कांग्रेस की नापाक चालों के विरूद्ध संघ का आंदोलन 10 नवम्बर से

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विश्व के सबसे बड़े स्वयंसेवी, समाजसेवी, सामाजिक व सांस्कृतिक संगठन आरएसएस द्वारा इसी 10 नवम्बर को भारतभर के सभी जिला केन्द्रो पर केन्द्र सरकार द्वारा उसके विरूद्ध किए जा रहे अनर्गल प्रचार व विष वमन के विरोध में धरना प्रदशर्न करने की घोषणा की गई है। आम जनमानस के मन में संघ का अर्थ है दो के प्रति असीम श्रद्घा और विश्वास लेकर कार्य करने वाले नि:स्वार्थ लोगो का संगठन। किंतु भारत में काफी सारे लोग ऐसे भी है जिनको संघ कार्य का ब़ना अखरता है, भारत माता की जय व भारत को परम वैभव तक पंहुचाने की बात से जिनको बदहजमी होती है, ऐसे लोगो द्वारा संघ की स्थापना से लेकर आज तक संघ के बारें में विभिन्न प्रकार की निराधार बाते समाज में फैलायी जाती रही है। संघ क्या है, इसकी कार्य पद्धति कैसी है, कार्य क्षेत्र कौनसा है, संघ क्या सिखाता है, लगातार विरोध के बाद भी लोग संघ और इसकी प्रेरणा से चलने वाले विभिन्न संगठनों से क्यों जुड़ रहे है यह संघ विरोधियों के लिए सदा चिंतन का विषय रहा है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नाम में तीन शब्द है राष्ट्रीय, स्वयंसेवक और संघ। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर यथा नाम यथा गुण वाली कहावत पूरी तरह से चरितार्थ होती हैं। इन शब्दों के क्या मायने है ? जरा देखें-
‘राष्ट्रीय’ का अर्थ है कि पूरा भारत इसका कार्यक्षेत्र है। राष्ट्रवादी होने के नाते हम प्रान्तवाद, भाषावाद, क्षेत्रवाद, जातिवाद, सम्प्रदायवाद, परिवारवाद आदि द्वेश व समाज के टुकड़े करने वाले वादों में विश्वास नहीं करते क्योंकि हम राष्ट्रीय है, सम्पूर्ण भारत के है और सारा भारत हमारा है। सम्पूर्ण भारत के होने के कारण हम द्वेश व समाज का टुकड़ों में विचार नहीं करते। संघ के स्वयंसेवक समस्त भारतीयों में प्रादेशिकता को खत्म कर कट्टर राष्ट्रवाद का भाव भरना चाहते है क्योंकि हम अखिल भारतीय दृष्टिकोण रखते है। हम समुदाय विशेष के लिए नहीं सब भारतीयों के उत्थान हेतु कार्य करने वाले है। भारतीय होने के कारण हम भारत की सभ्यता, संस्कृति, रीतिनीति, चिंतन प्रक्रिया व कार्य पद्धति में अटूट विवास करते है।
स्वयंसेवक – राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में वर्णित स्वयंसेवक का अर्थ है कि स्वयं की अंतः प्रेरणा से, दो और समाज का विचार करके स्वहित को गौण मानते हुए स्वयं की जेब से पैसा व्यय कर, स्वयं का समय खर्च कर समाज या दो का कार्य करने वाला राष्ट्र सेवक।
संघ- भीड़, मेले, एकत्रीकरण, सम्मेलन, सभा, गोष्ठी या मात्र संस्था को संघ नहीं कह सकते। संगठन एकात्म भावधारी समाज के घटकों का ऐसा समूह होता हैजो एक ध्येय से प्रेरित, हार्दिक सूत्र में बंधे हुए, एक ही दृष्टि, एक ही दृष्टिकोण से विचार करते है। उसे निश्छल रूप से एक दूसरे पर प्रकट करते है, एक ही पद्धति, एक ही चाल, एक ही ढंग या रीति के साथ मिलजुल कर पूर्ण शक्ति से कार्य करते है। जिसकी तुलना रस्सी, मधुमख्यिों का छता, वृक्ष या मानव शरीर से की जा सकती है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ दलगत राजनीति से दूर है। यह महान राष्ट्रीय लक्ष्य के लिए निर्मित राश्ट्रवादी लोगो का संगठन या संघ है। दल का अर्थ है एक हिस्सा या टुकड़ा। पार्टी का भी यही अर्थ है। पार्टी याने पार्ट करने वाली, टुकड़े करने वाली, दलदल करने वाली और संघ का अर्थ है टुकड़ों-टुकड़ों को जोड़कर एक करने वाला। जमीन-आसमान का अंतर है, दोनों विपरित ध्रुवों की बाते है। अतः संघ और पार्टी का संग कैसे निभ सकता है ? राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का हेतु, उद्देय, परिभाषा, कार्य क्षेत्र, कार्य पद्धति, रीतिनीति आदि सब इसके नाम में समाविष्ट है। अगर एक पंक्ति में कहे तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ राश्ट्रवादी भावना से ओतप्रोत, राश्ट्र के उत्थान में जुटे कार्यकर्ताओं का सांस्कृतिक व सामाजिक संगठन है। आज के परिदृय में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सात्विक शक्ति से ही समृद्धि व खुाहाली आ सकती हैं।
संघ के नाम में सम्मिलित उपरोक्त तीनों भाब्द ही किसी भी व्यक्ति को संघ का परिचय देने के लिए प्र्याप्त है किंतु भारत में काफी लोग ऐसे भी है जो संघ की ब़ती भाक्ति से भयभीत होने के साथसाथ संघ के स्थापना काल से लेकर आज तक संघ के विरूद्ध विशवमन कर रहे है, संघ के बारें में निरंतर अनर्गल प्रचार कर रहे है।
संघ की स्थापना 1925 में हुई तब से लेकर अब तक संघ को कई बार विभिन्न राजसत्ताओं ने जमींदोज करने का प्रयास किया है। महात्मा गांधी की हत्या के बाद संघ के विरूद्ध निराधार तर्को को लेकर प्रथम बार भीशण प्रहार किया गया जिसके तहत संघ पर 1948 में प्रतिबंध लगाया गया। तब देश अंग्रेजों के कब्जे से मुक्त हुआ ही था, लेकिन विभाजन और हिन्दू नरसंहार की विभीषिका भी झेल रहा था। मामला पंचाट में जाने पर सुनवाई हुई और संघ पर लगे सभी आरोपो को बेबुनियाद बताते हुए संघ को गांधी हत्या मामले से संघ को बाइज्जत बरी किया गया किंतु संघ को इस प्रकरण में बरी कर देने और संघ को निर्दोष बताने के बावजूद कांग्रेस के नेता आज भी गांधी हत्या में संघ का नाम घसीटने से बाज नहीं आते। यह अलग बात है कि संघ के लोगों ने कभी कांग्रेसियों को न्यायालय की अवमानना का नोटिस नहीं दिया। संघ पर दूसरा जानलेवा प्रहार इंदिरा गांधी ने आपातकाल के समय किया। संघ को लोभलालच और भय से निष्क्रिय या कांग्रेस के पक्ष में सक्रिय करने का प्रयत्न किया गया। कांग्रेस की शर्त न मानने पर संघ को नेस्तनाबूत कर देने की कोशिश हुईं। इस बार भी संघ को प्रतिबंधित किया गया। संघ इस हमले न सिर्फ बालबाल बच गया बल्कि देश ने कांग्रेस को करारा जवाब भी दिया। संघ पर तीसरा बड़ा हमला 1992 में किया गया जब अयोध्या में विवादित बाबरी ढांचा टूटा। ढांचे के विध्वंस में संघभाजपा को आरोपित कर पहले तो भाजपा की चार राज्य सरकारों को बर्खास्त किया गया और बाद में संघ पर प्रतिबंध लगाया गया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर यह तीसरा कांग्रेसी प्रतिबंध था। संघ की स्थापना और कार्य एक पवित्र उद्देश्य से है। संघ के स्वयंसेवक संघ कार्य को ईश्वरीय कार्य मानते हैं। संघ भारत राष्ट्र के परम वैभव के लिए प्रयत्नशील है। यही कारण है कि संघ पर बारबार घातक और जानलेवा हमले होते रहे हैं, लेकिन संघ इस हमले से बारबार सही सलामत बच निकला। संघ हमेशा हिन्दू समाज की रक्षा करता आया है, इसीलिए कांग्रेसी हमलों से संघ को समाज बचाया है। किंतु वर्तमान में केन्द्र की सोनिया गांधी की सरपरस्ती में चलने वाली यूपीए सरकार अपने कांग्रेसी पूर्वजों की राह पर चल रही है, कांग्रेस की दो विरोधी नीतियों विोशकर सीमावर्ती क्षेत्रों की समस्या, धर्मान्तरण, घुसपैठ, हिन्दुओं के धार्मिक मामलों आदि के प्रकरणों में संघ ने समाज का जो नेतृत्व किया है वो कांग्रेस को पच नहीं रहा है। इसलिए कभी हिन्दु आंतकवाद, कभी भगवा आतंकवाद, कभी संघ को सिमी के समान बतलाना और इससे भी आगे ब़कर संघ की राश्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य इन्द्रोजी का नाम राजस्थान एटीएस द्वारा अजमेर दरगाह ब्लास्ट में जोड़ने का कुत्सित प्रयास करना साबित करता है कि भारत में सब कुछ सामान्य नहीं है। कांग्रेस के विभिन्न नेताओं दिग्विजय सिंह, भांति धारीवाल, सोनिया गांधी व राहुल गांधी के बयान और उनसे मिलतीजुलती राजस्थान एटीएस की तथाकथित रिपोर्ट जिसमें इन्दोजी के खिलाफ कोई साक्ष्य ना होने पर भी उनका नाम जोड़ने की कवायद यह साबित करती है कि सब कुछ योजनाबद्ध तरीके से किया जा रहा है ताकि इस बार संघ को इतना बदनाम किया जा सके कि समाज इस सफेद झूठ पर विवास करने को बाध्य हो जाये। ऐसे में संघ ने प्रथम बार ऐसे राजनैतिक प्रहारों और सरकारी मशीनरी द्वारा उसके सम्बंध में प्रसारित किए जा रहे झूठों का पर्दाफा करने के लिए आगामी 10 नवम्बर को पूरे दो के जिला केन्द्रों पर धरना प्रदार्न करने की तैयारी कर ली है जिसमें संघ के स्वयंसेवकों के अलावा संघ परिवार के सभी संगठनों के कार्यकर्ता भी भाग लेगें।

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  1. कांग्रेस की नापाक चालों के विरूद्ध संघ का आंदोलन 10 नवम्बर से -by – रामदास सोनी

    10 नवम्बर को दिल्ली में किन-किन स्थान पर कितने बजे से धरना प्रदशर्न है ?

    कौन से वस्त्र में जाना है ?

    क्या आंदोलन एक दिन का ही १० नवम्बर को धरना प्रदशर्न है ?

    सूचना अभी तक नहीं ले पाए है. सूचना प्रसार का माध्यम केवल अभी शाखा संघस्थान ही चल रहा है ?

    – अनिल सहगल –

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