पांच ट्रिलियन के ख़्वाब में कोरोना ब्रेक

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कोरोना महामारी से एक भयावह आपातकाल स्थिति उभर रही है ।इस कोरोना काल का असर स्वास्थ सुरक्षा यातायात इकोनॉमिक ग्रोथ पर पड़ रहा है ।संक्रामक के कारण सभी सुविधाएं चरमरा गई है ।जिसकी देखभाल में सरकार अथक प्रयास कर रही है सरकार हर स्तर पर वायरस के प्रकोप से निपटने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रही है।कोरोना ने विकास की घड़ी के समय में दस्तक दी है जब मोदी सरकार आर्थिक पटरी पर आ रहीं थी ।गतिशील आर्थिक अर्थव्यवस्था और विकास की रफ्तार के सपने से केंद्र सरकार ने पांच ट्रिलियन का ख़्वाब सोचा था। जिससे विकास की एक नई पहिचान बना सकें ।जिस पर मोदी सरकार के साथ जनता को भी पूरी उम्मीद थी कि अन्य वायदों को पूरा करने वाली देशहितैषी सरकार इस टारगेट को भी मुकाम पर पहुँचा कर दिखाएंगी ।लेकिन समय ने कोरोना काल की मार दे दी।कहा भी जाता है काल और घटना पर किसी का हुक्म नहीं चलता । ।जिससे संपन्नता संवृद्धि सुविकास सुविधायें सुरक्षा सम्पति संसाधन चौपट होते दिखाई दे रहे है । लेकिन पीएम मोदी के साथ राज्यों के मुख्यमंत्री समस्या का डटकर सामना कर रहे है । हर व्यक्ति तक हर संभव मदद पहुँचाने की कोशिश लगातर जारी है ।सेवाओं में कोई कसर नहीँ छोड़ी जा रही । केंद्र सरकार के साथ साथ राज्य सरकारों के सहयोग से संकट की स्थिति को कम से कम होने का प्रयास किया जा रहा है । लॉक डाउन, सोशल दूरी,समझदारी ,स्वास्थ्य व अन्य विभाग के कर्मियों के साथ जनता समर्थन से आज नहीं तो कल कोरोना को हर हाल में हराना है ।।
कोरोना को भगाने के बाद देश व सरकार व जनता के सामने एक से एक बड़ी समस्या उभरकर सामने होंगी जो वायरस से उपजी होंगी मगर मानव युक्त होंगी।इनमें आर्थिक समस्या ,रोजगार ,स्वास्थ सेवाएं प्रमुख रहेंगी ।क्योंकि जनता के सामने कोरोना प्रकोप से ये सब डगमगा जाएंगी जिन्हें गरीबी हालात में फिर से खड़ा करना चुनौती भरा कार्य होगा।विपत्ति में आर्थिक हालात गड़बड़ा गई है जिसका मंजर कोरोना भगाने के बाद दिखाई देगा।। समाज के साथ कई प्रशासन व स्वास्थ्यकर्मी कोरोना संक्रामक से संक्रमित हो रहे है ।जिसके कारण आने वाले समय मेंबजट की कमी के चलते स्वास्थ्यकर्मियों की कमी का संकट मंडराता हुआ अस्पतालों में मरीज के रूप में दिखाई देगा ।जिसकी कमजोर मानसिक हालात को आईसीयू में भर्ती करने की जरूरत होंगी जबकि लालफीताशाही आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण उनसे पेशेंट का ईलाज करवा रहीं होंगी ।यह दृश्य अभी भी आपको नजर आ रहा होगा जब विभिन्न राज्य सरकारें आनन फानन में प्रशिक्षण प्राप्त स्वस्थकर्मियों को आपकी देखभाल के लिए भर्ती कर रहीं है। सरकार के इस कदम को महामारी में मजबूरी समझ सकते जबकि देश में डब्ल्यू एच ओ के अनुसार डॉक्टर की अधिक कमी है ।इसके अनुसार एक हज़ार पर एक डॉक्टर की उपलब्धता की कमी कई सालों से बनी हुई है । केंद्र सरकार और राज्य सरकार के समर्थन से मेडिकल महाविद्यालयों में डॉक्टर की पढ़ाई करने वाले हजारों डॉक्टर कानून से लड़ाई लड़ रहे है ।ऐसे भावी डॉक्टर केवल राजनीति का शिकार बने हुए है ।जिनके जीवन को संदिग्धता की आड़ में आग में झोंक दिया गया।व्यापम के नाम पर हजारों पीड़ित एम .डी,एम बी बी एस विशेषज्ञ कोर्स की पढ़ाई पूर्ण कर रोगियों को देखने की वजह कोर्ट के चक्कर लगा रहे है ।आज नहीं तो कल इन्हें न्यायालय से न्याय मिल ही जाएगा लेकिन उसमें समय और धन की अधिक बर्बादी हो चुकी होंगी जिसका असर उनकी मानसिक स्थिति पर भी पड़ेगा । ।धरती के भगवान मानवतावादी अपने कर्तव्य के प्रति सदैव उत्साहित रहने वाले हजारों डॉक्टर्स आज महामारी संकटकाल में स्वास्थ सेवाओं के काम आ सकें। सरकार को ऐसा कदम उठाना चाहिए जो शायद बेहतर और सार्थक बहुउद्देशीय हित में हो । जिसमें सब का कल्याण हों।इन पीड़ित छात्रों से बात करने पर यह बात सामने आई कि सुप्रीम कोर्ट में दलीलो के दौरान यह शर्त उभरकर सामने आई कि सरकार चाहें तो इनसे कुछ साल बिना किसी देय भत्ते की शर्त पर सेवा प्राप्त कर सकती है ।जिसे पिछली तत्कालीन सरकार अपने पक्ष में भुनाने में लगी हुई थी लेकिन मध्यप्रदेश राज्य और केंद्र सत्ता अलग अलग होने के कारण इस कदम को उठाने में राज्य सरकार को कदम पीछे खींचने पड़े।क्योंकि जब राष्ट्रीय एजेंसी चांज करती है तो राज्य सरकार को केंद्रीय सरकार से अनुमति लेने पड़ती है ।इस उलझन को पूर्व राज्य सरकार भांप चुकी और राजनीतिक फायदा नहीं उठा सकी । अब चूंकि कोरोना प्रकोप में सरकार की ओर से स्वास्थ्य सेवाओं में कोई कमी ना आये इसके लिए मध्यप्रदेश सरकार यह कदम उठा सकती है ताकि राज्य सरकार को आर्थिक बचत के फ़ायदे के साथ, गरीब निर्धन बेसहारा लोगों को इलाज के लिए एम बी बी एस डॉक्टर और हज़ारो डॉक्टर्स को कानूनी फंदे से मुक्ति मिल सकें । देश के स्वास्थ हित में लिया गया फैसला सर्वोपरि है ।


आनंद जोनवार

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