारतीय बॉन्साई पौधे” पढने का अनुरोध करता हूँ।
      मुक्त टिप्पणी देते रहें। दोष भी दिखाते रहें।

  6. एक बार पहभी कांग्रेस मुक्त भारत का नारा लगा था.अंतर केवल यह था कि उस समय उसे इंदिरा मुक्त भारत का नाम दिया गया था. यह नारा नई बोतल में पुरानी शराब जैसा लगता है. जब तक व्यवस्था परिवर्तन ले नहीं होगा,तब तक केवल कांग्रेस मुक्त भारत भ्रष्टाचार मुक्त भारत नहीं हो सकता
    ऐसे डाक्टर साहिब शायद इस पर एक आलेख लिखने को कहे,पर मैं उसकी आवश्यकता नहीं समझता,क्योंकि इसका विस्तृत विवरण इन चार पुस्तकों में समाहित है.:
    १. हिन्द स्वराज : महात्मा गाँधी
    २.एकात्म मानव वाद पंडित दीन दयाल उपाध्याय
    ३.भारतीय अर्थ नीति,विकास कि एक दिशा पंडित दीन दयाल उपाध्याय
    ४.स्वाराज: अरविन्द केजरीवाल.

    • सिंह साहब-टिप्पणी के लिए धन्यवाद। बहुत समय से आप से संवाद करने का अवसर नहीं आया था। इस लिए हर्षित हूँ।
      (१) पर आपने अपना पर्याय सुझाया नहीं है। आपका प्रधान मंत्री पद का, पर्याय कौनसा है?
      (२) जो ५५+ वर्षों की पुरानी बोतल है, उसकी शराब आप सुझा रहे हैं क्या ?
      (३) तथ्यः–> इंदिरा के समय अमरिका से स्वयंस्फूर्त कार्य करने वाले जितने थे, उससे १०+ गुना कार्यकर्ता आज ही(२०१३) जाग्रत हो चुके हैं।और बढते ही जाएंगे। यह अनुभव मुझे होता है।प्रवासी भारतीय उस समय कम ही थे, पर आज मोदी के नाम को लेकर मुझे एक भी विरोधक नहीं मिला है।
      (४) कहावतें (पुरानी बोतल नई शराब) भी स्वतंत्र विचार-चिन्तन-मनन को अवरुद्ध कर देती है। मात्र कहावतों के आधार पर मौलिक चिंतन, तटस्थता के दृष्टिकोण से भी अनुचित मानता हूँ। दृष्टिकोण सुनिश्चित होनेपर आप कथन को अलंकारित करने के लिए, कहावतों का आश्रय ले सकते हैं। यह मेरा मानना है।
      पर संवाद आगे बढाकर सत्य को सामने लाने में आपका योगदान, मुझे मान्य है।कुशल रहें।

      • डाक्टर साहिब धन्यवाद. मैं व्यक्ति नहीं सिद्धांत की बात करता हूँ.अगर मेरी मजबूरी हो क़ि जो दो विकल्प सामने हैं,उसीमे से एक चुनना है,तो मुझे नमो को चुनने में एक क्षण की भी देर नहीं लगेगी,क्योंकि दूसरे को मैं इस योग्य भी नहीं समझता क़ि उसकी चर्चा की जाए.पर मैंने जो प्रश्न उठाया है,उसका उत्तर आवश्यक है,क्योंकि मुझे १९७७ के इंदिरा हटाने और आज के कांग्रेस को हटाने के नारे में कोई अंतर नहीं दिखाई देता.इंदिरा गांधी के हटाने के बाद विपक्ष के बड़े बड़े दिग्गजों ने महात्मा गांधी के समाधि पर शपथ ग्रहण की थी. उनके समक्ष जे.पी के सम्पूर्ण क्रांति का एक नारा भी था,पर बाद में क्या हुआ? आप शायद मुझसे सहमत न हों,पर मोरार जी देसाई को मैं भारत के आजादी के बाद के इतिहास में सबसे अच्छा शासक और सर्वाधिक ईमानदार मानता हूँ,पर यह अमेरिकी शासन प्रणाली नहीं है,जिसमे एक राष्ट्र पति का ईमानदार होना काफी होता है शासन व्यवस्था के सुचारू रूप से चलाने में .मोरारजी भाई की असफलता का कारण यह संसदीय प्रणाली है, दूसरी बात जिसकी ओर मैने उन चार पुस्तकों के माध्यम से कहना चाहा है,वह है आमूल व्यवस्था परिवर्तन ,जिसके बारे में गांधी ने कहा था,”सच्ची लोकशाही केंद्र में बैठे हुए दस बीस लोग नही चला सकते.सत्ता के केन्द्र बिंदु दिल्ली,बंबई और कलकत्ता जैसी राजधानियों में हैं.मैं उसे भारत के सात लाख गाँवों में बाँटना चाहूँगा.” नई बोतल में पुरानी शराब से मेरा यही अर्थ था. अगर कांग्रेस के हटने से भ्रष्टाचार का अंत होता,तो एम् .सी. डी अपने विभागीय ईमानदारी के लिए जाना जाता, जहां बी.जे.पी. पिछले सात वर्षों से शासन कर .रही है.. जबकि हालात यह है भ्रष्टाचार में उससे केवल दिल्ली पुलिस आगे है. मेरे विचार से नमो का गुजरात में लोकायुक्त को पंगु बना देना भी कोई शुभ संकेत नहीं है.
        आजकल प्रवक्ता.कम कम ही देख पाता हूँ,क्योंकि दिल्ली के चुनाव ने व्यस्तता बढ़ा दी है. अतः आपकी यह टिपण्णी भी देर से देख पाया.

        • सिंह साहब —धन्यवाद|

          (१)चुनाव सही सिद्धांतों को चुनने का होता तो आपकी बात विचारणीय थी।
          (२) न मो के लिए सारे समीकरण, आज तक, असफल सिद्ध हुए हैं। यह व्यक्ति २००२ के पश्चात टिका ही नहीं आगे बढ पाया है।मैं नमो् के नेतृत्व की बी. जे. पी. को वरीयता देता हूँ।
          (३) आपकी सुझाई पहली ३ पुस्तकें पढी हुयी है।
          (४)भ्रष्टाचार में देने वाले भी आम जन ही है।वो, दो हाथों की ताली है।
          आप के विचारों को पढकर अच्छा लगा। अपना स्वतंत्र विचार रखते रहें।
          धन्यवाद- प्रवास से, संक्षेप में|

          • डाक्टर साहिब,आपके इन टिप्पणियों को पढ़ कर उत्साह मिलता है और आगे कुछ कहने का दिल चाहता है. चौथी पुस्तक भी इंटरनेट पर उपलब्ध है.आपकी यह बात सही है कि भ्रष्टाचार के लिए आम आदमी भी जिम्मेवार है,पर मेरे विचार से उत्तरदायित्व का अभाव इसका सबसे बड़ा कारण है. भारत में जनता की जिम्मेदारी वोट डालने तक सिमित है और राजनेता की जिम्मेदारी वोट लेकर जीतने तक.अगर व्यवस्था में ऐसा परिवर्तन आ जाए ,जिसके चलते दोनों हमेशा एक दूसरे के रूबरू रहें और केवल वार्तालाप ही नहीं बल्कि ग्राम सभा और मोहल्ला सभा के जरिये आम आदमी की भागेदारी हर निर्णय में सुनिश्चित हो जाए तो भ्रष्टाचार अपने आप समाप्त हो जाए.

  7. http://www.gibv.org 570-884-GIBV
    Register to be a volunteer at:==> http://www.gibv.org/volunteer
    Cities Identified in USA: (More will be added): Atlanta, Austin, Baltimore, Baton Rouge, Boston, Buffalo, Chicago, Dallas, DC, Denver, Detroit, Edison, Hartford, Houston, L.A., Minneapolis, Orlando, New York, Philadelphia, Pittsburgh, Raleigh, Richmond, San Diego, San Francisco, Tampa. Canada: Toronto, Montreal, Quebec, Ottawa, Alberta, British Columbia, Calgary, Vancouver, Winnipeg

    This is an invitation to all who desire to have a “कॉन्ग्रेस मुक्त भारत” and See “नरेंद्र मोदी ” as the Prime Minister, to come together. Please join this Global Movement by registering here.

    We are looking for 2014 volunteers in USA and Canada by the end of 2013 and coordinators in 100 cities. A volunteer’s role is to enroll more volunteers.

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